शुक्रवार, फ़रवरी 11, 2011

मुश्किल के दौर से उबर चुका है भोजपुरी सिनेमा - रवि किशन


भोजपुरी सिनेमा क़ी स्वर्ण जयंती पर विशेष -
१६ फरबरी १९६१ को भोजपुरी सिनेमा कि नीव पड़ी थी, इस तरह भोजपुरी सिनेमा अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है. पचास साल के इस सफ़र में भोजपुरी सिनेमा ने कई उतार - चढ़ाव देखे हैं.इन पचास साल में कई साल ऐसे भी रहे हैं जब एक भी फिल्म नहीं बनी. और तो और इस फिल्म जगत ने दो बार पहले भी दम तोड़ दिया था, लेकिन पिछले दस साल से भोजपुरी सिनेमा लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है. इस दस साल में भोजपुरी फिल्म जगत को कई स्टार मिले उनमे से एक हैं रवि किशन जिन्हें सदाबहार सुपर स्टार भी कहा जाता है. यहाँ तक कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने उन्हें भोजपुरी के महानायक कि उपाधि दी थी. लगभग एक सौ चालीस भोजपुरी फिल्मो में अपना जलवा बिखेर चुके रवि किशन से भोजपुरी फिल्मो के इस एतिहासिक सफ़र पर विस्तृत चर्चा हुई .. प्रस्तुत है कुछ अंश :

आपने हिंदी फिल्मो में संघर्ष के बाद भोजपुरी फिल्मो में कदम रखा .. कैसे आना हुआ भोजपुरी में ?

ये सच है कि मैंने हिंदी फिल्म जगत में काफी संघर्ष किया है, इस ऑफिस से उस ऑफिस के चक्कर लगाते लगाते दिन निकल जाते थे. मेरी इच्छा थी कि मैं किसी भोजपुरी फिल्म में काम करूँ क्योंकि मैं अपने माता पिता से इसी भाषा में बात करता था लेकिन उस दौरान फिल्मे बननी लगभग बंद हो गयी थी. साल २००१ उसी दौरान एक दिन अभिनेता ब्रिजेश त्रिपाठी जी ने मुझसे पुछा कि भोजपुरी फिल्म करनी है तो मोहनजी प्रसाद से मिल लो .यही नहीं वो खुद रात के ग्यारह बजे मुझे मोहनजी प्रसाद के ऑफिस ले गए . मोहनजी सैया हमार नामकी एक फिल्म कि प्लानिंग कर रहे थे. यह फिल्म बंगला और भोजपुरी दोनों ही भाषा में बन रही थी. बस उसी फिल्म से भोजपुरी फिल्मो का मेरा सफ़र शुरू हुआ, इस फिल्म के बाद मैंने लगातार चार सुपर हिट फिल्म दी , जिससे अचानक भोजपुरी फिल्मो का बाज़ार तेजी से बढ़ गया.

क्या फर्क है पहले की और आज की भोजपुरी फिल्मो में ?

काफी बदलाव आये हैं - तकनिकी दृष्टि से भी और अभिनय कि दृष्टि से भी . बड़ी बड़ी कंपनिया इस क्षेत्र में कदम रख चुकी है. हमारा बाज़ार बिहार उत्तर प्रदेश कि सीमा को लांघ कर अब पूरे देश में फ़ैल गया है , जल्द ही विदेश में भी नियमित रूप से भोजपुरी फिल्मो को रिलीज़ किया जायेगा . मैं खुद इस दिशा में प्रयासरत हूँ . जल्द ही एक बड़ी खबर से भोजपुरी फिल्म जगत का सामना होगा. हिंदी फिल्म जगत के बड़े बड़े लोग भोजपुरी फिल्मो में काम कर चुके हैं और यह सिलसिला जारी है. आज मेरी फिल्म कब होई गवना हमार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. जरा देब दुनिया प्यार में को कांस फेस्टिवल में दिखाया गया है . ये आज के दौर क़ी बड़ी उपलब्धि है भोजपुरी फिल्म जगत क़ी . आज मिडिया इसे गंभीरता से ले रही है . बुद्धिजीवी वर्ग इस पर चर्चा कर रहा है.

