शनिवार, अप्रैल 17, 2010
प्रोडक्शन मैनेजर से डायरेक्टर तक का संघर्षमय सफर
यू.पी. के गोरखपुर से सम्बंध रखने वाले शाद कुमार ने आज भोजपुरी इन्डस्ट्री में एक मुकाम हासिल कर लिया है। शाद कुमार आज कई फिल्मों को डायरेक्ट कर रहे हैं। उनके डायरेक्शन में बन रही पहली भोजपुरी फिल्म ‘‘त्रिनेत्र’’ है। धर्मेश, विनय आनन्द, विजयलाल यादव, सीमा सिंह, सपना, पंकज केसरी जैसे कलाकारों से सजी इस फिल्म की चर्चा आजकल काफी है। फिल्म ‘‘त्रिनेत्र’’ से शाद कुमार ने पूरी इन्डस्ट्री में हलचल मचा दी है। इस फिल्म के गाने भी चर्चा में हैं। फिल्म की शूटिंग बहुत बड़े पैमाने पर की जा रही है। निर्देशक शाद कुमार ने जो अपने बारे में बताया वो बहुत ही दिलचस्प है।
सबसे पहले आप अपने बारे में बतायें ?
शाद- मैं गोरखपुर का रहने वाला हूँ। मैंने गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई पूरी की।
मुंबई आप कैसे आये और फिल्मों में किस तरह आना हुआ ?
शाद- मैं पढ़ाई के साथ-साथ कम्पाउन्डिंग भी गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में करता था। मेरा
और मेरे परिवारवालों का सपना था कि मैं डाॅक्टर बनूं और मैं पी.एम.टी. के इम्तिहान में भी बैठा था, मगर मेरा रिजल्ट खराब हो गया और मैं डर से भागकर मुंबई आ गया। यहाँ आकर मैं अपने कुछ गाँव वालों और पहचान वालों के पास रहने लगा। वो लोग फिल्मों से जुडे़ हुए थे। मुझे याद है पहली बार मैंने कमल मुकन्द की फिल्म ‘‘नर्गिस’’ में प्रोडक्शन मैनेजर का काम किया था। इसके बाद कई फिल्मों में मैंने प्रोडक्शन मैनेजर का काम किया, मगर मुझे ये काम पसंद नहीं था, क्योंकि इसमें मुझे झूठा काम करने को कहा जाता था, जो कि मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
शाद जी आपने निर्देशन की बागडोर कैसे संभाली ?
शाद- प्रोडक्शन मैनेजर होने से मेरी पहचान सभी लोगों से हो गई। मुझे कैमरामैन का काम पसंद आया। मैंने भी कैमरामैन बनने का फैसला कर लिया और फिर मैंने कैमरामैन के सहायक के रूप में करीब 35 फिल्में की, जो सभी हिन्दी फिल्में थी। किंतु मैंने सोचा कि कब तक दूसरों के लिए काम करता रहूंगा। मुझे डायरेक्टर बनने का तजुर्बा हो चुका था। इतने फिल्मों के कैमरामैन रहने से निर्देशन के प्वाइंट मुझे आ गये थे। मैंने एक फिल्म की थी ‘‘माटी के सौगन्ध’’। इस फिल्म में लीड रोल में धर्मेश थे। हमने उन्हीं से बात की, हमारे पास एक बेहतरीन स्क्रिप्ट है, जिस पर मिलकर फिल्म बनाई जा सकती है। वह तैयार हो गये और ‘‘त्रिनेत्र’’ का शुभारम्भ हुआ। इस प्रकार फिल्म की निर्देशन की बागडोर हमने संभाली।
‘‘त्रिनेत्र’’ की कहानी के बारे में कुछ बतायें ?
शाद- मेरी फिल्म ‘‘त्रिनेत्र’’ में सामाजिक भेदभाव को दिखाया गया है। इस फिल्म में दो संदेश हैं। एक तो आप बहू को बहू नहीं, बल्कि बेटी समझें, दूसरी बात भाभी और माँ की इज्जत तो लड़का शादी से पहले बहुत करता है, पर शादी के बाद बीवी की बातों में आकर वो इज्ज़त करना भूल जाता है। यही है कहानी ‘‘त्रिनेत्र’’ की। समाज में एकता को भी दर्शाती है फिल्म।
इस फिल्म के संगीत के बारे में कुछ बताइये ?
शाद- फिल्म ‘‘त्रिनेत्र’’ में कुल आठ गाने हैं। आठों गाने बहुत ही अच्छे हैं। प्रत्येक गाने को मैंने बहुत बडे-बड़े सेट लगाकर फिल्माये हैं। फिल्म में एक बेहतरीन मुजरा भी है, जो सपना और सीमा सिंह पर फिल्माया गया है।
आपकी यूनिट के सभी लोग खासकर तकनीशियन आपकी बहुत तारीफ करते हैं, इस पर आपका क्या कहना है ?
शाद- जब मैंने निर्देशन की कमान थामी, तब मुझे बहुत सपोर्ट मिला, क्योंकि मैं एक कैमरामैन अर्थात तकनीशियन से डायरेक्टर बनने वाला था और आज मेरा सभी के साथ अच्छा व्यवहार है। तकनीशियन की मैं ज़रूरत समझता हूँ, क्योंकि मैं भी कभी एक तकनीशियन था। इसी कारण मेरी यूनिट मुझे बहुत प्यार करती है और मैं भी इसे अपना परिवार मानता हूँ।
आपकी फिल्म ‘‘त्रिनेत्र’’ अब तक कितनी कम्पलीट हो चुकी है ? इसके अतिरिक्त और क्या कर रहे हैं।
शाद- मेरी फिल्म ‘‘त्रिनेत्र’’ 60 प्रतिशत पूरी हो चुकी है। इसके अतिरिक्त मैंने एक फिल्म (अनाम) का मुहूर्त किया और कई फिल्मों पर विचार-विमर्श हो रहा है।
भोजपुरी इण्डस्ट्री से जुडे़ कलाकारों को आपका कोई संदेश ?
शाद- मेहनत और ईमानदारी से अपना कार्य करना चाहिए। सफलता एक दिन आपके क़दमों में ज़रूर होगी और दर्शकों से कहना चाहूंगा कि फिल्म ‘‘त्रिनेत्र’’ ज़रूर देखें, क्योंकि इस फिल्म में हमने परिवार और समाज में घट रही दहेज की कुरीतियों से पर्दा उठाने के पूरी कोशिश की है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें