सोमवार, अप्रैल 30, 2012

जब मछुआरण बन मछुआरों की बस्ती पहुची भोजपुरिया हॉट केक



भोजपुरी फिल्मो की हॉट केक अंजना सिंह इन दिनों अक्सर मछुआरों की बस्ती में देखी जाती है वो भी अपने भाई रविंद्र संकरण  के साथ . अब आप सोच रहे होंगे यहाँ किस फिल्म की बात हो रही है ? दरअसल अंजना सिंह प्रसिद्द निर्माता आलोक कुमार व निर्देशक प्रेमांशु सिंह की फिल्म देवरा पे मनवा डोले में  एक  महत्वपूर्ण भूमिका में है.१०  मई को रिलीज़ हो रही इस फिल्म में उनका साथ दे रहे हैं खेसारी लाल व स्मृति सिन्हा . अंजना सिंह के अनुसार , देवरा पर मनवा डोले में उसकी भूमिका एक ऐसे  मछुआरण  की है जो याददाश्त खो चुके खेसारी लाल को अपना दिल दे बैठती है . फिल्म में कई मधुर गाने और रोमांटिक दृश्य अंजना सिंह और खेसारी लाल पर फिल्माए गए हैं. अंजना की भाई की भूमिका में रविंद्र संकरण है जो बिहार में आई पी एस हैं . अभिनय से लगाव के कारण उन्होंने दक्षिण भारतीय होने के वावजूद भोजपुरी फिल्म में अभिनय किया है. उल्लेखनीय है की अंजना सिंह की कई फिल्मे प्रदर्शन के लिए तैयार है जिनमे दिल ले गइल ओढनिया वाली, एक बिहारी सौ पे भारी, वर्दी वाला गुंडा , लावारिस, शामिल है इसके अलावा लगभग  आधा दर्जन फिल्मे पोस्ट प्रोडक्शन में है. मात्र एक साल पहले भोजपुरी फिल्म इंडसट्रीज़  में कदम रखने वाली अंजना आज ना सिर्फ दर्शको बल्कि निर्माता - निर्देशकों और फिल्म वितरको की भी पसंद बन चुकी है 

शनिवार, अप्रैल 21, 2012

मराठी फिल्म जगत ने दिया रवि किशन को सम्मान


अभिनय में दमखम हो तो भाषा या क्षेत्रवाद हावी नहीं होता , इसका ताजा उदहारण देखने को मिला मुंबई में जहां एक मराठी फिल्म के प्रीमियर में भोजपुरिया टाइगर रवि किशन को बतौर मुख्य अतिथि शामिल किया गया , यही नहीं वहाँ उनका पुरजोर सम्मान भी किया गया. उल्लेखनीय है मराठी फिल्म जगत अच्छी फिल्मो के निर्माण के लिए जानी ज़ाती है . भोजपुरी फिल्म जगत जहां राष्ट्रीय पुरस्कारों के कभी कभार ही अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है वहीँ मराठी फिल्मो की मौजूदगी वहाँ हर साल  रहती है . मुंबई के लोअर परेल स्थित पीवीआर में आयोजित मराठी फिल्म मसाला  के प्रीमियर में भी मराठी फिल्म जगत के कई जाने माने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक के अलावा अभिनेत्री रेवती, सोनाली कुलकर्णी, अमृता सुभाष, उमेश कुलकर्णी आदि भी मौजूद थे. मराठी फिल्म जगत से मिले इस सम्मान से अभिभूत रवि किशन ने मराठी में ही अपना संबोधन दिया . उन्होंने कहा की मराठी फिल्मो की तरह भोजपुरी फिल्मो को भी अपना एक  अच्छा दर्शक वर्ग तैयार करना चाहिए . उन्होंने कहा की  जिस तरह दयाल निहलानी ने भोजपुरी फिल्म का निर्देशन कर भोजपुरी फिल्मो की गरिमा को बढ़ाया है उसी तरह और भी अच्छे निर्देशकों को भोजपुरी में आना चाहिए जिससे भोजपुरी फिल्मो का स्तर बढे. बहरहाल , भोजपुरी के एक कलाकार का मराठी फिल्म जगत द्वारा सम्मान किये जाने से ना सिर्फ रवि किशन बल्कि भोजपुरी फिल्म जगत के लिए भी ख़ुशी की बात है.

अंजना सिंह का एक्शन

भोजपुरी फिल्मो की हॉट केक कही जाने वाली अभिनेत्री अंजना सिंह को अब तक दर्शको ने हीरो के साथ रोमांस करते और लटके झटके बिखेरते ही देखा है पर अब जल्द ही उन्हें अंजना सिंह के जोरदार एक्शन का भी दीदार होगा . निर्देशक बाली की फिल्म मर्द तांगेवाला में अंजना सिंह पुलिस इन्स्पेक्टर किरण की भूमिका में हैं जिनका आक्रोश  फ़िल्मी गुंडों पर कहर बनकर टूटता है. अपनी अदाकारी से कम समय में ही भोजपुरी फिल्म इंडसट्रीज़  में मुकम्मल स्थान पाने में सफल रही अंजना सिंह मर्द तांगेवाला में ना सिर्फ एक्शन बल्कि विराज भट्ट के साथ रोमांस करते भी नज़र आएगी . विराज भी इस फिल्म में पुलिस अधिकारी की भूमिका में हैं. अंजना सिंह के अनुसार , इस फिल्म में उनकी भूमिका इन्स्पेक्टर किरण नाम की एक पुलिस अधिकारी की है जो कानून के दुश्मनों का डट कर मुकाबला  करती है. यह पूछे जाने पर की क्या दर्शको का दिल लूटने वाली उनकी अदा इस फिल्म में नहीं है ? अंजना ने बताया की फिल्म में भले ही वो पुलिस अधिकारी बनी है पर उसे भी आम लड़की की तरह प्यार होता है इसीलिए उनकी हर अदा उनके प्यार के रूप में दर्शको के सामने होंगी. पिछले दिनों इस फिल्म की शूटिंग संपन्न हुई है. अंजना सिंह की प्रदर्शन के लिए तैयार फिल्मो में लावारिस, देवरा पर मनवा डोले, दिल ले गइल ओढनिया वाली, एक बिहारी सौ पे भारी, वर्दी वाला गुंडा आदि शामिल है 

