बुधवार, नवंबर 23, 2011
दीपा नारायण का ‘‘जानलेवा’’ अंदाज़
दीपा नारायण की अदा जानलेवा हो, न हो, लेकिन, उनके गाने का अंदाज़, उसका असर ज़रूर जानलेवा है। दीपा नारायण ने हिन्दी फिल्मों में भले ही हंगामा नहीं बरपाया हो, लेकिन, भोजपुरी, नेपाली और बंगला-उड़िया फिल्मों में तो इनके नाम का डंका बजता है, इनकी आवाज़ का जादू सर चढ़कर बोलता है। अभी हाल ही में प्रदर्शित हुई मैथिली फिल्म ‘सजना के अंगना में सोलह सिंगार’ के सारे गाने गली-गली में बज रहे हैं और दीपा मिथिलांचन की चहेली गायिका बनी हई हैं। लेकिन, जिस गाने के लिए मैडम को जानलेवा सिंगर कहा जा रहा है, वह एक हिन्दी फिल्म का गाना है। देव चैहान के संगीत निर्देशन में दीपा ने जो गाना गाया है, उसका मुखड़ा भी कम जानलेवा नहीं। ध्यान दें-
‘‘सूनी कोठरिया मुझको झिंझोरा, जालिम ने क्यूं मेरी बंहिया मरोड़ा’’
और जानते हैं फिल्म का नाम क्या है? फिल्म का नाम भी कुछ कम नहीं। नाम है ‘‘जानलेवा 555’’ और हाऊस आॅफ पंडित के बैनर तले बन रही इस हिन्दी फिल्म की निर्मात्री कल्पना पंडित एवं लेखक-निर्देशक संदीप मलानी हैं।
दीपा नारायण फिर से हिन्दी फिल्मों में व्यस्त हो गयी हैं। ‘‘जानलेवा 555’’ के बाद जिस फिल्म के लिए दीपा ने अपनी आवाज़ दी है उसका शीर्षक भी कुछ कम नहीं। निर्माता आलोक की इस फिल्म का नाम हैं ‘मंहगा कफन’, जिसके लिए आमिर अली के संगीत निर्देश में सुरूर लखनवी के गीत के लिए दीपा नारायण ने अपनी आवाज़ दी। इस फिल्म में उदित नारायण, कुमार शानू और जसपिंदर नरुला साथी गायक-गायिका हैं। ‘‘जानलेवा 555’’ में दीपा के साथ राजा हसन ने भी गाया है। लेकिन, हिन्दी फिल्मों में व्यस्त होने के बावजूद दीपा नारायण का भोजपुरी फिल्मों से नाता पूर्ववत् बना हुआ है और नाता रहे भी क्यों नहीं, राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजी गयी पहली भोजपुरी फिल्म ‘‘कब होई गवनवा हमार’’ की निर्मात्री दीपा नारायण ही तो थीं, जिसमें उनके गाये गाने गांव-गांव बजते रहे।
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