शनिवार, नवंबर 20, 2010
मराठी सिनेमा में भोजपुरिया धमक
सोमवार, नवंबर 15, 2010
सरकारी उदासीनता की शिकार है भोजपुरी
भारतीय सिनेमा के क्षितिज पर भोजपुरी सिनेमा का उदय हुए 50 साल गुजर गये. पर आज भी भोजपुरी सिनेमा कई प्रकार के संघर्षों के दौर से गुजर रहा है. भोजपुरी में दर्शक हैं, यानी बाजार है. एक बड़ा बाजार. कई राज्यों में फैला हुआ. कई देशों में पसरा हुआ. बिहार-यूपी को छोड़िये, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और गुवाहाटी से लेकर पंजाब तक भोजपुरी फिल्मों के दर्शक हैं. भारत के अलावा नेपाल, मॉरीशस, नीदरलैंड्स, फिजी, सूरीनाम, गुयाना आदि देशों में भी पर्याप्त दर्शक हैं. इतना बड़ा बाजार भोजपुरी के अलावा केवल हिंदी का है. भोजपुरी फिल्मों में बाजार के साथ गीत-संगीत की मिठास है, बेहतरीन कलाकार हैं और निर्माता-निर्देशक भी. और अब तो प्रचार प्रसार के लिए मीडिया भी है, जो पहले नहीं था. पर सबसे बड़ी कमी है सरकारी उपेक्षा की. आज अगर इस भाषा को सरकारी स्तर पर हिंदी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को मिलने वाला संरक्षण मिलने लगे तो इस भाषा में भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फिल्में बनने लगेंगी. बन भी रही हैं.
भोजपुरी फिल्मों को न तो उनके गृह क्षेत्र बिहार –यूपी की सरकारों का कोई समर्थन संरक्षण है और न केन्द्र सरकार का. मणिपुरी भाषा में फिल्म इमागी निंगथेम नहीं बनती और फ्रांस में उसका प्रसारण नहीं होता तो वहां की सरकार और संस्थाएं मणिपुरी लोक संस्कृति के संरक्षण संवर्धन को आगे नहीं आती. ऑस्कर में धूम मचाने वाली फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर को यूरोपियन यूनियन से धन प्राप्त था. 1955 में बनी सत्यजीत रे की सुप्रसिद्ध बांग्ला फिल्म पाथेर पांचाली को प. बंगाल सरकार से अनुदान नहीं मिलता तो शायद वह फिल्म पूरी नहीं हो पाती. कहने का अर्थ ये है कि लोकतंत्र में सरकार जनता के द्वारा जनता के लिए बनायी जाती है और जनता के पैसों से चलती भी है. तो जनता को हक है कि उसे उसका वाजिब हक मिले. भोजपुरी को नहीं मिल रहा है. भाषा को ही मान्यता नहीं है. राजनीतिक रूप से कभी शीला दीक्षित तो कभी नीतीश कुमार भोजपुरी अकादमी के जरिये इस विशाल भोजपुरी समाज को संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं. लेकिन सच ये है कि आजादी की लड़ाई में अगुवा रहे भोजपुरिया लोग हर मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं. अपने मान सम्मान के लिए वे खुद ही आगे आकर अपनी भाषा, साहित्य, कला, संगीत, फिल्म और समग्र संस्कृति के संरक्षण संवर्धन का पुरजोर प्रयास भी कर रहे हैं. पर लानत है सरकारों को जो जानबूझकर भोजपुरी से आंख मूंदे हुए हैं. 14 भाषाओं में प्रकाशित द संडे इंडियन क्षेत्रीय भाषाओं का राष्ट्रीय मंच बना हुआ है. इसके तहत पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर भोजपुरी सिनेमा का सबसे बड़ा सर्वेक्षण प्रसिद्ध एजेंसी इंडियन काउंसिल फॉर मार्कट रिसर्च यानी आईसीएमआर के साथ मिल कर किया गया है. भोजपुरी सिनेमा को एक नया फलक प्रदान करने में इसकी भी एक तुच्छ किंतु अहम भूमिका होगी. साथ ही देश को भोजपुरी सिनेमा के बारे में थोड़ी जानकारी भी मिल पाएगी. यह सर्वे बिहार, झारखंड, यूपी, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के अलावा दिल्ली- एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, बंगलोर और गुवाहाटी तक के अनेक शहरों के दर्शकों के बीच कराया गया. करीब तीन हजार लोगों के बीच एक प्रश्नावली के जरिये ये सैंपल सर्वे कराया गये इसमें आम भोजपुरी भाषियों के अलावा भोजपुरी सिनेमा उद्योग से जुड़े लोग, बुद्धिजीवी, लेखक, समीक्षक, पत्रकार, साहित्यकार आदि शामिल थे. इस दौरान अनेक रोचक बातें सामने आयी. किंतु स्थानाभाव के कारण हम उसे पूरा आपको नहीं दे पा रहे हैं.
मसलन भोजपुरी दर्शक नहीं मानते कि भोजपुरी में हिंदी से ज्यादा अश्लीलता है. उनकी मानें तो हिंदी और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अश्लीलता कहीं ज्यादा है. हालांकि वे मानते हैं कि भोजपुरी फिल्मों का निर्माण जिस तरीके से होता है, उसमें कई बार फूहड़ता जरूर नजर आती है. पर भोजपुरी भाषा के प्रति प्रेम और भोजपुरी गीतों का मिठास उन्हें खींचता है. पर सच ये भी है कि भोजपुरी फिल्में वास्तविक लोक संस्कृति अथवा माटी की सुगंध से दूर हो रही है. और विडंबना ये है कि हिंदी सिनेमा भोजपुरी की सुगंध लेकर अपनी धाक जमाता जा रहा है. ताजा उदाहरण पीपली लाइव है. भोजपुरी गाना भी और पृष्ठभूमि भी. पर भोजपुरी को इसका श्रेय कहां मिलता है. भोजपुरी की लोकप्रियता ही छोटे परदे पर बिग बॉस में मनोज तिवारी और दस का दम में भोजपुरी नायिका राजपूत को बुलाने को मजबूर करती है.कहने का अर्थ ये है कि थोड़ा भी सहयोग समर्थन सरकार का मिले तो राजनीति वाले मूलत: भोजपुरिया प्रकाश झा में भी ऑस्कर के स्तर की बेहतरीन फिल्में देने का माद्दा है.
बहरहाल इस अंक में है मार्च 2009 से मार्च 2010 तक की भोजपुरी फिल्मों पर किया गया महा सर्वे और भोजपुरी सिनेमा पर विशेष सामग्री. आपके विचारों, सुझावों का स्वागत रहेगा.
(लेखक - ओंकारेश्वर पांडेय)
सौजन्य द संडे इंडियन भोजपुरी-हिंदी
शुक्रवार, नवंबर 12, 2010
शुरू हुई धुरंधर
धुरंधर अर्थात जो हर काम में माहिर हो...इसी नाम से बन रही भोजपुरी फिल्म की शुरुवात पिछले दिनों गोरेगांव के कृष्णा स्टूडियो में हुई . सत्यनारायण फिल्म्स के बैनर तले बनने वाली इस फिल्म के निर्देशक दीपक तिवारी हैं, जिन्होंने कई मराठी फिल्मो का निर्देशन किया है. फिल्म में रवि किशन और संगीता तिवारी मुख्य भूमिका में हैं. बाकी कलाकारों का चयन अभी बाकी है. रवि किशन और संगीता तिवारी की जोड़ी इस फिल्म से तीसरी बार साथ साथ परदे पर नज़र आने वाली है. इसके पहले दोनों मोहन जी प्रसाद की ए बलम परदेशी में नज़र आ चुके हैं और जल्द ही हैरी फ़र्नान्डिस की रामपुर के लक्ष्मण में नज़र आने वाली है. फिल्म में रवि किशन एक छात्र की भूमिका में हैं. फिल्म की लोंचिंग के मौके पर निर्देशक आनद गहतराज, बबलू सोनी, राजू चौहान, रामेश्वर मिश्रा, रवि सिन्हा, बादशाह खान, अभिनेता ब्रिजेश त्रिपाठी, सुमित बाबा सहित अनेक गण्यमान लोग मौजूद थे. फिल्म की शूटिंग अगले महीने शुरू हो रही है
भोजपुरी फिल्मो का सबसे बड़ा सर्वे
रवि किशन बने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन ने एक बार फिर साबित कर दिया है की लोकप्रियता और अभिनय के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं है. देश की बड़ी मिडिया समूह में से एक संडे इन्डियन व रिसर्च कंपनी आई.सी.एम.आर. ने दो महीने तक चले एक सर्वे के बाद रवि किशन को समीक्षकों व बुद्धिजीवियों की नज़र में अव्वल नंबर पर रखा है... इंडिया न्यूज़ ने इस पूरे सर्वे पर रवि किशन के साथ दो घंटे का लाइव टेलेकास्ट किया जहां भोजपुरी फिल्मो के वर्तमान, भविष्य के साथ साथ अश्वालीलता पर भी चर्चा हुई....रवि किशन ने स्पस्ट तौर पर कहा की उनकी फिल्मो में अश्वालीलता औरो के मुकावले हमेशा से कम रहते आई है.और जब कभी रहती भी है तो वो कहानी की मांग और दर्शको के नज़रिए को ध्यान में रखकर रखा जाता है..गुरुवार की रात इंडिया न्यूज़ ने एक संडे इन्डियन व रिसर्च कंपनी आई.सी.एम.आर. के सर्वे के आधार पर रिंकू घोष को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब दिया..रवि किशन अभिनीत व हैरी फ़र्नान्डिस निर्देशित फिल्म भूमिपुत्र को साल २००९ का सर्वश्रेष्ठ फिल्म आँका गया..