दर्शको पर चला किसना और कजरी का जादू



 बिहार में सफल होने के बाद मुंबई में दर्शको ने भीड़ के साथ फिल्म- "किशना कईलस कमाल" देखा... इससे यह सिद्ध होता है कि "अगर अच्छी, साफ-सुथरी फिल्म बनाया जाय तो दर्शक पूरे परिवार के साथ फिल्म जरूर देखेंगे".  इस बात का ताज़ा उदाहरण यह फिल्म है. "किशना कईलस कमाल"
           यह फिल्म देखने के लिए मुंबई के सभी सिनेमाघरों में दर्शकों की अपार भीड़ जुटी रही. कई  सिनेमाघरों में तो इस  फ़िल्म  के  स्टार  नायक- किसना (विनय आनंद )  और नायिका कजरी  (गुंजन पन्त )   भी दर्शकों के साथ फ़िल्म देखा. और इनकी एक झलक पाने हेतु बेकरार होते रहे. कुल मिलाकर कहने की बात है कि "बहुत दिनों के बाद दर्शकों को  सम्पूर्ण पारिवारिक, साफ- सुथरी एवं फुल इंटरटेनमेंट फ़िल्म देखने का मौका मिला. इस फिल्म के निर्माता हैं- "लक्षमण आर० पाण्डेय " निर्देशक- "चुनमुन पंडित" हैं. नायक- "विनय आनंद" और नायिका- "गुंजन पन्त" हैं. अन्य मुख्य भूमिकाओं में हैं- प्रिया शर्मा, रीमा सिंह तथा राकेश पाण्डेय आदि हैं 

"गुंजन पन्त" की गूँज

कई सुपर हिट भोजपुरी फिल्मों की स्टार नायिका, मधुर मुस्कान की धनी, रूप-सौन्दर्य की मल्लिका, "गुंजन पन्त" नित नयी ऊँचाइयों को छू रही हैं. उनको "हैट्रिक फिल्मों की हिरोइन" कहा जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा. जी हाँ, नैनीताल की खूबसूरत वादियों की सुन्दरता को समेटे हुए माया नगरी मुंबई में भोजपुरी फिल्मों की सफल अभिनेत्री "गुंजन पन्त" का नाम अनायास ही हर किसी के जुबान पर आ ही जाता है. क्योंकि वह जितनी बेहतरीन अदाकारा हैं उससे कहीं ज्यादा उनका हँसमुख स्वाभाव लोगों को प्रभावित करता है. 'गुंजन पन्त' की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे हर सीन को सहज रूप कर लेती है. उनकी अभिनय कला व कातिल अदा के कायल निर्माता, निर्देशक ही नहीं दर्शक भी हो गये हैं. बात की जाय उनकी हैट्रिक फिल्मों की तो बिहार में अपार सफलता के बाद मुंबई में 20 अप्रैल को प्रदर्शित फिल्म "किशना कईलस कमाल" ( निर्माता- लक्षम्ण आर० पाण्डेय) भी सफल रही, क्योंकि दर्शकों का बहुत प्यार मिला. इस फिल्म के निर्देशक हैं - "चुनमुन पंडित", जिनके निर्देशन में उन्होंने "धूम मचईला राजा जी" (निर्माता- सूर्यकान्त निराला व सुरेश प्रसाद मरिक) की शूटिंग पूरी करने के बाद उन्हीं के निर्देशन में बनने जा रही फिल्म-"जान मारे ओढ़नियाँ तोहार" (निर्माता- सूर्यकान्त निराला ) का पिछले दिनों मुंबई के "स्वर लता स्टूडियो" में धूमधाम से मुहूर्त किया गया. इतना ही नहीं तीन फिल्मों ( निर्माता- जितेश दुबे की फिल्म- "बृजवा", निर्माता- राम मिश्रा की फिल्म- "मोरा बलमा छैल छबीला" तथा निर्माता- लक्षमण आर. पाण्डेय की फिल्म- "किशना कईलस कमाल" ) में स्टार नायक "विनय आनंद" के साथ में भी "गुंजन पन्त" ने हैट्रिक कर लिया है. साथ ही साथ चर्चित निर्माता- "जितेश दुबे" की तीन फिल्में - "मार देब गोली केहू न बोली" (हीरो- रवि किशन), "बृजवा" (हीरो- विनय आनंद ), एवं "यादव पान भंडार" (हीरो- मनोज तिवारी) कर चुकी हैं.
उनकी अन्य शीघ्र प्रदर्शित होने वाली फिल्में हैं- "राम लखन", "यादव पान भंडार",तथा "धूम मचईला राजा जी" इत्यादि के अलावा कई फिल्मों की शूटिंग जारी है. यही नहीं उन्होंने इसी सप्ताह एक फिल्म कोठा भी साइन की है

सोमवार, अप्रैल 16, 2012

Reema Singh Hot Chattisgardhi actress is now In Bhojpuri





Reema Singh - New Sensation Of Bhojpuri Cinema





एक सम्पूर्ण अदाकारा "रीमा सिंह"


भोजपुरी सिनेमा के "50 साल" के सुनहरे दौर का आकर्षण चारो तरफ फ़ैल रहा है, शायद यही वजह है कि आज भोजपुरी सिने जगत में हर भाषा के कलाकरों का पदार्पण हो रहा है. जी हाँ, छत्तीसगढ़ी फिल्मों की चर्चित अभिनेत्री "रीमा सिंह" ने भोजपुरी सिने जगत में कदम रख दिया है. छत्तीसगढ़ी भाषा की निर्माता- "राकी दासानी व प्रकाश अवस्थी" एवं निर्देशक - "सतीश जैन" की ( सिल्वर जुबली) फिल्म- "मया" से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली रीमा सिंह ने लगभग एक दर्जन फिल्मों बतौर नायिका काम कर चुकी हैं, भिलाई छत्तीसगढ़ में पली-बढ़ी रीमा सिंह छत्तीसगढ़ी भाषा के अलावा पैतृक गाँव महमदपुर, छपरा (बिहार) होने की वजह से भोजपुरी भी फर्राटेदार बोलती है, उनकी "राजीव दास" निर्देशित एवं "सुनील छैला बिहारी" अभिनीत भोजपुरी फिल्म- "छैलाबाबू तू कईसन दिलदार बाड़ा हो" पिछले साल प्रदर्शित हो चुकी है. जिसमें उन्होंने गाँव की नटखट, चुलबुली लड़की की भूमिका निभाया था. पहली बार भोजपुरी भाषा में अभिनय करना उन्हें बहुत अच्छा लगा था और अब लम्बे अन्तराल के बाद फिर से निर्माता- "अजेश मिश्रा" एवं निर्देशक - "कौशल किशोर" की फिल्म- "जख्मी औरत" के माध्यम से भोजपुरी सिनेमा में सक्रिय हो गयी है. इसके अलावा अन्य कई भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग शीघ्र ही शरू होने वाली है.

गुरुवार, अप्रैल 12, 2012

Siddanth Madhav about Film Ranveer

FIROZ KHAN about Film Ranveer

Krishna Dasari about film Ranveer

Ravi Kishan about his film Ranveer

Bhojpuri Hot Krisha Khandelwal about Ranveer

BRIJESH TRIPATHI ABOUT GOLA BAROOD

Ranveer Press Meet

बुधवार, अप्रैल 11, 2012

Ravi Kishan - King of Bhojpuri Cinema भोजपुरिया शहंशाह रवि किशन

भोजपुरी फिल्म इंडसट्रीज में दस साल का सफ़र

१९६२ में बिहार की राजधानी पटना में जब पहली भोजपुरी फिल्म का मुहूर्त हुआ था तब किसी ने सोचा तक नहीं था की एक छोटा सा पौधा कालान्तर में ऐसा वट वृक्ष बन जायेगा जिसकी छाव में लाखो लोग अपने परिवार के साथ जीवन यापन करेंगे . १९६२ से लेकर २००१ तक भोजपुरी फिल्मो का बनना जारी रहा . उस दौर में अच्छी अच्छी पारिवारिक फिल्मे बनी लेकिन दो बार ऐसा हुआ जब फिल्मो के निर्माण में लम्बा गैप आ गया. बीच बीच में इक्का दुक्का फिल्मे अपनी मौजूदगी दर्ज कराती रही . साल २००२ के अप्रैल माह में पहली भोजपुरी फिल्म का निर्माण करने वाले व्यवसायी विश्वनाथ शाहाबादी के भांजे मोहनजी प्रसाद ने हिन्दी फिल्मो में अच्छा ब्रेक पाने की तलाश में भटक रहे जौनपुर के एक छोरा रवि किशन को अपनी फिल्म सैयां हमार के लिए अनुबंधित किया और भोजपुरी के तीसरे दौर यानी की भोजपुरी फिल्म जगत नाम की एक फ़िल्म बनाकर भोजपुरी फ़िल्म जगत के अब तक के स्वर्णिम युग की शुरुवात की । कुछेक लाख में बनी इस फ़िल्म ने काफी अच्छा व्यवसाई किया, और यहीं से उदय हुआ एक नए कलाकार रवि किशन का और शुरू हुआ भोजपुरी फिल्म जगत के आज के दौर का सफ़र. मोहन जी प्रसाद और रवि किशन की जोड़ी ने लगातार चार हिट फिल्मे देकर भोजपुरी फिल्मो की दिशा ही बदल दी. फिर तो मानो बाढ़ सी आ गयी. कई नए निर्माता निर्देशकों ने इस फिल्म जगत की ओर रुख किया . आज अगर हर साल ५० से भी अधिक फिल्मे बन रही है तो उसका श्रेय जौनपुरिया छोरा रवि किशन को भी जाता है. १७ जुलाई १९७१ को जौनपुर के केराकत तहसील के एक छोटे से गाँव विसुई के पंडित श्याम नारायण शुक्ला व ज़डावती देवी के घर एक किलकारी गूंजी थी. वो किलकारी थी रविन्द्र नाथ शुक्ला यानी आज के रवि किशन की. बचपन से ही कलाकार प्रवृति के रवि का मन पढाई लिखाई में कम और नाचने और अभिनय में ज्यादा लगता था . मासूम सी सूरत वाले रवि उन दिनों अपने गाँव में प्रतिवर्ष होने वाले रामलीला में भाग लेने लगे वो भी सीता मैया के रोल में . मां की डांट और बाबूजी की पिटाई से भी रवि किशन अपने अभिनय का मोह छोड़ नहीं पाए और अंततः १९९० में वो मुंबई आ गए . उस समय मुंबई के बांद्रा के बाज़ार रोड में उनकी एक छोटी सी दूध की दूकान हुआ करती थी. रवि किशन ने भी दूकान संभालना शुरू कर दिया . लेकिन अभिनय रवि किशन के लिए एक जूनून था इसीलिए खाली वक़्त में फिल्म स्टूडियो के चक्कर लगाना जारी रखा.

संघर्ष यात्रा

एक छोटे से गाँव के कलाकार को आज के दौर में भले ही उतना संघर्ष ना करना पड़ता हो क्योंकि आज अपने अभिनय का हूनर दिखाने के लिए फिल्म के अलावा छोटा पर्दा भी मौजूद है. पर उस दौर में अभिनय का एक मात्र माध्यम सिनेमा ही था. जुनूनी रवि किशन ने हिम्मत नहीं हारी , इस स्टूडियो से उस स्टूडियो के चक्कर लगाना शुरू किया जिस भी निर्माता निर्देशक से मिलता वहाँ यही सुनना पड़ता की तुम मिथुन दा के डुप्लीकेट लगते हो. आखिरकार मेहनत रंग लायी और उधार की जिन्दगी में उन्हें पहला मौका मिला जीतेंद्र के साथ जिसमे काजोल मुख्य अभिनेत्री की भूमिका में थी. रवि किशन का पहला शोट जीतेंद्र के ही साथ था . डरे सहमे पर अंदर से कुछ कर गुजरने की तमन्ना दिल में रखे रवि ने अपना पहला शोट दिया . जीतेंद्र ने रवि किशन की तारिफ की तो उनका हौसला बढ़ गया. इस फिल्म के बाद रवि किशन को काम तो मिलना शुरू हो गया पर अपनी भूमिका से वो संतुष्ट नहीं थे. दस साल तक रवि किशन ने फिल्मो में अच्छी भूमिका के लिए संघर्ष जारी रखा . साल २००० में उन्हें छोटे परदे पर हवाएं और हेल्लो इन्स्पेक्टर नामक धारावाहिक में काम करने का मौका मिला . धारावाहिक ने उनकी आय तो बढ़ा दी पर बड़े परदे पर छाने की ललक कायम रही.

