शनिवार, अप्रैल 17, 2010
सबसे अलग, सबसे अनूठी
भोजपुरी फिल्में अब मुख्य धारामें शामिल होनेकी स्थितिमें आ पहुँची है। इस भाषा की सीधी और सोंधी बोली अब बुद्धिजीवियों के गले में भी मिसरी घोलने लगी है। यह दर्शकों के ही नहीं कलाकारों में भी गले उतरने लगी है। इस क्रम में एक नई कलानेत्री का आगमन हुआ है, जो भोजपुरी सिनेमा के लिए एक उपलब्धि से कम नहीं है उसके रूप-रंग का नशा तो आप पर चढ़ता ही है, जब वह एक अभिनेत्री के रूप में अपनी भूमिका में खो जाती है, तब उसका जादू सीधे दर्शकों पर चढ़ता है। राखी त्रिपाठी नाम की यह गोरी-पतली सुन्दरी जौनपुर की रहनेवाली है और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से नृत्य (भरत नाट्यम) में स्नात्कोतार की डिग्री उच्च अंकों में प्राप्त की है। राखी त्रिपाठी एक उच्च शिक्षित परिवार से आती है और तीन भाइयों, तीन बहनों में सबसे छोटी है। शिक्षा-दीक्षा और अच्छी नौकरी के अलावा और कुछ सोचना भी अपराध-सा था। मगर राखी तो सबसे अलग, सबसे विशिष्ट थीं सबकी लाडली जो थी। सो माँ ने छूट दे दी। जा स्वच्छंद होकर अपना कैरियर चुन। और राखी बन गयी एक प्रशिक्षित नृत्यंगना।
राखी त्रिपाठी की रूपराशि और देहयष्टि कुछ ऐसी है कि अधिक दिनों तक वह ग्लैमर की दुनिया से बच न पायी। यूपी टूरिज्म के लिए मॉडल बनी रखी ने शो किया तौर पर कुछ और प्रिंट एडस किए नहीं कि राखी के जलवों की चकाचौंध मुंबई तक पहुँच गयी। महुआ के लिए ‘कलुआडीह’ और सहारा वन के लिए ‘‘वो रहनेवाली महलों की’’ किया। फिर यह धमक फिल्म निर्माता-निर्देशकों तक भी जा पहुँची। निर्माता अनन्जय रघुराज और निर्देशक मनोज श्रीपति ने राखी को उतार दिया रजपट पर और वह बन गयी ‘‘प्यार बिना चैन कहाँ रे!’’ का एक अंग। इस फिल्म में राखी ने एक विशेष गाना फिल्म के नायक पवन सिंह के साथ किया है, मगर लगता है आशा पारेख से प्रभावित राखी त्रिपाठी आनेवाले समय में भोजपुरी फिल्मों की रेखा-माधुरी (दीक्षित) है, इसे सच होने में अधिक समय नही लगेगा।
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