उल्लेखनीय है की देश के कोने कोने से हजारो भोजपुरिया दर्शको की राय के आधार पर इस सर्वे को पूरा किया गया था. भोजपुरी फिल्म अवार्ड में लगातार पांच बार बेस्ट अभिनेता का पुरस्कार पा चुके रवि किशन को अभी तक सौ से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हो चूका है. लाइव टेलीकास्ट के दौरान रवि किशन ने वादा भी किया की वो अपने प्रोडक्शन हॉउस से पा और ब्लेक जैसी फिल्मो के निर्माण के बारे में भी सोच रहे हैं, उन्होंने आशा जताई की महानायक अमिताभ बच्चन को वो एक बार फिर से भोजपुरी फिल्मो में लायेंगे. द संडे इन्डियन के सम्पादक ओम्कारेश्वर पाण्डेय ने सर्वे की सफलता के लिए भोजपुरिया दर्शको और अपने टीम को बधाई दी और कहा की सर्वे का विस्तृत रूप उनकी पत्रिका के अगले अंक में प्रकाशित किया जायेगा.... दो घंटे के मेगा लाइव में रवि किशन ने इस बात से भी इनकार किया की वो भोजपुरी की तुलना में हिंदी फिल्मो की और अधिक ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने कहा की दस साल में सौ से भी अधिक भोजपुरी फिल्म में अभिनय खुद दर्शाता है की वो भोजपुरी फिल्मो के प्रति कितना समर्पित हैं , भोजपुरी से वो कभी गद्दारी नहीं करेंगे क्योंकि भोजपुरी उनकी माँ की पिता की भाषा है ...
मंगलवार, नवंबर 09, 2010
वायस ब्लोगिंग में रवि किशन ने प्रियंका चोपड़ा को पछाड़ा
भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन का जादू अब भोजपुरी क्षेत्र से उठकर पूरे देश में फ़ैल गया है, तभी तो वायस ब्लोगिंग की ताजा रंकिंग में उन्होंने प्रियंका चोपड़ा, हरभजन सिंह, इमरान हासमी को पीछे छोड़ दिया है. मजे की बात तो ये है की रविकिशन इस ब्लोगिंग में बिल्कुल नए हैं और इसी माह इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्शायी है . बबल्स मोशन की नवम्बर माह की रेंकिंग में प्रवेश करते हुए रवि किशन ने भरत वर्ष में नौवा स्थान हासिल किया है. पूर्व मिस वर्ल्ड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा इस ब्लोगिंग में तेरहवे, हरभजन सिंह दसवे , बिग बॉस फॉर ग्यारहवे और इमरान हासमी तेरहवे नंबर पर हैं... सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने इस माह भी अपनी बादशाहत बरकरार राखी है...
उल्लेखनीय है की व्यास ब्लोगिंग रिलायंस और भारती टेलकॉम की मोबाईल सेवा में ही उपलब्ध है . इस सेवा के तहत मोबाईल कंपनिया उपभोक्ताओ को लोकप्रिय लोगो की बातो को उनके मोबाईल तक पहुचाती है और इसके एवज में उपभोक्ताओ को प्रतिमाह भुगतान करना पड़ता है.
सोमवार, नवंबर 08, 2010
सत्यमेव जयते को अदालत की हरी झंडी
उल्लेखनीय है की श्रीमती रमा देवी प्रोडक्शन के बैनर तले निर्माता अनिल सिंह व निर्देशक बबलू सोनी की फिल्म गत नौ जुलाई को बिहार में रिलीज़ हुई थी...फिल्म को सभी ज़रूरी प्रमाण पत्र हासिल थे ...अगले दिन एक फिल्म निर्माता ने सत्यमेव जयते के टायटल को अपना बताते हुए अदालत में याचिका दायर कर दी..अदालत ने याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी, जिसके कारण सत्यमेव जयते को सिनेमाघरों से हटाना पड़ा था. इस अदालती कार्यवाही से फिल्म के निर्माता को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. आखिरकार न्यायालय ने सत्यमेव जयते को राहत देते हुए फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति दे दी है... अदालत के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए निर्देशक बबलू सोनी ने कहा..सत्य परेशान होता है पराजित नहीं ...
