शुक्रवार, अप्रैल 30, 2010
एक साफ सुथरी फिल्म - लाट साहब
बहुत दिनो बाद एक साफ सुथरी फिल्म नजर आई है जिसे आप पूरे परिवार के साथ बैठ कर देख सकते हैं. एक युवा निर्माता रामकृष्ण प्रसाद ने भोजपुरी फिल्मों से अश्लीलता और गलत परंपराओं को बदलने की जिद्द ठाने यह फिल्म बनायी है. आजकल की भोजपुरी फिल्मों की चाल से उल्टा चलते हुये नये निर्माता रामकृष्ण प्रसाद की फिल्म लाट साहब में न तो अश्लील दृश्य हैं, न दुअर्थी संवाद. बिल्कुल गँवई पृष्ठभूमि में बनी इस फिल्म को पूरा परिवार एक साथ बैठ कर देख सकता है. बाकी फिल्मों की भेड़चाल को अनदेखा करते हुये निर्माता रामकृष्ण की जिद्द थी कि इस फिल्म में कोई आयटम सांग नहीं डाला जायेगा. और फिल्म बिना आयटम सांग के ही बनी है.
फिल्म का नायक एक बिगड़ैल शरारती युवक है जो अपनी शरारती आदतों के बावजूद गलत कामों से दूर रहता है. फिल्म में ग्रामीण जीवन के यथार्थ को बखूबी दिखलाया गया है. कहीं कोई बनावटीपन नहीं दिखता. यह नहीं लगता कि फिल्म का गाँव किसी शहर के स्टूडियो में बना कोई सेट है. फिल्म के चरित्र भी आम ग्रामीण हैं जो हमें अपने अगल बगल हमेशा मिल जायेगें. गाँव का आपसी भाईचारे के साथ गँवई अक्खड़पन भी बहुत बढ़िया ढंग से दिखलाया गया है. फिल्म की कहानी एक संवेदनशील मुद्दे को बहुत सहजता से फिल्मांकित करती है जिसमें अलग अलग धर्मो कें नायक नायिका प्रेमपाश में बँध जाते हैं और तमाम वर्जनाओं, विरोधों के बावजूद अपने प्यार पर अडिग रहते हैं. फिल्म कि कहानी किस तरह इस मुद्दे से निबटती है उसके लिये तो आपको फिल्म देखनी ही होगी. लाट साहब के सारे गाने बहुत ही बढ़िया लिखे गये हैं जो श्रोताओं की जुबान पर आसानि से चढ़ जायेगें और पूरा परिवार इन गानों का आनन्द उठायेगा एसा पक्का भरोसा है. इन सुमधुर गीतों के साथ संगीतकार अशोक कुमार दीप ने बेहतर न्याय किया है और शायद यह इस लिये भी संभव हो पाया है कि गीत भी उन्हींने लिखे हैं. फिल्म में रोमांस है तो ट्रेजडी भी, सहज कॉमेडी भी है तो स्वाभाविक दिखते फाइट सीन भी. फिल्म के मुख्य कलाकारों में राजीव दिनकर, रुबी सिंह, प्रिया शर्मा, अवधेश कुमार, विजया सिंह, अनुज तिवारी, संजय वर्मा, रोहित मटरू, कमलेश सिंह, संगीता सिन्हा, तथा विनोद मिश्रा हैं. पटकथा शशि रंजन द्विवेदी की है और नृत्य निर्देशन ज्ञान सिंह का.
निर्माता रामकृष्ण कुमार बिहार के पटना के रहने वाले हैं और यह उनकी पहली फिल्म है. इसकी अधिकतर शूटिंग हाजीपुर और आस पास के इलाकों में की गयी है. रामकृष्ण प्रसाद ने भोजपुरी फिल्मों के मौजूदा रीति रिवाजो को बदलने का बीड़ा उठाया है और बहुत हद तक वह इसमें सफल दिखते हैं. फिल्म को वह खुद रिलीज करने वाले हैं. फिल्म शीघ्र ही बिहार में रिलीज होने वाली है.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें