बुधवार, जून 30, 2010

भोजपुरी जगत में दामिनी का डंका


आम तौर पर कहा जाता है की भोजपुरी में सिर्फ बड़े स्टार व अश्वालीलता वाली फिल्मे ही चलती है, लेकिन इस धारणा को गलत साबित कर दिया है मशहूर वितरक व निर्माता डॉक्टर सुनील की फिल्म दामिनी ने। बिहार में सफलता का इतिहास रचने वाली ये पहली फिल्म है जो ३६ प्रिंट के साथ रिलीज़ की गयी और इन सभी ३६ सिनेमाघरों के साथ ६ अन्य सिनेमाघरों यानि कुल ४२ सिनेमाघरों में यह फिल्म चौथे सप्ताह में चल रही है।इस फिल्म की सफलता ने यह साबित कर दिया है की भोजपुरी दर्शक साफ़ सुथरी फिल्मो को भी अपना रहे हैं। गौरतलब है की दामिनी में रानी चटर्जी दामिनी नाम की एक घरेलु महिला की भूमिका में हैं । गाँव के एक दबंग शाहबाज़ खान की बुरी नज़र उसपर है। शाहबाज़ खान दामिनी के पति विनय आनद की हत्या कर देता है । दामिनी अपने पति की मौत का बदला लेने की कसम खाती है । उसके इस काम में मदद करता है विराज भट्ट। प्रेम, बदला पर आधारित इस फिल्म का संगीत काफी मधुर है। फिल्म का निर्देशन किया है मनोज नारायण और शानू ने वहीँ गीत संगीत श्याम देहाती का है।

शाहरुख़ की भूमिका में अवधेश


बरसो पहले शाहरुख़ खान अभिनीत एक फिल्म आई थी डर। इस फिल्म में शाहरूख का किरदार प्यार में पागल एक मनोरोगी का था। कुछ इस तरह का ही किरदार भोजपुरी में भी नज़र आने वाला है। जी हाँ भोजपुरी के सर्वाधिक लोकप्रिय खलनायक व भोजपुरिया बैडमेन के नाम से मशहूर अभिनेता अवधेश मिश्रा जल्द ही प्यार में पागल मनोरोगी की भूमिका में नज़र आने वाले हैं । अमेरिकन कंपनी पन फिल्म्स की भोजपुरी फिल्म जरा देब दुनिया तोहरा प्यार में अवधेश मिश्रा फिल्म की हेरोइन शिखा से पागलपन की हद तक प्यार करते हैं, लेकिन शिखा रवि किशन से प्यार करती है । शिखा को पाने के लिए अवधेश काफी खून खराबा करता है लेकिन जैसा की फिल्मो में होता है अंततः हिरोइन हीरो को ही मिलती है। अवधेश के अनुसार फिल्म के निर्देशक धीरज कुमार ने उनके किरदार को जिवंत बनाने के लिए काफी मेहनत की है। अमेरिकन तकनीक से बनी भोजपुरी की पहली फिल्म जरा देब का संगीत इन दिनों काफी लोकप्रिय हो रहा है। राजेश रजनीश के संगीत से सजी इस फिल्म के गीतकार विनय बिहारी, श्याम देहाती व प्यारेलाल हैं। फिल्म में तीन आइटम सोंग है जिस सीमा सिंह, तस्लीम, व कोमल ढिल्लन पर फिल्माया गया है। फिल्म इसी माह बिहार में रिलीज़ हो रही है।


सोमवार, जून 28, 2010

परिणय सूत्र में बंधे भोजपुरिया वीरप्पन


भोजपुरी जगत में भोजपुरिया वीरप्पन के नाम से मशहूर अभिनेता व सुपर स्टार मनोज तिवारी के निजी सचिव विकास सिंह हाल ही में प्रिया सिंह उर्फ़ नन्ही के साथ परिणय सूत्र में बंध गए। बिहार के सिवान जिले के जसवली गाँव में आयोजित समारोह में नवदंपत्ति को आशीर्वाद देने खुद मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव निरहुआ, पवन सिंह, अजित आनंद सहित फिल्म जगत से जुड़े सैकड़ो लोग पहुचे। सिवान के बड़का गाँव निवासी प्रोफ़ेसर शशि भूषण सिंह व प्रोफ़ेसर माया सिन्हा ( जिला पार्षद ) की संतान विकास सिंह को अभिनय की भूख मुंबई खिंच लायी और सुपर स्टार मनोज तिवारी के आशीर्वाद व सहयोग से उन्होंने अपनी अलग पहचान बना ली। विकास सिंह अपने नए जीवन में प्रवेश कर चुके हैं उन्हें आप भी शुभकामना दे सकते हैं उनका नंबर है 09699196229

भोजपुरी का नया चेहरा - राजीव दिनकर


वैसे तो ग्लेमर वर्ल्ड में रोजाना एक सितारे का जनम होता है , लेकिन कम ही सितारे ऐसे होते हैं जो दर्शको पर अपनी गहरी छाप छोड़ते हैं। भोजपुरी वर्ल्ड का नया चेहरा राजीव दिनकर भी उन्ही सितारों में एक है। पिछले एक माह के दौरान राजीव की दो फिल्मो ने बॉक्स ऑफिस पर दस्तक दी है और तीसरी अगले माह रिलीज़ हो रही है। राजीव की पहली रिलीज़ फिल्म है लाट साहब । ऋतिक रोशन की काईट के साथ ही रिलीज़ हुई इस फिल्म ने बिहार के कई शहरो में काईट से अच्छा व्यवसाय किया है। लाट साहब में राजीव एक आवारा छात्र की भूमिका में हैं । राजीव की दूसरी रिलीज़ फिल्म है बलिदान जिसमे वो रवि किशन के पुत्र व छोटे भाई की भूमिका में हैं। रवि किशन की दोहरी भूमिका वाली इस फिल्म में राजीव के अभिनय की जबरदस्त तारीफ़ हो रही है। राजीव की अगले माह रिलीज़ हो रही फिल्म का नाम है कबहू छुटे ना इ साथ । इस फिल्म में वो एक ऑटो ड्राईवर की भूमिका में हैं । यही नहीं भोजपुरी फिल्म जगत के वो इकलौते ऐसे नए स्टार हैं जिसके पास बड़े बड़े बैनरों के ऑफर हैं। उल्लेखनीय है की राजीव कई हिंदी और भोजपुरी फिल्मो में बतौर कोरियो ग्राफर काम कर चुके हैं। बहरहाल राजीव ने भोजपुरी वर्ल्ड में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा दी है और भोजपुरी फिल्म जगत में वो नए चेहरे के रूप में स्थापित हो चुके हैं।

शुक्रवार, जून 25, 2010

मुंबई पहुंची दामिनी



बिहार में सफलता का इतिहास रचने के बाद निर्माता डॉक्टर सुनील की चर्चित फिल्म दामिनी शुक्रवार को मुंबई पहुची । मुंबई में भी दामिनी को अभूतपूर्व शुरुवात मिली है। मुंबई में पहली बार किसी फिल्म को बीस सिनेमाघरों में रिलीज़ किया गया है। फिल्म रिलीज़ होने के पूर्व अँधेरी के फेम एड लैब में भोजपुरी फिल्म जगत के दिग्गजों ने फिल्म देखी। सबने फिल्म की तारीफ़ की । दामिनी में रानी चटर्जी दामिनी नाम की एक घरेलु महिला की भूमिका में हैं । गाँव के एक दबंग शाहबाज़ खान की बुरी नज़र उसपर है। शाहबाज़ खान दामिनी के पति विनय आनद की हत्या कर देता है । दामिनी अपने पति की मौत का बदला लेने की कसम खाती है । उसके इस काम में मदद करता है विराज भट्ट। प्रेम, बदला पर आधारित इस फिल्म का संगीत काफी मधुर है। फिल्म का निर्देशन किया है मनोज नारायण और शानू ने वहीँ गीत संगीत श्याम देहाती का है।

