मंगलवार, फ़रवरी 22, 2011

एक जाबांज फौजी की कहानी है ‘‘फौजी’’-दीपा नारायण


दीपा नारायण झा मात्र एक ऐसी भोजपुरी की महिला निर्माता हैं, जिनकी पहली भोजपुरी फिल्म ‘कब होई गवना हमार’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इस फिल्म के अलावा ‘कब कहबऽ तू आय लव यू’, ‘ई रिश्ता अनमोल बा’, ‘कानून हमरा मुट्ठी’ में जैसी सफल फिल्मो का निर्माण कर चुकी दीपा नारायण की एक और भोजपुरी फिल्म ‘फौजी’ प्रदर्शित हो रही है। इस फिल्म को उदित नारायण और दीपा नारायण ने प्रस्तुत किया है। इससे पहले दीपा नारायण एक और फिल्म प्रस्तुत कर चुकी हैं जिसका नाम है ‘तू बबुआ हमार’। हाल ही में हमारी बातचीत दीपा नारायण से उनकी आनेवाली फिल्म ‘फौजी’ को लेकर हुई, पेश है बातचीत के कुछ खास अंश-
बिहार में ‘फौजी’ प्रदर्शित होने जा रही है, इस फिल्म को आपने प्रस्तुत किया है, क्या खास लगा आपको इस फिल्म में?
‘फौजी’ फिल्म की कहानी मुझे बहुत पसंद आई। इस फिल्म में तमाम अनछुए पहलुओं को उजागर किया गया है।
फिल्म ‘फौजी’ के बारे में थोड़ा सा विस्तार से बतायें?
इस फिल्म की कहानी एक ऐसे जाबांज फौजी की है, जो सरहद पर तो लड़ता ही है, साथ ही सरहद के अंदर खोखले व्यवस्था तंत्र को भी ललकारता है।
आपकी पहली फिल्म ‘कब होई गवना हमार’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, उसके बाद किसी भोजपुरी फिल्म को यह पुरस्कार नहीं मिला, इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
इस बारे में अपनी कोई स्पष्ट राय तो मैं नहीं दे सकती, लेकिन जहां तक मेरी समझ में जो बात आती है, वो यह है कि भोजपुरी सिनेमा अपनी राह से भटक रही है। लोग पैसा बनाने के पीछे पड़े हैं सिनेमा के नही।
आप पहले एक गायिका हैं फिर निर्माता। दोनों में से किसे ज़्यादा प्राथमिकता देती हैं?
सबसे पहले मैं गृहणी हूं, मां हूं, फिर गायिका और निर्माता। गायिकी और फिल्म मेकिंग दोनों ही मेरा पैशन है। दोनों में बड़ा मजा आता है।
भोजपुरी में और भी कोई फिल्में कर रहे हैं ?
स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है, उसकी घोषणा हम बाद में करेंगे।
हिन्दी में भी आप फिल्में बनाने वाली थीं?
सिर्फ हिन्दी ही नहीं मैं हिन्दुस्तान की हर भाषा में फिल्में बनाना चाहती हूं। लेकिन अभी थोड़ा समय है। मैंने अब तक 18 भाषाओं में गीत गाये हैं, ईश्वर ने चाहा तो इतनी ही भाषाओं में फिल्में बनाऊंगी।



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