मंगलवार, दिसंबर 29, 2009



एनडीटीवी इमेजिन के चर्चित शो राज पिछले जनम का में शेखर सुमन, सेलिना जेतली, मोनिका बेदी, सम्भावना सेठ जैसी कई चर्चित लोगो का पिछले जनम का राज़ सामने आया है और अब बारी है शो को होस्ट कर रहे भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार अभिनेता रविकिशन की , जिनके पिछले जनम का राज जल्द ही खुलने वाला है। चैनल ने पिछले दिनों अपने होस्ट रविकिशन को समय रथ पर सवार कराया। प्राप्त जानकारी के अनुसार अपने पिछले जनम में रविकिशन ने खुद को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में संगम तट पर एक अघोड़ी साधू के रूप में पाया । उल्लेखनीय है की अघोड़ी ऐसे साधू को कहा जाता है जिन्हें इस दुनिया से कोई मतलब नहीं रहता है जो अपना अधिकतर समय शमशान में बिताते हैं। रविकिशन नें अपने पिछले जनम के परिवार को भी देखा । दिलचस्प बात तो ये हैं की इस जनम में रविकिशन के माता पिता पूर्व जनम में भी उनके माता पिता थे , यही नहीं इस जनम में उनकी बेटी रीवा पूर्व जनम में उनकी बहन थी। रविकिशन ने अपनी समाधी मनाली में बर्फ से ढके पर्वत पर ली थी। चार जनवरी को प्रसारित होने वाले इस एपिसोड में रविकिशन के पिछले जनम की और भी ढेर सारी जानकारी मिलेगी।

परिवार को अधिक समय देंगे रविकिशन


भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपरस्टार के लिए साल २००९ काफी अच्छा रहा है। एक ओर जहाँ भोजपुरी में रिलीज़ हुई आठ फिल्मो में से अधिकतर सुपर हिट रही है वहीं हिंदी फिल्म जगत ओर छोटे परदे पर भी उन्हें जबरदस्त कामयावी हासिल हुई है। हिंदी , भोजपुरी ओर छोटे परदे पर अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण रविकिशन के पास साल २००९ में अपने परिवार के लिए कुछ खास वक़्त नहीं मिल पाया । इसीलिए रविकिशन ने फैसला किया है की साल २०१० में भले ही कितनी भी व्यस्तता क्यों न हो वो अपने परिवार को भरपूर समय देंगे ओर रविकिशन ने इसकी पहल भी कर दी है क्योंकि २००९ को अलविदा करने के लिए रविकिशन अपने परिवार के साथ पंचगनी में हैं । मज़े की बात तो यह है की तीन दिनों की इस छुट्टी के लिए उन्होंने हिंदी के एक बड़े बैनर की फिल्म का डेट बढ़ा दिया है। उल्लेखनीय है की साल २०१० में भी रविकिशन के पास फिल्मो की लम्बी कतार है। भोजपुरी में जहाँ इस साल वो देवदास, गंगा जमना सरस्वती, राम बनवले जोड़ी , राम अवतार सहित आठ अन्य फिल्मो की शूटिंग करनी है वहीं हिंदी में भी कई फिल्में उनके पास है। इसके अलावा छोटे परदे के भी कई शो का ऑफर उनके पास है । बहरहाल नए साल के इस नए संकल्प से रविकिशन के परिवार वालो को ज़रूर ख़ुशी हुई है।

बुधवार, दिसंबर 16, 2009

नन्ही टांगो से आसमान छुने की तमन्ना रखते हैं रत्नेश



आम तौर पर छोटे कद काठी के लोगो को फ़िल्म जगत में कोमेडी कलाकार के रूप में ही जगह दी जाती है, उसका काम सिर्फ़ परदे पर अपने हाव भाव से दर्शको को हसाना मात्र होता है लेकिन भोजपुरी फ़िल्म जगत में तेजी से उभरे छोटे कद के अभिनेता रत्नेश बरनवाल का मकसद भोजपुरी फ़िल्म जगत में अपने अभिनय की छाप छोड़ना है ना की परदे पर आकर अपनी उलजुलूल हरकतों से लोगो को हसाना । बिहार के छोटे से शहर नरकटियागंज में अपने पिता गोपाल प्रसाद बरनवाल के साथ किराने की दूकान पर बैठ बचपन में अपनी जिंदगी की हसीन भविष्य के सपने देखने वाले रत्नेश को जल्द ही एहसास हो गया था की वो सामान्य बालको की तरह नही है। स्कूल की पढ़ाई पूरी करते करते वो अपने साथ पढने वाले लड़के लडकियों के लिए मात्र मजाक वाला पात्र बन कर रह गया था। ऐसे में रत्नेश के परिवार वाले खासकर उनकी माँ ने उन्हें समझाया की लोगो का काम दूसरो का मजाक उडाना ही होता है तुम ऐसा करो की यही लोग तुम्हे प्यार करने लगे। खैर रत्नेश ने दुनिया की परवाह किए बिना बी।ए।की परीक्षा अच्छे नम्बरों से पास की और कहीं छोटी मोटी नौकरी ढूँढने या पिता की दूकान सँभालने की वजाय अपना रास्ता ख़ुद बनाने का फ़ैसला कर लिया । कभी अपने शहर की परिधि ना लाघने वाला रत्नेश दो साल पहले मंजिल की तालाश में मुंबई आ गया । रत्नेश की किस्मत अच्छी थी की उसकी मुलाकात भोजपुरी के प्रसिद्द लेखक संतोष मिश्रा से हुई । रत्नेश बताते हैं की संतोष मिश्रा ने पग पग पर उनका साथ दिया , यहाँ तक की फ़िल्म दीवाना की शूटिंग के वक्त निर्माता और निर्देशक उन्हें काम देने के लिए तैयार नही थे लेकिन संतोष मिश्रा ने साफ़ तौर पर कह दिया की रत्नेश के कारण अगर स्टोक बरबाद होगा तो वो स्टॉक का खर्च ख़ुद उठायेगे। आखिरकार जब रत्नेश का पहला शोट हुआ तो निर्देशक राज कुमार पांडे काफ़ी खुश हुए और रत्नेश को गोद में उठा लिया। दीवाना के बाद रत्नेश ने ओढनिया कमाल करे, कबहू छूटे ना इ साथ , प्रेम रोग, जांवाज जिगर वाला आदि फिल्मो में भी काम किया । रत्नेश के अनुसार उस दिन उनकी खुशी का कोई ठिकाना नही था जब उनके घर के पास स्थित सिनेमा घर में दीवाना लगातार नौ सप्ताह तक चली और जब वो घर गए तो लोगो का तांता उनके घर पर लग गया था। रत्नेश को ये अफ़सोस अवय्श्य है की उस वक्त उन्हें हौसला देने वाली उसकी माँ इस दुनिया में नही थी। चार भाई बहनों में सबसे बड़े रत्नेश घर के एकमात्र सदस्य हैं जिनकी लम्बाई कम है। रत्नेश के अनुसार शायाद ये उनके किसी पूर्व जनम की गलती का नतीजा है इसीलिए इस जनम में ऐसी कोई गलती नही करेंगे। बहरहाल जल्द ही शादी के ख्वाहिस्मंद रत्नेश की अभिलासा है की वो अभिनय में ऊंचाई हासिल करे।