बुधवार, जून 23, 2010

जला देब दुनिया ...... का म्यूजिक रिलीज



भोजपुरी के सदाबहार सुपर स्टार रविकिशन ने एक भव्य समारोह में कांस फिल्म फेस्टिवल में शामिल हुई भोजपुरी व अमेरिकन डिजिटल तकनीक से बनी पहली भोजपुरी फिल्म जला देब दुनिया तोहरा प्यार में का म्यूजिक लौंच किया. इस मौके पर फिल्म के निर्माता पवन शर्मा प्रसिद्द वितरक संजय सिन्हा भोजपुरी फिल्मो की जानी मानी निर्मात्री मोनिका सिन्हा और भोजपुरी फिल्मो में मशहूर खलनायक अवधेश मिश्रा सहित कई जाने माने लोग मौजूद थे. इस मौके पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुपर स्टार रवि किशन ने कहा की ये हमारे लिए गौरव की बात है की भोजपुरी फिल्मो के निर्माण में अमेरिकन कंपनी भी उतर गयी है. उन्होंने आगे कहा की अमेरिकन कंपनी पन फिल्म आगे भी निरंतर भोजपुरी फिल्मो का निर्माण करती रहेगी. फिल्म के निर्माता पवन शर्मा ने कहा की पन फिल्म फोर्चून टेलर जैसी अवार्ड विनिंग अंग्रेजी फिल्म का निर्माण कर चुकी है. पन फिल्म ने जब भारतीय फिल्म बाजार में उतरने का फैसला किया तो पहले सर्वे किया और पाया की अगर अच्छी फिल्म बनायीं जाये तो भोजपुरी से अच्छी कोई भाषा नहीं है. उन्होंने कहा की पन फिल्म से जुड़े सुधीर कदम और तेजस्वी कदम अमेरिका में रहने के कारण यहाँ आ नहीं पाए. खलनायक अवधेश मिश्रा ने कहा की वैसे तो वो हर फिल्म में रविकिशन के हाथो मार खाते रहते हैं लेकिन इस फिल्म में दोनों की टक्कर अन्य फिल्मो से हटकर है. जला देब दुनिया तोहरा प्यार में को निर्देशित किया है धीरज कुमार ने, जो संजय लीला भंसाली और राम गोपाल वर्मा जैसे नामचीन निर्देशकों के सहायक के रूप में काम कर चुके हैं. रेड वन ( बिना रील वाले कैमरे ) से शूट हुई भोजपुरी की पहली फिल्म जला देब दुनिया तोहरा प्यार में का संगीत दिया है राजेश रजनीश ने. फिल्म में अन्य मुख्य किरदारों में शिखा, ब्रिजेश त्रिपाठी, कोमल ढिल्लन, विनोद मिश्रा , सी.पी.भट्ट व फूल सिंह हैं. जला देब दुनिया तोहरा प्यार में दो जुलाई को बिहार में रिलीज हो रही है.

बिग बॉस अब भोजपुरी में





छोटे परदे के चर्चित शो बिग बॉस अब भोजपुरी के पहले मनोरंजन चैनल महुआ पर भोजपुरी में प्रसारित होने जा रहा है। इस शो का नाम है बड़का साहब । भोजपुरी के इस शब्द का अंग्रेजी रूपांतर बिग बॉस ही होता है। मंगलवार को मुंबई में आयोजित एक भव्य समारोह में इस शो को लौंच किया गया। इस मौके पर बिग बॉस से चर्चा में आये भोजपुरी के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन और बिग बॉस सीजन ३ से चर्चित हुई भोजपुरी की हेलन संभावना सेठ के साथ साथ भोजपुरी लोकगायक व सुपर स्टार मनोज तिवारी, अभिनेता सिकंदर खरबंदा, प्रवेश लाल यादव, अभिनेत्री उर्वशी चौधरी , हिंदी फिल्मो के जाने माने निर्माता के.सी.बोकाडिया, सुनील दर्शन , टी.पी.अगरवाल,भोजपुरी फिल्मो के जाने माने निर्माता वितरक डॉक्टर सुनील, निर्माता अशोक गुप्ता, असलम शेख, अनंजय रघुराज, महुआ टीवी की उर्मिका राय, विनीता उपाध्याय , शंकर सहित भोजपुरी जगत के कई जाने माने लोग उपस्थित थे। इस शो की सबसी बड़ी खासियत होगी इसकी कंटेट जिसके कारण इसमें छोटे पर्दे पर पहली बार भोजपुरी सिनेमा के कई सुपरस्टार अभिनेता व अभिनेत्री नजर आयेंगी। हर शुक्रवार-शनिवार की रात 7.30 बजे से इसके प्रसारण की शुरूआत हो रही है।हालांकि बड़का साहब के निर्माता यशी फिल्म्स प्र.ली.के अभय सिन्हा व अजय सिन्हा इस बात से इनकार करते हैं की बड़का साहब भोजपुरी का बिग बॉस है। उनके अनुसार ‘‘बड़का साहब‘‘ ना ही कोई रियलिटी शो है ना है फिक्सन शो बल्कि इसे ‘‘भोजपुरी पैरोडी शो‘‘ कहा जायेगा जिसमें बहुत सारे फंडे देखने को मिलेगे। शो में बिग बॉस की तरह का ही एक घर होगा जिसके हर कोने-कोने पर कैमरों की नजरें होगी, एक कन्फेसन रूम होगा । यहाँ पर 12 प्रतिभागी होंगे जिसपर ‘‘बड़का साहब‘‘ की हुक्कमत होगी, उनके उल्टे-सीधे रूल्स होगें जिन्हें पालन करना अपने आप में पहाड़ तोड़ने जैसा होगा। ‘‘बड़का साहब‘‘ के घर में सबसे अनोखी बात होगी रूल्स को फैलो करने वाले प्रतिभागी को जल्दी जाने दिया जायेगा वही रूल्स नहीं मानने वालों को अंतिम तक रहना पड़ेगा। शो का प्रसारण २५ जून से हो रहा है।



