अपने क्षेत्र में नित नए प्रयोग करने के लिए मशहूर गीतकार - अभिनेता बिपिन बहार एक साल के एकांतवास के बाद फिर से भोजपुरी जगत में सक्रिय हो गए हैं। एक साल तक चुपचाप अपने काम में मशगूल रहे बिपिन की हाल ही में एक फिल्म भोजपुरिया डोन रिलीज़ हुई जबकि हाल ही में उन्होंने एक फिल्म करेंट मारे गोरिया का म्यूजिक देकर खुद को म्यूजिक डायरेक्टर की श्रेणी में भी खड़ा कर दिया । एक साल के इस बनवास के बाद आखिरकार पिछले दिनों वो मिडिया के समक्ष उपस्थित हुए। प्रस्तुत है बातचीत के अंश -
बिपिन जी एक साल तक एकांतवास में रहे कोई ख़ास वजह ....
मैं मुंबई में ही था। दरअसल मैं अपनी फ़िल्मी जीवन शैली से उब चूका था। बनावटी सब कुछ बनावटी है यहाँ और यही स्टेटस मुझे काफी परेशान कर रहा था। इसीलिए मैंने अपने आपको रिफ्रेश करने के लिए सबसे दूर रहना ही बेहतर समझा । मिडिया के हमारे मित्रो ने भी संपर्क किया तो मैंने चुप्पी साध ली।
इस दूरी से आपके काम पर कितना असर पड़ा ?
अच्छा सवाल है...आपने उस साधू की कहानी सुनी होगी जो बार बार बिच्छु द्वारा डंक मरे जाने के बाद भी उसे बचाता रहा था । असल में जिंदगी को देखने का अपना अपना एक नज़रिया होता है। बाहरी तौर पर भले ही मेरे काम का ग्राफ थोडा गिरा हो लेकिन आत्मिक संतुष्ठी और खुशियों का ग्राफ काफी बढा है। इस साल भर में मैंने कई रचनात्मक काम किये । मेरी पहली भोजपुरी कविता संग्रह थेथर मन प्रकाशन को तैयार है। महात्मा गाँधी की आतमकथा का अनुवाद पूरा हो चूका है। कुरआन - बाइबिल के भोजपुरी अनुवाद पर लगा हुआ हूँ। लेखन के अलावा मुंबई से सटे वसई के वालीव के अनाथाश्रम का भ्रमण भी काफी सुकून पहुचाया।
गीतकार से अभिनेता और अब संगीतकार .....
ऐसे किसी भ्रम में नहीं हूँ । गीतकार - संगीतकार या अभिनेता होना एक महान कार्य है। मैं ना तो गीतकार, संगीतकार और ना ही अभिनेता हूँ। मात्र चंद शब्दों की तुकबंदी जोड़ के रोटी कमाने की कला किसी को महान गीतकार नहीं बना सकती । हाँ अपने बारे में इतना भ्रम ज़रूर है की मैं एक अच्छा इंसान हूँ। रही बात अभिनय और संगीत निर्देशन की तो इसे छोड़ने पकड़ने जैसी कोई बात नहीं है। भोजपुरिया डोन में मेरे अभिनय की सराहना की जा रही है । मैं फिलहाल तीन चार फिल्मो का संगीत दे रहा हूँ जिसमे करेंट मरे गोरिया का काम पूरा हो चूका है।
भोजपुरी फिल्म जगत की वर्तमान हालत से आप कितना संतुष्ट हैं ?
बहादुर शाह ज़फर का मशहूर शेर है ....
ये चमन यूं ही रहेगा और हजारो जानवर , अपनी अपनी बोलिया सब बोल के उड़ जायेंगे
बहुत सुखद हालत में है भोजपुरी फिल्म जगत । रवि किशन, मनोज तिवारी, निरहुआ, पवन सिंह, की स्टारडम से फिल्म जगत उड़ान पर है। सुदीप पांडे, प्रवेश लाल, विनय आनंद, पंकज केसरी, उत्तम कुमार, दीपक दुबे जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों की लम्बी फेहरिस्त पाकर भोजपुरिया जगत इतर रहा है। एक और नए कलाकार मनोज पांडे ( निर्देशक राजकुमार पाण्डेय के भाई ) ने अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करायी है।
क्या राजनीति में भी किस्मत आजमाने का इरादा है ?
बिल्कुल नहीं, आज के सन्दर्भ में कहूँ तो नेता माने बेशर्म , जिसका कोई निश्चित चरित्र और सिद्धांत न हो । देश की साड़ी समस्याएं इन नेताओ की ही दें है। अभी देख लीजिये जाती आधारित जनगणना हो रही है । अगर उन्हें सचमुच विकास करना होता तो वे प्रति व्यक्ति आय पर आधारित जनगणना कराते।
अपने प्रशंसको के लिए क्या कहेंगे ?
कोई भी तकनिकी दक्षता इंसानियत से ऊपर नहीं है । अगर आपका पाप और अत्याचार इंसान के बस का नहीं रहता तो ज्यादा खुश मत होइए। आसमान बिजली गिराकर जला देता है, बादल फटने जैसी अकल्पनीय घटनाएं प्रकट होती है। सुनामी और ज्वालामुखी के रूप में परमेश्वर अपने ही बनाये चीज़ का नाश कर डालता है। अतः दुसरे को क्षति पहुचाये जीवन का आनद लीजिये।
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