गुरुवार, जुलाई 15, 2010

निर्देशक को अच्छा दर्शक भी होना चाहिए. - बबलू सोनी


भोजपुरी सिने कोर्ट में जिन निर्देशकों ने आते ही मास्टर ब्लास्टर की तरह दर्शकों के दिलों में नित नए कीर्तिमानों के साथ जगह बनानी शुरू कर दी उसमें बबलू सोनी का नाम सबसे ऊपर आता है। अपनी पहली फिल्म ‘‘बांके बिहारी एम।एल.ए’’ के साथ ही बबलू एक निर्देशक के रूप में भोजपुरी दर्शकों के दिलों पर छा गए। रवि किशन के अप्रतिम अभिनय को सोनी ने एक नया रंग, एक धारदार गति प्रदान कर दी और इस तरह बन गयी एक एक्शन ड्रामा जिसकी सबने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। बबलू सोनी को इस फिल्मने ही फिल्मोद्योग का व्यस्त निर्देशक बना दिया। फिल्म शुरू होने से पहले रवि किशन के फैन बबलू सोनी थे पर इस फिल्म के बनते-बनते रवि ही सोनी-सोनी करने लगे और दोनों की जाड़ी ने हमें दी ‘‘बिहारी माफिया’’। यह एक तरह से सोनी का सम्मान था और अब यह जोड़ी हैट-ट्रिक बना चुकी है ‘‘सत्यमेव जयते’’ के साथ। इसी फिल्म को लेकर बबलू सोनी से खुलकर बातें हुई। प्रस्तुत है बातचीत के सम्पादित अंशः
आप शुरू से ही सत्यमेव जयते की सफलता को लेकर निश्चिन्त थे , क्या वजह थी ?
सूरज की पहली रौशनी ही दिन कैसा होगा इसका अनुमान दे देता है. ऐसा ही इस फिल्म के साथ हुआ है. संतोष मिश्रा की दमदार स्क्रिप्ट , रवि किशन और अनुपम श्याम की जबरदस्त जुगलबंदी, नई अदाकारा अक्षरा की मासूमियत के साथ साथ रानी चटर्जी और स्वाति वर्मा जैसी भोजपुरी की नामचीन अदाकारा का आइटम नंबर इस फिल्म की सफलता की वजह है. जहां तक मेरी बात है तो मैंने इस फिल्म के निर्माण में अपनी पूरी ताकत झोंक दी .
एक निर्देशक को किस चीज़ पर विशेष ध्यान देना चाहिए ?
एक अच्छा निर्देशक वही होता है जो एक अच्छा दर्शक होता है. इसके अलावा दृश्य को बेहतर बनाने के लिए यूनिट के हर सदस्यों के सुझाव को सुनना चाहिए. कभी कभी किसी का छोटा सा सुझाव भी आपकी फिल्म में जान दाल देता है.
आपकी हर फिल्म रवि के ही साथ होती है और हर फिल्म एक्शन ड्रामा ही है?
रविजी के साथ काम करना पहले एक सपना था, जो ईश्वरने बड़ी सरलता से, सहजता से पूरा कर दिया। उस फिल्म में काम करते-करते रविजी को मेरा काम और काम करने का तरीका इतना पसंद आया कि वहीं मेरी दूसरी फिल्म की प्लानिंग हो गयी। फिर यह एक संयोग भी है और मेरा सौभाग्य भी कि उन्होने लगातार तीसरी फिल्म मेरे साथ की। मैं उनका आभारी हूँ। दरअसल वो अपने निर्देशकों पर भरोसा करते हैं और उनके काम में किसी तरह की दखलंदाजी नहीं करते हैं. रही बात एक्शन ड्रामें की तो मेरी समझ से यह सेफ पारी खेलने के लिए सदाबहार विषय हैं। एक्शन कभी आऊटडेटेड नहीं होती।
‘सत्यमेव जयते’’ में ऐसा क्या है जिसे दर्शक इतना पसंद कर रहे हैं ?
यह एक ऐसे पुलिस आफिसर की कहानी है, जिसमें पिता का सपना ही था, उसे उस रूप में देखने का। वह सामान्य पुलिस अधिकारी नहीं, अंदर गांधी के विचारों का तेज है, जिस लेकर वह अन्याय की अंध गली में अकेले ही निकल पड़ता है। सत्य कभी हारता नहीं। हाँ सत्य का सामना सभी नहीं कर सकते। सच्चाई की राह आसान नहीं होती, मगर सत्य ही अंततः विजयी होता है। यह महज एक उक्ति नहीं, जीवन का सत्य है। हमारा नायक रवि किशन भी अंततः अनाचार कोसमाप्त कर देता है। रवि किशनजी ने इसे एक मिसाल बना दिया है।फिल्म में अक्षरा रवि जी की नायिका है जो पहली बार किसी फिल्म में अभिनय कर रही है . मुझे ख़ुशी है की अक्षरा के रूप में भोजपुरी फिल्म जगत को नगमा जैसी एक अदाकारा मिल गयी है. अनुपम श्याम फिल्म में खलनायक की भूमिका में हैं. बृजेश त्रिपाठी रवि किशन के पिता की भूमिका में हैं. श्रीमती रमादेवी प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता अनिल सूर्यनाथ सिंह हैं। विनय बिहारी और प्यारेलाल कवि द्वारा लिखे दस गीत हैं। जिसे राजेश-रजनीश ने बहुत ही मधुर धुन में रिकार्ड किया है।
और आइटम गीत ?
देखिए आप का जो इशारा है वह मैं समझ रहा हूँ। दिअर्थी संवाद तथा गीतों के भोंड़े फिल्मांकन को लेकर भोजपुरी फिल्में बदनाम हुई है। लेकिन इस फिल्म में आपकी राय बदल जायेगी। इसमें दो बड़ी हीरोइनों को हमने गाने में उतारा है। एक आइटम गीत रानी चटर्जी पर है, तो एक मुजरा स्वाति वर्मा पर। मैं निश्चिंत हूँ, दर्शकों को यह बहुत पसंद आयेगा। कानू मुखर्जी, दिलीप मिस्त्री और राम देवन ने नृत्य पर विशेष ध्यान दिया है.
निर्माता अनिल सिंह किस तरह फिल्म की सफलता को लेकर आश्वश्त थे.
अनिल जी जैसे निर्माता अगर भोजपुरी जगत में आये तो भोजपुरी फिल्मो का स्तर सुधर जाएगा. फिल्म निर्माण के पहले ही उन्होंने कहा था की मैं पैसा कमाने के लिए फिल्म नहीं बना रहा बल्कि मैं चाहता हूँ की मेरी फिल्म से उन दर्शको का झुकाव भी भोजपुरी की ओर हो जो फिलहाल इससे दूर हैं. अनिल जी ने फिल्म निर्माण के लिए मुझे खुली छूट दे दी थी. जब फिल्म बनकर तैयार हुई और उन्होंने देखते ही कहा था ...अब अगर फिल्म नहीं भी चली तो मुझे अफ़सोस नहीं होगा क्योंकि मैं जैसा चाहता था वैसी ही स्तरीय फिल्म बनी है. ये अनिल जी का भरोसा था की आज फिल्म सफलता का इतिहास कायम कर रही है.

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