भोजपुरी का सफ़र

एक शूटिंग के दौरान रवि किशन की पहचान चरित्र अभिनेता ब्रिजेश त्रिपाठी से हुई थी. ब्रिजेश त्रिपाठी कई बड़ी हिंदी और भोजपुरी फिल्मो में काम कर चुके थे और भोजपुरी परिवेश की कई हिंदी फिल्म बना चुके निर्देशक मोहन जी प्रसाद के काफी करीबी थे. मोहन जी प्रसाद उन दिनों एक भोजपुरी फिल्म की योजना बना रहे थे और एक हीरो की तालाश में थे. उन्होंने हीरो तलाशने का जिम्मा उन्होंने ब्रिजेश त्रिपाठी को सौपा था. ब्रिजेश त्रिपाठी ने जब रवि किशन से भोजपुरी फिल्म में काम करने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने तुरत हाँ कर दी और उसी रात ११ बजे दोनों मोहन जी प्रसाद के बांद्रा स्थित आवास पहुचे . मोहन जी ने रवि किशन को देखते ही तुरत उन्हें सगुन के तौर पर ग्यारह हजार रूपये दिए. फिल्म की शूटिंग बिहार में हुई और फिल्म हिट रही . फिल्म में मिथुन दा भी अतिथि भूमिका में थे. इस फिल्म के बाद मोहन जी प्रसाद ने लगातार चार फिल्मे रवि किशन के साथ बनायीं और चारो हिट रही . उनकी चौथी फिल्म थी पंडित जी बतायीं ना बियाह कब होई जिसमे रवि किशन के साथ नगमा थी . इस फिल्म ने सफलता का इतिहास रच दिया . फिर तो अनेक निर्माता - निर्देशक भोजपुरी फिल्मो की ओर देखने लगे . मुंबई में मजदूरों की भाषा कही जाने वाली भोजपुरी को सम्मान दिलाने के लिए रवि किशन ने अथक प्रयास किया . सदी के महानायक अमिताभ बच्चन हो या शाहरुख खान रवि किशन ने सभी बड़े सितारे को किसी ना किसी मध्यम से उन्हें भोजपुरी के साथ जोड़ा . अमिताभ बच्चन ने तो भोजपुरी फिल्मो में पहले भी काम किया था जबकि शाहरुख़ खान दो बार रवि किशन की फिल्म के कार्यक्रम में आकर भोजपुरी को मिडिया में स्थान दिलाया. उस समय हिंदी के पत्र पत्रिका भी भोजपुरी से मूह फेरे हुए थे . रवि किशन ने अखबारों के दफ्तर में जा जा कर भोजपुरी की जम कर वकालत की . टीवी चैनलों ने भी उसे प्रमुखता से स्थान दिया और आज भोजपुरी फिल्म पुब्लिसिटी के मामले में भी अन्य रीजनल फिल्मो से पीछे नहीं है . भोजपुरी के इतिहास में दो बार ऐसा हुआ है जब फिल्मे बननी बंद हो गयी थी. रवि किशन को इसका एहसास था इसीलिए वो कोई मौका चूकना नहीं चाहते थे. रही सही कमी भोजपुरी की गायकों ने अभिनय के क्षेत्र में आकर पूरी कर दी. रवि किशन की कई फिल्मो की शूटिंग विदेश में हुई . उदित नारायण की रवि किशन अभिनीत फिल्म कब होई गवना हमार को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया. भोजपुरी की लोकप्रियता को देखते हुए भोजपुरी फिल्म अवार्ड की भी शुरुवात हुई .

बड़ी कंपनियों को लाने का श्रेय

रवि किशन ने कई बड़ी कंपनियों को भोजपुरी के क्षेत्र में लाया . इंडो अमेरिकन कंपनी पन फिल्म्स हो या भारत की महिंद्रा एंड महिंदा, या भी दक्षिण भारत की अल्टुरा फिल्म्स . पन फिल्म्स की पहली फिल्म जरा देब दुनिया तोहरा प्यार में को तो प्रतिष्ठित कांस फिल्म समारोह में इन्डियन फिल्म पवेलियन में प्रदर्शित करने का भी मौका मिला . महिंद्रा एंड महिंदा ने रवि किशन के साथ एक बड़े बजट की फिल्म हम बाहुबली का निर्माण किया . दिलीप कुमार ने जब फिल्म निर्माण में कदम रखा तो उन्होंने रवि किशन के साथ ही पहली भोजपुरी फिल्म बनायीं. जितने भी नामी गिरामी लोगो ने भोजपुरी फिल्म बनायीं , रवि किशन उसका हिस्सा रहे . फिलहाल तेलगु की सबसे बड़ी कंपनी ए.के. इंटरटेनमेंट व १४ रील फिल्म्स की सहयोगी कंपनी अल्टुरा फिल्म्स रवि किशन के साथ रणवीर नाम की एक फिल्म बना रही है. रवि किशन ने कई कोर्पोरेट कंपनियों को अपनी तरफ खिंचा और इस अवधारणा को जन्म दिया की अपने क्षत्र में वो हिंदी के किसी बड़े स्टार से कम नहीं है , तभी तो डाबर, थम्स अप, निहार तेल सहित २२ बड़ी कंपनियों ने उन्हें बिहार उत्तर प्रदेश के लिए अपना ब्रांड अम्बेसडर बना रखा है.

अवार्ड और सम्मान

भोजपुरी फिल्म जगत में एवार्ड या सम्मान की बात आती है तो रवि किशन के अलावा दूर दूर तक कोई नहीं टिकता . भोजपुरी फिल्मो के इस दशक के इतिहास में अब तक कुल नौ अवार्ड समारोह हुए हैं जिनमे ६ में नंबर वन का खिताब रवि किशन के ही नाम है, इसके अलावा, वो बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार, छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सहित कई सम्मानीय लोगो के हाथो पुरस्कृत हो चुके हैं. हाल ही में उन्हें भारतीय स्काउट एंड गाइड द्वारा उनके संस्थापक की याद में प्रतिवर्ष दिए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार से इस बार रवि किशन को ही नवाजा गया . यही नहीं प्रसिद्द फिल्म वितरण कंपनी एरोज़ ने भी रवि किशन की फिल्मो को ही विदेशो में प्रदर्शित करने का फैसला किया है और संतान नाम की एक फिल्म का प्रदर्शन भी हो चुका है .


हिंदी में भोजपुरी का चेहरा

हाल ही में हिंदी फिल्म एजेंट विनोद की समीक्षा में एक बड़े समीक्षक ने लिखा था की रवि किशन भले ही हिंदी सिनेमा में भोजपुरी का चेहरा कहे जाते हैं पर यह भी एक कटु सत्य है की वो आज हिंदी की बड़ी फिल्मो का अनिवार्य अंग बन गए हैं. यह बात पूरी तरह से रवि किशन पर लागू होती है . हिंदी के कई बड़े दिग्गज की हर फिल्म में रवि किशन के लिए रोल लिखा जाने लगा है. श्याम बेनेगल की वेलकम टू सज्जन पुर, वेल डन अब्बा और एक अनाम निर्माणाधीन फिल्म में रवि किशन काम कर रहे है. मणिरत्नम की रावण हो या सोहम शाह की लक रवि किशन ने अपने अभिनय से सबका दिल जीता है. आज रवि किशन के पास बड़े बैनर की एक दर्ज़न से भी अधिक हिंदी फिल्मे हैं जिनमे विक्रम भट्ट की डेंजरस इश्क, विनोद बच्चन की जिला गाज़ियाबाद, इशक, जीना है तो ठोक डाल, अष्टविनायक की दो अनाम फिल्मे आदि शामिल है.


