शनिवार, नवंबर 17, 2012

Bala Saheb Thakre is no more

शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे का आज दोपहर तीन बजे निधन हो गया। वो 86 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से पूरे महाराष्ट्र में शोक की लहर फ़ैल गयी है .
महाराष्ट्र के प्रसिद्ध राजनेता एवं शिवसेना प्रमुख बालासाहेब केशव ठाकरे का जन्म 23 जनवरी, 1926 को मध्य प्रदेश के बालाघाट में हुआ था। उन्होंने शिवसेना नामक एक हिंदू राष्ट्रवादी दल का गठन किया। 86 वर्षीय बाला साहेब ठाकरे ने मशहूर समाचारपत्र फ्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट के तौर पर अपने कैरियर की शुरूआत की थी।
देश की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहे बालासाहेब ठाकरे अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। हालांकि उन्होंने अपना कैरियर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरु किया था। 1950 के दशक में फ्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट के रूप में शुरूआत करने वाले शिवसेना प्रमुख के बनाए कार्टून्स भारत के टाइम्स के रविवार संस्करण में प्रकाशित किए गए। बाद में बाल ठाकरे ने 1960 में अपने भाई के साथ एक कार्टून साप्ताहिक मार्मिक का शुभारंभ किया। ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी संपादकीय लिखते रहे हैं।
बालासाहेब ठाकरे ने 19 जून 1966 में शिव सेना की स्थापना की। बाल ठाकरे के अनुसार शिव सेना की स्थापना महाराष्ट्र के मूल निवासी के अधिकारों के लिए की गई है। वर्ष 1995 में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने महाराष्ट्र में विधान सभा चुनाव में जीत हासिल की। 1995-1999 तक के कार्यकाल के दौरान रिमोट कंट्रोल उपनाम से पर्दे के पीछे से उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई।
अपने तीखे बयानों को लेकर हमेशा से सुर्खियों में रहने वाले बालासाहेब ठाकरे हमेशा से ही कट्टर हिंदूवादी मानसिकता के पक्षधर रहे हैं। वह अडोल्फ हिटलर से भी बेहद प्रभावित हैं। हिटलर की प्रशसा करते हुए ठाकरे ने कहा, मैं हिटलर का बहुत बड़ा प्रशसक रहा हूं और मुझे इस बात को स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं आ रही है। मैं यह नहीं कह रहा की मैं उनकी हर बात से सहमत हूं लेकिन वह एक अद्भुत आयोजक और वक्ता थे और मुझे लगता है कि उसमें और मुझमें कई समानताएं हैं। साथ ही मुझे लगता है की भारत को एक तानाशाह की बेहद जरूरत है। हिटलर की तरह ठाकरे ने भी कभी अपने कट्टर हिंदूवादी रवैये से कोई समझौता नहीं किया।
जय महाराष्ट्रा जैसे संबोधन देने वाले शिवसेना प्रमुख ने हाल ही में अपना 85वा जन्मदिन मनाया था। बाल ठाकरे ने अपनी पूरी उम्र हिन्दू धर्म की राजनीति की। बिहार और बिहारियों के प्रति कठोर बयान देने को लेकर ठाकरे परिवार हमेशा से राजनीतिक दलों निशाने पर रहे हैं। अपनी मराठा राजनीति को चमकाने के लिए कई बार महाराष्ट्र में बसे बिहारियों को शिवसेना ने निशाना बनाया है। हाल के दिनों में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और ठाकरे परिवार के बीच इसको लेकर जुबानी जंग देखा गया था। दिग्विजय सिंह ने ठाकरे परिवार द्वारा बिहार से मुंबई आकर बसे लोगों के खिलाफ उगली जा रही आग पर ये कहा कर हवा दे दी की ठाकरे परिवार खुद 400 साल पहले बिहार के मगध प्रान्त से यहां आकर बसा, दिग्विजय सिंह का ये बयान आग में घी का काम कर गया। इस बयान पर बिफरे उद्धव ठाकरे ने कहा की उनके दादा ने जिस किताब में ये लिखा था, उसमे बिहार के ठाकरे समुदाय के बारे में जिक्र किया था ना कि हमारे परिवार के बारे में, उद्धव ठाकरे ने दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए यहा तक कहा कि उनका मानसिक संतुलन ठीक नही है वो पागल है।
बीते दिनों ठाकरे परिवार के मुखिया बालासाहेब ठाकरे के स्वास्थ्य को लेकर उठी चर्चा के बाद उनको चाहने वालों में चिंता साफ तौर पर दिखाई दी। शिवसेना के संस्थापक की खराब तबियत के साथ ही बदलते राजनीतिक समीकरणों की भी चर्चा शुरू हो गई थी। उनकी गोद में खेले उनके भतीजे एवं मनसे प्रमुख राज ठाकरे यह खबर सुनकर विचलित हुए एवं उनसे मिलने पहुंच गए। शिवसेना छोड़ने के बाद कई वषरें तक पार्टी और परिवार से अलगाव झेल रहे राज ठाकरे की कुटुंब में स्थिति बदली है।
कई जगहों पर शिवसेना और मनसे के बीच जिस तरह राजनीतिक समझौता हुआ है, उसे देखते हुए दोनों पार्टियों के कॉमन एजेंडे के लिए साथ आने की संभावना साफ दिखाई दे रही है। कहने वाले तो इतना तक कह रहे हैं कि सवाल सिर्फ टाइमिंग का है। ये सब 2014 के चुनाव के समय होगा या उससे पहले ही हो जाएगा, यह चर्चा चल निकली है।
बालासाहेब के पुत्र उद्धव की बीमारी की खबरों से पार्टी का एक तबका चिंतित हैं। बीते दिनों दिल की ऐंजियोग्राफी कराकर उद्धव घर लौटे ही थे कि बालासाहेब को उसी अस्पताल में दाखिल करना पड़ा था। शिवसेना ने मुंबई महानगरपालिका का चुनाव जीता, उसके बाद से बालासाहेब के पौत्र और उद्धव के बेटे आदित्य के राजनीतिक प्रॉजेक्शन में कोई कमी नहीं बरती जा रही है। ये सब बालासाहेब और उद्धव के अस्पताल यात्रा के पहले की बात है। पिछले दिनों युवा सेना प्रमुख के तौर पर उनका एकल संबोधन इसी दिशा में उठाया गया ठोस कदम कहा जा सकता है। पूरी शिवसेना को आदित्य के पीछे खड़ा करने का प्रयास किसी से छिपा नहीं है।
सभी तरह के राजनीतिक दुराव के बावजूद बालासाहेब और राज की चाचा-भतीजा की जोड़ी में स्नेह भाव कायम है। इसी तरह ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी के आदित्य और रिश्ते में उनके चाचा राज के बीच किसी तरह की स्पर्धा होने का कारण नहीं बनता। चाचा-भतीजे की यह जोड़ी, वह राजनीतिक खाई पाट पाएगी, जो चचेरे भाइयों उद्धव और राज के बीच खड़ी हो गई थी। बार-बार हो रहा ये कौटुंबिक मेलमिलाप महाराष्ट्र की राजनीति पर असर डाले बिना नहीं रहेगा, यह कयास लगाने वालों की कमी नहीं है।
Courtsy - Dainik Jagran

