हमारे समाज पर फिल्मों का इतना गहरा असर पड़ता जा रहा है कि हर कोई मुंबई आकर हीरो बनना चाहता है। लेकिन बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जिन्हें फिल्मों में काम मिलता है। भोजपुरी फिल्म ‘चढ़ल जवनिया भईल जी के काल’ की कहानी भी कुछ इसी प्रकार की है।
बुधना, जुमना और ललना सज्जनपुर गांव के रहने वाले हैं, गांव में ये तीनों लोगों को बेवकूफ बनाकर अपना जेब खर्च निकालते हैं। लेकिन इनका सपना होता है मुंबई जाकर मनोज तिवारी, रवि किशन और निरहुआ जैसा हीरो बनने का। एक दिन गांव वालों से परेशान और लज्जित होकर तीनों मुंबई जाने का निर्णय लेते हैं। गांव की लड़की फुलवा बाई जो कि एक मशहूर डांसर है इन तीनों को अपने प्रेमी सिद्धांत की तस्वीर देती है जो मुंबई में ही रहता है।
मुंबई आने के बाद तीनों की मुलाकात संजना, सुहानी और सपना जैसी लड़कियों से होती है। ये तीनों लड़कियां काफी खूबसूरत हैं और एक सनकी कर्नल की बेटियां हैं। तीनों लड़के कर्नल के ही पड़ोस में ही रहने लगते हैं। धीरे-धीरे इनके बीच प्यार का परवान इतना बढ़ जाता है कि इनमें से सपना और सुहानी गर्भवती हो जाती हैं। जब इस बात का पता कर्नल को चलता है तो गुस्से में आकर अपनी बंदूक लेकर उन तीनों को मारने निकल पड़ता है। तीनों लड़के वहां से जब भागते हैं तो इसी दौरान उनकी मुलाकात सिद्धांत से होती है जो तीनों की मदद करता है। और फिल्म की कहानी एक सुखद अंत की ओर तमाम उतार-चढ़ाव के बाद बढ़ती है।
सिने प्राइम वल्र्ड के बैनर तले इस फिल्म के निर्माता रितु राज पाण्डे, निर्देशक राजवीर सिंह, लेखक अशोक पाण्डे, संगीतकार मुनव्वर आजमी व अनुज मैथ्यू एवं गीतकार श्याम देहाती व मुनव्वर आज़मी हैं। इस फिल्म के प्रमख कलाकारों में सिद्धांत भारद्वाज, तनिषा सिंह, अमन, सुमित बाबा, करन, पूजा, महेन्द्र भटनागर और माधुरी मिश्रा हैं। यह फिल्म प्रदर्शन के लिए तैयार है।
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