रविवार, जून 13, 2010

स्टार नहीं सभ्यता-संस्कृति और परम्परा चलती है - डॉक्टर सुनील




बिहार झारखंड मोशन पिक्चर्स एशोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर सुनील कुमार को फिल्म उद्योग में एक हरफनमौला व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है। एक सफल एमबीबीएस डॉक्टर हैं, एक सफल वितरक हैं, एक सफल प्रशासक है और एक सफल राजनितिज्ञ के साथ-साथ एक सफल निर्माता भी हैं। उन्होंने अब तक तीन फिल्में बनायी है। बंगला में ‘‘कुली’’ भोजपुरी में ‘‘चाचा भतीजा’’ और ‘‘दामिनी’’। तीनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर जर्बदस्त सफलता अर्जित की। पेश है डॉक्टर सुनील से बात चीत के प्रमुख अंश:-
सुनील जी, आप बिजेम्पा के अध्यक्ष भी है, विधायक भी है, एक डॉक्टर भी है फिल्म वितरक और निर्माता भी। इतने सारे कामों एवं व्यस्तता के बावजूद आप फिल्म निर्माण के लिए कैसे समय निकालते है। फिल्म निर्माण क्या आपका पेशा है ?
देखिये, मैं कोई भी काम दिल से मन लगाकर करता हूँ और कोई भी काम अगर आप दिल से करते है तो पूरी शक्तियाँ आपको उसमें सफलता दिलाने में लग ही जाती है। इसलिये लोग मुझे हर क्षेत्र में सफल मानते है। रही बात फिल्म निर्माण की तो यह मेरा पेशा नहीं है। मैं फिल्म का निर्माण करता हूँ लोगों को राह दिखाने के लिए। मैंने एक बंगला में फिल्म बनायी थी ‘‘कुली’’। उस वक्त बगंला फिल्मों में मिथुन चक्रवती को लोग भूल गये थे। जब मैंने फिल्म बनाई और प्रदर्शित की तो बंगला फिल्मों के सारे रिकोर्ड टूट गये। जिससे मिथुन चक्रवर्ती की बंगला फिल्मों में रिइण्ट्री हुई। उस फिल्म की पूरी शूटिंग मैंने मैसूर और हैदराबाद में किया था।
भोजपुरी फिल्मों के निर्माण में कैसे आये?
जब भोजपुरी फिल्म पुर्नजिवीत हुई तो लोग बोलते लगे कि यहाँ सिर्फ स्टार कास्ट वाली ही फिल्में चलती है लेकिन मेरा मानना है कि क्षेत्रीय भाषाई फिल्मों में स्टारडम नहीं चलता है। क्षेत्रिय भाषा में अगर भाषा को आत्मा में समेट कर अगर अच्छी कहानी पर फिल्म बनायी जाये तो वह निश्चित तौर पर चलता है। यही सोचकर मैं भोजपुरी फिल्म निर्माण में उतरा।
चाचा भतीजा की योजना कैसे बनाई।
वर्ष 2005 में जब राज्य सरकार बदली और बदलाव आया, तो हमने बिहार के बदलते परिवेश को देखते हुए युवाओं पर ध्यान केन्द्रित कर एक कहानी तैयार की, उस पर काम किया और इस बात का पूरा ध्यान रखा कि फिल्म स्वस्थ मनोरंजन के साथ मार्गदर्शक भी साबित हो। ऐसा हुआ भी। फिल्म पूरे हिन्दुस्तान में धूम मचायी। उसकी पूरी शूटिंग मैंने बिहार में ही की थी, वह भी नये कलाकरों के साथ।
चार वर्षों बाद आपने फिर ‘‘दामिनी’’ की नीव कैसे डाली?
मुझे जिम्मेवारी स्वीकारने में बड़ा मजा आता है। ‘‘दामिनी’’ के निर्माण के पीछे कई कारण थे। एक तो इधर मैं कुछ दिनों से भोजपुरी सिनेमा के निर्माण से खीन्न हो गया था। लोग भोजपुरी सिनेमा को बदनाम कर रहे थे। लोग बोल रहे थे कि बिना अश्लीलता के भोजपुरी फिल्म बन ही नहीं सकती। दूसरी की निर्माता भोजपुरी सिनेमा बनाते है तो अपना सारा पैसा कलाकारों को देने में ही लगा देते है जिससे वे अच्छी फिल्म नहीं बना पाते और फिल्म असफल हो जाती है। तो ‘‘दामिनी’’ बनाकर मैं लोगों का यह बताना चाहता था कि अगर मजबूत कहानी हो और उसे नये तरीके से परोसा जाये ता निश्चित तौर पर दर्शक उसे पसंद करेंगे चाहे उस फिल्म में स्टार हो अथवा न हो। क्योंकि दर्शक भी तलाश में रहते है कि उनको कोई अच्छी फिल्म देखने को मिले।
‘‘दामिनी’’ की कहानी क्या है?
दामिनी एक ऐसे अनछुये विषय पर आधारित फिल्म है जिसे आज तक हिन्दुस्तान के फिल्म निर्माताओं ने कभी नहीं हुआ था। भारतीय संस्कृति और हिन्दु रिति रिवाज में जो शादियाँ होती है वह दो दिलों का मेल होता है। पति पत्नी एक दूसरे को जीवन भर साथ निभाने का वादा करते है। वह अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं और साथ ही सात वचन पति द्वारा दिया जाता है तथा पांच वचन पत्नी द्वारा। इन वचनों पर आधारित है यह फिल्म।
ऐसी विषय आपके दिमाग में कैसे आयी?
देखिये, क्षेत्रिय भाषाई फिल्मों में अगर आप वहां की सभ्यता-संस्कृति एवं परम्परा से हटकर फिल्में बनायेंगे तो आप निश्चित तौर पर असफल साबित होंगे। इसलिए मैंने यहाँ के सभ्यता-संस्कृति और परंपरा के अनुरूप ‘‘दामिनी’’ बनायी और दामिनी की मुख्य भूमिका में रानी चटर्जी को लिया। क्योंकि रानी में वह दम था जो हमारे विषय के अनुकूल पर्दे पर काम कर सके।
दामिनी को दर्शकों से कैसा रिस्पोंस मिला है?
भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी शुरूआत किसी भोजपुरी फिल्म को नहीं मिली थी। वह भी एक नन स्टार कास्ट फिल्म को। भोजपुरी सिनेमा के तथाकथित सुपर स्टारों की फिल्मों को भी ऐसी ओपनिंग कभी नहीं लगी थी और न सहारा गया था। अगर किसी स्टार कास्ट वाली फिल्म अगर बॉक्स ऑफिस पर थोड़ी बहुत चली भी है तो उससे निर्माता को कुछ विशेष लाभ नहीं मिल सका। स्टारों के जेब जरूर भर गये।
आपकी आगे की क्या योजना है?
मैं चाहता हूँ कि हमारे निर्माता बंधु इन सारे पहलुओं को ध्यान में रखकर फिल्म बनाये जिससे भोजपुरी सिनेमा का मान-सम्मान बढ़े। इसलिए हमने निर्णय लिया है कि अब हर साल एक फिल्म जरूर बनाऊँगा।
आपकी अगली फिल्म की निर्माण कब होगी और उसका नाम क्या होगा? कौन-कौन कलाकार होंगे?
अगली फिल्म सेट पर कब जायेगी यह तो तय नहीं किया है। लेकिन कहानी पर काम चल रहा है। कलाकार विराज भट्ट और रानी चटर्जी जरूर होंगे। एक नई हिरोईन से भोजपुरी इण्डस्ट्री को परिचय कराऊँगा।

शनिवार, जून 12, 2010

अद्भूत रहा रावण के डेढ़ साल का सफ़र : रवि किशन


भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन आज अभिनय के हर क्षेत्र में अपनी मुकाम हासिल कर चुके हैं। चाहे वो छोटा पर्दा हो चाहे भोजपुरी फिल्म , विज्ञापन , स्टेज शो हो या फिर हिंदी फिल्म हर क्षेत्र में रविकिशन के अभिनय व अंदाज़ का डंका बज रहा है। पिछले साल रिलीज़ हुई श्री अष्ट विनायक की फिल्म लक में अपने अभिनय से फिल्म जगत के दिग्गजों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहे रविकिशन अब नज़र आने वाले हैं प्रसिद्द फिल्मकार मणिरत्नम की फिल्म रावण में , जिसमे वो अभिषेक बच्चन के बड़े भाई की भूमिका में हैं। यही नहीं उन्होंने दक्षिण की एक बड़े बजट की फिल्म भी साइन की है। इसके अलावा जल्द ही छोटे परदे पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। इन्ही सारे मुद्दों पर रविकिशन से विस्तृत बातचीत हुई । प्रस्तुत हैं कुछ अंश:
रावण में आपका किरदार अन्य अभिनेताओ से किस तरह अलग है ?
सबसे पहले तो मैं आपको बता दूँ , रावण एक बहुत ही रोमांचकारी कहानी पर बनी फिल्म है । इस फिल्म में मैं अभिषेक बच्चन के बड़े भाई के किरदार में हूँ। ऐसा भाई जो हर पल उसका साया बना रहता है। दुसरे अर्थो में कह सकते हैं की मैं उनका कवच बना हूँ। जहां तक आपके सवाल का जवाब है ये तो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा की मणि सर ने किस तरह से हमें पेश किया है। हर किरदार इस फिल्म में सर्वश्रेष्ठ भूमिका में होंगे। मैंने भी इस फिल्म के लिए मणि सर की शूटिंग की पाठशाला में काफी लगन से काम किया है।
किस तरह के दृश्य हैं रावण में ।
रावण में कई ऐसे रोमांचकारी दृश्य हम दोनों भाइयो पर फिल्माए गए है जिसकी कल्पना हमने नहीं की थी। आजकल टीवी पर अभिषेक का जो प्रोमो चल रहा है वैसे कई दृश्य इस फिल्म में हैं। जंगली जानवर, जहरीले सांपो, खतरनाक जोंक के बीच शूटिंग के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। हर पल मौत आँखों के सामने घूमता नज़र आता था। हमारी सुरक्षा के व्यापक प्रवंध थे, लेकिन डर हमेशा बना रहता था।
कैसा अनुभव रहा ?
काफी रोमांचकारी.....रावण की शूटिंग के वक्त मेरी आदत झील के किनारे बैठकर आराम फरमाने की हो गई थी। केरला में शूटिंग से ब्रेक के वक्त एक दिन जब को-स्टार्स अभि और ऐश ने मुझे चिल्लाकर पुकारा तो मेरा ध्यान पीछे गया जहाँ एक सांप था। सांप को देखते ही मैं भाग खड़ा हुआ। ये कोई पहली घटना नहीं थी। एक बार तो एक पगलाए हाथी ने सेट पर ही अपने महावत को ही मार दिया था।
आपके सह कलाकार का रवैया आपके साथ कैसा था ?
बहुत ही अच्छा ... अभिषेक -ऐश , गोविंदा से तो मेरी पुरानी पहचान थी, लेकिन विक्रम से मेरी मुलाकात सेट पर ही हुई। काफी अच्छे अभिनेता हैं वो। उनकी दक्षिण की कई फिल्मो की सीडी मैंने उनसे ली है । आजकल हम अच्छे दोस्त है।


अगर आपके सन्दर्भ में रावण को देखा जाए तो एक शब्द में आप क्या कहेंगे
सच कहूँ तो रावण से मेरे कैरियर में काफी उफान आने वाला है। अच्छे काम की हर जगह क़द्र होती है। डेढ़ साल की शूटिंग में मणि सर से मुझे काफी कुछ सिखने को मिला है। मणि सर पारखी है और वो पहचान लेते हैं की किससे किस तरह का काम लिया जा सकता है। मंगल के मेरे किरदार को मजबूती देने में उन्होंने काफी लगन से मुझसे काम लिया । जहां तक पूरी फिल्म की बात है तो रावण हर मायने में मेरे दिल के करीब है। या यूं कहें की इस फिल्म का मुझे बेसब्री से इंतज़ार है। अपने आगामी प्रोजेक्ट के बारे में बताये।
रावण के अलावा अभी अभी मैंने एक बड़े अभिनेता की होम प्रोडक्शन की फिल्म साइन की है। अभी नाम जाहिर करना उचित नहीं है। इसके अलावा दक्षिण के सुपर स्टार चिरंजीवी के बेटे रामचरण के साथ मैंने एक बड़े बजट की फिल्म साइन की है। आपको पता ही होगा की रामचरण की मागाधीरा जबरदस्त हिट रही थी। छोटे परदे पर राज पिछले जनम का की भी शूटिंग जल्द ही शुरू होने वाली है। इसके अलावा कलर्स चैनल पर भी एक बड़ा शो करने वाला हूँ।
आप हिन्दी फिल्मो और छोटे परदे पर इतने व्यस्त हैं तो क्या भोजपुरी फिल्में नही करेंगे ?
भोजपुरी फिल्में नही करने का तो सवाल ही नही उठता है। भोजपुरी फिल्मो के कारण ही आज हिन्दी फिल्मो का द्वार मेरे लिए खुला है । वैसे भी भोजपुरी मेरी मातृभाषा है और मुझे भोजपुरी फिल्मो में काम करना पसंद है। जहाँ तक हिन्दी फिल्मो में व्यस्तता की बात है तो मैं भोजपुरी में अपनी फिल्मो की संख्या थोडी कम कर रहा हूँ।


गुरुवार, जून 10, 2010

मामा भांजा और ननिहाल




शीर्षक पढ़कर आपको लग रहा होगा की अगर ननिहाल का जिक्र होगा तो मामा भांजा तो होंगे ही क्योंकि ननिहाल के मुख्य किरदार तो मामा भांजा ही होते हैं, लेकिन यहां जिस ननिहाल का जिक्र हो रहा है कहने को तो फ़िल्मी है लेकिन हकीकत के काफी करीब है। जी हां यहां जिक्र हो रहा है मशहूर अभिनेता गोविंदा के परिवार यानि ननिहाल की। ननिहाल नाम की एक फिल्म बनी है जिसका निर्देशन कर रहे हैं राकेश सिंह व अरुण भोसले। राकेश सिंह की पहचान एक लेखक की है लेकिन वो गोविंदा के मौसेरे भाई है। फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं विनय आनंद जो गोविंदा और राकेश सिंह दोनों के भांजे हैं। मामा भांजे का ये सिलसिला यहीं ख़तम नहीं हो रहा है ..फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं प्रमोद सिंह और कीर्ति कुमार । गोविंदा के सगे बड़े भाई कीर्ति कुमार इस फिल्म में अभिनय भी कर रहे हैं साथ ही उन्होंने इस फिल्म के लिए गाना भी गाया है। प्रमोद सिंह गोविंदा के ममेरे भाई हैं। इस तरह वो भी विनय आनंद के मामा हैं। फिल्म की पूरी शूटिंग बनारस में हुई है जो इन सारे किरदारों का ननिहाल है। यानी रील और रियल दोनों ही जिंदगी में ननिहाल अपने शीर्षक को चरितार्थ करती है। निर्देशक राकेश सिंह के अनुसार आज कल जहाँ सगे भाइयो के बीच भी दीवार खड़ी हो जाती है वैसे में एक फिल्म में एक परिवार के इतने लोगो के साथ प्रेम के साथ काम करने का अनुभव काफी अच्छा रहा है। यह पूछे जाने पर की क्या ननिहाल की कहानी आपके ननिहाल के इर्द गिर्द है ? उन्होंने कहा की नहीं यह आम ननिहाल की कहानी है। उन्होंने बताया की ननिहाल की शूटिंग और पोस्ट प्रोडक्शन का काम लगभग पूरा हो चूका है । ननिहाल के मुख्य अभिनेता और ननिहाल के सबसे छोटे सदस्य यानी भांजा विनय आनंद भी ननिहाल को लेकर खासे उत्साहित हैं। बकौल विनय ये मेरी खुशकिस्मती है की मेरा पूरा ननिहाल मेरे साथ है। विनय ने कहा की फिल्म की पूरी यूनिट अगर परिवार के सदस्य हो तो काम करने का मजा दुगुना हो जाता है। ननिहाल के अन्य किरदारों में मोनालिसा, राकेश पांडे, ब्रिजेश त्रिपाठी आदि शामिल हैं।

शनिवार, जून 05, 2010

भोजपुरी फ़िल्मों में बदलाव की ज़रुरत है- अमित झा



युवा लेखक अमित झा भोजपुरी फ़िल्म जगत में एक जाना-माना नाम हैं. अपनी पहली ही फ़िल्म मुंबई की लैला, छपरा की छैलासे वे चर्चा में आये. कई फ़िल्मों कि पटकथा और संवाद लिखे. 2007 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ भोजपुरी डायलॉग राइटर का अवार्ड भी मिला. बिहारी माफ़ियाके लिये नौमिनेशन मिला. भोजपुरी धारावाहिक 'बाहुबली' और 'सातो वचनवा निभाइब सजनाके संवाद भी उन्होंने लिखे. सिनेमा को अपना पैशन मानने वाले अमित झा, इन दिनों कलर्स के लिये भाग्यविधाता”, सहारा वन के लिये बिट्टोऔर इमेजिन के लियेकाशीलिख रहे हैं. दो-तीन साल की रिसर्च के बाद एक हिन्दी फ़िचर फ़िल्म की स्क्रिप्ट पर भी काम शुरु कर चुके है. यहां प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :

इतना सब कुछ करते रहने कि ताकत आप कहां से जुटाते है. वह भी लेखन की दुनिया में ?

मैं तो कुछ भी नही कर रहा हूं. लिखने के साथ-साथ जो चीजें छूट गई हैं, उनकी भी तो सोचिये. फोटोग्राफी छूट गई है. एक्टिंग छूट गया है. इनके लिये भी समय निकालूंगा. अपनी फ़िल्म खड़ी करनी है, बतौर निर्देशक. उसके लिये भी तैयारी कर रहा हूं. सोचना भी तो एक बहुत बड़ा काम है. उससे बहुत सारे नये विचार या आईडियाज सामने आते हैं. स्पेनी फ़िल्मकार लुई बुनुएल तो कहता था कि एक आदमी को 24 घंटे में से 22 घंटे लिखने के लिये, सोचने के लिये और कल्पनाएं करने के लिये मिलने चाहिये. मजदूर तो बिना थके या रुके लगातार काम करते रहते हैं.

भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़ने के पिछे जो वजह है, हमारे पाठकों को उसके बारे बताईये.

देखिये, हर कलाकार की एक अपनी ज़मीन होती है... उसकी मिट्टी, उसका प्रदेश, उसका एक खास कल्चर होता है. जिसको संबोधित करते हुए ही वह कुछ कहता या करता है. और जैसे- जैसे आप अपने काम में, हुनर में रमते चले जाते हैं, आपका वह काम किसी एक ईलाके के लिमिटेशन से, उससे मुक्त होता जाता है. यह हर क्रिएटिव आदमी के साथ होता है. और फिर लेखन तो अपने नेचर से ही एक क्रिएटिव काम है. भोजपुरी सिनेमा से मेरा जुड़ाव तो इसी वजह से हुआ कि इन फ़िल्मों के माध्यम से अपने समाज, अपनी भाषा, अपने कल्चर को सामने लाया जाये. और फिर उसे टाईम और स्पेस कि लिमिटेशन से बहार निकाला जाये. मेरी सभी फ़िल्मों में... अगर आपने गौर किया हो तो ये रिफ़्लेक्शन आपको मिलेगा.

आप टेलिविजन सीरियल के लिये भी लगातार लिख रहे हैं, हिन्दी फ़िल्मों के लिये भी काम किया और कर रहे हैं. जाहिर है ये सभी अलग अलग माध्यम और भाषा कि चीजें हैं. इनकी तुलना आप कैसे करेंगे.

आपके इन सवालों के जवाब के लिये तो मुझे एक पूरी किताब लिखनी पड़ेगी. भोजपुरी और हिन्दी अपनी भाषा और काफी हद तक अपने कल्चर की वजह से अलग अलग तो हैं लेकिन इनके जो दर्शक हैं उनकी प्रोब्लम्स, उनकी समस्याएं तो एक ही हैं. लेकिन भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री कि समस्या ये है कि वो अपने दर्शको को सिर्फ़ ग्राहक समझता है. जिसे हम उपभोक्ता कहते हैं. ये गलत है. ये किसी भी इंडस्ट्री के लिये खतरनाक है. दर्शक किसी भी देश, समाज या भाषा से आये वो सबसे पहले वहा का एक नागरिक होता. उसकी अपनी कुछ समस्याएं होती हैं. उसके देश-प्रदेश कि कुछ समस्याएं होती हैं. वो सिर्फ कन्ज्यूमर नही होता है. हिन्दी सिनेमा अब इस सोच से मुक्त हो रहा है. लेकिन भोजपुरी ! मैं तो कभी कभी यह सोचकर ही बहुत परेशान हो जाता हूं कि भोजपुरी सिनेमा में एक भी ऐसी फ़िल्म नही है जो राष्ट्रिय स्तर पर स्टैंड करे. ऐसा क्यूं है ! आपको हैरानी होगी, यहां आज भी बहुत कम ऐसे ऐक्टर्स होंगे हो फ़िल्म साईन करने से पहले स्क्रिप्ट कि डिमांड करते होंगे. सेट पर शूट के समय डायलौग में तब्दीली का कोइ मतलब आपको समझ में आता है ! लेकिन ये होता है. और ये सब ऐसे दौर में हो रहा है जब बिहार और उत्तरप्रदेश में ही नही, पूरे भारत में रंद दे बसंती और ब्लैक जैसी फ़िल्में पसंद की जा रही हैं. लगान का जो बैकड्रौप है, वो भले ही इतिहास है लेकिन जो कल्चर है, जो बोली है, वो तो गांव-गंवई के है ना. लेकिन क्या बेजोड़ कहानी थी. उसकी पटकथा बहुत उम्दा है.

तो आप ये कहना चाहते हैं कि भोजपुरी फ़िल्मों में अच्छी पटकथा का अभाव है ?

बिल्कुल है. हिन्दी में भी है. 80 फ़ीसद से ज्यादा फ़िल्में फ़्लौप हो रही हैं. और फिर हिट- फ़्लौप को छोड़ भी दें. क्युंकि आप अपनी फ़िल्म को एक अच्छी फ़िल्म होने का दावा तो कर सकते हैं, हिट- फ़्लौप कि भविष्यवाणी नही कर सकते. मैं बात कर रहा हूं, स्क्रिप्ट ओरिएंटेड फ़िल्मों की. सिनेमा तकनीकी रुप से विकसित तो हो रहा लेकिन दर्शक तकनीक देखने तो थियेटर जाता नही है. वह जाता है एक अच्छी कहानी कि खोज में. भोजपुरी में दिखाईये मुझे एक भी फ़िल्म, जो स्क्रिप्ट ओरिएंटेड हो. माफ़ी चाहूंगा, लेकिन भोजपुरी सिनेमा फ़ूहड़ता के चंगुल से निकल नही पा रहा है. बहुत बड़े स्तर बदलाव कि ज़रुरत है. एकाध लोग ही इसके लिये कोशिश करते नजर आ रहे हैं. ऐसा तो नही है कि एक बोली या भाषा के रुप में भोजपुरी की बुनियाद कमजोर है. भिखारी ठाकुर अगर आपको याद नहीं आते हों तो और बात है. तो आखिर फ़िल्में अपनी जड़ों से इतनी उखड़ी हुई क्युं हैं.

लेकिन दर्शकों कि पसंद और नापसंद का सवाल भी तो है

यह कह कर कि दर्शक यही पसंद करते हैं, पल्ला नही झाड़ा जा सकता. दर्शक पेट से ही पसंद या नापसंद की बात सीखकर पैदा नही होता. इंट्रेस्ट बनानी पड़ती है. एक ईमानदार लेखक या निर्देशक अपना जो दर्शकवर्ग तैयार करता है, वह दर्शक समाज का हिस्सा होता है. उसकी अपनी एक समझ होती है या हम उसकी समझ को और मजबूत बनाते चलते है. डालिये न आइटम नंबर जितना डालना है, लेकिन इतना तो खयाल रखिये कि फ़िल्मों के गाने कहानी को आगे बढ़ा रहे हैं या नही. वो कहानी या नैरेटिव का हिस्सा हैं भी या नही. गंगाजल का आईटम डांस अगर आप गौर से देखें तो सब पता चल जायेगा. मैंने तो टीवी सीरियल्स के गाने भी लिखे है. एकता कपूर के लिये सर्व गुण संपन्नका गाना हाल ही में लिखा हूं. भाग्यविधाताके गाने मैंने लिखे. मैं हिट या फ्लौप को सोच कर नही लिखता. साहित्य में तो कहा जाता है कि जब अभिव्यक्ति ईमानदार होती है तो देश-दुनिया के किसी न किसी हिस्से में पाठक मिल ही जाता है.

कही यह सब आप इसलिये तो नही कह रहे कि अब आपको मेनस्ट्रीम टीवी इडंस्ट्री में काफी काम मिल रहा है, हिन्दी फ़िल्म भी शुरु करने वाले हैं..

ऐसा बिल्कुल नही है. हिन्दी के बड़े- बड़े स्टार्स और मशहूर हस्तियां भोजपुरी इंडस्ट्री में आकर काम कर रहे हैं. मामला कुछ और है. मैं अगर आपकी शर्तों पर काम करने को तैयार हूं, तो आप क्युं नही हैं. भोजपुरी को मैं विकसित होते देखना चाहता हूं. ए वेडनसडेफ़िल्म का एक डायलौग है कि जब आपके घर में कौक्रोच हो जाये, तो झाड़ू तो मारना ही पड़ता है. भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री मेरे घर जैसा है इसीलिये इसके साफ़-सफ़ाई कि जिम्मेदारी भी मेरी ही है.

टीवी के लिये आपने जो काम किया या कर रहे है, उसमें कोई चैलेंज दिखता है आपको. मुझे तो नही दिखता कि ऐसा चैलेंजिंग काम हो रहा है, छोटे पर्दे पर.

बहुत सारे चैलेंजेज हैं भाई. आप जैसा सोच रहे है, वैसा बिल्कुल नही है. रोज-रोज अलग-अलग चुनौतियां है. टीआरपी की चुनौती से तो आप वाकिफ़ है. इसके अलावा सिरियल को ज्यादा से ज्यादा रियल बनाना या लिखना एक बड़ी चुनौती है. अब आप कुछ भी नही लिख सकते. या अगर लिखोगे तो उसे रिअलिटी के करीब रखना पड़ेगा. अलग अलग इलाके कि कहानियां है, तो वहां के पात्रों की बोली, उनका अन्दाज, उनका रहन-सहन, खान-पान सब पकड़ना पड़ता है. फिर इसका भी खयाल रखना है कि कहानी अगर मोतिहारी, बिहार के तरफ़ की है तो भी उसमें इतना ईमोशन या ड्रामा लाया जाये कि दुसरे राज्यों में भी लोग उन्हें पसंद करें और देखें. एक और बात है.भाग्यविधातालिखना जब हम लोगों ने शुरु किया था तो हमें 7 बजे का टाईम-स्लौट मिला था. जो कि बिल्कुल खाली जाता है. एक भी दर्शक नही मिलता है. हमने अपने काम से, अपने टीम-वर्क से, 7 बजे वाले टाईम-स्लौट को एक तरह से प्राइम-टाईम में बदल दिया. ये बहुत चुनौती भरा काम था. टीवी में तो रोज नई-नई चुनौतियां हैं

गुरुवार, जून 03, 2010

शुरू हुआ भौजीयों का महामुकाबला!


भोजपुरीया दर्शकों का लोकप्रिय चैनल ‘‘महुआ’’ पर शुरू हो रहा है एक बार फिर से महामुकाबला। लेकिन ये महामुकाबला होगा भौजीयों के बीच। जी हाँ, अपने पहले सीजन में काफी लोकप्रियता प्राप्त करने वाली रियलिटी शो ‘‘भौजी नं॰-1’’ का सीजन टू शुरू हो चुका है। ‘‘महुआ टी॰ वी॰’’ पर हर सप्ताह सोमवार से गुरूवार हर रात 8.00 बजे से एक घंटे ये शो आप सभी दर्शकों का मनोरंजन करेगा। भारतीय समाज के मध्य वर्गीय विवाहित महिलाओं के लिए दुबारा लाया गया यह शो उन महिलाओं को समर्पित है जिनकी प्रतिभा कला, ज्ञान, विवाह के बाद घर की चहारदीवारी और जिम्मेदारियों के बंधन में सिमट कर के रह गई है। इस शो में भौजीयों की कार्यकुशलता, निपुणता, वैवाहिक सौन्दर्य, नृत्य, गायन सहित तमाम मनोरंजन का जमावड़ा किया गया है। कुल 68 एपिसोड में तैयार किया गया इस शो के दौरान आप दर्शकों को ‘‘भौजीयों की नोक-झोंक अपने देसर के साथ और ननद का इठलाना देखने को मिलेगा। हर सप्ताह चार भौजीयों आपस में भिड़त करती देखेंगी जो की चार सिंजमेंट ‘‘मुझे तो जानी’’, कौन कितना पानी में, नाचे मोरा मना व कितना सुर कितना ताल’’ मंें लड़ेगी। अजय पाल सिंह के निर्देशन में तैयार इस शो को अपने हाजीरी जवाब अंदाज में प्रस्तुत करते दिखेगी प्रियेश सिन्हा जो कि पहले सीजन में भी धमाल मचा चुके हैं। भौजीयों के मुकाबलो को निर्णय करते दिखेगी प्रसिद्ध लोक गायिका विजय भारती व गायक अजीत आनंद। शो के दौरान विभिन्न एपिसोड में सिलेबेटी गेस्ट नजर आयेगे जिसमें मनोज तिवारी, रानी चतुवेर्दी, संगीता तिवारी, डाॅलफिन, उर्वशी चैधरी, क्रिशा खंडेलवाल, लवी रोहतगी, तृप्ती शक्या, भरत शर्मा, इन्दू सोनाली, उपासना सिंह, विनय आनंद, साधीका रंधावा प्रमुख है। इस शो के कार्यकारी निर्माता पंकज तिवारी व बृजमोहन यादव है। गौरतलब है कि हाल ही में इसके सीजन-2 के ऑडिशन विभिन्न 9 शहरों में लिए गए थे और प्रतिभाओं का चयन किया गया था। तो भाभियों और उनके देवर व परिवार के सभी सदस्य हो जाईए तैयार एक मस्त मनोरंजन के लिए और मास्ती के लिए।

