मंगलवार, जून 07, 2011
कुव्यवस्था के बीच संपन्न हुआ अवार्ड समारोह
पहले से पता चल गया था विजेताओ का नाम
भोजपुरी की पहली ट्रेड पत्रिका का दावा करने वाली एक पत्रिका भोजपुरी सिटी द्वारा आयोजित भोजपुरी सिटी सिने अवार्ड भारी कुव्यवस्था व सबको सम्मानित करने की कवायद के कारण विवादों के बीच संपन्न हुआ . समारोह को अवार्ड का नाम दिया गया था लेकिन किसको क्या अवार्ड मिलना है ये बात पूरी फिल्म जगत को पता था. यही नहीं भोजपुरी के लिए समर्पित लोगो को भी इस समारोह से दूर रखा गया. अवार्ड के निर्धारण के लिए जूरी की घोषणा की गयी थी लेकिन निर्णय का अधिकार शायद उन्हें नहीं था तभी तो बिना फिल्म देखे एक अभिनेत्री को नवोदित अदाकारा का अवार्ड दे दिया गया. नवोदित अभिनेता के अवार्ड में भी आयोजक को जानकारी का अभाव दिखा . पुरस्कार जिस अभिनेता को दिया गया उसकी पहली फिल्म जून २००९ में रिलीज़ हुई थी और उन्हें उनकी दूसरी फिल्म के लिए अवार्ड दिया गया. जबकि उनकी ही पत्रिका में इस फिल्म की समीक्षा छपी थी . शर्मनाक हालात तो तब पैदा हो गए जब आयोजको ने सीधे सीधे विजेताओ को अवार्ड के लिए आमंत्रित करना शुरू कर दिया . नोमिनेशन प्रक्रिया पूरी भी नहीं की गयी . सब कुछ ऐसा हुआ मानो कोई सम्मान समारोह हो . इन सबके बीच इन सबके बीच निरहुआ को सर्वश्रेष्ट अभिनेता का अवार्ड दिया गया । पिछले वर्ष की चर्चित फिल्म अभय सिन्हा निर्मित ‘‘रणभूमि’’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित किया गया। निरहुआ को रणभूमि में शानदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। ‘रणभूमि’ के लिए निर्देशक अनिल अजिताभ को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक व पटकथा लेखक, डांस मास्टर पप्पू खन्ना को सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर, दामोदर नायडू को सर्वश्रेष्ठ छांयाकन, संभावना सेठ को सीमा सिंह के साथ सर्वश्रेष्ठ आईटम डांस के पुरस्कार से नावाजा गया। रिंकू घोष को ‘‘बलिदान’’ में बेहतरीन अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया। वहीं लोकप्रिय श्रेणी में भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह व नं. 1 अदाकारा पाखी हेगडे को सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय अभिनेता व अभिनेत्री चुना गया। पिछले वर्ष की सबसे बड़ी हिट फिल्म निर्माता दिलीप जायसवाल की ‘‘देवरा बड़ा सतावेला’’ को सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म, निर्देशक राजकुमार आर. पाण्डेय को सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय निर्देशक का पुरस्कार दिया गया। सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार अवधेश मिश्रा को मिला वहीं सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार मनोज टाईगर (सात सहेलियाँ) रहे। सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक का पुरस्कार रामाकांत प्रसाद (दाग), नवोदित अदाकारा अक्षरा सिंह (सत्यमेव जयते), सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता हितेन्द्र सिंह रहे हैं। सर्वश्रेष्ठ संगीत का खिताब मधुकार आनंद को ‘‘देवरा बड़ा सतावेला’’ के लिए दिया गया। वहीं सर्वश्रेष्ठ गीतकार पप्पू ओझा (देवरा बड़ा सतावेला), सर्वश्रेष्ठ गायक उदित नारायण (शिवा), सर्वश्रेष्ठ गायिका इंदु सोनाली (देवरा बड़ा सतावेला), सर्वश्रेष्ठ एक्शन राम लक्ष्मण (शिवा), सर्वश्रेष्ठ कथा मसूद पटेल (बलिदान), सर्वश्रेष्ठ सह अभिेनेता विराज भट्ट (दाग), सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री गुजंन पंथ (बलिदान), सर्वश्रेष्ठ साउण्ड रिकाॅर्डिस्ट स्व. लल्लन सिंह (दाग), सर्वश्रेष्ठ बालकलाकार ऋषभराज ‘‘गोलू’’ (दाग), सर्वश्रेष्ठ पब्लिसीटी डिजाइनर का अवार्ड नरसू को दिया गया।
भोजपुरी मेगा स्टार मनोज तिवारी ‘मृदुल’ को दशक के सर्वश्रेष्ठ भोजपुरी सितारे का पुरस्कार दिया गया। वहीं मशहूर निर्माता अभय सिन्हा व लोकगायिका मालिनी अवस्थी को भोजपुरी सिटी विशेष सम्मान से नवाजा गया। भोजपुरी सिनेमा के स्वर्णिम पचास साल पूरे होने के अवसर पर भोजपुरी के 21 महान विभुतियों को सम्मानित किया गया हैं जिनमें स्व. विश्वनाथ प्रसाद शहबादी, स्व. रामायण तिवारी, महानायक अमिताभ बच्चन, वंदनी मिश्रा, स्व. अंजान, स्व. चित्रगुप्त जी, स्व.राममुर्ति चतुर्वेदी, देव मल्होत्रा, दीपा नारायण, आरती भट्टाचार्य, समरजीत, बृजेश त्रिपाठी, विनय बिहारी एवं स्व. प्रशांत उज्जवल (प्रचारक) रहे।
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ye to hona hi tha...khair kar bhi kya sakate hain tamasha dekhte rahiye aage aage hota hai kya.
जवाब देंहटाएंagar kisi ko kala kar ki pahcan nahi hai to krapya acche kalakaron ka manobal na tode is aword ke liye suprena singh haacdaar thi to unko kyon ye aword diya gaya kya ye galat nahi hai
जवाब देंहटाएंwah kya baat kahi aap ney javed bhai oh to hooga jo hona hai...........
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