मंगलवार, फ़रवरी 08, 2011

‘‘द रिर्टन ऑफ़ डॉ. जगदीश चन्द्र बसु’’ का मुहूर्त सम्पन्न



राजमानी क्रियेशन प्रस्तुत तथा अक्षत मोशन पिक्चर्स प्रा0 लि0 के बैनर तले बन रही पर्यावरण शिक्षा पर आधारित फिल्म ‘‘द रिर्टन ऑफ़ डॉ. जगदीश चन्द्र बसु’’ का मुर्हूत पटना सचिवालय गेट से समीप सतमूर्ति के पास हुआ। मुर्हूत क्लेप ओबरा के विधायक सोम प्रकाश सिंह द्वारा दिया गया जबकि मुर्हूत शार्ट प्रख्यात अभिनेता प्रमोद माउथो (फिल्म खलनायक) पर फिलमाया गया। इस अवसर पर फिल्म के लेखक-निर्देशक संतोश बादल ने बताया कि यह डाॅक्युमेन्टरी फिल्म जगदीश चन्द्र बसु के पुर्नजन्म और उनके शुरू किए अधुरे सपनों के इस जन्म में साकार करने के प्रयासों पर आधारित है।
फिल्म की शुरूआत मैं ताफिक नामक एक बूढ़े आदमी का नार्कोटिस्ट होता है और वो भी जगदीश चन्द्र बासु के पुर्नजन्म और सपनों की बात करता है - इधर एस0टी0एफ0 विभाग का चीफ (आर0पतनी) जिसे नासा से इस पुर्नजन्म की सच्चाई का पता लगाने का अनुरोध किया गया है की तहकीकात करता है नाकी टेस्ट में यह बात भी साफ हो जाती है कि वो बच्चा कबीर जैसे तौफिक ने एक बड़े बील्डर ललन पाण्डे के घर से उसके जन्म के समय अगवा किया था - कबीर को वापस ललन पाण्डेय के घर भेज दिया जाता है। कबीर खुलकर पेड़ों के कटने का विरोध करने लगता है। बिहार के सर्वे सामान्य लोग उसका अभूतपूर्व स्वागत करते है। पेड़ कटाई रोकने के लिए समारोह आयोजित होने लगती है और बिल्डर त्राही-त्राही करते है, अंततः ये बील्डर मिलकर एक कपटी बाबा द्वारा कबीर को मारना चाहते है, जिस समय एक घटना घटती है, सचमुच पेड़ कबीर की रक्षा करते है और कपटी बाबा का विनाश कर देते है। यह दृश्य कम्प्यूटर ग्राफिक्स के जरिये बड़े ही इन्ट्रेस्टींग तरीके से दिखाया जायेगा। अंततः कबीर दुनिया को यह संदेश देने मे कामयाब हो जाता है कि वृक्ष ही जीवन है। वृक्ष की कटाई से धरती का विनाश हो जायेगा। इस फिल्म की शूटिंग - पटना, सिक्किम, गाँधी धाम और भारत के अनेक शहरों में होती है। इस फिल्म के निमात्री मोनिका सिन्हा, कैमरामैन-राकेश रौशन प्रिंस हैं। जबकि मुख्य भूमिका प्रमोद माउथो, आलोक कुमार (सुर संग्राम विजेता) बी0डी0 सिंह, केतन राणावत, विष्णु शंकर बेलू, संजयकान्त, सुगन्धा, अक्क्षत, अपूर्वा, ललन पाण्डेय, सीमा पाण्डेय और ताण्या निभा रहे हैं। मुर्हूत के अवसर पर फिल्म निर्माता संजय सिन्हा और राजीव रंजन कुमार, आदि उपस्थित थे।

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