एनडीटीवी इमेजिन के चर्चित शो राज पिछले जनम का में शेखर सुमन, सेलिना जेतली, मोनिका बेदी, सम्भावना सेठ जैसी कई चर्चित लोगो का पिछले जनम का राज़ सामने आया है और अब बारी है शो को होस्ट कर रहे भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार अभिनेता रविकिशन की , जिनके पिछले जनम का राज जल्द ही खुलने वाला है। चैनल ने पिछले दिनों अपने होस्ट रविकिशन को समय रथ पर सवार कराया। प्राप्त जानकारी के अनुसार अपने पिछले जनम में रविकिशन ने खुद को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में संगम तट पर एक अघोड़ी साधू के रूप में पाया । उल्लेखनीय है की अघोड़ी ऐसे साधू को कहा जाता है जिन्हें इस दुनिया से कोई मतलब नहीं रहता है जो अपना अधिकतर समय शमशान में बिताते हैं। रविकिशन नें अपने पिछले जनम के परिवार को भी देखा । दिलचस्प बात तो ये हैं की इस जनम में रविकिशन के माता पिता पूर्व जनम में भी उनके माता पिता थे , यही नहीं इस जनम में उनकी बेटी रीवा पूर्व जनम में उनकी बहन थी। रविकिशन ने अपनी समाधी मनाली में बर्फ से ढके पर्वत पर ली थी। चार जनवरी को प्रसारित होने वाले इस एपिसोड में रविकिशन के पिछले जनम की और भी ढेर सारी जानकारी मिलेगी।
मंगलवार, दिसंबर 29, 2009
परिवार को अधिक समय देंगे रविकिशन
भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपरस्टार के लिए साल २००९ काफी अच्छा रहा है। एक ओर जहाँ भोजपुरी में रिलीज़ हुई आठ फिल्मो में से अधिकतर सुपर हिट रही है वहीं हिंदी फिल्म जगत ओर छोटे परदे पर भी उन्हें जबरदस्त कामयावी हासिल हुई है। हिंदी , भोजपुरी ओर छोटे परदे पर अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण रविकिशन के पास साल २००९ में अपने परिवार के लिए कुछ खास वक़्त नहीं मिल पाया । इसीलिए रविकिशन ने फैसला किया है की साल २०१० में भले ही कितनी भी व्यस्तता क्यों न हो वो अपने परिवार को भरपूर समय देंगे ओर रविकिशन ने इसकी पहल भी कर दी है क्योंकि २००९ को अलविदा करने के लिए रविकिशन अपने परिवार के साथ पंचगनी में हैं । मज़े की बात तो यह है की तीन दिनों की इस छुट्टी के लिए उन्होंने हिंदी के एक बड़े बैनर की फिल्म का डेट बढ़ा दिया है। उल्लेखनीय है की साल २०१० में भी रविकिशन के पास फिल्मो की लम्बी कतार है। भोजपुरी में जहाँ इस साल वो देवदास, गंगा जमना सरस्वती, राम बनवले जोड़ी , राम अवतार सहित आठ अन्य फिल्मो की शूटिंग करनी है वहीं हिंदी में भी कई फिल्में उनके पास है। इसके अलावा छोटे परदे के भी कई शो का ऑफर उनके पास है । बहरहाल नए साल के इस नए संकल्प से रविकिशन के परिवार वालो को ज़रूर ख़ुशी हुई है।
बुधवार, दिसंबर 16, 2009
नन्ही टांगो से आसमान छुने की तमन्ना रखते हैं रत्नेश
आम तौर पर छोटे कद काठी के लोगो को फ़िल्म जगत में कोमेडी कलाकार के रूप में ही जगह दी जाती है, उसका काम सिर्फ़ परदे पर अपने हाव भाव से दर्शको को हसाना मात्र होता है लेकिन भोजपुरी फ़िल्म जगत में तेजी से उभरे छोटे कद के अभिनेता रत्नेश बरनवाल का मकसद भोजपुरी फ़िल्म जगत में अपने अभिनय की छाप छोड़ना है ना की परदे पर आकर अपनी उलजुलूल हरकतों से लोगो को हसाना । बिहार के छोटे से शहर नरकटियागंज में अपने पिता गोपाल प्रसाद बरनवाल के साथ किराने की दूकान पर बैठ बचपन में अपनी जिंदगी की हसीन भविष्य के सपने देखने वाले रत्नेश को जल्द ही एहसास हो गया था की वो सामान्य बालको की तरह नही है। स्कूल की पढ़ाई पूरी करते करते वो अपने साथ पढने वाले लड़के लडकियों के लिए मात्र मजाक वाला पात्र बन कर रह गया था। ऐसे में रत्नेश के परिवार वाले खासकर उनकी माँ ने उन्हें समझाया की लोगो का काम दूसरो का मजाक उडाना ही होता है तुम ऐसा करो की यही लोग तुम्हे प्यार करने लगे। खैर रत्नेश ने दुनिया की परवाह किए बिना बी।