गुरुवार, मई 20, 2010
घर में ही भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को छत मयस्सर नहीं : रवि किशन
मुजफ्फरपुर। भोजपुरी फिल्में अब देश एवं प्रदेश की सीमा लांघ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न सिर्फ अपनी पहुंच बना चुकी हैं बल्कि भाषाई मिठास और अपनी सांस्कृतिक छवि के कारण पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। दो-दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी भोजपुरी फिल्म ने पहली बार कान फिल्म महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। रवि किशन अभिनीत भोजपुरी फिल्म 'जला देम दुनिया तोरा प्यार में' का प्रदर्शन कान में किया जा रहा है। वहीं मणिरत्नम की फिल्म 'रावण' का प्रदर्शन कान में हो रहा है जिसमें रवि किशन ने अभिषेक बच्चन के बड़े भाई की भूमिका निभाई है। रावण के माध्यम से भी भोजपुरी व भोजपुरी के कलाकार कान फिल्म महोत्सव में दस्तक दे रहे हैं। वर्ष 2000 में 'सैंया हमार' से भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में अपना कैरियर आरंभ करने वाले रवि किशन ने एक दशक में भोजपुरी फिल्मों को नया आयाम दिया हैं। गुरुवार को मुजफ्फरपुर में एक कार्यक्रम में भाग लेने आए भोजपुरी फिल्मों के महानायक रवि किशन होटल क्लासिक में दैनिक जागरण से विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रीजनल फिल्म इंडस्ट्रियों में होने लगी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि बहुत जल्द भोजपुरी फिल्म जगत की पहुंच बहुत जल्द आस्कर तक बन जाएगी।
लेकिन साथ ही कई ऐसी समस्याएं हैं जिनपर गंभीरता पूर्वक सोचना जरूरी है। प्रतिवर्ष एक सौ फिल्में बनाने वाली एवं एक हजार करोड़ के टर्न वाली भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को अपने जमीन पर छत मयस्सर नहीं। यूपी व बिहार में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को छत मिल जाए तो दोनों राज्यों के न सिर्फ हजारों परिवार को रोजी रोटी मिलेगी बल्कि सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये के आय का स्त्रोत मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी कठिनाई के कारण प्रतिवर्ष एक सौ से अधिक भोजपुरी फिल्मों का निर्माण मुंबई, गुजरात एवं अन्य राज्यों में जाकर करना पड़ता है। इससे इन राज्यों को प्रतिवर्ष एक हजार करोड़ का लाभ मिलता है।
श्री किशन ने कहा कि बिहार बदल रहा है। हर क्षेत्र में विकास की नई पहल हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बिहार में स्टूडियो स्थापना की बात की। बकौल रविकिशन, मुख्य मंत्री सहमत हैं और जल्द ही एक सौ एकड़ भूखंड राज्य में उपलब्ध कराया जाएगा ताकि बिहार में भोजपुरी फिल्म को उद्योग के रुप में विकसित किया जा सके।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राजनीति करने का उनका नशा उतर चुका है। वे अब राजनीति में जाकर कुएं का मेढ़क नहीं बनना चाहते। भविष्य में अब न उनकी चुनाव लड़ने की योजना है और न किसी दल के लिए प्रचार करने की। वे एक कलाकार के रूप में बिहार के विकास में अपनी भूमिका निभाने की मंशा रखते है।
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