सोमवार, नवंबर 30, 2009

आतंक के खिलाफ इस्लाम का पैगाम - बोहलोल दाना


आतंकवाद को जिहाद का नाम देकर कुछ लोग बेवजह इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं, जबकि इस्लाम इंसानियत और भाईचारे का पैगाम देता है और इस धरम में नफरत और आतंक के लिए कोई जगह नही है । यही सार है एस एच के इंटरटेनमेंट की आने वाली फ़िल्म बोहलोल दाना - ऐ सेज ऑफ़ बग़दाद का । निर्देशक अब्दुल कयूम खान और निर्माता शमशीर हुसैन खान की यह फ़िल्म आठ सौ साल पुरानी कहानी से तालुक्क रखती है। सामाजिक सद्भाव का संदेश देने वाले शाही घराने से सम्बन्ध रखने वाले एक फकीर बोहलोल दाना की इस कहानी में यह बताया गया है की आतंक और अत्यचार के ख़िलाफ़ एकजुट होना ज़रूरी है। ख़ुद बोहलोल दाना ने अन्याय और अत्याचार के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ आवाज़ उठाया बल्कि बिना हथियार, हिंसा के आतंक पर विजय भी प्राप्त की । फ़िल्म के लेखक मिराक मिर्ज़ा ने बताया की बोहलोल दाना का पैगाम आज भी उतना ही प्रासंगिक है । स्क्रिप्ट लिखते वक्त बोहलोल दाना की कहानी को मैंने आज के एक प्रोफ़ेसर की कहानी के रूप में पिरो दिया है, जिसका मानना है की मैं पहले हिन्दुस्तानी हूँ बाद में मुसलमान । यह फ़िल्म बताती है की इस्लाम में हिंसा के लिए कोई जगह नही है । जब यह मजहब सुसाइड के ख़िलाफ़ है तो सुसाइड बोम्बर का कोंसेप्त कहाँ से आ गया । बोहलोल दाना की भूमिका में हैं अब्बास अली जो सलमान खान और अनिल कपूर के फिटनेस ट्रेनर हैं। हाल ही में इस फ़िल्म का म्यूजिक रिलीज़ किया गया । इस मौके पर अब्बास मस्तान, अश्मित पटेल, शरद कपूर, रमेश तौरानी, सहित फ़िल्म के कलाकार और तकनीशियन मौजूद थे।

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