ए।की परीक्षा अच्छे नम्बरों से पास की और कहीं छोटी मोटी नौकरी ढूँढने या पिता की दूकान सँभालने की वजाय अपना रास्ता ख़ुद बनाने का फ़ैसला कर लिया । कभी अपने शहर की परिधि ना लाघने वाला रत्नेश दो साल पहले मंजिल की तालाश में मुंबई आ गया । रत्नेश की किस्मत अच्छी थी की उसकी मुलाकात भोजपुरी के प्रसिद्द लेखक संतोष मिश्रा से हुई । रत्नेश बताते हैं की संतोष मिश्रा ने पग पग पर उनका साथ दिया , यहाँ तक की फ़िल्म दीवाना की शूटिंग के वक्त निर्माता और निर्देशक उन्हें काम देने के लिए तैयार नही थे लेकिन संतोष मिश्रा ने साफ़ तौर पर कह दिया की रत्नेश के कारण अगर स्टोक बरबाद होगा तो वो स्टॉक का खर्च ख़ुद उठायेगे। आखिरकार जब रत्नेश का पहला शोट हुआ तो निर्देशक राज कुमार पांडे काफ़ी खुश हुए और रत्नेश को गोद में उठा लिया। दीवाना के बाद रत्नेश ने ओढनिया कमाल करे, कबहू छूटे ना इ साथ , प्रेम रोग, जांवाज जिगर वाला आदि फिल्मो में भी काम किया । रत्नेश के अनुसार उस दिन उनकी खुशी का कोई ठिकाना नही था जब उनके घर के पास स्थित सिनेमा घर में दीवाना लगातार नौ सप्ताह तक चली और जब वो घर गए तो लोगो का तांता उनके घर पर लग गया था। रत्नेश को ये अफ़सोस अवय्श्य है की उस वक्त उन्हें हौसला देने वाली उसकी माँ इस दुनिया में नही थी। चार भाई बहनों में सबसे बड़े रत्नेश घर के एकमात्र सदस्य हैं जिनकी लम्बाई कम है। रत्नेश के अनुसार शायाद ये उनके किसी पूर्व जनम की गलती का नतीजा है इसीलिए इस जनम में ऐसी कोई गलती नही करेंगे। बहरहाल जल्द ही शादी के ख्वाहिस्मंद रत्नेश की अभिलासा है की वो अभिनय में ऊंचाई हासिल करे।
नम्बर वन शो बना राज पिछले जनम का
एनडीटीवी इमेजिन पर पिछले हफ्ते शुरू हुए शो राज पिछले जनम का ने जबरदस्त सफलता हासिल की है। भोजपुरी सुपर स्टार रविकिशन द्वारा होस्ट किए जा रहे इस शो को 3.5 ओपनिंग टीआरपी हासिल हुई है जो फिलहाल किसी भी नॉन फिक्शन शो की टीआरपी से काफ़ी अधिक है । उल्लेखनीय है की भारतीय टेलीविजन के इतिहास में बड़े बजट का ये पहला शो है जो मूल रूप से भारतीय कोंसेप्ट पर आधारित है। अमर चित्रकथा की टेलीविजन विंग द आईडिया बॉक्स द्वारा निर्मित इस शो ने शुरुवात के साथ ही टेलीविजन जगत में करिश्मा कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रविवार को समाप्त हुए सप्ताह में जहाँ बिग बी अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किए जा रहे नॉन फिक्शन शो बिग बॉस सीजन थ्री की अधिकतम टीआरपी 2.५ व न्यूनतम टीआरपी १.२ रही वहीँ राज पिछले जनम का की अधिकतम टीआरपी ३.५ व न्यूनतम टीआरपी २.६ रही है। इसी तरह स्टार प्लस के शो परफेक्ट ब्राइड की टीआरपी १.४, जी टीवी के शो सारेगामा पा मेगा चेलेन्ज की टीआरपी १.६ और एनडीटीवी इमेजिन के ही शो पति पत्नी और वो की टीआरपी मात्र 0.७ थी। राज पिछले जनम का को मिले अभूतपूर्व सफलता से उत्साहित शो के होस्ट रविकिशन कहते हैं की नए कोंसेप्ट को लोग ज़रूर पसंद करते हैं। शो के बारे में उनका कहना है कि यह अनूठा है और हॉट सीट पर बैठे व्यक्ति की चेतना का ध्यान तकनीक के जरिए उनके पिछले जन्म में ले जाया जाता है। शो के जरिए अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं मिल रहा? इस सवाल पर रविकिशन कहते हैं- मैं जौनपुर की केराकत तहसील के बिसुई गांव के जाने-माने पुजारी पं. श्यामनारायण शुक्ल का बेटा हूं और काफी धार्मिक भी। बचपन से ही मुझे ऐसे संस्कार मिले हैं और मेरा इसमें पूर्ण विश्वास है। वैज्ञानिक तथ्य भी है कि व्यक्ति के जीवन में उसके कर्मो की मुख्य भूमिका होती है।