शनिवार, नवंबर 06, 2010
भोजपुरिया आकाश का आदित्य
भोजपुरिया आकाश पर इन दिनों एक नया आदित्य यानी सूरज चमकने की तैयारी में हैं ... जी हाँ इस सूरज का नाम ही है आदित्य ओझा .... फ़िल्मी परिवेश में पले बढे आदित्य वैसे तो भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी में जुटे हैं लेकिन अभिनय के शौख की वजह से वो भोजपुरी फिल्म सुगना में बतौर हीरो अभिनय कर रहे हैं. ब्राउन आईज के बैनर के तले निर्माता निर्देशक अजय ओझा की फिल्म सुगना में वो दोहरी भूमिका में हैं... उनके पिता ने अब तक दो हिंदी फिल्मो का निर्माण किया है...हिंदी के वजाय भोजपुरी फिल्मो से अपने कैरियर की शुरुवात करने के सम्बन्ध में आदित्य का कहना है की वो मूल रूप से बिहार के छपरा के रहने वाले हैं जो विशुद्ध भोजपुरी क्षेत्र है, उनकी दादी माँ भोजपुरी ही बोलती हैं इसीलिए भले ही वो मुंबई में पले बढे हों लेकिन अपने कैरियर की शुरुवात भोजपुरी फिल्म से ही करने का फैसला किया. इस फिल्म में आदित्य का एक्शन और इमोशन दोनों ही दर्शको को देखने को मिलेगा.. सुगना में आदित्य के अलावा राजीव दिनकर भी मुख्य भूमिका में हैं...फिल्म की शुरुवात मुंबई में हो चुकी है, बाकी की शूटिंग अगले माह छपरा में होगी .
मंगलवार, नवंबर 02, 2010
मेहनत - लगन से मिलती है शोहरत - रवि किशन
भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन की ख्याति आज चारो ओर फ़ैल रही है। भोजपुरी फिल्म जगत में पिछले दस साल से अपना जलवा बिखेर रहे रवि किशन ने हिंदी फिल्म जगत और छोटे परदे पर भी अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करवाई है। आज हालात ऐसे हैं की चाहे फिल्म हो टी वी हो , विज्ञापन हो या फिर स्टेज शो , हर जगह रवि किशन के नाम की ही चर्चा है। लगातार पांच साल से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार के साथ साथ रवि किशन को दो दर्ज़न से भी अधिक पुरस्कारों से नवाजा जा चूका है। अगर ये कहा जाये की रविकिशन भोजपुरी के इकलौते ऐसे अभिनेता हैं जिनकी चर्चा ग्लेमर के हर क्षेत्र में होती है तो इसे अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता . रवि किशन से उनके फ़िल्मी सफ़र , उनको मिल रही अपार सफलता और आगामी योजना पर उनसे विस्तृत बातचीत हुई. प्रस्तुत है कुछ अंश :
भोजपुरी फिल्मो के अलावा आपने हिंदी फिल्मो में भी अपनी छाप छोड़ी है....और क्या कर रहे हैं आप ? यह सच है की आज भोजपुरी फिल्म जगत में भारी व्यस्तता के वावजूद मैं हिंदी फिल्मे और टीवी शो भी कर रहा हूँ, अगर आपमें काम के प्रति लगन और जूनून है तो हर क्षेत्र में आपकी भागीदारी बढ़ जाती है। मुझे ख़ुशी है की मैं हिंदी फिल्म जगत के दिग्गज मणिरत्नम, श्याम बेनेगल की फिल्मो का हिस्सा होने के साथ साथ भोजपुरी के अनजाने निर्माताओ के साथ भी काम कर रहा हूँ। हकीकत तो यह है की मेरे लिए मेरा मेहनत ही मेरी पूजा है , ये मेरी मेहनत और इमानदारी से किया गया काम ही है की आज मैं इतना व्यस्त हूँ। आज हिंदी और भोजपुरी फिल्मो के अलावा कई विज्ञापन भी कर रहा हूँ॥डाबर ने मुझे महानायक अमिताभ, धोनी के समकक्ष का दर्ज़ा दिया है जो हम भोजपुरियो के लिए गर्व की बात है। इसके अलावा शिखर पान मसाला , जिसको सरिया , पार्ले जी , मारिको सहित कई बड़ी कंपनियों का मैं बिहार उत्तरप्रदेश के लिए ब्रांड अम्बेसडर हूँ....
