पटना, संवाददाता : प्रख्यात रंगकर्मी एवं सिने कलाकार प्यारे मोहन सहाय नहीं रहे। उनका निधन सोमवार की देर शाम मगध हास्पिटल के आईसीयू यूनिट में हो गया। वे 80 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को किया g जाएगा। उनके निधन की खबर से बिहार के समस्त सिने कलाकारों, रंगकर्मियों और संस्कृतिकर्मियों में शोक की लहर दौड़ गई है। राजधानी के कई रंगकर्मी और कलाकार मगध हास्पिटल पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। 13 मई,1929 को मुजफ्फरपुर में जन्मे प्यारे मोहन सहाय ने दूरदर्शन से प्रसारित लोकप्रिय सीरियल में बजरंगी लाल की मुख्य भूमिका में सहज अभिनय से छोटे पर्दे के दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया था और ढेरों प्रशंसा बटोरी थी। वे अपने पीछे धर्मपत्नी मिथिलेश सहाय, पुत्र बसंत कुमार और गिरीश कुमार, पुत्री राधा सिन्हा, लक्ष्मी सिन्हा, नीलम सिन्हा और रूपम सिन्हा समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गए। सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित एवं प्रकाश झा निर्देशित दामूल और गिरीश रंजन निर्देशित कल हमारा है में मुख्य खलनायक की सशक्त भूमिका निभाने की वजह से प्यारे मोहन सहाय को देशभर में अपार शोहरत मिली थी। हालांकि एक सशक्त कलाकार के रूप में उन्होंने भ्रष्टाचार, रणभूमि और मृत्युदंड समेत तीन दर्जन से अधिक हिन्दी एवं क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों में अमिट छाप छोड़ी। भारतीय रंगमंच के उन्नयन के लिए जब नेशनल स्कूल आफ ड्रामा (एनएसडी) की स्थापना हुई तो उसके पहले बैच (वर्ष 1959-61) के छात्र बनने का गौरव भी प्यारे मोहन सहाय की वजह से बिहार को प्राप्त हुआ। तब 1961 में एनएसडी ने इन्हें बेस्ट एक्टर का किलोस्कर एवार्ड से सम्मानित किया था। मगध हास्पिटल में प्यारे मोहन सहाय के छोटे पुत्र गिरीश कुमार ने बताया, 21 जनवरी को पेशाब में रुकावट की शिकायत आने पर पापा को भर्त्ती कराया था, किंतु 22 जनवरी को उन्हें हार्ट अटैक आया और फिर 26 जनवरी को दोबारा हर्ट अटैक आने पर वे अचेतावस्था में चले गए। सोमवार की शाम में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा।
मंगलवार, फ़रवरी 02, 2010
प्यारे मोहन सहाय का निधन
पटना, संवाददाता : प्रख्यात रंगकर्मी एवं सिने कलाकार प्यारे मोहन सहाय नहीं रहे। उनका निधन सोमवार की देर शाम मगध हास्पिटल के आईसीयू यूनिट में हो गया। वे 80 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को किया g जाएगा। उनके निधन की खबर से बिहार के समस्त सिने कलाकारों, रंगकर्मियों और संस्कृतिकर्मियों में शोक की लहर दौड़ गई है। राजधानी के कई रंगकर्मी और कलाकार मगध हास्पिटल पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। 13 मई,1929 को मुजफ्फरपुर में जन्मे प्यारे मोहन सहाय ने दूरदर्शन से प्रसारित लोकप्रिय सीरियल में बजरंगी लाल की मुख्य भूमिका में सहज अभिनय से छोटे पर्दे के दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया था और ढेरों प्रशंसा बटोरी थी। वे अपने पीछे धर्मपत्नी मिथिलेश सहाय, पुत्र बसंत कुमार और गिरीश कुमार, पुत्री राधा सिन्हा, लक्ष्मी सिन्हा, नीलम सिन्हा और रूपम सिन्हा समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गए। सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित एवं प्रकाश झा निर्देशित दामूल और गिरीश रंजन निर्देशित कल हमारा है में मुख्य खलनायक की सशक्त भूमिका निभाने की वजह से प्यारे मोहन सहाय को देशभर में अपार शोहरत मिली थी। हालांकि एक सशक्त कलाकार के रूप में उन्होंने भ्रष्टाचार, रणभूमि और मृत्युदंड समेत तीन दर्जन से अधिक हिन्दी एवं क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों में अमिट छाप छोड़ी। भारतीय रंगमंच के उन्नयन के लिए जब नेशनल स्कूल आफ ड्रामा (एनएसडी) की स्थापना हुई तो उसके पहले बैच (वर्ष 1959-61) के छात्र बनने का गौरव भी प्यारे मोहन सहाय की वजह से बिहार को प्राप्त हुआ। तब 1961 में एनएसडी ने इन्हें बेस्ट एक्टर का किलोस्कर एवार्ड से सम्मानित किया था। मगध हास्पिटल में प्यारे मोहन सहाय के छोटे पुत्र गिरीश कुमार ने बताया, 21 जनवरी को पेशाब में रुकावट की शिकायत आने पर पापा को भर्त्ती कराया था, किंतु 22 जनवरी को उन्हें हार्ट अटैक आया और फिर 26 जनवरी को दोबारा हर्ट अटैक आने पर वे अचेतावस्था में चले गए। सोमवार की शाम में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा।
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