मंगलवार, दिसंबर 15, 2009
मुंबई में चला लता मंगेशकर का जादू
स्वर कोकिला लता मंगेशकर का जादू इन दिनों मुंबई में बसे भोजपुरियो पर सर चढ़ कर बोल रहा है, तभी तो पिछले शुक्रवार रिलीज़ हुई भोजपुरी फ़िल्म उमरिया कईली तोहरे नाम देखने के लिए दर्शको की भीड़ उमड़ पड़ी है। उल्लेखनीय है आर.एस.दुबे पिक्चर्स के बैनर तले निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे की फ़िल्म उमरिया कईली तोहरे के ग्यारह गानों में से तीन गाने लता मंगेशकर ने गाये हैं। में सुपर हिट हो चुकी ये फ़िल्म ११ दिसम्वर को मुंबई में रिलीज़ हुई । रिलीज़ के साथ ही दर्शको ने इस फ़िल्म को हाथो हाथ उठा लिया है। अरुण फ़िल्म इंटरटेनमेंट प्रस्तुत इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत है स्वर कोकिला लता मंगेशकर और संगीतकार राम लक्षमन की जोड़ी का पहली बार किसी भोजपुरी फ़िल्म में साथ साथ आना। रानी चटर्जी, पवन सिंह , दिव्या देसाई, राजेश विवेक , मेहनाज, पुष्पा वर्मा, उत्तम झा, अशोक नारायाण, महेश राज और नवोदित आशीष गुप्ता अभिनीत उमरिया कईली तोहरे नाम के गीतकार विनय बिहारी हैं, जबकि कथा - पटकथा और संवाद लेखक श्रीगोपाल हैं। उमरिया कईली तोहरे नाम एक मनोरंजक पारिवारिक संगीत प्रधान फ़िल्म है, जिसमे रोमांस , एक्शन , कॉमेडी और इमोशन की भरपूर झलक है जो हर वर्ग के दर्शकों को भरपूर मनोरंजन दे रहा है। दिलचस्प बात तो ये है की बरसो पहले आई हिन्दी फ़िल्म मैंने प्यार किया में लता मंगेशकर , राम लक्ष्मण और नृत्य निर्देशक जय बोराडे साथ साथ नज़र आए थे। इस फ़िल्म में भी वे साथ साथ हैं।
सोमवार, दिसंबर 14, 2009
रवि जानना चाहते हैं सोनिया और बिग बी का पूर्व जन्म का राज
कुछ सप्ताह पहले एनडीटीवी इमेजिन पर शुरू हुए रोमांचक टीवी शो राज पिछले जन्म का की टीआरपी के उछाल मारने के साथ ही कई सिलिब्रिटी में अपने पिछले जन्म की बातें जानने की चाह बढ़ गई है। हाल ही में बिपाशा वसु ने भी ऐसी इच्छा जाहिर की और पता चला है कि कई अन्य सिलिब्रिटी ने भी शो के कर्ता-धर्ताओं से संपर्क साधा है। इस शो का संचालन जाने-माने अभिनेता व भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रविकिशन शुक्ल कर रहे हैं। चूंकि रवि इन दिनों एक भोजपुरी फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में वाराणसी व भदोही के प्रवास पर हैं लिहाजा इस मुद्दे पर रविवार को उनकी प्रतिक्रिया मिल गई। यह पूछे जाने पर कि सिलिब्रिटी की लंबी लिस्ट में आप सबसे पहले किसका पिछला जन्म जानना चाहेंगे, वह तपाक से बोले- सोनिया गांधी और अमिताभ बच्चन (बिग बी)। इस अतिजिज्ञासा के पीछे उनका अलग तर्क है। कहते हैं- सोनिया गांधी चाहतीं तो पति की मौत के बाद दोनों बच्चों के साथ इटली चली जातीं लेकिन उन्होंने भारत में रहकर न केवल अपने परिवार को संबल दिया बल्कि देश को नई दिशा देने में भूमिका निभा रही हैं। उनके त्याग और समर्पण से ऐसा लगता है कि पिछला जन्मस्थल भारत ही रहा। यहां की माटी में उन्होंने जो शक्ति व संस्कार पाया, वह आज भी उनके कार्य व्यवहार से परिलक्षित