आज आप सफलता के उत्कर्ष पर हैं ...कैसा महसूस करते हैं जब आप आज और बीते पलों में फर्क महसूस करते हैं ? सफलता किसे अच्छी नहीं लगती , लेकिन मुझे ये कहने में कोई हर्ज़ नहीं है की इस सफलता को पाने के लिए किस तरह मेहनत की है मैंने। मुझे वो दिन भी याद है जब कई बड़े प्रोडक्शन हाउस के बाहर घंटो खड़ा रहना पड़ता था लेकिन आज उसी कंपनी में लोग मेरा इंतज़ार करते हैं। कहने का मतलब ये है की एक बार अगर दर्शको ने आपको प्यार करना शुरू कर दिया तब आपके सारे बंद दरवाजे खुल जाते हैं। लोगो का नज़रिया आपके प्रति बदल जाता है। सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे ? बेशक अपने माता - पिता के आशीर्वाद और दर्शको को जिनकी बदौलत आज हर क्षेत्र के लोग मुझे सम्मान दे रहे हैं। सफलता के हकदार मेरा परिवार भी है जिन्होंने मेरे बुरे दौर में मुझे हौसला दिया जिससे मुझे नई शक्ति मिली ।
अपनी आने वाली फिल्मो के बारे में बताइए ?
भोजपुरी में अभी लगभग पन्दरह फिल्मे मेरे पास है, इसी महीने जितेश दुबे की मार देब गोली केहू ना बोली इसी माह रिलीज़ हो रही है, देवदास का भोजपुरी रीमेक प्रदर्शन के लिए तैयार है, डोन की शूटिंग के लिए जल्द ही मलेशिया जाने वाला हूँ, केडी के साथ प्राण जाये पर वचन ना जाये, हैरी फ़र्नान्डिस के साथ राम पुर के लक्ष्मण आदि महत्वपूर्ण फिल्मे है. जहां तक हिंदी की बात है तो सैफ अली खान की होम प्रोडक्शन के साथ साथ राज कुमार संतोषी की फिल्म के अलावा अमेरिकन कंपनी पन फिल्म्स की अघोरी - मेन फ्रॉम बनारस भी कर रहा हूँ.
अघोरी - मेन फ्रॉम बनारस काफी चर्चा में है क्या है इस फिल्म में ?
अघोरी एक अंग्रेजी -हिंदी फिल्म है जो एक अघोरी की जिंदगी के इर्द गिर्द घूमता है , इटली की एक पत्रकार अघोरियो पर रिसर्च के लिए बनारस आती है . इन दोनों की केमेस्ट्री को इस फिल्म में दर्शाया जाएगा
कहा जा रहा है की आप इस फिल्म में नग्न दृश्य करने वाले हैं ?
चुकी फिल्म अघोरियो की जिंदगी बयान कर रही है तो उनका सजीव चित्रण करना ज़रूरी है, नग्न दृश्य पूरी तरह से नहीं रखा जाएगा क्योंकि सेंसर बोर्ड ऐसा करने की अनुमति नहीं देगा.... फिर भी हमारी कोशिश रहेगी की हम वास्तविकता दिखाए.
भोजपुरी फिल्म जगत में पिछले दस साल से आपकी बादशाहत कायम है क्या कहेंगे ? मैं इसे बादशाहत नहीं समझता , इसे अपने दर्शको फिल्म निर्माताओ और निर्देशकों का अपने प्रति प्यार समझता हूँ। आज अगर मैं ग्लेमर के हर क्षेत्र में अच्छी इज्जत पाता हूँ तो ये मेरे दर्शको का प्यार है जिसके कारण एक भोजपुरिया को इतनी इज्जत मिल रही है. इतना ही नहीं आज बड़ी बड़ी कंपनिया भोजपुरी में आ रही है और मैं ही सबकी पहली पसंद हूँ. मैं अपने निर्माताओं का उदाहरण देना चाहता हूँ बलिदान के निर्माता शाम परवानी एन आर आई हैं तो सत्यमेव जयते के निर्माता अनिल सिंह पेशे से भवन निर्माता और जरा देब के निर्माता पवन शर्मा बड़े उद्योगपति । उन लोगो का मेरे प्रति उनका प्यार ही है की उन लोगो ने जब फिल्म निर्माण की बात सोची तो मुझे पसंद किया--