सोमवार, सितंबर 28, 2009

अपना रास्ता ख़ुद तय करने में भरोसा - सुशील सिंह



भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में अगर अगर अभिनेताओ की बात की जाए तो ऐसे कम ही अभिनेता हैं जिनकी पहचान उनके अभिनय से होती है। सुशील सिंह उन्ही अभिनेताओ में से एक हैं। इ टीवी द्बारा सर्वाधिक लोकप्रिय खलनायक का पुरस्कार पा चुके सुशील सिंह नें खलनायकी को अलविदा कर नायकी के क्षेत्र में कदम रख दिया है। भोजपुरी की अब तक की सबसे चर्चित फ़िल्म मुन्ना बजरंगी के मुन्ना खान का एक नया अंदाज़ अब जल्द ही देखने को मिलेगा फ़िल्म हम हैं मुन्ना भैया में। भोजपुरी फ़िल्म जगत में एक्शन की नई परिभाषा गढ़ने जा रही इस फ़िल्म के एक खतरनाक दृश्य फिल्माए जाने के बाद सुशील सिंह से विस्तृत बातचीत हुई , प्रस्तुत हैं कुछ अंश -

हम हैं मुन्ना भइया के इन खतरनाक दृश्य के लिए आपने डुप्लीकेट का सहारा क्यों नही लिया ?

निर्देशक इकबाल बख्श ने फ़िल्म के सारे दृश्यों पर काफ़ी मेहनत की है और इसके लिए मुझे मानसिक रूप से तैयार भी कराया है। आप देख ही रहे हैं ऐसे एक्शन दृश्य कभी कभार ही देखने को मिलते हैं। जहाँ तक डुप्लीकेट की बात है तो मैं यही कहूँगा - मुझे अपना रास्ता ख़ुद तय करने पर भरोसा है, मेरी पहचान मेरे अभिनय से है , इसलिए रिस्क लेना मैं ज्यादा पसंद करता हूँ।

मुन्ना बजरंगी के मुन्ना खान, कबहू छुटे ना ई साथ वाला भावुक इंसान और हम हैं मुन्ना भइया के टपोरी में से कौन आपके करीब है?

निजी जिन्दगी में मैं कबहू छुटे ना ई साथ वाला इंसान हूँ जो सबके बारे में सोचता है, लेकिन फिल्मी परदे वाला इंसान मेरे किरदार का हिस्सा होता है और उसे जीवंत बनाने के लिए उसमे डूब जाता हूँ। आपने खटाई लाल मिठाई लाल वाला इंसपेक्टर का मेरा किरदार देखा होगा, इसके अलावा जल्द ही एक अन्य फ़िल्म में आप मुझे एक अनोखे अंदाज़ में देखेंगे। उस फ़िल्म में रवि किशन मेरे साथ हैं। जल्द ही फ़िल्म की शूटिंग शुरू हो रही है।

भोजपुरी में पहली बार किसी खलनायक ने नायक का सफर तय किया है..कैसा अनुभव रहा ?

मैं एक अभिनेता हूँ और मेरा मानना है की उसे किसी दायरे में बाँध कर नही रहना चाहिए, बल्कि उसे अभिनय के हर क्षेत्र में पारंगत होना चाहिए, और हर तरह की भूमिका करना चाहिए। भोजपुरी फिल्मो में यह नई बात है लेकिन हिन्दी फिल्मो में शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना ऐसा कर चुके हैं।

अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि और फिल्मो में आगमन के बारे में बताइए ?

मैं मूलतः बनारस का रहने वाला हूँ और संयुक्त परिवार का हिस्सा हूँ। मेरे पिताजी डॉक्टर गुलाब सिंह पेशे से चिकित्सक हैं। अपना होटल और डेयरी का भी व्यवसाय है । जहाँ तक फिल्मो में आगमन की बात है तो मैं इसे संयोगवस ही मानता हूँ। गरमी की छुट्टियों में मुंबई आया था, फिल्मो के प्रति लगाव तो बचपन से ही था और इत्तेफाक से सोनी टीवी के धारावाहिक आहट में मुझे काम मिल गया । मेरी पहली फ़िल्म आंच थी, जो मुझे लेखक कमलेश पांडे के सहयोग से मिली थी। भोजपुरी फिल्मो में आगमन का श्रेय मैं सुशील उपाध्याय को देता हूँ। वे अपनी फ़िल्म कन्यादान के लिए लोकेशन देखने बनारस आए थे, वहीँ उनसे मुलाकात हुई और भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में बतौर खलनायक मेरा आगमन हुआ।

किस तरह की भूमिका करने की चाहत है ?

जिस तरह हिन्दी फिल्मो में अजय देवगन और नाना पाटेकर की छवि है , कुछ वैसी ही भूमिका और छवि की बदौलत भोजपुरी फ़िल्म जगत में अपनी छाप छोड़ना चाहता हूँ।

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