नम्बर वन शो बना राज पिछले जनम का



एनडीटीवी इमेजिन पर पिछले हफ्ते शुरू हुए शो राज पिछले जनम का ने जबरदस्त सफलता हासिल की है। भोजपुरी सुपर स्टार रविकिशन द्वारा होस्ट किए जा रहे इस शो को 3.5 ओपनिंग टीआरपी हासिल हुई है जो फिलहाल किसी भी नॉन फिक्शन शो की टीआरपी से काफ़ी अधिक है । उल्लेखनीय है की भारतीय टेलीविजन के इतिहास में बड़े बजट का ये पहला शो है जो मूल रूप से भारतीय कोंसेप्ट पर आधारित है। अमर चित्रकथा की टेलीविजन विंग आईडिया बॉक्स द्वारा निर्मित इस शो ने शुरुवात के साथ ही टेलीविजन जगत में करिश्मा कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रविवार को समाप्त हुए सप्ताह में जहाँ बिग बी अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किए जा रहे नॉन फिक्शन शो बिग बॉस सीजन थ्री की अधिकतम टीआरपी 2.व न्यूनतम टीआरपी १.२ रही वहीँ राज पिछले जनम का की अधिकतम टीआरपी ३.५ व न्यूनतम टीआरपी २.६ रही है। इसी तरह स्टार प्लस के शो परफेक्ट ब्राइड की टीआरपी १.४, जी टीवी के शो सारेगामा पा मेगा चेलेन्ज की टीआरपी १.६ और एनडीटीवी इमेजिन के ही शो पति पत्नी और वो की टीआरपी मात्र 0.थी। राज पिछले जनम का को मिले अभूतपूर्व सफलता से उत्साहित शो के होस्ट रविकिशन कहते हैं की नए कोंसेप्ट को लोग ज़रूर पसंद करते हैं। शो के बारे में उनका कहना है कि यह अनूठा है और हॉट सीट पर बैठे व्यक्ति की चेतना का ध्यान तकनीक के जरिए उनके पिछले जन्म में ले जाया जाता है। शो के जरिए अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं मिल रहा? इस सवाल पर रविकिशन कहते हैं- मैं जौनपुर की केराकत तहसील के बिसुई गांव के जाने-माने पुजारी पं. श्यामनारायण शुक्ल का बेटा हूं और काफी धार्मिक भी। बचपन से ही मुझे ऐसे संस्कार मिले हैं और मेरा इसमें पूर्ण विश्वास है। वैज्ञानिक तथ्य भी है कि व्यक्ति के जीवन में उसके कर्मो की मुख्य भूमिका होती है।

मंगलवार, दिसंबर 15, 2009

मुंबई में चला लता मंगेशकर का जादू




स्वर कोकिला लता मंगेशकर का जादू इन दिनों मुंबई में बसे भोजपुरियो पर सर चढ़ कर बोल रहा है, तभी तो पिछले शुक्रवार रिलीज़ हुई भोजपुरी फ़िल्म उमरिया कईली तोहरे नाम देखने के लिए दर्शको की भीड़ उमड़ पड़ी है। उल्लेखनीय है आर.एस.दुबे पिक्चर्स के बैनर तले निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे की फ़िल्म उमरिया कईली तोहरे के ग्यारह गानों में से तीन गाने लता मंगेशकर ने गाये हैं। में सुपर हिट हो चुकी ये फ़िल्म ११ दिसम्वर को मुंबई में रिलीज़ हुई । रिलीज़ के साथ ही दर्शको ने इस फ़िल्म को हाथो हाथ उठा लिया है। अरुण फ़िल्म इंटरटेनमेंट प्रस्तुत इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत है स्वर कोकिला लता मंगेशकर और संगीतकार राम लक्षमन की जोड़ी का पहली बार किसी भोजपुरी फ़िल्म में साथ साथ आना। रानी चटर्जी, पवन सिंह , दिव्या देसाई, राजेश विवेक , मेहनाज, पुष्पा वर्मा, उत्तम झा, अशोक नारायाण, महेश राज और नवोदित आशीष गुप्ता अभिनीत उमरिया कईली तोहरे नाम के गीतकार विनय बिहारी हैं, जबकि कथा - पटकथा और संवाद लेखक श्रीगोपाल हैं। उमरिया कईली तोहरे नाम एक मनोरंजक पारिवारिक संगीत प्रधान फ़िल्म है, जिसमे रोमांस , एक्शन , कॉमेडी और इमोशन की भरपूर झलक है जो हर वर्ग के दर्शकों को भरपूर मनोरंजन दे रहा है। दिलचस्प बात तो ये है की बरसो पहले आई हिन्दी फ़िल्म मैंने प्यार किया में लता मंगेशकर , राम लक्ष्मण और नृत्य निर्देशक जय बोराडे साथ साथ नज़र आए थे। इस फ़िल्म में भी वे साथ साथ हैं।

सोमवार, दिसंबर 14, 2009

रवि जानना चाहते हैं सोनिया और बिग बी का पूर्व जन्म का राज



कुछ सप्ताह पहले एनडीटीवी इमेजिन पर शुरू हुए रोमांचक टीवी शो राज पिछले जन्म का की टीआरपी के उछाल मारने के साथ ही कई सिलिब्रिटी में अपने पिछले जन्म की बातें जानने की चाह बढ़ गई है। हाल ही में बिपाशा वसु ने भी ऐसी इच्छा जाहिर की और पता चला है कि कई अन्य सिलिब्रिटी ने भी शो के कर्ता-धर्ताओं से संपर्क साधा है। इस शो का संचालन जाने-माने अभिनेता व भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रविकिशन शुक्ल कर रहे हैं। चूंकि रवि इन दिनों एक भोजपुरी फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में वाराणसी व भदोही के प्रवास पर हैं लिहाजा इस मुद्दे पर रविवार को उनकी प्रतिक्रिया मिल गई। यह पूछे जाने पर कि सिलिब्रिटी की लंबी लिस्ट में आप सबसे पहले किसका पिछला जन्म जानना चाहेंगे, वह तपाक से बोले- सोनिया गांधी और अमिताभ बच्चन (बिग बी)। इस अतिजिज्ञासा के पीछे उनका अलग तर्क है। कहते हैं- सोनिया गांधी चाहतीं तो पति की मौत के बाद दोनों बच्चों के साथ इटली चली जातीं लेकिन उन्होंने भारत में रहकर न केवल अपने परिवार को संबल दिया बल्कि देश को नई दिशा देने में भूमिका निभा रही हैं। उनके त्याग और समर्पण से ऐसा लगता है कि पिछला जन्मस्थल भारत ही रहा। यहां की माटी में उन्होंने जो शक्ति व संस्कार पाया, वह आज भी उनके कार्य व्यवहार से परिलक्षित होता है। दूसरे अमिताभ बच्चन का इसलिए कि 67 साल की उम्र में भी पा सरीखी फिल्म कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि उनकी यह ऊर्जा केवल एक जन्म की नहीं बल्कि कई जन्मों से हासिल है। निश्चय ही पिछले जन्म में भी उन्होंने कोई बड़ा काम किया होगा, जो आज उनके हर व्यवहार में नजर आता है। वह नए अभिनेताओं के प्रेरणाFोत तो हैं ही, कहीं उनसे ज्यादा ऊर्जावान भी। रवि का मानना है कि दोनों शख्सियत का राज जानने की इच्छा हर हिन्दुस्तानी की होगी। शो के बारे में उनका कहना है कि यह अनूठा है और हॉट सीट पर बैठे व्यक्ति की चेतना का ध्यान तकनीक के जरिए उनके पिछले जन्म में ले जाया जाता है। शो के जरिए अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं मिल रहा? इस सवाल पर रविकिशन कहते हैं- मैं जौनपुर की केराकत तहसील के बिसुई गांव के जाने-माने पुजारी पं. श्यामनारायण शुक्ल का बेटा हूं और काफी धार्मिक भी। बचपन से ही मुझे ऐसे संस्कार मिले हैं और मेरा इसमें पूर्ण विश्वास है। वैज्ञानिक तथ्य भी है कि व्यक्ति के जीवन में उसके कर्मो की मुख्य भूमिका होती है।