वर्त्तमान दौर

वर्तमान दौर में भी रवि किशन अच्छे फिल्म मेकर की पहली पसंद है. दयाल निहलानी जैसे बड़े निर्देशक की पहली भोजपुरी फिल्म हो या दक्षिण के बड़े निर्माता की पहली भोजपुरी फिल्म रणवीर . रवि किशन के पास भोजपुरी फिल्मो की लम्बी कतारें हैं . बिना किसी ब्रेक के निरंतर शूटिंग में व्यस्त रहने वाले रवि किशन ना सिर्फ भोजपुरी और हिंदी बल्कि मराठी, बंगला और दक्षिण भारतीय फिल्मो में भी काम कर रहे हैं. किसी भी भोजपुरी अभिनेता के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि ही मानी जाएगी की उनकी हिंदी फिल्म में उनके छोटे से रोल को देखकर भी आमिर खान और शाहरुख खान जैसे बड़े अभिनेताओं ने उन्हें बधाई दी. दिलीप कुमार से लेकर आज के दौर के सभी बड़े सितारों के साथ काम कर चुके रविकिशन जल्द ही आमिर खान की होम प्रोडक्शन की एक फिल्म में भी दिखने वाले हैं.

कुल मिला कर यही कहा जा सकता है की रवि किशन ने अपने अभिनय का लोहा तो मनवाया ही है , उनके प्रयास से ही आज भोजपुरी फिल्मो ने अपना दायरा बिहार उत्तर प्रदेश की सीमा को लांघ कर देश विशेष में भी फ़ैल गया है.