होता है। दूसरे अमिताभ बच्चन का इसलिए कि 67 साल की उम्र में भी पा सरीखी फिल्म कर उन्होंने यह साबित कर दिया कि उनकी यह ऊर्जा केवल एक जन्म की नहीं बल्कि कई जन्मों से हासिल है। निश्चय ही पिछले जन्म में भी उन्होंने कोई बड़ा काम किया होगा, जो आज उनके हर व्यवहार में नजर आता है। वह नए अभिनेताओं के प्रेरणाFोत तो हैं ही, कहीं उनसे ज्यादा ऊर्जावान भी। रवि का मानना है कि दोनों शख्सियत का राज जानने की इच्छा हर हिन्दुस्तानी की होगी। शो के बारे में उनका कहना है कि यह अनूठा है और हॉट सीट पर बैठे व्यक्ति की चेतना का ध्यान तकनीक के जरिए उनके पिछले जन्म में ले जाया जाता है। शो के जरिए अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं मिल रहा? इस सवाल पर रविकिशन कहते हैं- मैं जौनपुर की केराकत तहसील के बिसुई गांव के जाने-माने पुजारी पं. श्यामनारायण शुक्ल का बेटा हूं और काफी धार्मिक भी। बचपन से ही मुझे ऐसे संस्कार मिले हैं और मेरा इसमें पूर्ण विश्वास है। वैज्ञानिक तथ्य भी है कि व्यक्ति के जीवन में उसके कर्मो की मुख्य भूमिका होती है।
शनिवार, दिसंबर 12, 2009
रविकिशन ने की पूर्वांचल राज्य की वकालत
वाराणसी : भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रविकिशन ने कहा है कि पूर्वाचल राज्य के गठन में अब तनिक भी विलंब नहीं होना चाहिए। तेलंगाना राज्य की मांग पर केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए रविकिशन ने कहा कि यह निर्णय देशहित में है और जिस दिन पूर्वाचल राज्य की मांग पूरी हो जाएगी, उसी दिन राष्ट्र के अत्यंत पिछड़े क्षेत्र के विकास का रास्ता भी खुल जाएगा। मुंबई से वायुयान द्वारा बाबतपुर हवाई अड्डा पहुंचे रविकिशन ने कहा कि पूर्वाचल की करोड़ों की आबादी सिर्फ इसलिए पिछड़ी हुई है कि वह एक बड़े प्रदेश का हिस्सा है। उस तक पहुंचते-पहुंचते विकास की किरण मद्धिम पड़ जाती है। कांग्रेस के स्टार प्रचारक और जौनपुर की माटी से जुड़े रहे रविकिशन भदोही में मार देब गोली, केहू ना बोली फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में यहां आए हुए हैं। एनडीटीवी इमेजिन पर इन दिनों चल रहे शो राज पिछले जनम का की लोकप्रियता से काफी उत्साहित रविकिशन का कहना है कि छोटे राज्यों में विकास की रफ्तार बड़े प्रदेशों की तुलना में तेज होती है, यह अपने देश में ही सिद्ध हो चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार को पूर्वाचल के मुद्दे पर विलंब नहीं करना चाहिए। मार देब गोली, केहू ना बोली फिल्म में रविकिशन एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस अफसर की भूमिका में हैं जो तमंचे के बल पर बिहार में लहलहा रही अपराध की फसल को नष्ट करने का लक्ष्य लेकर चलता है। पूर्वाचल विकास समिति गठित वाराणसी : तेलंगाना के बाद पृथक पूर्वाचल राज्य की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने के आसार है। इस क्रम में शहर के बुद्धिजीवियों ने पूर्वाचल विकास समिति का गठन किया है। समिति के गठन की जानकारी देते हुए वाराणसी विकास मंच के संयोजक दीपक मधोक ने बताया कि पूर्वाचल विकास समिति में बुद्धिजीवियों, व्यापारियों, शिक्षाविदें के साथ-साथ समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित होगी। नवगठित पूर्वाचल विकास समिति में संयोजक दीपक मधोक के अलावा आर.सी.जैन, सीके साह, डॉ. सिद्धार्थ राय तथा वाराणसी विकास मंच के सदस्य शामिल हैं। इस समिति की बैठक शीघ्र होगी, जिसमें पृथक पूर्वाचल राज्य के गठन के परिप्रेक्ष्य में आगे की रणनीति तय की जाएगी। समिति के सदस्यों का मत है कि पृथक पूर्वाचल राज्य बने बगैर क्षेत्र का विकास नहीं हो सकता।