महुआ पर नया धारावाहिक ‘‘सजनवा बैरी हो गईल हमार’’


भोजपुरीया दर्शकों का पसंदीदा चैनल ‘‘महुआ’’ आज हर वर्ग के दर्शकों का पसंदीदा बन चुका है। ना सिर्फ भोजपुरी भाषी क्षेत्रों व लोगों के बीच में ‘‘महुआ’’ की अच्छी लोकप्रियता है। बल्कि गैर भोजपुरी भाषी क्षेत्र व लोगों को भी ‘‘महुआ’’ पंसद आ रहा है। दर्शकों को ना सिर्फ ‘‘महुआ’’ के रियलिटी शो बल्कि धारावाहिक भी काफी आकर्षित कर रहे हैं। इसकी क्रम में अपने दर्शकों के मनोरंजन को और बढ़ाने हेतु ‘‘महुआ’’ नया धारावाहिक ‘‘सजनवा बैरी हो गईल हमार’’ लेकर आया है जो हर सप्ताह सोम-गुरू रात्रि 7ः30 बजे प्रसारित किया जायेगा। वर्तमान समाज में लगभग हर घर की कहानी को उठाती इस नए धारावाहिक में गाँव की पृष्ठभूमि मंें एक अध्यापक की कहानी को दिखाया गया है जिसके चार बच्चे हैं और मध्य आर्थिक स्थिति में वे अपना पालन पोसन करते हैं। हर मध्य आर्थिकी स्थिति वाली परिवार की तरह इस घर की भी अपनी कई परेशानियाँ है। मास्टर साहब की बड़ी बेटी आरती की शादी पड़ोस में ही हुई है लेकिन आरती को मीर्गी की बीमारी है और शादी के वक्त मास्टर साहब ने इसे छुपाया जिसके कारण उन्हें व आरती को बड़ी तकलीफे झेलनी पड़ती है। पति और सास का कोप उसे बार-बार झेलना पड़ता है। उधर मास्टर साहब का बड़ा बेटा अपनी पत्नी आशा के साथ गोरखपुर में रहता है और प्राईवेट कंपनी में काम करता है। वही उनका छोटा बेटा प्रभाकर अपनी पत्नी गुलाबों के साथ रहता है। मास्टर जी की छोटी बेटी मोनीका की शादी अभी नही हुई है। मास्टर जी की पत्नी एक ऐसा घर मोनीका के लिए ढुढ़ना चाहती है जहाँ लड़के के साथ लड़के की माँ का भी व्यवहार बहुत अच्छा हो और निर्मला की इसी जिद्ध की वजह से एक-दो अच्छे रिस्ते आकर भी टूट जाते हैं क्योंकि लड़के की माँ का व्यवहार ठीक नहीं है। और ये धारावाहिक फिर घूमती पड़ती है ‘‘मोनीका’’ की इर्द-गीर्द। मोनीका की शादी भी होती है पर उसके सजनवा बैरी हो पाते है लेकिन कैसे? ये तो धारावाहिक देखने पर ही पता चलेगा। इस धारावाहिक में मुख्य किरदारों में संजीव झा, सुनिल सिन्हा, डी॰ के॰ शुक्ला, जया भटाचार्य, तज सिंह, श्री, लक्ष्मी सिन्हा, रागिनी चैबे, पूर्णिमा, ज्योतिय, अनिल सिंह, प्रिया पाण्डे व पूनम नजर आयेगी।

‘‘लागल नथुनिया के धक्का’’ के गाने रिकार्ड


शाह एण्ड वर्मा क्रियेशन्स् के बैनजर तले बनने जा रही भोजपुरी फिल्म ‘‘लागल नथुनिया के धक्का’’ के गाने की रिकार्डिंग पिछले दिनों मुम्बई के ‘‘एम फॉर यू’’’ रिकडिंग स्टूडियों में की गई। विनय बिहारी व विरेन्द्र के॰ पाण्डे के लिखे गानों को पवन सिंह, कल्पना, इंदू सोनाली, व राजा हसन के आवाज में संगीतकार मधुकर आनंद ने रिकोर्ड किया। रमेश भाई शाह द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म का निर्माण चंद्रा बी॰ वर्मा व रोहन आर॰ शाह कर रहे है वही निर्देशक सुनील सिन्हा कर रहे हैं। इस फिल्म के कार्यकारी निर्माता राजेश कुमार पात्रों में भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह, आरती पूरी, अवधेश मिश्रा, आनंद मोहन व के॰ के॰ गोस्वामी है।

‘‘दरार’’ के रोमांटिक नायक अनिल सम्राट


भोजपुरी पर्दे पर अपने अभिनय पारी की शुरूआत करने जा रहे निर्माता से अभिनेता बने अनिल सम्राट अपनी पहली भोजपुरी फिल्म ‘‘दरार’’ में एक रोमांटिक नायक की भूमिका में नजर आयेगें। फिल्म में अनिल सम्राट एक रोमांटिक नायक की भूमिका में नजर आयेगें और उनके अपोजिट नजर आयेगी खूबसूरत अदाकरा सोनाली जोशी। फिल्म में दर्शकों को अनिल का रोमांटिक अंदाज काफी पसंद आयेगा और खासकर युवा वर्ग को आकर्षित करेगा। दरार में अनिल सम्राट अपवनी नायिका सोनाली जोशी के साथ लव करते नजर आयेगे और प्यार भीरी बातें भी। फिल्म में दोनों के उपर कई रोमांटिक दृश्यों के साथ गाने भी फिल्माये गये हैं। अब तक भोजपुरी फिल्मउद्योग को ‘‘प्रतिज्ञा’’ व ‘‘दे दड पिरितिया उधार’’ जैसी ब्लाक बस्टर दे चुके अमित अब इस फिल्म से खुद दर्शकों के बीच अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं। अजीत श्रीवास्तव के निर्देशन में तैयार इस फिल्म की शुटिंग फिलहाल समाप्त हो चुकी है और जल्द ही सिनेमाघरों में होगी।

ब्रजेश त्रिपाठी का जलवा


भोजपुरी सिनेमा में कई नायकों का जलवा रहा है, लेकिन बात अगर चरित्र अभिनेताओं की की जाए तो ब्रजेश त्रिपाठी का ही नाम सर्वप्रथम आएगा। ब्रजेश त्रिपाठी पिछलें तीन दशक से भोजपुरी सिनेमा से जुड़े रहे हैं। सईया तोहरें कारण (1979) से अपने कैरियर की शुरूआत करने वाले ब्रजेश की बतौर खलनायक पहली भोजपुरी फिल्म ‘‘बांसुरिया बाजे गंगा तीर’’ थी। भोजपुरी का स्वार्णीम तीसरें दौर की पहली फिल्म ‘‘सईया हमार’’ से ही ब्रजेश त्रिपाठी का जलवा भोजपुरिया पर्दे पर रहा है जो अब तक अनवरत जारी है। सईया हमार, गंगा जईसन भाई हमार, पंडित जी बताई ना बियाह कब होई, पूरब, देहाती बाबू, उठइले घुंघटा चाँद देख लें, रसिक बलमा, कन्हेया, देवा, रंगली चुनरिया, तोहरे नाम, परिवार, रंगबाज दरोगा, 2009 की सबसे बड़ी हिट ‘‘तोहार नईखें कवनों जोड़ तू बेजोड़ बाडू हों’’ जैसे पचासों फिल्मों के दमदार अभिनेता ब्रजेश त्रिपाठी की इस वर्ष प्रदर्शीत सात सहेलियाँ, देवरा बड़ा सतावेला, सईया के साथ मड़ईया में भी बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही हैं। ब्रजेश त्रिपाठी अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय दर्शकों, भगवान, अपने परिवार व तमाम शुभचिंतकों को देते हैं। ब्रजेश त्रिपाठी आज सभी निर्देशकों के भी पहली पसंद है और मोहन जी प्रसाद, असलम शेख, जगदीश शर्मा, हैरी फर्नाडिस व राजकुमार पाडें सहित कई निर्देशकों का अपने सफलता के लिए अभार प्रकट करतें हैं। अगामी महीनों में भी ब्रजेश का जलवा जारी रहेगा, कयोंकि अभी तू ही मोर बालमा, मत्युंजय, कुरूक्षेत्र, ननिहाल, लहरिया लुटए राजा जी, मार देब गोली केहूना बोली सहित दर्जन भर दमदार फिल्में तैयार है।

राज कुमार आर॰ पाण्डे को ‘‘भारत ज्योति अवार्ड’’


भोजपुरी फिल्मउद्योग में सफलतम निर्देशक की रूप में अपनी विशिष्ठता बना चुकें निर्देशक राजकुमार आर॰ पाण्डे को हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में ‘‘भारत ज्योति अवार्ड’’ से सम्मानित किया गया। राज कुमार पाण्डे को यह सम्मान भोजपुरी फिल्म उद्योग में विशिष्ठ योगदान और बतौर निर्देशक शानदार सफलता प्राप्त करने हेतु दिया गया। श्री पाण्डे को बतौर सम्मान एक स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र व प्रशस्त्री पत्र दिया गया और उन्हें ये पुरस्कार डॉक्टर भीष्म नारायण सिंह, पूर्व राज्यपाल, आसाम के हाथों प्राप्त हुआ। वर्ष 2010 में अब तक लगातार तीन ब्लाकबस्टर दे चुके राज कुमार पाण्डे की अभी ‘‘सात सहेलियाँ’’, ‘‘देवरा बड़ा सतावेला’’ व ‘‘सईया के साथ मड़ईया में’’ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है। इस सम्मान को पाकर अभिभूत राज कुमार आर॰ पाण्डे ने कहा की ये सब तो पूरे फिल्म इन्डस्ट्रीज व दर्शकों के प्यार का फल है। मैं इस सम्मान को प्राप्त करके अभिभूत हूँ।

राजीव दिनकर - नए भोजपुरिया स्टार का उदय



वैसे तो भोजपुरी फिल्म जगत में गायकों का ही बोलबाला है । ऐसे कम ही स्टार हैं जिन्होंने अपने अभिनय के बल पर बॉक्स ऑफिस पर अपनी धाक जमाई है। इन स्टारों में अब एक नया नाम जुड़ गया है राजीव दिनकर का। राजीव की पहली फिल्म लाट साहब पिछले दिनों बिहार में रिलीज़ हुई । बड़े बड़े सितारों की फिल्मो एवं ऋतिक रोशन की काइट्स के कारण लाट साहब मात्र तीन प्रिंट से ही रिलीज़ हुई , लेकिन दुसरे सप्ताह में इस फिल्म को आठ और तीसरे सप्ताह में दस अतिरिक्त थियेटरो में रिलीज़ किया गया । एक ओर जहाँ ऋतिक की काइट्स बिहार में बॉक्स ऑफिस पर ओंधे मूह गिरी वहीँ लाट साहब धीरे धीरे सफलता के पथ पर अग्रसर है। किसी किसी थियेटर में तो इस फिल्म का कलेक्शन बड़ी बड़ी फिल्मो से भी अधिक है। कोरियोग्राफर से अभिनेता बने राजीव इकलौते ऐसे स्टार हैं जिसकी फिल्म जगत में तीन फिल्मो के साथ एंट्री हो रही है । राजीव की रविकिशन , जैकी श्रोफ अभिनीत बलिदान १८ जून को एवं एक अन्य फिल्म कबहू छुटे ना इ साथ अगले महीने रिलीज़ हो रही है। बहरहाल राजीव की अभिनय क्षमता ने उसे भोजपुरी के नए स्टार के रूप में स्थापित कर दिया है।

बुधवार, जून 02, 2010

रावण के नए गाने में रवि किशन



प्रख्यात निर्देशक मणिरत्नम की फिल्म रावण इन दिनों अपने संगीत और झलकियों के कारण चर्चा में है । पिछले दिनों टेलीविजन पर रावण के नए गाने कटा कटा बेचारा बकड़ाकी झलकिय छोड़ी गयी है। इस नए गाने को भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रविकिशन के उपर फिल्माया गया है। ए.आर.रहमान के संगीत व गुलज़ार के शब्दों पर रविकिशन सहित पांच सौ डांसरो को नचाया है कोरियो ग्राफर गणेश आचार्य ने। मणि रत्नम की यह फिल्‍म तो 18 जून को सिनेमाघरों में प्रदर्शित ‘रामायण’ का आधुनिक रूप कहे जानीवाली इस फिल्‍म में दस सिरोंवाले रावण का किरदार अभिषेक बच्‍चन निभा रहे हैं। फिल्‍म के इस ‘रावण’ का नाम है ‘बीरा मुंडा’। रविकिशन इस फिल्म में अभिषेक के बड़े भाई मंगल मुंडा के किरदार में हैं। ऐश्‍वर्य राय मणि रत्नम की ‘रावण’ में सीता का किरदार निभा रही हैं। उनके सौंदर्य, पवित्रता और नृत्‍य कला का कायल होकर फिल्‍म का खलनायक ‘बीरा’ उन्हें उठा ले जाता है। फिल्‍म ‘रावण’ की कहानी पहले हिस्‍से में रागिनी (ऐश्‍वर्य) और देव (विक्रम) के विवाहित जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन एक दिन ऐसा आता है जब बीरा (अभिषेक) अपना पुराना हिसाब ( अपनी बहन की मौत का मामला ) चुकता करने के लिए उनके जीवन में आता है और अपने भाई मंगल के सहयोग से रागिनी को ले जाता है। लेकिन रागिनी तो देव से ही प्रेम करती है और उसी की होकर रह जाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है। मणि रत्नम की बहुप्रतिक्षित फिल्म ‘रावण’ में प्रेम के लिए एक जुनून, एक पागलपन को दर्शाया गया है। लेकिन क्या यह सही नहीं है कि प्यार प्यार के लिए होता है, युद्ध के लिए नहीं? वैसे इस फिल्म में ऐश्‍वर्य, अभिषेक, रवि किशन और विक्रम के अलावा गोविंदा, निखिल द्विवेदी और पंकज त्रिपाठी भी नजर आएंगे।