भोजपुरिया शहंशाह रवि किशन - भोजपुरी फिल्म इंडसट्रीज में दस साल का सफ़र

१९६२ में बिहार की राजधानी पटना में जब पहली भोजपुरी फिल्म का मुहूर्त हुआ था तब किसी ने सोचा तक नहीं था की एक छोटा सा पौधा कालान्तर में ऐसा वट वृक्ष बन जायेगा जिसकी छाव में लाखो लोग अपने परिवार के साथ जीवन यापन करेंगे . १९६२ से लेकर २००१ तक भोजपुरी फिल्मो का बनना जारी रहा . उस दौर में अच्छी अच्छी पारिवारिक फिल्मे बनी लेकिन दो बार ऐसा हुआ जब फिल्मो के निर्माण में लम्बा गैप आ गया. बीच बीच में इक्का दुक्का फिल्मे अपनी मौजूदगी दर्ज कराती रही . साल २००2 में विश्वनाथ शाहाबादी के भांजे मोहनजी प्रसाद ने हिन्दी फिल्मो में अच्छा ब्रेक पाने की तलाश में भटक रहे जौनपुर के एक छोरा को लेकर सैयां हमार नाम की एक फ़िल्म बनाकर भोजपुरी फ़िल्म जगत के अब तक के स्वर्णिम युग की शुरुवात की । कुछेक लाख में बनी इस फ़िल्म ने काफी अच्छा व्यवसाई किया।
और यहीं से उदय हुआ एक नए कलाकार रवि किशन व भोजपुरी फिल्म जगत के आज के दौर का सफ़र. मोहन जी प्रसाद और रवि किशन की जोड़ी ने लगातार चार हिट फिल्मे देकर भोजपुरी फिल्मो की दिशा ही बदल दी. फिर तो मानो बाढ़ सी आ गयी. कई नए निर्माता निर्देशकों ने इस फिल्म जगत की ओर रुख किया .
आज अगर हर साल ५० से भी अधिक फिल्मे बन रही है तो उसका श्रेय जौनपुरिया छोरा रवि किशन को भी जाता है. १७ जुलाई १९७१ को जूनपुर के कराकर तहसील के एक छोटे से गाँव के पंडित श्याम नारायण शुक्ला व ज़डावती देवी के घर एक किलकारी गूंजी थी. वो किलकारी थी रविन्द्र नाथ शुक्ला यानी आज के रवि किशन की. बचपन से ही कलाकार प्रवृति के रवि का मन पढाई लिखाई में कम और नाचने और अभिनय में ज्यादा लगता था . मासूम सी सूरत वाले रवि उन दिनों अपने गाँव में प्रतिवर्ष होने वाले रामलीला में भाग लेने लगे वो भी सीता मैया के रोल में . मां की डांट और बाबूजी की पिटाई से भी रवि किशन अपने अभिनय का मोह छोड़ नहीं पाए और अंततः १९९० में वो मुंबई आ गए . उस समय मुंबई के बांद्र के बाज़ार रोड में उनकी एक छोटी सी दूध की दूकान हुआ करती थी. रवि किशन ने भी दूध बेचना शुरू कर दिया और फिल्म स्टूडियो के चक्कर लगाना शुरू कर दिया.
संघर्ष यात्रा
एक छोटे से गाँव के कलाकार को आज के दौर में भले ही उतना संघर्ष ना करना पड़ता हो क्योंकि आज अपने अभिनय का हूनर दिखाने के लिए फिल्म के अलावा छोटा पर्दा भी मौजूद है. पर उस दौर में अभिनय का एक मात्र मध्यम सिनेमा ही था. जुनूनी रवि किशन ने हिम्मत नहीं हारी , इस स्टूडियो से उस स्टूडियो के चक्कर लगाना शुरू किया जिस भी निर्माता निर्देशक से मिलता वहाँ यही सुनना पड़ता की तुम मिथुन दा के डुप्लीकेट लगते हो. आखिरकार मेहनत रंग लायी और उधार की जिन्दगी में उन्हें पहला मौका मिला जीतेंद्र के साथ जिसमे काजोल मुख्य अभिनेत्री की भूमिका में थी. रवि किशन का पहला शोट जीतेंद्र के ही साथ था . डरे सहमे पर अंदर से कुछ कर गुजरने की तमन्ना दिल में रखे रवि ने अपना पहला शोट दिया . जीतेंद्र ने रवि किशन की तारिफ की तो उनका हौसला बढ़ गया. इस फिल्म के बाद रवि किशन को काम तो मिलना शुरू हो गया पर अपनी भूमिका से वो संतुष्ट नहीं थे. दस साल तक रवि किशन ने फिल्मो में अच्छी भूमिका के लिए संघर्ष जारी रखा . साल २००० में उन्हें छोटे परदे पर हवाएं और हेल्लो इन्स्पेक्टर नामक धारावाहिक में काम करने का मौका मिला . धारावाहिक ने उनकी आय तो बढ़ा दी पर बड़े परदे पर छाने की ललक कायम रही.
भोजपुरी का सफ़र
एक शूटिंग के दौरान रवि किशन की पहचान चरित्र अभिनेता ब्रिजेश त्रिपाठी से हुई थी. ब्रिजेश त्रिपाठी कई बड़ी हिंदी और भोजपुरी फिल्मो में काम कर चुके थे और भोजपुरी परिवेश की कई हिंदी फिल्म बना चुके निर्देशक मोहन जी प्रसाद के काफी करीबी थे. मोहन जी प्रसाद उन दिनों एक भोजपुरी फिल्म की योजना बना रहे थे और एक हीरो की तालाश में थे. उन्होंने हीरो तलाशने का जिम्मा उन्होंने ब्रिजेश त्रिपाठी को सौपा था. ब्रिजेश त्रिपाठी ने जब रवि किशन से भोजपुरी फिल्म में काम करने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने तुरत हाँ कर दी और उसी रात ११ बजे दोनों मोहन जी प्रसाद के बांद्रा स्थित आवास पहुचे . मोहन जी ने रवि किशन को देखते ही तुरत उन्हें सगुन के तौर पर ग्यारह हजार रूपये दिए. फिल्म की शूटिंग बिहार में हुई और फिल्म हिट रही . फिल्म में मिथुन दा भी अतिथि भूमिका में थे. इस फिल्म के बाद मोहन जी प्रसाद ने लगातार चार फिल्मे रवि किशन के साथ बनायीं और चारो हिट रही . उनकी चौथी फिल्म थी पंडित जी बतायीं ना बियाह कब होई जिसमे रवि किशन के साथ नगमा थी . इस फिल्म ने सफलता का इतिहास रच दिया . फिर तो अनेक निर्माता - निर्देशक भोजपुरी फिल्मो की ओर देखने लगे . मुंबई में मजदूरों की भाषा कही जाने वाली भोजपुरी को सम्मान दिलाने के लिए रवि किशन ने अथक प्रयास किया . सदी के महानायक अमिताभ बच्चन हो या शाहरुख खान रवि किशन ने सभी बड़े सितारे को किसी ना किसी मध्यम से उन्हें भोजपुरी के साथ जोड़ा . अमिताभ बच्चन ने तो भोजपुरी फिल्मो में पहले भी काम किया था जबकि शाहरुख़ खान दो बार रवि किशन की फिल्म के कार्यक्रम में आकर भोजपुरी को मिडिया में स्थान दिलाया. उस समय हिंदी के पत्र पत्रिका भी भोजपुरी से मूह फेरे हुए थे . रवि किशन ने अखबारों के दफ्तर में जा जा कर भोजपुरी की जम कर वकालत की . टीवी चैनलों ने भी उसे प्रमुखता से स्थान दिया और आज भोजपुरी फिल्म पुब्लिसिटी के मामले में भी अन्य रीजनल फिल्मो से पीछे नहीं है . भोजपुरी के इतिहास में दो बार ऐसा हुआ है जब फिल्मे बननी बंद हो गयी थी. रवि किशन को इसका एहसास था इसीलिए वो कोई मौका चूकना नहीं चाहते थे. रही सही कमी भोजपुरी की गायकों ने अभिनय के क्षेत्र में आकर पूरी कर दी. रवि किशन की कई फिल्मो की शूटिंग विदेश में हुई . उदित नारायण की रवि किशन अभिनीत फिल्म कब होई गवना हमार को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया. भोजपुरी की लोकप्रियता को देखते हुए भोजपुरी फिल्म अवार्ड की भी शुरुवात हुई .
बड़ी कंपनियों को लाने का श्रेय
रवि किशन ने कई बड़ी कंपनियों को भोजपुरी के क्षेत्र में लाया . इंडो अमेरिकन कंपनी पन फिल्म्स हो या भारत की महिंद्रा एंड महिंदा, या भी दक्षिण भारत की अल्टुरा फिल्म्स . पन फिल्म्स की पहली फिल्म जरा देब दुनिया तोहरा प्यार में को तो प्रतिष्ठित कांस फिल्म समारोह में इन्डियन फिल्म पवेलियन में प्रदर्शित करने का भी मौका मिला . महिंद्रा एंड महिंदा ने रवि किशन के साथ एक बड़े बजट की फिल्म हम बाहुबली का निर्माण किया . दिलीप कुमार ने जब फिल्म निर्माण में कदम रखा तो उन्होंने रवि किशन के साथ ही पहली भोजपुरी फिल्म बनायीं. जितने भी नामी गिरामी लोगो ने भोजपुरी फिल्म बनायीं , रवि किशन उसका हिस्सा रहे . फिलहाल तेलगु की सबसे बड़ी कंपनी ए.के. इंटरटेनमेंट व १४ रील फिल्म्स की सहयोगी कंपनी अल्टुरा फिल्म्स रवि किशन के साथ रणवीर नाम की एक फिल्म बना रही है. रवि किशन ने कई कोर्पोरेट कंपनियों को अपनी तरफ खिंचा और इस अवधारणा को जन्म दिया की अपने क्षत्र में वो हिंदी के किसी बड़े स्टार से कम नहीं है , तभी तो डाबर, थम्स अप, निहार तेल सहित २२ बड़ी कंपनियों ने उन्हें बिहार उत्तर प्रदेश के लिए अपना ब्रांड अम्बेसडर बना रखा है.
अवार्ड और सम्मान
भोजपुरी फिल्म जगत में एवार्ड या सम्मान की बात आती है तो रवि किशन के अलावा दूर दूर तक कोई नहीं टिकता . भोजपुरी फिल्मो के इस दशक के इतिहास में अब तक कुल नौ अवार्ड समारोह हुए हैं जिनमे ६ में नंबर वन का खिताब रवि किशन के ही नाम है, इसके अलावा, वो बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार, छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सहित कई सम्मानीय लोगो के हाथो पुरस्कृत हो चुके हैं. हाल ही में उन्हें भारतीय स्काउट एंड गाइड द्वारा उनके संस्थापक की याद में प्रतिवर्ष दिए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार से इस बार रवि किशन को ही नवाजा गया . यही नहीं प्रसिद्द फिल्म वितरण कंपनी एरोज़ ने भी रवि किशन की फिल्मो को ही विदेशो में प्रदर्शित करने का फैसला किया है और संतान नाम की एक फिल्म का प्रदर्शन भी हो चुका है .
हिंदी में भोजपुरी का चेहरा
हाल ही में हिंदी फिल्म एजेंट विनोद की समीक्षा में एक बड़े समीक्षक ने लिखा था की रवि किशन भले ही हिंदी सिनेमा में भोजपुरी का चेहरा कहे जाते हैं पर यह भी एक कटु सत्य है की वो आज हिंदी की बड़ी फिल्मो का अनिवार्य अंग बन गए हैं. यह बात पूरी तरह से रवि किशन पर लागू होती है . हिंदी के कई बड़े दिग्गज की हर फिल्म में रवि किशन के लिए रोल लिखा जाने लगा है. श्याम बेनेगल की वेलकम टू सज्जन पुर, वेल डन अब्बा और एक अनाम निर्माणाधीन फिल्म में रवि किशन काम कर रहे है. मणिरत्नम की रावण हो या सोहम शाह की लक रवि किशन ने अपने अभिनय से सबका दिल जीता है. आज रवि किशन के पास बड़े बैनर की एक दर्ज़न से भी अधिक हिंदी फिल्मे हैं जिनमे विक्रम भट्ट की डेंजरस इश्क, विनोद बच्चन की जिला गाज़ियाबाद, इशक, जीना है तो ठोक डाल, अष्टविनायक की दो अनाम फिल्मे आदि शामिल है.
वर्त्तमान दौर
वर्तमान दौर में भी रवि किशन अच्छे फिल्म मेकर की पहली पसंद है. दयाल निहलानी जैसे बड़े निर्देशक की पहली भोजपुरी फिल्म हो या दक्षिण के बड़े निर्माता की पहली भोजपुरी फिल्म रणवीर . रवि किशन के पास भोजपुरी फिल्मो की लम्बी कतारें हैं . बिना किसी ब्रेक के निरंतर शूटिंग में व्यस्त रहने वाले रवि किशन ना सिर्फ भोजपुरी और हिंदी बल्कि मराठी, बंगला और दक्षिण भारतीय फिल्मो में भी काम कर रहे हैं. किसी भी भोजपुरी अभिनेता के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि ही मानी जाएगी की उनकी हिंदी फिल्म में उनके छोटे से रोल को देखकर भी आमिर खान और शाहरुख खान जैसे बड़े अभिनेताओं ने उन्हें बधाई दी. दिलीप कुमार से लेकर आज के दौर के सभी बड़े सितारों के साथ काम कर चुके रविकिशन जल्द ही आमिर खान की होम प्रोडक्शन की एक फिल्म में भी दिखने वाले हैं.
कुल मिला कर यही कहा जा सकता है की रवि किशन ने अपने अभिनय का लोहा तो मनवाया ही है , उनके प्रयास से ही आज भोजपुरी फिल्मो ने अपना दायरा बिहार उत्तर प्रदेश की सीमा को लांघ कर देश विशेष में भी फ़ैल गया है.