शनिवार, दिसंबर 12, 2009

रविकिशन ने की पूर्वांचल राज्य की वकालत



वाराणसी : भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रविकिशन ने कहा है कि पूर्वाचल राज्य के गठन में अब तनिक भी विलंब नहीं होना चाहिए। तेलंगाना राज्य की मांग पर केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए रविकिशन ने कहा कि यह निर्णय देशहित में है और जिस दिन पूर्वाचल राज्य की मांग पूरी हो जाएगी, उसी दिन राष्ट्र के अत्यंत पिछड़े क्षेत्र के विकास का रास्ता भी खुल जाएगा। मुंबई से वायुयान द्वारा बाबतपुर हवाई अड्डा पहुंचे रविकिशन ने कहा कि पूर्वाचल की करोड़ों की आबादी सिर्फ इसलिए पिछड़ी हुई है कि वह एक बड़े प्रदेश का हिस्सा है। उस तक पहुंचते-पहुंचते विकास की किरण मद्धिम पड़ जाती है। कांग्रेस के स्टार प्रचारक और जौनपुर की माटी से जुड़े रहे रविकिशन भदोही में मार देब गोली, केहू ना बोली फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में यहां आए हुए हैं। एनडीटीवी इमेजिन पर इन दिनों चल रहे शो राज पिछले जनम का की लोकप्रियता से काफी उत्साहित रविकिशन का कहना है कि छोटे राज्यों में विकास की रफ्तार बड़े प्रदेशों की तुलना में तेज होती है, यह अपने देश में ही सिद्ध हो चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार को पूर्वाचल के मुद्दे पर विलंब नहीं करना चाहिए। मार देब गोली, केहू ना बोली फिल्म में रविकिशन एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस अफसर की भूमिका में हैं जो तमंचे के बल पर बिहार में लहलहा रही अपराध की फसल को नष्ट करने का लक्ष्य लेकर चलता है। पूर्वाचल विकास समिति गठित वाराणसी : तेलंगाना के बाद पृथक पूर्वाचल राज्य की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने के आसार है। इस क्रम में शहर के बुद्धिजीवियों ने पूर्वाचल विकास समिति का गठन किया है। समिति के गठन की जानकारी देते हुए वाराणसी विकास मंच के संयोजक दीपक मधोक ने बताया कि पूर्वाचल विकास समिति में बुद्धिजीवियों, व्यापारियों, शिक्षाविदें के साथ-साथ समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित होगी। नवगठित पूर्वाचल विकास समिति में संयोजक दीपक मधोक के अलावा आर.सी.जैन, सीके साह, डॉ. सिद्धार्थ राय तथा वाराणसी विकास मंच के सदस्य शामिल हैं। इस समिति की बैठक शीघ्र होगी, जिसमें पृथक पूर्वाचल राज्य के गठन के परिप्रेक्ष्य में आगे की रणनीति तय की जाएगी। समिति के सदस्यों का मत है कि पृथक पूर्वाचल राज्य बने बगैर क्षेत्र का विकास नहीं हो सकता।

बुधवार, दिसंबर 09, 2009

चढ़ा सानिया मिर्ज़ा कट नथुनिया का बुखार


इन दिनों भोजपुरी जगत में टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा की नथुनिया का ज़बरदस्त बुखार छाया है और इसका असर अब मुंबई में भी होने लगा है। दरअसल अभिनेता गायक पवन सिंह की आवाज़ में गया भोजपुरी गाना सानिया मिर्ज़ा कट नथुनिया जान मारेला.........इन दिनों काफ़ी हिट हो गया है । आर.एस.दुबे पिक्चर्स के बैनर तले निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे की फ़िल्म उमरिया कईली तोहरे नाम में यह गाना फिल्माया गया है।बिहार में सुपर हित हो चुकी ये फ़िल्म ११ दिसम्वर को मुंबई में रिलीज़ हो रही है। रानी चटर्जी, पवन सिंह , दिव्या देसाई, राजेश विवेक , मेहनाज, पुष्पा वर्मा, उत्तम झा, अशोक नारायाण, महेश राज और नवोदित आशीष गुप्ता अभिनीत उमरिया कईली तोहरे नाम का संगीत पहले से ही धूम मचा रहा है। अरुण फ़िल्म इंटरटेनमेंट प्रस्तुत इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत है स्वर कोकिला लता मंगेशकर और संगीतकार राम लक्षमन की जोड़ी का पहली बार किसी भोजपुरी फ़िल्म में साथ साथ आना। फ़िल्म के गीतकार विनय बिहारी हैं, जबकि कथा - पटकथा और संवाद लेखक श्रीगोपाल हैं।फ़िल्म के सभी ११ गाने एक से बढ़कर एक हैं जिन्हें मधुर आवाज से सजाया है ख़ुद लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर, उदित नारायण , सुनिधि चौहान , इंदु सोनाली और आज के भोजपुरी के सर्वाधिक लोकप्रिय गायक पवन सिंह ने। उमरिया कईली तोहरे नाम में दो आइटम नम्बर है जिसपर अपनी मादक अदा बिखेरी है भोजपुरी की नम्बर वन आइटम डांसर सीमा सिंह और कविता सिंह ने। फ़िल्म के निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे के अनुसार उमरिया कईली तोहरे नाम मुख्य रूप से एक मनोरंजक पारिवारिक संगीत प्रधान फ़िल्म है, जिसमे रोमांस , एक्शन , कॉमेडी और इमोशन की भरपूर झलक है जो हर वर्ग के दर्शकों को भरपूर मनोरंजन देगा । साथ ही फ़िल्म में अन्धविश्वास के खिलाफ एक संदेश भी है।

इनकॉनटर स्पेशलिस्ट रवि


तमंचे के बल पर बिहार में लहलहा रही अपराध की फसल को नष्ट करने आ रहे हैं इनकॉनटर स्पेसलिस्ट रवि किशन। जी हाँ निर्मात्री पायल दुबे व निर्देशक जगदीश शर्मा की फ़िल्म मार देव गोली केहू न बोली में भोजपुरी के सदाबहार सुपर स्टार रविकिशन बर्दी पहन कर खुलेआम अपराधियों की ईंट से ईंट बजाते नज़र आयेंगे। फ़िल्म की शूटिंग इन दिनों जोर शोर से चल रही है। फ़िल्म में रवि किशन की नायिका हैं गुंजन पन्त जबकि अन्य भूमिकाओ में दीपक दुबे, ब्रिजेश त्रिपाठी, किरण कुमार, सिद्दार्थ, व कल्पना शाह नज़र आने वाली है। किरण कुमार जहाँ मुख्यमंत्री की भूमिका में हैं वहीँ दीपक दुबे पुलिस इंस्पेक्टर की। फ़िल्म के प्रस्तुतकर्ता जीतेश दुबे हैं जिनकी फ़िल्म धरमवीर और मुन्नीबाई नौटंकी बाई सफल सवित हुई थी। रविकिशन ने जिस जिस फिल्मो में पुलिस की वर्दी पहनी है वो फिल्में जबरदस्त हित रही है । हाल ही में हिट हुई रंगबाज़ दरोगा और कानून हमरा मुट्ठी में इसका ताज़ा उदहारण है। बहरहाल गंगा जल, अपहरण और अब तक छप्पन के भोजपुरिया वर्जन को लेकर भी कयास लगाया जा रहा है की फ़िल्म दर्शको पर अपनी छाप ज़रूर छोड़ेगी।

रविवार, दिसंबर 06, 2009

आज से खुलेगा राज पिछले जनम का


एनडीटीवी इमेजिन के बहुचर्चित शो राज पिछले जनम का सोमवार से शुरू हो रहा है। अपने आप में अनूठे इस शो के प्रस्तोता ( एंकर ) हैं भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन। अमर चित्रकथा की टेलीविजन विंग द आईडिया बॉक्स द्वारा प्रस्तुत इस शो में रविकिशन शो में आए मेहमानों से उनके पिछले जनम की यादो के बारे में सवाल जवाब करेंगे। इसके पूर्व सम्मोहन कर विशेषज्ञों द्वारा मेहमानों के उनके पिछले जनम के बारे में जानकारी ली जाएगी। उल्लेखनीय है की इस शो में शेखर सुमन , मोनिका वेदी, पायल रोहतगी, राहुल महाजन , संभावना सेठ सहित कई जानी मानी हस्तियों ने हिस्सा लिया है । सूत्रों के अनुसार इस शो में सुष्मिता सेन सहित कई बड़े सितारे भी जल्द ही हिस्सा लेने वाले हैं। रहस्य रोमांच से भरपूर इस शो को लेकर उत्त्साहित रविकिशन कहते हैं की इस शो का हिस्सा बनना उनके लिए गौरव की बात है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार से शुक्रवार प्रसारित इस शो में प्रसिद्द वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा के मौत का राज भी खुलेगा। बहरहाल राज पिछले जनम को लेकर आम लोगो में जिस तरह का उत्साह है उससे यही लगता है की इस शो की सफलता निश्चित है।