क्या वजह है क़ी महिलाये भोजपुरी फिल्मो से दूर हो गयी हैं ?

देखिये टीवी क़ी वजह से महिलाओ क़ी संख्या में कमी आई है खासकर बिहार उत्तरप्रदेश में, फिर भी कई फिल्मे ऐसी है जिसे महिलाओ ने भारी संख्या में देखा . खुद मेरी फिल्म कन्या दान , बिदाई और हमरा से बियाह करवा का उदहारण मैं दे सकता हूँ.

आपने अब फिल्म निर्माण क़ी दिशा में कदम बढ़ा दिया है .. कैसी फिल्मे बनायेंगे आप ?

नि;संदेह अच्छी फिल्मे बनाऊंगा जो समाज के हर वर्ग के लिए हो और कोई ना कोई सन्देश हो उसमे . फिलहाल मेरे प्रोडक्शन हाउस क़ी दो फिल्मे जल्द ही फ्लोर पर जायेगी और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा .

सुना है आपके पास हिंदी , भोजपुरी फिल्मो क़ी लम्बी कतारे हैं ?

जी हाँ मेरे पास अभी चालीस के आस पास फिल्मे हैं जिनमे से कुछ क़ी शूटिंग पूरी हो चुकी है , कुछ निर्माणाधीन है और कुछ जल्द ही शुरू होने वाली है. हिंदी में इंटरनेशनल फिल्म अज़ान . डॉ. चंद्रप्रकाश दवेदी जी क़ी मोहल्ला ८० आदि प्रमुख है जबकि भोजपुरी में फिल्मो क़ी लम्बी श्रृंखला है. जिनमे डोन , देवदास , संतान, फौलाद, प्राण जाये पर वचन ना जाये , मल्लयुद्ध , कैसन पियवा के चर्रितर बा, शूटर शुक्ला आदि प्रमुख है .

भोजपुरी सिनेमा के पचास साल पूरे होने पर आप क्या सन्देश देना चाहेंगे ?

सबसे पहले तो मैं देश के पहले राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को शत शत नमन करना चाहूँगा जिनके मन में ये बात थी की भोजपुरी भाषा में भी फिल्म बने . उन्होंने अपनी मंशा नजीर हुसैन साहब के सामने ज़ाहिर की और स्वर्गीय विश्वनाथ शाहाबादी के सहयोग से पहली फिल्म का निर्माण शुरू हुआ. मैं गंगा मैया तोहे पियरे चढ़इवो के निर्देशक कुंदन कुमार जी, अभिनेता असीम कुमार जी, कुमकुम जी और म्यूजिक डायरेक्टर चित्रगुप्त जी जी को शत शत नमन करता हूँ जिनके कारण आज लाखो लोग भोजपुरी फिल्मो से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं.इसके अलावा रामायण तिवारी जी, भगवान् सिन्हा जी, लीला मिश्रा जी और मोहनजी प्रसाद के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता . इन लोगो की वजह से ही आज भोजपुरी सिनेमा अपने उत्कर्ष पर है. मैं भोजपुरी फिल्म देखने वाले हमारे भोजपुरिया भाई बहनों का भी शुक्र गुजार हूँ जिन्होंने आज भोजपुरी फिल्म जगत को इतनी शक्ति दी है . उनके कारण ही हम आज हिंदी फिल्म जगत को बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में चुनौती दे रहे हैं. और उनसे प्रार्थना करते हैं क़ी उनका प्यार भोजपुरी फिल्म जगत को हमेशा मिलते रहे ताकि हम लगातार प्रगति के पथ पर बढ़ें.

प्रस्तुति - उदय भगत

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