बुधवार, दिसंबर 09, 2009
चढ़ा सानिया मिर्ज़ा कट नथुनिया का बुखार
इन दिनों भोजपुरी जगत में टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा की नथुनिया का ज़बरदस्त बुखार छाया है और इसका असर अब मुंबई में भी होने लगा है। दरअसल अभिनेता गायक पवन सिंह की आवाज़ में गया भोजपुरी गाना सानिया मिर्ज़ा कट नथुनिया जान मारेला.........इन दिनों काफ़ी हिट हो गया है । आर.एस.दुबे पिक्चर्स के बैनर तले निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे की फ़िल्म उमरिया कईली तोहरे नाम में यह गाना फिल्माया गया है।बिहार में सुपर हित हो चुकी ये फ़िल्म ११ दिसम्वर को मुंबई में रिलीज़ हो रही है। रानी चटर्जी, पवन सिंह , दिव्या देसाई, राजेश विवेक , मेहनाज, पुष्पा वर्मा, उत्तम झा, अशोक नारायाण, महेश राज और नवोदित आशीष गुप्ता अभिनीत उमरिया कईली तोहरे नाम का संगीत पहले से ही धूम मचा रहा है। अरुण फ़िल्म इंटरटेनमेंट प्रस्तुत इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत है स्वर कोकिला लता मंगेशकर और संगीतकार राम लक्षमन की जोड़ी का पहली बार किसी भोजपुरी फ़िल्म में साथ साथ आना। फ़िल्म के गीतकार विनय बिहारी हैं, जबकि कथा - पटकथा और संवाद लेखक श्रीगोपाल हैं।फ़िल्म के सभी ११ गाने एक से बढ़कर एक हैं जिन्हें मधुर आवाज से सजाया है ख़ुद लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर, उदित नारायण , सुनिधि चौहान , इंदु सोनाली और आज के भोजपुरी के सर्वाधिक लोकप्रिय गायक पवन सिंह ने। उमरिया कईली तोहरे नाम में दो आइटम नम्बर है जिसपर अपनी मादक अदा बिखेरी है भोजपुरी की नम्बर वन आइटम डांसर सीमा सिंह और कविता सिंह ने। फ़िल्म के निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे के अनुसार उमरिया कईली तोहरे नाम मुख्य रूप से एक मनोरंजक पारिवारिक संगीत प्रधान फ़िल्म है, जिसमे रोमांस , एक्शन , कॉमेडी और इमोशन की भरपूर झलक है जो हर वर्ग के दर्शकों को भरपूर मनोरंजन देगा । साथ ही फ़िल्म में अन्धविश्वास के खिलाफ एक संदेश भी है।
इनकॉनटर स्पेशलिस्ट रवि
रविवार, दिसंबर 06, 2009
आज से खुलेगा राज पिछले जनम का
एनडीटीवी इमेजिन के बहुचर्चित शो राज पिछले जनम का सोमवार से शुरू हो रहा है। अपने आप में अनूठे इस शो के प्रस्तोता ( एंकर ) हैं भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन। अमर चित्रकथा की टेलीविजन विंग द आईडिया बॉक्स द्वारा प्रस्तुत इस शो में रविकिशन शो में आए मेहमानों से उनके पिछले जनम की यादो के बारे में सवाल जवाब करेंगे। इसके पूर्व सम्मोहन कर विशेषज्ञों द्वारा मेहमानों के उनके पिछले जनम के बारे में जानकारी ली जाएगी। उल्लेखनीय है की इस शो में शेखर सुमन , मोनिका वेदी, पायल रोहतगी, राहुल महाजन , संभावना सेठ सहित कई जानी मानी हस्तियों ने हिस्सा लिया है । सूत्रों के अनुसार इस शो में सुष्मिता सेन सहित कई बड़े सितारे भी जल्द ही हिस्सा लेने वाले हैं। रहस्य रोमांच से भरपूर इस शो को लेकर उत्त्साहित रविकिशन कहते हैं की इस शो का हिस्सा बनना उनके लिए गौरव की बात है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार से शुक्रवार प्रसारित इस शो में प्रसिद्द वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा के मौत का राज भी खुलेगा। बहरहाल राज पिछले जनम को लेकर आम लोगो में जिस तरह का उत्साह है उससे यही लगता है की इस शो की सफलता निश्चित है।