शनिवार, दिसंबर 05, 2009

रश्मि के प्यार में पवन



भोजपुरिया सुपर स्टार पवन सिंह इन दिनों उतरन धारावाहिक की तपस्या उर्फ तप्पु के दीवाने हैं तभी तो वो उनको पाने के लिए लड़की की भेष भूषा में नज़र आ रहे हैं । आर.एस.दुबे पिक्चर्स के बैनर तले निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे की फ़िल्म उमरिया कईली तोहरे नाम में पवन सिंह का ये अंदाज़ दर्शको को देखने को मिलेगा। बिहार में सुपर हित हो चुकी ये फ़िल्म ११ दिसम्वर को मुंबई में रिलीज़ हो रही है। रानी चटर्जी, पवन सिंह , दिव्या देसाई, राजेश विवेक , मेहनाज, पुष्पा वर्मा, उत्तम झा, अशोक नारायाण, महेश राज और नवोदित आशीष गुप्ता अभिनीत उमरिया कईली तोहरे नाम का संगीत पहले से ही धूम मचा रहा है। अरुण फ़िल्म इंटरटेनमेंट प्रस्तुत इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत है स्वर कोकिला लता मंगेशकर और संगीतकार राम लक्षमन की जोड़ी का पहली बार किसी भोजपुरी फ़िल्म में साथ साथ आना। फ़िल्म के गीतकार विनय बिहारी हैं, जबकि कथा - पटकथा और संवाद लेखक श्रीगोपाल हैं।फ़िल्म के सभी ११ गाने एक से बढ़कर एक हैं जिन्हें मधुर आवाज से सजाया है ख़ुद लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर, उदित नारायण , सुनिधि चौहान , इंदु सोनाली और आज के भोजपुरी के सर्वाधिक लोकप्रिय गायक पवन सिंह ने। उमरिया कईली तोहरे नाम में दो आइटम नम्बर है जिसपर अपनी मादक अदा बिखेरी है भोजपुरी की नम्बर वन आइटम डांसर सीमा सिंह और कविता सिंह ने। फ़िल्म के निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे के अनुसार उमरिया कईली तोहरे नाम मुख्य रूप से एक मनोरंजक पारिवारिक संगीत प्रधान फ़िल्म है, जिसमे रोमांस , एक्शन , कॉमेडी और इमोशन की भरपूर झलक है जो हर वर्ग के दर्शकों को भरपूर मनोरंजन देगा । साथ ही फ़िल्म में अन्धविश्वास के खिलाफ एक संदेश भी है।बहरहाल उमरिया कईली तोहरे नाम के गानों के दीवानों को आगामी २८ अगस्त का बेसब्री से इंतज़ार है।

राजनीती के लिए सही वक्त का इंतज़ार - रवि किशन


जौनपुर के गांव में गुजरा आपका बचपन कैसा रहा। पढ़ाई-लिखाई और संस्कार कहां से और कैसे? संस्मरण जोड़ें तो बेहतर रहेगा।
जौनपुर से लगभग २२ किलोमीटर दूर केराकत तहसील के गाँव विसुई में १७ जुलाई को मेरा जनम हुआ था। मेरे पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला गाँव के ही मन्दिर के पुजारी हैं । एक मध्यमवर्गीय परिवार के आम बच्चे की तरह मेरा भी लालन पालन हुआ। बचपन में मेरा भी अधिकतर समय मन्दिर में बीतता था और एक अच्छे संस्कार की नीव वहीँ से पड़ी। आज मैं कहीं भी रहूँ अपने अराध्य देव महादेव की पूजा के बाद ही मेरे दिन की शुरुवात होती है। आज आधुनिकता की चकाचौंध में हम अपने संस्कारों को भूल गए हैं और पाश्चात्य संस्कृति की ओर भाग रहे हैं , लेकिन आपके बचपन का संस्कार अच्छा है तो आप कभी अपने राह से नही भटकेंगे । मुझे याद है बचपन की एक घटना .....उस समय मैं मुश्किल से पाँच साल का रहा हूँगा । मेरे गाँव के पास वाले गाँव में किसी का निधन हो गया था ...और उनकी शवयात्रा मेरे गाँव होकर ही शमशान भूमि जा रही थी । किसी की शवयात्रा देखने का वो मेरा पहला अनुभव था। मैंने अपने पिताजी से पुछा ...ये लोग कहाँ जा रहे हैं ? पिताजी ने बताया की यही जीवन का सच है , कोई कितना भी बड़ा क्यों ना हो उन्हें सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ता है। वो बात आज भी मेरे जेहन में है और शायद यही वजह है की कोई भी ग़लत काम मेरे द्वारा जान बूझ कर नही होता है क्योंकि मुझे पता है हर ग़लत काम का हिसाब मुझे भगवान् को देना है।
कितना संघर्ष करना पड़ा जीवन को बनाने में। कितना योगदान रहा माता-पिता का और कितनी मिली उलाहना।
मैं जिस क्षेत्र में हूँ वहां मुकाम हासिल करना आसान नही है , बचपन से ही मेरी इच्छा थी की मैं कुछ ऐसा काम करूं जिससे पुरी दुनिया मुझे जाने । फिल्मो के प्रति लगाव था और दिल में कहीं न कहीं ये ख्वाब छुपा था की मैं भी परदे पर आउँ, मेरे भी पोस्टर लगे । मेरा सपना काफ़ी बड़ा था इसीलिए उसे साकार करने में भी काफ़ी मेहनत करनी पड़ी। कई कई बार एक ही ऑफिस में जाकर चक्कर लगना पड़ता था, छोटे छोटे रोल भी वो ऑफर नही करते थे। अब आप समझ सकते हैं की उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव के एक इंसान के लिए ये ख्वाब कितना बड़ा था। मेरे माता पिता को जब मेरे ख्वाब की जानकारी मिली तो पहली प्रतिक्रिया यही थी की पढ़ लिख कर कुछ करो न की नचनिया बनने के बारे में सोचे । हालांकि मेरे माता पिता का मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला , जिसके कारण मैं आज अपनी पहचान बनने में सफल हुआ हूँ।
फिल्मों की तरफ अभिरुचि कैसे पैदा हुई। शुरुआती दिनों से मुंबई पहुंचने तक का सफर कितना कंटकाकीर्ण। किस तरह की तकलीफें उठानी पड़ीं।
मुझे लगता है फिल्मो के प्रति मेरी रूचि मेरे होश सँभालने के बाद से ही हो गई थी। बचपन में राम लीला करते करते ये रूचि काफ़ी बढ़ गई। जहाँ तक मुंबई तक पहुचने की बात है तो गाँव से मुंबई का सफर आसान था क्योंकि मेरे परिवार वालो का मुंबई से भी नाता था। मुंबई पहुँचने में तो कोई तकलीफ नही हुई लेकिन मुंबई में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा ।
आपके परिवार की स्थिति (बचपन में)। पिता की आकांक्षाएं और उसको कितना कर पाए पूरा।
मैं एक साधारण परिवार का सदस्य था , मेरे पाँच भाई बहन का लालन पालन का दायित्य मेरे पिताजी पर थी । आप समझ ही सकते हैं किन किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ा होगा उन्हें। आज सोचता हूँ तो लगता है कितना दुरूह वक्त था वो। लेकिन आज मुझे लगता है की मैं अपने माता पिता की उम्मीदों पर खरा उतरा हूँ, उन्हें भी अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं की उनका बेटा रवि किशन है।
सफलता के लिए किसे देते हैं श्रेय।
बेशक अपने माता पिता , अपने बुरे वक्त के साथियो और सबसे बड़ा अपने उत्तर प्रदेश और बिहार के अपने भाई बहनों को जिनके प्यार की बदौलत मुझे सफलता मिली ।
आप आज भी मुंबई में पूरब की माटी का असल प्रतिनिधित्व करते हैं, क्या है इसका उद्देश्य।
बहुत अच्छा लगता है यह शब्द सुनना, लेकिन मैं मानता हूँ की मैं अपनी माटी की खुशबू को जन जन तक पहुचाने के उद्देश्य से ही इस क्षेत्र में आया हूँ। अपना गाँव , अपना प्रदेश , अपनी भोजपुरी ...सबकी खुशबू हमेशा मेरे साथ रहती है...मुझे लगता है हर इंसान किसी न किसी उद्देश्य से इस दुनिया में आता है शायद मेरा उद्देश्य उत्तरप्रदेश बिहार की संस्कृति, बोली को आम लोगो में पहचान देना है। आपको याद होगा बिग बॉस... मैंने दुनिया को उस शो के माध्यम से अपनी भाषा की खुशबू का एहसास कराया ।
हिन्दी फिल्मों में भी कामयाबी पाई है। अब तक छोटे परदे पर चौंकानेवाले अंदाज में दिख रहे हैं। क्या आगे की योजना?
सबसे पहले तो मैं आपको बता दूँ मैं भले ही हिन्दी फिल्मो या छोटे परदे पर कितनी ही कामयावी हासिल कर लूँ लेकिन भोजपुरी फिल्मो से नाता नही तोडूंगा, क्योंकि ये वो भाषा है जिसे मेरी माँ बोलती है, जिसने मुझे पहचान दी है । आज इतनी व्यस्तता के वावजूद भी मेरे पास एक दर्जन से भी अधिक भोजपुरी फिल्मे हैं। मैंने ख़ुद भी फ़िल्म निर्माण करना शुरू किया है आगे भी रचनात्मक कार्य करता रहूँगा । मैं चाहता हूँ मेरे सभी जानने वाले लोग काम में व्यस्त रहे और अगर मैं मध्यम बनता हूँ तो ये मेरे लिए खुशी की बात होगी।
वर्तमान में कैसा चल रहा निजी, सार्वजनिक और फिल्मी जीवन।
तीनो ही जीवन में मैं अपने आपको खुशनसीब मानता हूँ। निजी जीवन में मैं एक अच्छा पति , अच्छा पिता और अच्छा बेटा हूँ , सबका भरपूर प्यार मुझे मिलता है। सार्वजनिक जीवन भी खुशहाल है , हर क्षेत्र के लोगो में अच्छी पैठ बन गई है जब भी वक्त मिलता है मैं सेवा के लिए तैयार रहता हूँ । जहाँ तक फिल्मी जीवन की बात है तो आज का दौर मेरे लिए अब तक का सबसे अच्छा दौर है ...आज हिन्दी फ़िल्म जगत ने भी मुझे सर आँखों पर बिठा रखा है...मणि सर ( मणिरत्नम ) श्याम बाबु ( श्याम बेनेगल ) सहित कई बड़े फ़िल्म कारो के साथ काम कर रहा हूँ। भोजपुरी में भी कई बड़े प्रोजेक्ट हैं , छोटे परदे पर भी मैंने अपनी दमदार मौजूदगी दर्शाई है । कुल मिलाकर काफ़ी अच्छा चल रहा है सब कुछ ।
राजनीति कितनी सुहाती है, कब तक उतरने का है इरादा।
मैं कांग्रेस का कार्यकर्ता हूँ और राजनीति से मुझे लगाव है, मैं ख़ुद चाहता हूँ की इस क्षेत्र में आकर अपने क्षेत्र , अपने लोगो के लिए कुछ करूं। लेकिन सही वक्त का इंतज़ार है और वो वक्त कल भी आ सकता है , पाँच साल बाद भी और दस साल बाद भी।