रविवार, अप्रैल 08, 2012

रणवीर का फर्स्ट लुक जारी


तेलगु फिल्म उद्ध्योग की नामी फिल्म निर्माण कंपनी ए.के.इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड व 1४ रील्स इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की सहयोगी कंपनी अल्टुरा फिल्म्स की पहली फिल्म रणवीर का फर्स्ट लुक मुंबई में जारी किया गया. निर्माता अनिल सुन्करना व मनीषा कृष्णा की इस फिल्म के निर्देशक है फ़िरोज़ खान . फिल्म में रवि किशन काजल राघानी, कृषा खंडेलवाल, इशा खान, ब्रिजेश त्रिपाठी, जी.रवि कुमार, गौरी शंकर, हितेन पाण्डे, हैरी जोश, अभिलाषा, सुनीता शर्मा, फ़रीन शेख, अमोल चोगले, शीतल, मेरी आदि महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. शनिवार को इस फिल्म का फर्स्ट लुक मिडिया व कलाकारों के समक्ष जारी किया गया. इस मौके पर रवि किशन, कृशा खंडेलवाल, ब्रिजेश त्रिपाठी, कृष्णा जबरदस्त एक्शन, इमोशन व मधुर संगीत वाली इस फिल्म के बारे में रवि किशन ने बताया की दक्षिण भारत की सभी अच्छी तकनीक को इस फिल्म में शामिल किया गया है. उन्होंने निर्देशक फ़िरोज़ शेख व अल्टुरा फिल्म्स की तारिफ करते हुए कहा की उन्होंने निर्माण में किसी भी चीज़ से कोई समझौता नहीं किया है. . निर्मात्री मनीषा कृष्णा के अनुसार भोजपुरी में धारणा है यहाँ दक्षिण भारतीय निर्माता सिर्फ रीमेक ही बनाते हैं पर उनकी कंपनी हमेशा नयी कहानियों को ही लेकर फिल्मे बनाती आई है और यह फिल्म भी एक अच्छी कहानी पर केन्द्रित है . उन्होंने बताया की यह एक बड़े बजट की भोजपुरी फिल्म है और इसके लिए पनवेल में बड़े सेट्स लगाए गए थे . यह फिल्म पारिवारिक ताना बाना के बीच जोरदार एक्शन के लिए जानी जाएगी. फिल्म के एक्शन को भव्य बनाने के लिए हिंदी फिल्म जगत के मशहूर एक्शन निर्देशक कौशल मोजिस का सहयोग लिया गया है .फिल्म १८ मई को रिलीज़ हो रही है .

Ravi Kishan donates money to film technician's family


Just recently after an accident took place on the sets of Son Of Sardar, another unfortunate incident occurred, this time on the sets of a Ravi Kissen starrer.
On the sets of the Ravi Kissen starrer Jeena Hai Toh Thok Daal at Madh Island, a technician named Tarun Payra died after losing his balance off a 20-feet high platform and fell on his head to the ground. He immediately was rushed to the Bhagwati Hospital, where he was declared dead on arrival. Payra, who hailed from Kolkata, was also a member of the Shiv Sena's cine wing 'Chitrapat Sena Shakha'. Sangram Shirke, Shakha's President said that they, after having completed all police formalities, have arranged to send Payra's body to Kolkata.
Meanwhile, while Ravi Kissen has agreed to provide a sum of Rs 1 lakh to the (late) Tarun's family, the producers of the film have contributed Rs. 2.5 lakh as compensation towards the same.

