मंगलवार, मार्च 30, 2010

सत्य परेशान होता है पराजित नहीं ...बबलू सोनी

भोजपुरी सिने कोर्ट में जिन निर्देशकों ने आते ही मास्टर ब्लास्टर की तरह दर्शकों के दिलों में नित नए कीर्तिमानों के साथ जगह बनानी शुरू कर दी उसमें बबलू सोनी का नाम सबसे ऊपर आता है। अपनी पहली फिल्म ‘‘बांके बिहारी एम।एल.ए’’ के साथ ही बबलू एक निर्देशक के रूप में भोजपुरी दर्शकों के दिलों पर छा गए। रवि किशन के अप्रतिम अभिनय को सोनी ने एक नया रंग, एक धारदार गति प्रदान कर दी और इस तरह बन गयी एक एक्शन ड्रामा जिसकी सबने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। बबलू सोनी को इस फिल्मने ही फिल्मोद्योग का व्यस्त निर्देशक बना दिया। फिल्म शुरू होने से पहले रवि किशन के फैन बबलू सोनी थे पर इस फिल्म के बनते-बनते रवि ही सोनी-सोनी करने लगे और दोनों की जाड़ी ने हमें दी ‘‘बिहारी माफिया’’। यह एक तरह से सोनी का सम्मान था और अब यह जोड़ी हैट-ट्रिक बनाने जा रही है ‘‘सत्यमेव जयते’’ के साथ। इसी फिल्म को लेकर बबलू सोनी से खुलकर बातें हुई। प्रस्तुत है बातचीत के सम्पादित अंशः

आपकी हर फिल्म रवि के ही साथ होती है और हर फिल्म एक्शन ड्रामा ही है?

रविजी के साथ काम करना पहले एक सपना था, जो ईश्वरने बड़ी सरलता से, सहजता से पूरा कर दिया। उस फिल्म में काम करते-करते रविजी को मेरा काम और काम करने का तरीका इतना पसंद आया कि वहीं मेरी दूसरी फिल्म की प्लानिंग हो गयी। फिर यह एक संयोग भी है और मेरा सौभाग्य भी कि उन्होने लगातार तीसरी फिल्म मेरे साथ की। मैं उनका आभारी हूँ। रही बात एक्शन ड्रामें की तो मेरी समझ से यह सेफ पारी खेलने के लिए सदाबहार विषय हैं। एक्शन कभी आऊटडेटेड नहीं होती।

‘सत्यमेव जयते’’ में क्या है ?

यह एक ऐसे पुलिस आॅफिसर की कहानी है, जिसमें पिता का सपना ही था, उसे उस रूप में देखने का। वह सामान्य पुलिस अधिकारी नहीं, अंदर गांधी के विचारों का तेज है, जिस लेकर वह अन्याय की अंध गली में अकेले ही निकल पड़ता है।

क्या वह जीतता है ? या गांधीजी की तरह हो जाता है गोली का शिंकार?

सत्य कभी हारता नहीं। हाँ सत्य का सामना सभी नहीं कर सकते। सच्चाई की राह आसान नहीं होती, मगर सत्य ही अंततः विजयी होता है। यह महज एक उक्ति नहीं, जीवन का सत्य है। हमारा नायक भी अंततः अनाचार को समाप्त कर देता है। रवि किशनजी ने इसे एक मिसाल बना दिया है।

और कौन-कौन हैं ‘‘सत्यमेव जयते’’ में ?

अक्षरा रवि जी की नायिका है और अनुपम श्याम खल पुरूष हैं। बृजेश त्रिपाठी उनके पिता है। श्रीमती रमादेवी प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता अनिल सिंह हैं। विनय बिहारी और प्यारेलाल कवि द्वारा लिखे दस गीत हैं। जिसे राजेश-रजनीश ने बहुत ही मधुर धुन में रिकार्ड किया है।

और आइटम गीत ?

देखिए आप का जो इशारा है वह मैं समझ रहा हूँ। दिअर्थी संवाद तथा गीतों के भोंड़े फिल्मांकन को लेकर भोजपुरी फिल्में बदनाम हुई है। लेकिन इस फिल्म में आपकी राय बदल जायेगी। इसमें दो बड़ी हीरोइनों को हमने गाने में उतारा है। एक आइटम गीत रानी चटर्जी पर है, तो एक मुजरा स्वाति वर्मा पर। मैं निश्चिंत हूँ, दर्शकों को यह बहुत पसंद आयेगा। कानू मुखर्जी, दिलीप मिस्त्री और राम देवन ने नृत्य पर विशेष ध्यान दिया है।कुल मिलाकर ‘‘सत्यमेव जयते’’ एक बेहद अच्छी फिल्म है, जिसे अकरम खान ने खूबसूरती से कैमरे में कैद किया है। यह इस वर्ष की सर्वाधिक चर्चित फिल्म होगी।

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