गुरुवार, दिसंबर 03, 2009

सीमा - सपना का जलवा



भोजपुरी की नम्बर वन आइटम डांसर का खिताब पाने वाली सीमा सिंह और चर्चित डांसर सपना की मादक अदा का दीदार जल्द ही होने वाला है निर्देशक शाद कुमार की फ़िल्म त्रिनेत्र में। हाल ही में मुंबई के मड आईलेंड के एक बंगलो के स्विमिंग पूल के उपर इन दोनों बालाओं ने अपने अदाकारी के जलवे बिखेरे। विनय आनंद, पंकज केसरी, विजय लाल यादव, धर्मेश कुमार, पूनम सागर, सीमा पांडे , पूजा सिंह, अमृत पाल, प्रिया घावरे और राकेश पांडे अभिनीत इस फ़िल्म के प्रस्तुतकर्ता हैं पंजाबी पुत्तर राज चोपड़ा जिन्होंने इंग्लैंड दे नज़ारे नामक पंजाबी फ़िल्म का निर्माण किया है। मूलतः होशियारपुर के राज की यह पहली भोजपुरी फ़िल्म है। कैमरामेन से निर्देशक बने शाद कुमार ने बताया की राज चोप्रा और बाबू भाई के सहयोग के कारण ही उन्होंने एक भव्य फ़िल्म के निर्माण का फ़ैसला किया है। बहरहाल दो दो हसीं बालओँ की मादक अदा वाली इस फ़िल्म को देखने के लिए दर्शको को दो तीन महीनो का इंतज़ार करना पड़ेगा।

अनारा ने की सोम के नाम अपनी जिंदगी


अपनी अदाकारी से भोजपुरी फ़िल्म जगत में एक अलग मुकाम हासिल करने वाली मिस जम्मू अनारा गुप्ता ने अपनी जिंदगी भदोही (उत्तरप्रदेश ) के सोम यादव के नाम कर दी है। पिछले दिनों मुंबई के फिल्मसिटी में दोनों ने ही अपने अपने प्यार का इज़हार कर पुरी जिंदगी एक दूसरे का साथ देने का वादा किया। प्रसिद्द निर्देशक इकबाल बक्श द्वारा फिल्मसिटी कैंटीन के पास गार्डेन में बनाये गए खूबसूरत सेट को आर्ट डिरेक्टर ने दुल्हन की तरह सजाया था । कोरियोग्राफर दिलीप मिस्त्री की सहायक दो दर्ज़न से भी अधिक डांसरों को सोम और अनारा के इजहारे इश्क का गवाह बनने के तैयार कर रहे थे। मोनिटर पर ख़ुद इकबाल बक्श और दिलीप मिस्त्री कैमरे का एंगल देख रहे थे। डांसरों को तैयार करने के बाद दिलीप मिस्त्री ने अनारा और सोमं को बुलाया और एक्शन कहते ही गाना बजने लगा - जिनगी में आके भर देलू तू जान , दीवाना हैं तोहार गोरिया....... । शोट ओके होते ही हमने पहला सवाल अनारा से पुछा क्या वाकई जम्मू की गोरिया ने यूपी के छोरा को अपना दिल दे दिया है। अनारा ने मुस्कुराते हुवे कहा - हमारा किरदार ही कुछ ऐसा है, सोम शहर से पढ़ाई पूरी कर गाँव आते हैं और यहाँ मुझे दिल दे बैठते हैं और मैं भी उनके प्यार की दीवानी हो जाती हूँ। यहाँ जो गाना फिल्माया जा रहा है वो ड्रीम सोंग है । सोम ने बताया की दिल तोहरे प्यार में पागल हो गइल एक रोमांटिक फ़िल्म है , निर्देशक इकबाल बक्श नें लेखक रमेश मिश्रा के सहयोग से एक एक सीन को खूबसूरती से पिरोया है। जी नाइन इंटरटेनमेंट की यह फ़िल्म लोगो को भोजपुरी में यश चोपड़ा के फिल्मो का एहसास दिलाएगी । निर्देशक इकबाल बक्श के अनुसार उनकी पहली फ़िल्म हम हैं मुन्ना भइया में जहाँ लोगो को बेहतरीन एक्शन का नज़ारा देखने को मिलेगा वहीँ इस फ़िल्म में रोमांस और एक्शन का अपूर्व संगम का दीदार आम लोगो को होगा।

सोमवार, नवंबर 30, 2009

आमिर हुए रवि के अभिनय के कायल



अभिनेता आमिर खान भोजपुरी के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन के अभिनय के कायल हैं और उन्होंने रविकिशन को अपने साथ काम करने का न्योता भेजा है। पिछले दिनों आमिर खान अपनी बहुचर्चित फ़िल्म थ्री इडियट को बिहार उत्त्तर प्रदेश के लोगो तक पहुचने के लिए भोजपुरी चैनल महुआ का सहारा लिया और इसमे उनकी मदद की रवि किशन ने। आमिर खान महुआ पर एक घंटे तक अपनी फ़िल्म को लेकर रवि किशन से बातचीत करेंगे। हाल ही में इसकी शूटिंग मुंबई के बांद्रा में संपन्न हुई। तय समय के मुताविक आमिर ठीक पाँच बजे स्टूडियो पहुँच गए , लेकिन रविकिशन राज पिछले जनम का की शूटिंग में व्यस्त होने के कारण आधे घंटे देरी से पहुचे । आमिर और रवि पूरे ढाई घंटे तक फ़िल्म को लेकर बात की और बातचीत की शुरुवात आमिर ने फ़िल्म लक में रविकिशन के अभिनय की तारीफ़ से की। उन्होंने कहा मैंने लक देखी...सबसे अच्छा काम आपका ही था। बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो रवि ने ना सिर्फ़ फ़िल्म बल्कि उनकी निजी जिंदगी से जुड़े कई सवाल पूछे। आमिर ने भी उन सवालो का जवाब इत्मीनान से दिया । आखिरकार जब सवाल जवाब का सिलसिला समाप्त हुआ तब आमिर ने रवि की तारीफ़ करते हुए कहा की पहली बार उन्होंने ढाई घंटे तक किसी का सवालो का जवाब दिया है वरना उनकी प्रेस कॉन्फरन्स मुश्किल से आधे घंटे चलती है। आमिर ने इसे रवि किशन का जादू करार दिया और रविकिशन को कहा की हमलोग जल्द साथ में काम करेंगे ।

आतंक के खिलाफ इस्लाम का पैगाम - बोहलोल दाना


आतंकवाद को जिहाद का नाम देकर कुछ लोग बेवजह इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं, जबकि इस्लाम इंसानियत और भाईचारे का पैगाम देता है और इस धरम में नफरत और आतंक के लिए कोई जगह नही है । यही सार है एस एच के इंटरटेनमेंट की आने वाली फ़िल्म बोहलोल दाना - ऐ सेज ऑफ़ बग़दाद का । निर्देशक अब्दुल कयूम खान और निर्माता शमशीर हुसैन खान की यह फ़िल्म आठ सौ साल पुरानी कहानी से तालुक्क रखती है। सामाजिक सद्भाव का संदेश देने वाले शाही घराने से सम्बन्ध रखने वाले एक फकीर बोहलोल दाना की इस कहानी में यह बताया गया है की आतंक और अत्यचार के ख़िलाफ़ एकजुट होना ज़रूरी है। ख़ुद बोहलोल दाना ने अन्याय और अत्याचार के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ आवाज़ उठाया बल्कि बिना हथियार, हिंसा के आतंक पर विजय भी प्राप्त की । फ़िल्म के लेखक मिराक मिर्ज़ा ने बताया की बोहलोल दाना का पैगाम आज भी उतना ही प्रासंगिक है । स्क्रिप्ट लिखते वक्त बोहलोल दाना की कहानी को मैंने आज के एक प्रोफ़ेसर की कहानी के रूप में पिरो दिया है, जिसका मानना है की मैं पहले हिन्दुस्तानी हूँ बाद में मुसलमान । यह फ़िल्म बताती है की इस्लाम में हिंसा के लिए कोई जगह नही है । जब यह मजहब सुसाइड के ख़िलाफ़ है तो सुसाइड बोम्बर का कोंसेप्त कहाँ से आ गया । बोहलोल दाना की भूमिका में हैं अब्बास अली जो सलमान खान और अनिल कपूर के फिटनेस ट्रेनर हैं। हाल ही में इस फ़िल्म का म्यूजिक रिलीज़ किया गया । इस मौके पर अब्बास मस्तान, अश्मित पटेल, शरद कपूर, रमेश तौरानी, सहित फ़िल्म के कलाकार और तकनीशियन मौजूद थे।

बुधवार, नवंबर 18, 2009

सॉरी सर जी डेट का प्रॉब्लम है




सॉरी सर जी डेट का प्रॉब्लम है .......यह शब्द आज भोजपुरी फ़िल्म जगत में काफ़ी लोकप्रिय हो गया है। न सिर्फ़ बड़े स्टार और बड़े तकनीशियन बल्कि छोटे छोटे रोल करने वाले और स्पोट बॉय भी इसी शब्द का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं और इसकी वजह है भोजपुरी फिल्मो में आया जबरदस्त बूम। भोजपुरी फ़िल्म जगत के पचास साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक साथ सत्रह फिल्मो की शूटिंग चल रही है। हालात यह है की भोजपुरी का कोई भी सितारा खाली नही है। जिन सत्रह फिल्मो की शूटिंग चल रही है उसमे पहला नाम है चर्चित निर्माता आलोक कुमार की फ़िल्म गंगा जमना सरस्वती की जिसमे भोजपुरी के तीनो दिग्गज रविकिशन, मनोज तिवारी और निरहुआ पहली बार साथ काम कर रहे हैं । इस फ़िल्म की शूटिंग मुंबई के कमालिस्तान स्टूडियो सहित कई लोकेशन पर चल रही है। मुंबई में अन्य जिन फिल्मो की शूटिंग चल रही है उनमे निर्देशक धीरज कुमार की रविकिशन अभिनीत राम बनवले जोड़ी , शाद कुमार की त्रिनेत्र , इकबाल बक्श की सुशील सिंह अभिनीत हम हैं मुन्ना भइया, आदि शामिल है । जहाँ तक मुंबई के आसपास में शूट हो रही फिल्मो की बात है उनमे राजकुमार पांडे की रविकिशन पवन सिंह अभिनीत देवरा बड़ा सतावेला शामिल है जबकि तीन फ़िल्म इकबाल बक्श की सोम यादव अनारा गुप्ता अभिनीत दिल तोहरे प्यार में पागल हो गइल की शूटिंग महाबलेश्वर में , जगदीश शर्मा की रविकिशन अभिनीत मार देव गोली केहू ना बोली की शूटिंग राजपिपला में और निर्माता दीपक शर्मा, निर्देशक निर्मल की सुशील सिंह, विराज भट्ट व विनय आनद अभिनीत फ़िल्म जिगर वाला की शूटिंग विरार में इसी सप्ताह शुरू हो रही है। भोजपुरी फिल्मो के गढ़ बिहार में तो इन दिनों जैसे शूटिंग की बहार सी आ गई है । बिहार में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक साथ सात फिल्मे फ्लोर पर है जिसके कारण मुंबई आकर संघर्ष करने में असफल कलाकारों की चांदी हो गई है। पटना से लगे शहर हाजीपुर में दो यूनिट ठहरी हुई है। पहली यूनिट निर्देशक आयुष प्रसाद की फ़िल्म लाट साहब का है जिसमे कोरिओग्रफर से अभिनेता बने राजीव दिनकर मुख्य भूमिका में हैं। दूसरी यूनिट फ़िल्म जोड़ी बा अनमोल की है । निर्माता अरविन्द श्रीवास्तव , निर्देशक अमर ज्योति की इस फ़िल्म में कुणाल सिंह, मनीष चतुर्वेदी, स्वाति वर्मा और अवधेश मिश्रा मुख्य भूमिका में हैं। पटना के ही निकट आरा शहर में प्रसिद्द निर्देशक असलम शेख की फ़िल्म तू ही मोर बालमा की शूटिंग चल रही है. इस फ़िल्म में जूनियर निरहुआ प्रवेश लाल यादव और रिंकू घोष की जोड़ी है। इसी तरह बक्सर में निर्देशक चुनमुन पंडित की फ़िल्म किसना कईलस कमाल की शूटिंग चल रही है जिसमे विनय आनंद और गुंजन पन्त मुख्य भूमिका में हैं। इसी तरह मोतिहारी में निर्माता अनंजय रघुराज व निर्देशक मनोज झा की फ़िल्म प्यार बिना चैन कहाँ रे की शूटिंग जोर शोर से चल रही है। इस फ़िल्म में पवन सिंह और स्मृति सिन्हा की जोड़ी है। छपरा में निर्देशक सुजीत पुरी सुदीप पांडे और स्वीटी छाबरा के साथ मिस्टर तांगा वाला की शूटिंग में व्यस्त हैं। इसी तरह पंकज केसरी अभिनीत जुदाई की शूटिंग भी बिहार में चल रही है। सिर्फ़ यही नही दक्षिण भारत में भी भोजपुरी फिल्मो का बुखार छाया हुआ है । मूवी मुग़ल के नाम से मशहूर डी.रामा नायडू की फ़िल्म शिवा की शूटिंग इन दिनों विशाखापतनम में चल रही है । इस फ़िल्म में निरहुआ और पाखी हेगड़े मुख्य किरदार में हैं। भोजपुरी फिल्मो में आए इस बहार को प्रसिद्द फ़िल्म प्रचारक उदय भगत भोजपुरी फ़िल्म जगत का स्वर्णिम दौर मानते है। बहरहाल साल में मात्र तीस से चालीस फ़िल्म देने वाली इस फ़िल्म जगत के लिए आने वाला साल काफ़ी सुखद माना जा रहा है ।