शनिवार, दिसंबर 05, 2009
रश्मि के प्यार में पवन
भोजपुरिया सुपर स्टार पवन सिंह इन दिनों उतरन धारावाहिक की तपस्या उर्फ तप्पु के दीवाने हैं तभी तो वो उनको पाने के लिए लड़की की भेष भूषा में नज़र आ रहे हैं । आर.एस.दुबे पिक्चर्स के बैनर तले निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे की फ़िल्म उमरिया कईली तोहरे नाम में पवन सिंह का ये अंदाज़ दर्शको को देखने को मिलेगा। बिहार में सुपर हित हो चुकी ये फ़िल्म ११ दिसम्वर को मुंबई में रिलीज़ हो रही है। रानी चटर्जी, पवन सिंह , दिव्या देसाई, राजेश विवेक , मेहनाज, पुष्पा वर्मा, उत्तम झा, अशोक नारायाण, महेश राज और नवोदित आशीष गुप्ता अभिनीत उमरिया कईली तोहरे नाम का संगीत पहले से ही धूम मचा रहा है। अरुण फ़िल्म इंटरटेनमेंट प्रस्तुत इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत है स्वर कोकिला लता मंगेशकर और संगीतकार राम लक्षमन की जोड़ी का पहली बार किसी भोजपुरी फ़िल्म में साथ साथ आना। फ़िल्म के गीतकार विनय बिहारी हैं, जबकि कथा - पटकथा और संवाद लेखक श्रीगोपाल हैं।फ़िल्म के सभी ११ गाने एक से बढ़कर एक हैं जिन्हें मधुर आवाज से सजाया है ख़ुद लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर, उदित नारायण , सुनिधि चौहान , इंदु सोनाली और आज के भोजपुरी के सर्वाधिक लोकप्रिय गायक पवन सिंह ने। उमरिया कईली तोहरे नाम में दो आइटम नम्बर है जिसपर अपनी मादक अदा बिखेरी है भोजपुरी की नम्बर वन आइटम डांसर सीमा सिंह और कविता सिंह ने। फ़िल्म के निर्माता निर्देशक आर.एस.दुबे के अनुसार उमरिया कईली तोहरे नाम मुख्य रूप से एक मनोरंजक पारिवारिक संगीत प्रधान फ़िल्म है, जिसमे रोमांस , एक्शन , कॉमेडी और इमोशन की भरपूर झलक है जो हर वर्ग के दर्शकों को भरपूर मनोरंजन देगा । साथ ही फ़िल्म में अन्धविश्वास के खिलाफ एक संदेश भी है।बहरहाल उमरिया कईली तोहरे नाम के गानों के दीवानों को आगामी २८ अगस्त का बेसब्री से इंतज़ार है।
राजनीती के लिए सही वक्त का इंतज़ार - रवि किशन
जौनपुर के गांव में गुजरा आपका बचपन कैसा रहा। पढ़ाई-लिखाई और संस्कार कहां से और कैसे? संस्मरण जोड़ें तो बेहतर रहेगा।
जौनपुर से लगभग २२ किलोमीटर दूर केराकत तहसील के गाँव विसुई में १७ जुलाई को मेरा जनम हुआ था। मेरे पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला गाँव के ही मन्दिर के पुजारी हैं । एक मध्यमवर्गीय परिवार के आम बच्चे की तरह मेरा भी लालन पालन हुआ। बचपन में मेरा भी अधिकतर समय मन्दिर में बीतता था और एक अच्छे संस्कार की नीव वहीँ से पड़ी। आज मैं कहीं भी रहूँ अपने अराध्य देव महादेव की पूजा के बाद ही मेरे दिन की शुरुवात होती है। आज आधुनिकता की चकाचौंध में हम अपने संस्कारों को भूल गए हैं और पाश्चात्य संस्कृति की ओर भाग रहे हैं , लेकिन आपके बचपन का संस्कार अच्छा है तो आप कभी अपने राह से नही भटकेंगे । मुझे याद है बचपन की एक घटना .....उस समय मैं मुश्किल से पाँच साल का रहा हूँगा । मेरे गाँव के पास वाले गाँव में किसी का निधन हो गया था ...और उनकी शवयात्रा मेरे गाँव होकर ही शमशान भूमि जा रही थी । किसी की शवयात्रा देखने का वो मेरा पहला अनुभव था। मैंने अपने पिताजी से पुछा ...ये लोग कहाँ जा रहे हैं ? पिताजी ने बताया की यही जीवन का सच है , कोई कितना भी बड़ा क्यों ना हो उन्हें सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ता है। वो बात आज भी मेरे जेहन में है और शायद यही वजह है की कोई भी ग़लत काम मेरे द्वारा जान बूझ कर नही होता है क्योंकि मुझे पता है हर ग़लत काम का हिसाब मुझे भगवान् को देना है।
कितना संघर्ष करना पड़ा जीवन को बनाने में। कितना योगदान रहा माता-पिता का और कितनी मिली उलाहना।
मैं जिस क्षेत्र में हूँ वहां मुकाम हासिल करना आसान नही है , बचपन से ही मेरी इच्छा थी की मैं कुछ ऐसा काम करूं जिससे पुरी दुनिया मुझे जाने । फिल्मो के प्रति लगाव था और दिल में कहीं न कहीं ये ख्वाब छुपा था की मैं भी परदे पर आउँ, मेरे भी पोस्टर लगे । मेरा सपना काफ़ी बड़ा था इसीलिए उसे साकार करने में भी काफ़ी मेहनत करनी पड़ी। कई कई बार एक ही ऑफिस में जाकर चक्कर लगना पड़ता था, छोटे छोटे रोल भी वो ऑफर नही करते थे। अब आप समझ सकते हैं की उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव के एक इंसान के लिए ये ख्वाब कितना बड़ा था। मेरे माता पिता को जब मेरे ख्वाब की जानकारी मिली तो पहली प्रतिक्रिया यही थी की पढ़ लिख कर कुछ करो न की नचनिया बनने के बारे में सोचे । हालांकि मेरे माता पिता का मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला , जिसके कारण मैं आज अपनी पहचान बनने में सफल हुआ हूँ।
फिल्मों की तरफ अभिरुचि कैसे पैदा हुई। शुरुआती दिनों से मुंबई पहुंचने तक का सफर कितना कंटकाकीर्ण। किस तरह की तकलीफें उठानी पड़ीं।
मुझे लगता है फिल्मो के प्रति मेरी रूचि मेरे होश सँभालने के बाद से ही हो गई थी। बचपन में राम लीला करते करते ये रूचि काफ़ी बढ़ गई। जहाँ तक मुंबई तक पहुचने की बात है तो गाँव से मुंबई का सफर आसान था क्योंकि मेरे परिवार वालो का मुंबई से भी नाता था। मुंबई पहुँचने में तो कोई तकलीफ नही हुई लेकिन मुंबई में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा ।
आपके परिवार की स्थिति (बचपन में)। पिता की आकांक्षाएं और उसको कितना कर पाए पूरा।
मैं एक साधारण परिवार का सदस्य था , मेरे पाँच भाई बहन का लालन पालन का दायित्य मेरे पिताजी पर थी । आप समझ ही सकते हैं किन किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ा होगा उन्हें। आज सोचता हूँ तो लगता है कितना दुरूह वक्त था वो। लेकिन आज मुझे लगता है की मैं अपने माता पिता की उम्मीदों पर खरा उतरा हूँ, उन्हें भी अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं की उनका बेटा रवि किशन है।
सफलता के लिए किसे देते हैं श्रेय।
बेशक अपने माता पिता , अपने बुरे वक्त के साथियो और सबसे बड़ा अपने उत्तर प्रदेश और बिहार के अपने भाई बहनों को जिनके प्यार की बदौलत मुझे सफलता मिली ।
आप आज भी मुंबई में पूरब की माटी का असल प्रतिनिधित्व करते हैं, क्या है इसका उद्देश्य।
बहुत अच्छा लगता है यह शब्द सुनना, लेकिन मैं मानता हूँ की मैं अपनी माटी की खुशबू को जन जन तक पहुचाने के उद्देश्य से ही इस क्षेत्र में आया हूँ। अपना गाँव , अपना प्रदेश , अपनी भोजपुरी ...सबकी खुशबू हमेशा मेरे साथ रहती है...मुझे लगता है हर इंसान किसी न किसी उद्देश्य से इस दुनिया में आता है शायद मेरा उद्देश्य उत्तरप्रदेश बिहार की संस्कृति, बोली को आम लोगो में पहचान देना है। आपको याद होगा बिग बॉस... मैंने दुनिया को उस शो के माध्यम से अपनी भाषा की खुशबू का एहसास कराया ।
हिन्दी फिल्मों में भी कामयाबी पाई है। अब तक छोटे परदे पर चौंकानेवाले अंदाज में दिख रहे हैं। क्या आगे की योजना?
सबसे पहले तो मैं आपको बता दूँ मैं भले ही हिन्दी फिल्मो या छोटे परदे पर कितनी ही कामयावी हासिल कर लूँ लेकिन भोजपुरी फिल्मो से नाता नही तोडूंगा, क्योंकि ये वो भाषा है जिसे मेरी माँ बोलती है, जिसने मुझे पहचान दी है । आज इतनी व्यस्तता के वावजूद भी मेरे पास एक दर्जन से भी अधिक भोजपुरी फिल्मे हैं। मैंने ख़ुद भी फ़िल्म निर्माण करना शुरू किया है आगे भी रचनात्मक कार्य करता रहूँगा । मैं चाहता हूँ मेरे सभी जानने वाले लोग काम में व्यस्त रहे और अगर मैं मध्यम बनता हूँ तो ये मेरे लिए खुशी की बात होगी।
वर्तमान में कैसा चल रहा निजी, सार्वजनिक और फिल्मी जीवन।
तीनो ही जीवन में मैं अपने आपको खुशनसीब मानता हूँ। निजी जीवन में मैं एक अच्छा पति , अच्छा पिता और अच्छा बेटा हूँ , सबका भरपूर प्यार मुझे मिलता है। सार्वजनिक जीवन भी खुशहाल है , हर क्षेत्र के लोगो में अच्छी पैठ बन गई है जब भी वक्त मिलता है मैं सेवा के लिए तैयार रहता हूँ । जहाँ तक फिल्मी जीवन की बात है तो आज का दौर मेरे लिए अब तक का सबसे अच्छा दौर है ...आज हिन्दी फ़िल्म जगत ने भी मुझे सर आँखों पर बिठा रखा है...मणि सर ( मणिरत्नम ) श्याम बाबु ( श्याम बेनेगल ) सहित कई बड़े फ़िल्म कारो के साथ काम कर रहा हूँ। भोजपुरी में भी कई बड़े प्रोजेक्ट हैं , छोटे परदे पर भी मैंने अपनी दमदार मौजूदगी दर्शाई है । कुल मिलाकर काफ़ी अच्छा चल रहा है सब कुछ ।
राजनीति कितनी सुहाती है, कब तक उतरने का है इरादा।
मैं कांग्रेस का कार्यकर्ता हूँ और राजनीति से मुझे लगाव है, मैं ख़ुद चाहता हूँ की इस क्षेत्र में आकर अपने क्षेत्र , अपने लोगो के लिए कुछ करूं। लेकिन सही वक्त का इंतज़ार है और वो वक्त कल भी आ सकता है , पाँच साल बाद भी और दस साल बाद भी।
गुरुवार, दिसंबर 03, 2009
सीमा - सपना का जलवा
भोजपुरी की नम्बर वन आइटम डांसर का खिताब पाने वाली सीमा सिंह और चर्चित डांसर सपना की मादक अदा का दीदार जल्द ही होने वाला है निर्देशक शाद कुमार की फ़िल्म त्रिनेत्र में। हाल ही में मुंबई के मड आईलेंड के एक बंगलो के स्विमिंग पूल के उपर इन दोनों बालाओं ने अपने अदाकारी के जलवे बिखेरे। विनय आनंद, पंकज केसरी, विजय लाल यादव, धर्मेश कुमार, पूनम सागर, सीमा पांडे , पूजा सिंह, अमृत पाल, प्रिया घावरे और राकेश पांडे अभिनीत इस फ़िल्म के प्रस्तुतकर्ता हैं पंजाबी पुत्तर राज चोपड़ा जिन्होंने इंग्लैंड दे नज़ारे नामक पंजाबी फ़िल्म का निर्माण किया है। मूलतः होशियारपुर के राज की यह पहली भोजपुरी फ़िल्म है। कैमरामेन से निर्देशक बने शाद कुमार ने बताया की राज चोप्रा और बाबू भाई के सहयोग के कारण ही उन्होंने एक भव्य फ़िल्म के निर्माण का फ़ैसला किया है। बहरहाल दो दो हसीं बालओँ की मादक अदा वाली इस फ़िल्म को देखने के लिए दर्शको को दो तीन महीनो का इंतज़ार करना पड़ेगा।