गुरुवार, जुलाई 15, 2010
सन्देश परक फिल्मे बनाता रहूँगा - अनिल सूर्यनाथ सिंह
भोजपुरी फिल्मो के बढ़ते दायरे ने विभिन्न क्षेत्र के लोगो को अपनी ओर आकर्षित किया है। कुछ लोग पैसा कमाने के चक्कर में इस क्षेत्र में आये तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मकसद पैसा कमाना नहीं बल्कि अपनी मातृभाषा भोजपुरी का प्रचार प्रसार करना है। हालिया रिलीज़ सत्यमेव जयते के निर्माता अनिल सूर्यनाथ सिंह उन्ही में से एक हैं। उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के बांस पाडा गाँव के मूल निवासी अनिल सिंह पेशे से भवन निर्माता हैं । भोजपुरी फिल्म जगत के लगभग सभी कलाकारों से अच्छे सम्बन्ध रखने वाले अनिल सिंह ने जब मनोरंजन के क्षेत्र में कदम रखा तब उन्होंने भोजपुरी के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन को और बहुचर्चित निर्देशक बबलू सोनी को निर्माण की कमान सौंपी। भवन निर्माण से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखने के सम्बन्ध में अनिल सिंह से विस्तृत बातचीत हुई । प्रस्तुत हैं अंश:
आप जाने माने भवन निर्माता हैं , फिल्म निर्माण में कैसे आना हुआ ?
मैं मूलतः भोजपुरी भाषी हूँ। मुंबई में बरसो से रहने के बावजूद अपने परिवार के सदस्यों से मेरी बातचीत भोजपुरी में ही होती है । जाहिर है भोजपुरी के प्रति हमारे मन में अपार प्रेम है । एक बात हमें अक्सर अखरती थी की क्या भोजपुरी में ऐसी फिल्म क्यों नहीं बनती जिसको हम अपने परिवार के साथ साथ बैठ के देख भी सकें और हमारे युवा वर्ग को सन्देश भी मिले। इसी बीच रवि किशन जी से मेरी बात हुई और सत्यमेव जयते के निर्माण की योजना बनी । हमने अपनी माता श्री मति रमादेवी के नाम पर फिल्म निर्माण कंपनी का गठन किया और माता पिता के आशीर्वाद से फिल्म निर्माण में कूद पड़ा ।
किस तरह की फिल्म है सत्यमेव जयते ?
सत्यमेव जयते समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ एक जंग है। एक इमानदार जाम्वाज़ पुलिस अधिकारी को सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाने में किन किन कठिनाइयों से लड़ना पड़ता है नेता और माफिया के गठजोड़ से समाज कितना त्रस्त रहता है इससे हम सभी वाकिफ हैं , ऐसे में आम लोग के बीच अगर कोई रहनुमा आ जाता है तो उनकी जिंदगी गुलज़ार हो जाती है। उसी की कहानी है सत्यमेव जयते ।
सुपर स्टार रवि किशन और निर्देशक बबलू सोनी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
रवि किशन जितने अच्छे कलाकार हैं उतने ही अच्छे इंसान भी हैं । शूटिंग के दौरान कभी ऐसा नहीं लगा की वो इतने बड़े स्टार हैं , उन्होंने यूनिट के सारे लोगो को सपोर्ट किया । इतना ही नहीं मैंने उन्हें अपने साथी कलाकारों का सेट पर मार्ग दर्शन भी किया । अगर कोई स्टार इस तरह का व्यवहार करता है तो निःसंदेह इसका फायदा फिल्म को होता है। जहां तक बबलू सोनी की बात है तो मैं उन्हें उनकी पहली फिल्म बांके बिहारी एम्.एल.ए.से ही जानता हूँ। कमाल के टेक्नीशियन है वो। इतना ही नहीं कैमरे और एडिटिंग का भी उन्हें अच्छा ज्ञान है। यही वजह है की फिल्म के ट्रेलर पर ही लोग झूम जाते थे। जब फिल्म रिलीज़ हुई तो लोग इसे देखने के लिए टूट पड़े।
फिल्म का गीत संगीत कैसा है ?
हमने भोजपुरी की हित गानों की कोई कॉपी नहीं की है जैसा की अन्य भोजपुरी फिल्मो के गानों में होता है। हमारी कोशिश यही थी की संगीत हमारा इतना अच्छा हो की लोग इसकी कॉपी करे। मुझे ख़ुशी है की हम इसमें सफल रहे हैं। लोग फिल्म के गानों पर झूम रहे हैं । संगीतकार राजेश रजनीश ने काफी मेहनत की है। गीतकार विनय विहारी , प्यारे लाल कवी जी और जबरदस्त संवाद लिखने वाले संतोष मिश्र ने भी गीतों के साथ भरपूर न्याय किया है। सच कहा जाये तो सबने जी तोड़ मेहनत की है इस फिल्म के लिए। आज यही वजह है की फिल्म सफलता के पथ पर अग्रसर है।
अब आप फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतर गए हैं तो आगे की क्या योजना है ?
मैं निरंतर फिल्म बनाता रहूँगा , एक फिल्म का तो प्री प्रोडक्शन का काम भी शुरू हो गया है । मेरी हमेशा कोशिश रहेगी की ऐसी फिल्म बनाऊं जिससे हमारे युवा वर्ग सिख ले सकें औरपरिवार के सभी सदस्य एक साथ फिल्म देख सके । कुछ चीजों को लेकर मेरा उद्देश्य बिल्कुल साफ़ है की मैं बाज़ार वाद के नाम पर पर कुछ भी ऐसी वैसी फिल्म फिल्म नहीं बनाऊंगा जिसका गलत असर भोजपुरिया समाज पर ना पड़े। इसके अलावा छोटे परदे यानि की टेलीविजन पर भी रवि किशन जी के साथ मिलकर धारावाहिक बनाने की योजना है।
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