गुरुवार, अक्तूबर 29, 2009

भोजपुरी फ़िल्म जगत को नई दिशा देना लक्ष्य - जीतेश दुबे




भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज के बढ़ते दायरे ने कई बड़ी बड़ी कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित किया लेकिन इस इंडस्ट्रीज की लूट-खसोट की नीति ने उन्हें वापसी का रास्ता दिखा दिया। इन सबके बीच एक शख्स ऐसा भी है जिन्होंने मायूस होकर फ़िल्म निर्माण से अपना पल्ला झड़ने के बजाए काजल की कोठरी से सफ़ेद रंग निकालने का फ़ैसला किया । उस निर्माता का नाम है जीतेश दुबे जो आज भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में टेस्ट मैच खेलने में नही बल्कि ट्वेंटी ट्वेंटी मैच खेलने के अपने फैसले को सही अमली जामा पहना रहे हैं। एक कहाबत है इरादे अगर नेक हो राह निकल ही जाती है। अपनी पहली फ़िल्म अपनी पहली ही फ़िल्म धरम वीर से चर्चा में आए जीतेश दुबे मात्र दो साल में ही भोजपुरी फ़िल्म जगत के नामचीन निर्माता, वितरक और अब फायनेंसर की श्रेणी में शामिल हो चुके हैं। फ़िल्म निर्माण से लेकर फायनेंसर के सफर को लेकर जीतेश दुबे से विस्तृत बातचीत हुई प्रस्तुत है कुछ अंश :

मात्र दो साल में ही आपने फ़िल्म निर्माण से लेकर फायनेंसर तक का काम शुरू कर दिया ....इतनी जल्दवाजी क्यों ?

मैंने जल्दवाजी में आज तक कोई काम नही किया । मैं आम लोगो की तरह व्यवसाय को मात्र पैसा कमाने का माध्यम नही मानता , जब मैंने अपनी पहली फ़िल्म धरम वीर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की तभी से सिख ही रहा हूँ और मेरी सीखने की प्रवृति ने मुझे प्रेरित किया की अगर मैं फिल्मो का निर्माण कर सकता हूँ को वितरण क्यों नही ? इसीलिए मैंने फ़ैसला किया की जब मैं सौ लोगो की यूनिट को लेकर शूटिंग कर सकता हूँ तो दस लोगो को साथ लेकर फ़िल्म वितरण को सही दिशा क्यों नही दे सकता ? मैंने इसे अपनी अगली फ़िल्म मुन्नीबाई नौटंकी बाई पर अपनाया और रिजल्ट पूरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज को पता है। मैं तो कहूँगा जो निर्माता लगातार फ़िल्म निर्माण पर भरोसा करते हैं उन्हें सिर्फ़ फिल्मो और उनकी मार्केटिंग पर ही नही दर्शको की नब्ज़ तक पर नज़र रखनी चाहिए।

आप मानते है की फ़िल्म वितरण में खामिया है ?

हर क्षेत्र में अच्छे और बुरे लोग होते हैं , मैं अगर पैसा लगाता हूँ , मेहनत करता हूँ तो मुझे इसकी जानकारी तो होनी ही चाहिए । मैंने अपनी फ़िल्म वितरण कंपनी अनूप इंटरप्राजेज का निर्माण ही इसलिए किया है की इससे अच्छे अच्छे लोग जुड़े, निर्माताओ को उनकी मेहनत का फल मिले ।

किस तरह की फिल्मो का वितरण कर रहे हैं ?

फिल्मो के वितरण का मेरा माप दंड बिल्कुल साफ़ है, फिल्मे अच्छी होनी चाहिए। मैंने हाल ही में विनय आनंद की जाडे में बलमा प्यारा लागे रिलीज़ किया था। अगले सप्ताह खटाई लाल मिठाई लाल रिलीज़ कर रहा हूँ। इसके अलावा रवि किशन पवन सिंह की रंगबाज़ दरोगा , मनोज तिवारी की छोटका भइया जिंदाबाद आदि फिल्मे हैं।

आपकी फ़िल्म ब्रिजवा की काफ़ी चर्चा है , किस तरह की फ़िल्म है ?

जिस तरह मैंने मुन्नी बाई नौटंकी बाई के निर्माण के पहले दर्शको की पसंद नापसंद का जायजा लिया था, ठीक उसी तरह मैंने ब्रिजवा के निर्माण के पहले इस प्रोजेक्ट पर शोध किया । यह भी लीक से हटकर बनी फ़िल्म है । मुझे पूरा भरोसा है की यह फ़िल्म भी दर्शको की कसौटी पर खरी उतरेगी। फ़िल्म में विनय आनंद, सुदीप पांडे, दीपक दुबे , ब्रिजेश त्रिपाठी , सादिका , गुंजन पन्त और शीर्षक भूमिका में फूल सिंह हैं।

क्या बड़े स्टार पर से भरोसा उठ गया है ?

बिल्कुल नही मेरी अगली फ़िल्म मार देव गोली केहू न बोली में रवि किशन हैं। मैं काम में कोई समझौता नही करता । कहानी के हिसाब से ही पात्रो का चयन करता हूँ।

श्री कृष्ण क्रियेशन की आगामी योजना क्या है ?

