गाली तो होगी पर बोली के अंदाज में : सन्नी देओल
वाराणसी, प्रतिनिधि : काशी की तिकड़ी फिल्म का आधार हो तो भला गालियों की काशिका का अंदाज कैसे जुदा हो सकता है। लेखक डॉ. काशीनाथ, चरित्र व पटकथा काशी और फिल्मांकन स्थल भी काशी। ऐसे में भले ही कथा का आधार उपन्यास बनारस का बिंदासपन समेटे हो लेकिन आम दर्शकों के लिए पर्दे पर कहानी का रंग ढंग कैसा होगा। कुछ ऐसे ही सवाल रविवार को मोहल्ला अस्सी फिल्म की यूनिट के सामने थे। फिल्मों में गाली-गुस्सा और मुक्का के लिए मशहूर अभिनेता सन्नी देओल ने पर्दा हटाया। बोले-गालियां इमोशन के हिसाब से होती हैं। इसमें भी है लेकिन गाली की तरह नहीं, बोली की तरह। आठ-दस साल में सिनेमा बदल गया है। सफलता के लिए जरूरी नहीं कि मुक्का या वल्गेरिटी हो। फिल्म यूनिट होटल रमादा में पत्रकारों से रूबरू थी। मुद्दे कि कमान निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने संभाली। कहा कि श्लील व अश्लील परसेप्शन है। रही बात गालियों की तो लोगों की उम्मीद से कम होंगी। हवाला दिया-फिल्म की स्कि्रप्ट बेटी पढ़ना चाहती थी। मैंने उसे रोक दिया। कहा कि तुम फिल्म देखना। लिहाजा फिल्म उपन्यास का इडिटेड वर्जन होगी। इसे सभी लोग घर-परिवार के साथ बैठकर देख सकेंगे। हां, उपन्यास की आत्मा के साथ अन्याय नहीं होगा। रही बात व्यावसायिक और गैर व्यावसायिक की तो फिल्म बना रहा हूं। इसका दर्जा फिल्म आने के बाद बाजार व दर्शक तय करेंगे। सन्नी ने इसका समर्थन किया। बोले- फिल्म के कामर्शियल या नान कामर्शियल होने का सवाल नहीं है। जरूरी है कि कौन सी फिल्म दर्शकों का इंटरटेन कर बांधे रखती है। एक्शन हीरो की इमेज से नए रूप पर सवाल उठा तो सन्नी मुस्कुरा उठे। बोले-लीक पर चलने पर सवाल उठते थे, हटने पर भी सवाल हैं। स्पष्ट किया-पापा के दौर में अच्छे विषयों की भरमार थी, लोगों को मौका मिलता था। मैं भी इसी मौके की तलाश में था, कहानी और कैरेक्टर पसंद आते ही दिल ने कहा और मैंने मान लिया। कैरेक्टर को लेकर कुछ डर था जो दो-तीन मीटिंग में दूर हो गया। वैसे भी जब तक डरो नहीं तब तक मजा भी नहीं आता। दामिनी का हवाला देते हुए कहा कि नसीर साहब के लिए कहानी लिखी गई थी, बाद में लोगों ने पसंद की। ऐसे ही मोहल्ला अस्सी भी सभी को पसंद आएगी। फिल्म के आधार यानी काशीनाथ के उपन्यास के चयन की बात पर डॉ. चंद्रप्रकाश बोले-अतीतजीवी होने का आरोप था। वर्ष 1947 तक आ गया था। तलाश थी वर्तमान की। लेकिन काशी का अस्सी 1980 में लिखा गया इतिहास था, जो आज भी वर्तमान है। हालांकि उपन्यास व फिल्म अलग-अलग विधाएं हैं। इसी के आधार पर इसमें कुछ फेरबदल किए गए हैं। रही बात कथाकार की सहमति की तो इसमें पूरा सहयोग मिला। डा. काशीनाथ ने पूरी स्वतंत्रता दी और कहा मैं तो पहला प्रिंट देखूंगा। फिल्म लगने पर सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। फिल्म में कबीर का एक भजन भी शामिल किया गया है। फिल्म में कन्नी गुरु की भूमिका निभा रहे रवि किशन हर हर महादेव के उद्घोष के साथ पत्रकारों से रूबरू हुए। कहा कि बनारस में बनारस पर फिल्मांकन अलग अनुभव है। इसका रूप लोगों को भाएगा। अभिनेत्री साक्षी तंवर से सवाल था फिल्म व उनकी वास्तविक उम्र में दूरी को लेकर। उन्होंने स्पष्ट किया कि-रोल के आगे उम्र का कोई हिसाब किताब नहीं होता है। क्रास वर्ड इंटरटेनमेंट बैनर के तहत बन रही फिल्म में सन्नी धर्मनाथ पांडेय की मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। रवि किशन-कन्नी गुरु, सौरभ शुक्ला उपाध्याय, साक्षी तंवर- धर्मनाथ पांडेय की पत्नी सावित्री, मिथिलेश-गया सिंह, मुकेश तिवारी-राधेश्याम पांडेय की भूमिका में हैं। विनय तिवारी निर्माता हैं .
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