सोमवार, नवंबर 12, 2012

BHOJPURI FILMS: Nirahua Entertainment wishes you Happy Diwali

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BHOJPURI FILMS: PAKHI HEGDE wishes you Happy Diwali

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BHOJPURI FILMS: Anjana Singh wishes You Happy diwali

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BHOJPURI FILMS: Ravi Kishan wishes You Happy Diwali

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BHOJPURI FILMS: Manoj Tiwari wishes you Happy Diwali

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Dilawez Khan is coming with Saali Badi Sataweli

दिलआवेज़ खान लेकर आ रहे हैं  साली बड़ी सतावेली 
भोजपुरी फिल्मो के नए लेकिन कई बड़े हिंदी निर्देशकों के साथ निर्देशन में हाथ बंटा चुके निर्देशक दिलआवेज़ खान की पहली भोजपुरी फिल्म साली बड़ी सतावेली जल्द ही प्रदर्शन के लिए तैयार हो रही है। फिल्म में रवि किशन, रानी चटर्जी व रिंकू घोष मुख्य भूमिका में हैं जबकि उनका साथ दे रहे हैं फिरदौस खान, नौशाद खान, साहिल सन्नी , निरुपमा वर्मा , पुष्पा वर्मा, प्रिया पांडे आदि।  आशिक आरिफ मूवीज के बैनर तले निर्माता आरिफ हुसैन व आशिक मोहम्मद की  इस फिल्म के निर्देशक दिलआवेज़ खान मूल रूप से बिहार के शेरघाटी गया के निवासी हैं। बचपन में ही फिल्मो का सपना लेकर मुंबई आने वाले दिलआवेज़ ने राजकुमार कोहली की फिल्म कहर से बतौर सहायक निर्देशक इस इंडसट्रीज़ में कदम रखा। राज कुमार कोहली ने दिलआवेज़ की काबिलियत को पहचानते हुए उन्हें अपनी फिल्म जानी दुश्मन में ना सिर्फ बतौर मुख्य सहायक निर्देशक बल्कि फिल्म की राइटिंग टीम में भी जगह दी। राजेश खन्ना , अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, सहित हिंदी के कई बड़े कलाकारों के साथ काम कर चुके दिलआवेज़ के साथ कभी बतौर सहायक निर्देशक काम कर चुके इम्तियाज अली, मोहित सूरी आज हिंदी फिल्म इंडसट्रीज़ के बड़े नाम हैं . दिलआवेज़ इसे अपनी अपनी मुकद्दर की बात मानते हैं और कहते हैं किसी कारण से उनकी शाहरुख़ खान व अक्षय कुमार को लेकर प्लानिंग की गयी फिल्म अटक गयी नहीं तो बतौर निर्देशक उनकी शुरुवात पहले ही हो गयी होती, पर दिलआवेज़ खान को इसका कोई अफ़सोस नहीं है वो कहते हैं मेहनत कभी बेकार नहीं जाता। बड़े बड़े निर्देशकों के साथ रहकर उन्हें जो सिखने का मौका मिला उसी का ही परिणाम है की पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान जिसने भी उनकी फिल्म साली बड़ी सतावेली को देखा सबने तारीफ़ की . उल्लेखनीय है की साली बड़ी सतावेली में रानी चटर्जी रवि किशन की साली की भूमिका में हैं जबकि रिंकू घोष पत्नी की। दिलआवेज़ खान के अनुसार उनकी फिल्म साली जीजा के नोक झोंक पर नहीं एक गंभीर मसले पर केन्द्रित है। दिलआवेज़ खान के साथ यह इत्तेफाक ही कही जाएगी की फिल्म में साली की भूमिका निभा रही अभिनेत्री रानी चटर्जी रियल लाइफ में खुद उनकी साली है। साली बड़ी सतावेली होली के अवसर पर रिलीज़ होगी।