मेरा मकसद साल में कम से कम तीन फिल्में बनाकर उसे रिलीज़ करना करना है । हमारी कंपनी द्बारा प्रस्तुत फ़िल्म तू ही मोर बालमा की शूटिंग भी इसी महीने शुरू हो रही है । साल २०१० की फिल्मो की भी योजना बन गई है उस पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। फिलहाल उसपर चर्चा करना जल्दवाजी होगी ।

आपने अनेक निर्देशक व अभिनेता के साथ काम किया है ..आपके पसंदीदा कौन है

जहाँ तक कलाकारों की बात है मेरे पसंदीदा कलाकार रविकिशन, विनय आनंद और रानी चटर्जी हैं और पसंदीदा निर्देशक असलम शेख हैं। प्रस्तुति : उदय भगत


बुधवार, अक्तूबर 28, 2009

जलवा ब्रिजेश का




भोजपुरी के चर्चित चरित्र अभिनेता व खलनायक ब्रिजेश त्रिपाठी का जलवा इन दिनों भोजपुरी फ़िल्म जगत पर छाया हुआ है। आम तौर पर भोजपुरी के किसी अभिनेता की साल में अधिकतम दस से बारह फिल्में ही रिलीज़ होती है लेकिन ब्रिजेश त्रिपाठी की इस साल बारह फिल्मे रिलीज़ हुई है और इतनी ही फिल्में आगामी दो तीन महीनो में रिलीज़ होने वाली है। यही नही ब्रिजेश त्रिपाठी ने बतौर अभिनेता लगभग एक दर्जन फिल्मे पिछले दो महीने में साईंन की है। ब्रिजेश की आने वाली फिल्मो में चर्चित निर्देशक असलम शेख की रविकिशन - जुबेर खान अभिनीत राम अवतार , जीतेश दुबे प्रस्तुत तू ही मोर बालमा एवं मनोज तिवारी अभिनीत एक अनाम फ़िल्म शामिल है। अन्य निर्देशकों में बबलू सोनी की सत्यमेव जयते , राजकुमार आर.पांडे की निरहुआ अभिनीत सात सहेलिया व रविकिशन - पवन सिंह अभिनीत देवरा बड़ा सतावेला शामिल है। निर्मात्री पायल दुबे की फ़िल्म मार देव गोली केहू न बोली में ब्रिजेश एक बार फ़िर रवि - पवन के साथ नज़र आने वाले हैं। इतना ही नही प्रवेश सिप्पी की जगदीश शर्मा निर्देशित फ़िल्म मृत्युंजय , जगदीश शर्मा की कुरुक्षेत्र में भी उनका अंदाज़ लोगो को नज़र आने वाला है। इसके अलावा भी कई फिल्मों में वो अभिनय करते नज़र आने वाले हैं। बहरहाल यह कहा जा सकता है की ब्रिजेश त्रिपाठी के दोनों हाथ इन दिनों फिल्मो से लबालब हैं।

महाठग खटाई लाल मिठाई लाल मुंबई में



बिहार उत्तरप्रदेश और पंजाब में अपने कारनामे से धूम मचा चुके महाठग खटाई लाल और मिठाई आगामी ६ नवम्बर को मुंबई के लोगो को अपने कारनामे से दीवाना बनाने आ रहे हैं । इन महा ठगों को मुंबई लाने का श्रेय जाता है फ़िल्म निर्माण से वितरण के क्षेत्र में उतरे निर्माता जीतेश दुबे को जिन्होंने अपनी कंपनी अनूप इंटरप्राइजेज के बैनर तले दोनों को खास न्योता भेजा है। यही नही दोनों महा ठगों को आम जनता से रूबरू कराने के लिए मुंबई में कई थियेटरों में खास व्यवस्था कराई है। खटाईलाल मिठाई लाल के जनमदाता देव पाण्डे अपने होनहारों के बिहार उत्तरप्रदेश और पंजाब में किए कारनामे से काफ़ी उत्साहित हैं, और उन्हें पूरा भरोसा है की मुम्बैया लोग दोनों को काफ़ी सराहेंगे । आप सोच रहे होंगे की इन ठगों का महिमा मंडन क्यों हो रहा है ? आपको बता दूँ की दोनों महा ठग रिअल लाइफ के ठग नही बल्कि रील लाइफ के ठग है । खटाई लाल की भूमिका में जहाँ भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन हैं वहीँ मिठाई लाल की भूमिका में विनय आनंद और इन दोनों के पीछे पड़े हैं इंसपेक्टर तिवारी यानी की सुशील सिंह। मधु इंटरटेनमेंट और मीडिया प्रा.ली.प्रस्तुत अर्निस आर्ट इंटर नेशनल के बैनर तले निर्मात्री डा.रचना मिश्रा - निशि पाण्डे की इस फ़िल्म में खटाई मिठाई की प्रेमिका की भूमिका में हैं मोनालीसा व लवी रोहतगी जबकि ब्रिजेश त्रिपाठी भी अहम् रोल अदा कर रहे हैं।


जोकर बनकर दुनिया को हसाना मेरा लक्ष्य - देव पांडेय







आम तौर पर भोजपुरी फिल्मो की विषय वस्तु परिवार और बाहुबलियों के इर्द-गिर्द ही घुमती रहती है, लेकिन पहली बार एक फ़िल्म ऐसी आई है जिसे देख दर्शक लोटपोट हो जाते हैं खटाई लाल मिठाई लाल नामक इस फ़िल्म बिहार, उत्तरप्रदेश और पंजाब ने सफलता का झंडा गाड़ने के बाद अब आगामी नवम्बर को मुंबई में रिलीज़ हो रही है इस फ़िल्म को लेकर निर्देशक देव पांडेय से विस्तृत बातचीत हुई प्रस्तुत है कुछ अंश :



आज के दौर में जहाँ पारिवारिक और माफिया से सम्बंधित मसाला फिल्मे हित हो रही है ऐसे में आपने कामेडी को क्यों चुना ?



मैं बरसो से फ़िल्म इंडस्ट्रीज में बतौर सहायक निर्देशक कार्यरत था दिल में तमन्ना थी जल्द ही ख़ुद की फ़िल्म बनाऊ रवि किशन और अभय सिन्हा ने मेरी हौसला अफजाई की और मेरा सपना साकार हुआ रही बात खटाई लाल मिठाई लाल जैसी कॉमेडी फ़िल्म की तो मैं हमेशा सोचता था मेरी फ़िल्म कुछ इस तरह की हो जिसे देख दर्शक हँसते हुए बाहर निकले और कुछ सिख भी साथ में ले जाए मेरा मानना है की हसाते - हसाते संदेश देना अधिक कारगर होता है



क्या संदेश दे रहे हैं इस फ़िल्म से ?



आज हमारे देश में लाखो बुजुर्ग ऐसे हैं जो भरे पूरे परिवार के बावजूद असहाय समझते हैं , और वृधाश्रम में रहने को मजबूर होते हैं मेरे गाँव में मेरे दादाजी ने भी एक वृधाश्रम का निर्माण किया था सच पूछिए तो मेरी कहानी की प्रेरणा वहीँ से मिली और लेखक सुरेन्द्र मिश्रा ने उसे ख़ूबसूरत अंजाम तक पहुँचाया



कॉमेडी को किस रूप में प्रस्तुत किया गया है ?



जैसा की फ़िल्म के नाम से ही जाहिर है मेरी फ़िल्म दो दोस्त खटाई लाल ( रवि किशन ) और मिठाई लाल ( विनय आनंद) की कहानी है, जो मुंबई आने पर ठगी के शिकार होते होते ख़ुद नामी ठग बन जाते हैं इन दोनों के कारनामे लोगो को रोमांचित तो करेंगे ही साथ साथ उन्हें हसने पर भी मजबूर कर देंगे साथ ही वे उन लोगो की मदद करते हैं जो असहाय और जरूरतमंद होते हैं। इन दोनों के अलावा अभिनेता सुशील सिंह इस फ़िल्म में पुलिस अधिकारी की भूमिका में हैं, उनका किरदार बंटी और बबली वाले अमिताभ बच्चन जैसा है फ़िल्म में अन्य किरदारों में मोना लिसा, लवी रोहतगी और ब्रिजेश त्रिपाठी हैं



आपकी अगली फ़िल्म चंदू के चमेली की भी काफ़ी चर्चा है, किस तरह की फ़िल्म है ?



चंदू के चमेली भी एक कॉमेडी फ़िल्म है जिसमे रविकिशन और सादिका रंधावा की जोड़ी है और मजे की बात है की दोनों की दोहरी भूमिका है फ़िल्म जल्द ही आपके सामने होगी फिलहाल इस फ़िल्म के बारे में मैं अधिक चर्चा नही कर पाऊंगा मैं अपनी दोनों ही फिल्मो के लिए अभय सिन्हा और रविकिशन का ख़ास शुक्रगुजार हूँ