शुक्रवार, अप्रैल 06, 2012

चोकलेटी स्टार बना ही मैन



भोजपुरी के सुप्रसिद्ध गायक व सुपर स्टार पवन सिंह की छवि सामने आते ही दर्शको के जेहन में मासूम सा चेहरा घूम जाता है जो अभिनेत्रियों के साथ  इश्क फरमाते और जरुरत पड़ने पर गुंडों को सबक सिखाते नजर आते हैं , लेकिन पवन सिंह अब मासूमियत के साथ साथ  अब नए रूप में भी परदे पर नज़र आने वाले हैं. जी हाँ चोलेती बॉय अब ही मैन के रूप में सन्नी देओल के अंदाज़  में अपने ढाई किलो के हाथ से दुश्मनों के छक्के छुडाते  दिखेंगे .  पवन सिंह ने उस कारनामे को अंजाम देने के लिए अपने आप को बहुत तपाया और जिम में पसीना बहाया है. बचपन से ही अभिनेता सन्नी देओल के फैन रहे पवन सिंह बताते हैं की जब भी वो परदे पर सन्नी देओल को देखते थे तब उन्हें ख्याल आता था की वह भी उसी अंदाज़ में गुंडों को मारे, लेकिन गायिकी में मिली लोकप्रियता और फिल्मो में मिली सफलता से वो इतना व्यस्त हो गए और  निर्देशकों ने  उनके चेहरे को देखते हुए उन्हें रोमांटिक रोल देना शुरू कर दिया . उन फिल्मो में भी उन्होंने जबरदस्त एक्शन किया लेकिन अब अवसर आया है अपने रोल मॉडल सन्नी देओल के अंदाज़ को परदे पर उतारने का. उल्लेखनीय है की पवन सिंह मिथिला टाकिज की राजू निर्देशित राखेला शान भोजपुरिया जवान, रवि भूषण की आंधी तूफ़ान सहित लगभग  आधा दर्जन नयी फिल्मो में रोमांस के साथ जबरदस्त एक्शन भी करते दिखने वाले हैं. बहरहाल , भोजपुरी फिल्म इंडसट्रीज  में ही मैन की कमी को पवन सिंह ने पूरा कर दिया है. 

गोला बारूद के प्रोमोशनल सोंग में अंजना सिंह


भोजपुरी फिल्मो की हॉट केक अंजना सिंह व प्रसिद्द अभिनेता ब्रिजेश त्रिपाठी, भोजपुरिया खलनायकी के सिरमौर अवधेश मिश्रा, कोमेडी किंग मनोज टाइगर पर ग्रीन चिल्ली फिल्म्स एंड मिडिया प्राइवेट लिमिटेड की फिल्म गोला बारूद का प्रोमोशनल सोंग मुंबई के रसियन विला में शूट किया गया.  पीछा करके हमार लोगवा चुम्मा माँगा ता .. बोल वाले इस गाने को भोजपुरी की इन प्रसिद्द सितारों को डांस मास्टर रिक्की गुप्ता ने दो दर्ज़न डांसरो के साथ फिल्माया .  यही नहीं इस गाने को बड़े कैनवास पर ले जाने के उद्देश्य से इस गाने के लिए भोजपुरी के नंबर वन निर्देशक राज कुमार आर.पाण्डेय और कैमरामेन से निर्देशक बने फ़िरोज़ खान का सहयोग लिया गया. प्रसिद्द वितरक प्रदीप सिंह व पी.जे फिल्म्स एंड मुजिक के हरीश जायसवाल ने बताया की अंजना सिंह पर प्रोमोशनल सोंग फिल्माने का उद्देश्य फिल्म के स्तर को और उंचा उठाना है क्योंकि अंजना सिंह आज की व्यस्ततम अदाकारा है , इसके अलावा भोजपुरिया दिग्गजों की मौजूदगी से गाने की शोभा और बढ़ गयी है. अंजना सिंह के अनुसार, जब उन्हें यह प्रस्ताव आया तो उन्होंने एक पल की देरी किये बिना हाँ कर दी क्योंकि भोजपुरी में प्रोमोशनल सोंग का चलन अभी शुरू नहीं हुआ है. 

मंगलवार, अप्रैल 03, 2012

गंगा निर्मलता अभियान को रवि किशन का समर्थन


गंगा सिर्फ नदी नहीं वरन संस्कार है - रवि किशन

भोजपुरिया टाइगर रवि किशन ने गंगा की अविरलता निर्मलता के अभियान को अपना समर्थन देते हुए हर संभव मदद देने की बात है . बनारस में उन्होंने इसकी शुरुवात भी कर दी. रवि किशन बनारस में फिल्म मोहल्ला अस्सी की शूटिंग कर रहे थे .अस्सी घाट पर गूंजते गीत 'गंगा रे जरा ठहर यहां, क्यों कन्नी काट के जाती हो.' पर कलाकारों का भाव काशीवासियों को रिझा गया। साथ ही फिल्म यूनिट से जुड़े सभी सदस्यों के सीने पर चस्पा गंगा रक्षा से जुड़े स्टीकरों ने भी दिल से दिल के तार मजबूती से जोड़ दिए। यह भी जता दिया गंगा की किसी एक की नहीं सबकी मां है, उनकी रक्षा को हर किसी को खेवइया बनना होगा। रविकिशन ने कहा कि गंगा सिर्फ नदी नहीं वरन संस्कार है, जो हर भारतवासी में आकार लेती है। उसके बाधित या प्रदूषित होने का असर जनमानस पर भी पड़ेगा। उन्होंने गंगा की अविरलता व निर्मलीकरण से जुड़े हर अभियान में जी जान से जुटने का आह्वान किया। बनारस में मौजूद अभिनेता सन्नी देओल ने भी अपना समर्थन देने की बात कही है . उन्होंने अपनी भावनाएं जाहिर कीं उन्होंने कहा की काशी और गंगा से पुराना नाता है। यहां पहले भी आ चुका हूं, मोहल्ला अस्सी से जुड़ने के पीछे यही लगाव कारण बना। गंगा की रक्षा से जुड़े हर कार्य में सभी को जी जान से जुटना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि सभी गंगा की स्वच्छता को जतन कर अपनी जिम्मेदारी निभाएं। सन्नी का मानना है कि काशी का अंदाज निराला है, ऐसा कहीं और नहीं देखा जा सकता। यह सब गंगा की ही देन है.