सोमवार, फ़रवरी 28, 2011

रवि किशन को नाज़िर हुसैन सम्मान


भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन को विश्व भोजपुरी सम्मलेन द्वारा नाज़िर हुसैन सम्मान देने की घोषणा की गयी है. रवि किशन को यह सम्मान भोजपुरी सिनेमा की स्वर्ण जयंती पर दिल्ली में आयोजित समारोह में यह सम्मान दिया जायेगा. पूर्वांचल एकता मंच के अध्यक्ष शिव जी सिंह द्वारा जारी विह्याप्ती के अनुसार आगामी ९ और १० अप्रैल को दिल्ली के दादा देव मेला ग्रौंद में दो दिवसीय विश्व भोजपुरी सम्मलेन का आयोजन किया जा रहा है. इस समारोह में रवि किशन के अलावा भोजपुरी फिल्म जगत से जुड़े कई लोगो को भी समानित किया जायेगा. शिव जी सिंह के अनुसार भोजपुरी सिनेमा के प्रचार प्रसार एवं उनकी लोकप्रियता की वृद्धि में रवि किशन का योगदान उल्लेखनीय रहा है इसीलिए संस्था ने उन्हें भोजपुरी सिनेमा के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वर्गीय नाज़िर हुसैन की स्मृति में नाज़िर हुसैन सम्मान से नवाजने का फैसला किया है. उल्लेखनीय है की भोजपुरी फिल्मो के तीसरे चरण की पहली फिल्म सैयां हमार से अपनी भोजपुरिया पारी शुरू करने वाले रवि किशन अभी तक १४० फिल्मो में काम कर चुके हैं. उन्हें लगातार पांच बार भोजपुरी फिल्म अवार्ड में सर्वश्रेष्ट अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. इसके अलावा हाल ही में उन्हें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह के हाथो कला सम्राट सम्मान, बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार के हाथो बिहार रत्न शिखर सम्मान मिल चुका है .

हर हर महादेव और होलियाना मिजाज


वाराणसी, प्रतिनिधि : अस्सीघाट रविवार को होलियाना मस्ती में नहाया रहा। ढोल मजीरा और हर हर महादेव का उद्घोष। देशी-विदेशी महिलाएं, बच्चे और पुरुषों की टोली। इसमें भभूत से सने साधुओं का भी अल्हड़पन। इस दौरान अभिनेत्री साक्षी तंवर और अभिनेता सौरभ शुक्ला को अपने बीच पाकर लोग गदगद थे। यहां प्रख्यात साहित्यकार डॉ. काशीनाथ की रचना को निर्देशक डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी सिल्वर स्क्रीन के मन मिजाज में ढाल रहे थे। सवेरे से शाम तक घाट की सीढि़यां, गंगा का किनारा व आस-पास का इलाका मानो फिल्म सिटी में तबदील हो गया हो। कट-कैमरा-लाइट एक्शन की आवाज शाम तक गूंजती रही। फिल्म यूनिट सवेरे ही घाट पर पहुंची और तैयारियों में लग गई। थोड़ी ही देर में वहां भीड़ जमा हो गई। सुबह दस बजे घाट के उपरी हिस्से में मुंबई से आए कलाकार अनिल सक्सेना को हजामत बनाते फिल्माया गया। लगभग दो घंटे की मशक्कत के बाद सीन फिल्माया गया। इस बीच सेट पर कहानी घर-घर की धारावाहिक में बड़ी बहू पार्वती भाभी के रूप में पहचान बना चुकी साझी तंवर पहुंची। क्षेत्रीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। फिल्म सत्या के जगत मामू यानि सौरभ शुक्ला भी सेट पर पहुंचे। उन पर पंडा के रूप में कुछ सीन फिल्माए गए। उन्होंने फुर्सत के पलों में प्रशंसकों से मुलाकात की। साथ ही चाय की चुस्की ली और इच्छुकजनों के साथ फोटो खिचवाई। दूसरे शॉट में बनारस का होलियाना अंदाज कैमरे में कैद किया गया। इसमें देशी- विदेश कलाकार गालों पर लाल गुलाल लगाए ढोल मजीरा बजा रहे थे। घाट की सीढि़यों पर भी लाल-पीले गुलाल को उड़ा कर माहौल में रंग भरा गया। उधर, घाट पर स्थित वट वृक्ष की पूजा के दृश्य में जगत मामू सौरभ शुक्ला पंडा की भूमिका में सजे। विदेशी युवतियों को घाट पर माला -फूल व चुडि़यां खरीदने का भी सीन शूट किया गया। इस दौरान सुरक्षा व व्यवस्था के मद्देनजर पुलिस बल तैनात किया गया था। सन्नी देओल और रवि किशन इस फिल्म के मुख्य कलाकार हैं।
courtsy - Dainik jagran

काशी के मिजाज के अनुरूप पटकथा लुभाएगी : रविकिशन

गाली तो होगी पर बोली के अंदाज में : सन्नी देओल
वाराणसी, प्रतिनिधि : काशी की तिकड़ी फिल्म का आधार हो तो भला गालियों की काशिका का अंदाज कैसे जुदा हो सकता है। लेखक डॉ. काशीनाथ, चरित्र व पटकथा काशी और फिल्मांकन स्थल भी काशी। ऐसे में भले ही कथा का आधार उपन्यास बनारस का बिंदासपन समेटे हो लेकिन आम दर्शकों के लिए पर्दे पर कहानी का रंग ढंग कैसा होगा। कुछ ऐसे ही सवाल रविवार को मोहल्ला अस्सी फिल्म की यूनिट के सामने थे। फिल्मों में गाली-गुस्सा और मुक्का के लिए मशहूर अभिनेता सन्नी देओल ने पर्दा हटाया। बोले-गालियां इमोशन के हिसाब से होती हैं। इसमें भी है लेकिन गाली की तरह नहीं, बोली की तरह। आठ-दस साल में सिनेमा बदल गया है। सफलता के लिए जरूरी नहीं कि मुक्का या वल्गेरिटी हो। फिल्म यूनिट होटल रमादा में पत्रकारों से रूबरू थी। मुद्दे कि कमान निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने संभाली। कहा कि श्लील व अश्लील परसेप्शन है। रही बात गालियों की तो लोगों की उम्मीद से कम होंगी। हवाला दिया-फिल्म की स्कि्रप्ट बेटी पढ़ना चाहती थी। मैंने उसे रोक दिया। कहा कि तुम फिल्म देखना। लिहाजा फिल्म उपन्यास का इडिटेड वर्जन होगी। इसे सभी लोग घर-परिवार के साथ बैठकर देख सकेंगे। हां, उपन्यास की आत्मा के साथ अन्याय नहीं होगा। रही बात व्यावसायिक और गैर व्यावसायिक की तो फिल्म बना रहा हूं। इसका दर्जा फिल्म आने के बाद बाजार व दर्शक तय करेंगे। सन्नी ने इसका समर्थन किया। बोले- फिल्म के कामर्शियल या नान कामर्शियल होने का सवाल नहीं है। जरूरी है कि कौन सी फिल्म दर्शकों का इंटरटेन कर बांधे रखती है। एक्शन हीरो की इमेज से नए रूप पर सवाल उठा तो सन्नी मुस्कुरा उठे। बोले-लीक पर चलने पर सवाल उठते थे, हटने पर भी सवाल हैं। स्पष्ट किया-पापा के दौर में अच्छे विषयों की भरमार थी, लोगों को मौका मिलता था। मैं भी इसी मौके की तलाश में था, कहानी और कैरेक्टर पसंद आते ही दिल ने कहा और मैंने मान लिया। कैरेक्टर को लेकर कुछ डर था जो दो-तीन मीटिंग में दूर हो गया। वैसे भी जब तक डरो नहीं तब तक मजा भी नहीं आता। दामिनी का हवाला देते हुए कहा कि नसीर साहब के लिए कहानी लिखी गई थी, बाद में लोगों ने पसंद की। ऐसे ही मोहल्ला अस्सी भी सभी को पसंद आएगी। फिल्म के आधार यानी काशीनाथ के उपन्यास के चयन की बात पर डॉ. चंद्रप्रकाश बोले-अतीतजीवी होने का आरोप था। वर्ष 1947 तक आ गया था। तलाश थी वर्तमान की। लेकिन काशी का अस्सी 1980 में लिखा गया इतिहास था, जो आज भी वर्तमान है। हालांकि उपन्यास व फिल्म अलग-अलग विधाएं हैं। इसी के आधार पर इसमें कुछ फेरबदल किए गए हैं। रही बात कथाकार की सहमति की तो इसमें पूरा सहयोग मिला। डा. काशीनाथ ने पूरी स्वतंत्रता दी और कहा मैं तो पहला प्रिंट देखूंगा। फिल्म लगने पर सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। फिल्म में कबीर का एक भजन भी शामिल किया गया है। फिल्म में कन्नी गुरु की भूमिका निभा रहे रवि किशन हर हर महादेव के उद्घोष के साथ पत्रकारों से रूबरू हुए। कहा कि बनारस में बनारस पर फिल्मांकन अलग अनुभव है। इसका रूप लोगों को भाएगा। अभिनेत्री साक्षी तंवर से सवाल था फिल्म व उनकी वास्तविक उम्र में दूरी को लेकर। उन्होंने स्पष्ट किया कि-रोल के आगे उम्र का कोई हिसाब किताब नहीं होता है। क्रास वर्ड इंटरटेनमेंट बैनर के तहत बन रही फिल्म में सन्नी धर्मनाथ पांडेय की मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। रवि किशन-कन्नी गुरु, सौरभ शुक्ला उपाध्याय, साक्षी तंवर- धर्मनाथ पांडेय की पत्नी सावित्री, मिथिलेश-गया सिंह, मुकेश तिवारी-राधेश्याम पांडेय की भूमिका में हैं। विनय तिवारी निर्माता हैं .

रविवार, फ़रवरी 27, 2011

कोलकाता में भिखारी ठाकुर फेस्टिवल


पटना व मुंबई के बाद तीसरे चरण में राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसियेषन आगामी 15 मार्च 2011 को कोलकाता में भिखारी ठाकुर फेस्टिवल का आयोजन कर रहा है। जिसमें भिखारी ठाकुर व उनके विचार साहित्य को आगे बढ़ाने वाले देश के कई प्रख्यात हस्तियों को सम्मानित किया जायेगा और भोजपुरी साहित्य में भिखारी ठाकुर के योगदान पर सम्पूर्ण चर्चा की जायेगी। इस समारोह में विश्व भोजपुरी उत्थान सेवा संस्थान समेत कई स्थानीय संस्थायें तथा कई बड़ी कंपनिया कन्धे से कन्धा मिलाते हुये इस पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान कर रही है।
मुंबई से उक्त बयान जारी करते हुये राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसियेशन के राष्ट्रीय महासचिव शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी ने कहा कि- कोलकाता का यह भिखारी ठाकुर फेस्टिवल कई मायनों मे बहुत खास है। जिसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भिखारी ठाकुर के लिये राजाराम मोहनराय, स्वामी विवेकानन्द की कर्मभूमि रही कोलकाता वहीं आध्यात्मिक महानगरी रही है जहां उन्होंने नव जागरण का यह पाठ सीख कर समूचे भोजपुरी बेल्ट को अपने क्रांतिकारी विचारों से अभिसिंचित किया है। ऐसे में भोजपुरियों का चहेता शहर कोलकाता का यह भिखारी ठाकुर फेस्टिवल न केवल भोजपुरी बेल्ट में नई क्रान्ति लायेगा वरन कई मायनों में ऐतिहासिक भी होगा।

शनिवार, फ़रवरी 26, 2011

सन्नी देओल - रवि किशन बनारस में


हिंदी फिल्मो के जाने माने अभिनेता सन्नी देओल और भोजपुरी फिल्मो के सुपर स्टार रवि किशन सोमवार से बनारस की गलियों और घाटो पर चहलकदमी करते नज़र आयेंगे. जी हाँ डॉ. चंद्रप्रकाश दवेदी की फिल्म मोहल्ला अस्सी की शूटिंग के सिलसिले में दोनों अभिनेता पूरी यूनिट के साथ सोमवार से बनारस प्रवास पर हैं. प्रोफ़ेसर काशीनाथ सिंह के उपन्यास काशी का अस्सी पर आधारित फिल्म मोहल्ला अस्सी की शूटिंग सोमवार से बनारस में शुरू हो रही है . इस फिल्म में जहाँ सन्नी देओल पाण्डेय की भूमिका में हैं वहीँ रवि किशन तन्नी गुरु की भूमिका में नज़र आने वाले हैं. फिल्म में मुकेश तिवारी, सौरभ शुक्ला, दयाशंकर पांडेय, माही गिल सऱीखे कलाकार भी हैं। सनी देओल पांडेय की भूमिका में काशी की मस्ती में रचते-बसते नजर आएंगे। वाराणसी की मस्तमौला जीवन शैली पर केंद्रित और फक्कड़ी को परिभाषित करने वाले अपने इस उपन्यास के फिल्मांकन पर प्रो. काशीनाथ सिंह सहित पूरे बनारस वासी खासे उत्साहित हैं। इस फिल्म की खास बात यह होगी कि नायकों के नाम भी वही रहेंगे जो उपन्यास में चरित्रों के नाम हैं। भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रहते हुए श्याम बेनेगल की वेलकम टु सज्जनपुर, मणिरत्‍‌नम की रावण सरीखी फिल्म में अपनी जोरदार भूमिका को प्रतिष्ठापित करने वाले रविकिशन इस फिल्म को लेकर भावुक भी हैं और रोमांचित भी। रविकिशन कहते हैं कि जौनपुर में पैतृक भूमि होने और वाराणसी में कुछ वक्त गुजारने के कारण काशी की माटी और जीवन को समझा है लेकिन उसका जो मस्त-मौला रूप, गालियों में भी अभिव्यक्ति की अलग मिठास, अस्सी के अलग-अलग किरदार और उनकी जीवंतता को करीब से जानने का मौका उपन्यास को पढ़ने के बाद मिला। रवि किशन तन्नी गुरु से भी मिलने के लिए उत्साही है. वो बताते हैं की किसी पात्र को उनके अनुरूप डालने में उस जीवंत पात्र से मिलना काफी सहायक होता है. बहरहाल बनारस एक बार फिर रूपहले परदे पर अपनी शोभा बढाने के लिए तैयार है.

मंगलवार, फ़रवरी 22, 2011

एक जाबांज फौजी की कहानी है ‘‘फौजी’’-दीपा नारायण


दीपा नारायण झा मात्र एक ऐसी भोजपुरी की महिला निर्माता हैं, जिनकी पहली भोजपुरी फिल्म ‘कब होई गवना हमार’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इस फिल्म के अलावा ‘कब कहबऽ तू आय लव यू’, ‘ई रिश्ता अनमोल बा’, ‘कानून हमरा मुट्ठी’ में जैसी सफल फिल्मो का निर्माण कर चुकी दीपा नारायण की एक और भोजपुरी फिल्म ‘फौजी’ प्रदर्शित हो रही है। इस फिल्म को उदित नारायण और दीपा नारायण ने प्रस्तुत किया है। इससे पहले दीपा नारायण एक और फिल्म प्रस्तुत कर चुकी हैं जिसका नाम है ‘तू बबुआ हमार’। हाल ही में हमारी बातचीत दीपा नारायण से उनकी आनेवाली फिल्म ‘फौजी’ को लेकर हुई, पेश है बातचीत के कुछ खास अंश-
बिहार में ‘फौजी’ प्रदर्शित होने जा रही है, इस फिल्म को आपने प्रस्तुत किया है, क्या खास लगा आपको इस फिल्म में?
‘फौजी’ फिल्म की कहानी मुझे बहुत पसंद आई। इस फिल्म में तमाम अनछुए पहलुओं को उजागर किया गया है।
फिल्म ‘फौजी’ के बारे में थोड़ा सा विस्तार से बतायें?
इस फिल्म की कहानी एक ऐसे जाबांज फौजी की है, जो सरहद पर तो लड़ता ही है, साथ ही सरहद के अंदर खोखले व्यवस्था तंत्र को भी ललकारता है।
आपकी पहली फिल्म ‘कब होई गवना हमार’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, उसके बाद किसी भोजपुरी फिल्म को यह पुरस्कार नहीं मिला, इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
इस बारे में अपनी कोई स्पष्ट राय तो मैं नहीं दे सकती, लेकिन जहां तक मेरी समझ में जो बात आती है, वो यह है कि भोजपुरी सिनेमा अपनी राह से भटक रही है। लोग पैसा बनाने के पीछे पड़े हैं सिनेमा के नही।
आप पहले एक गायिका हैं फिर निर्माता। दोनों में से किसे ज़्यादा प्राथमिकता देती हैं?
सबसे पहले मैं गृहणी हूं, मां हूं, फिर गायिका और निर्माता। गायिकी और फिल्म मेकिंग दोनों ही मेरा पैशन है। दोनों में बड़ा मजा आता है।
भोजपुरी में और भी कोई फिल्में कर रहे हैं ?
स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है, उसकी घोषणा हम बाद में करेंगे।
हिन्दी में भी आप फिल्में बनाने वाली थीं?
सिर्फ हिन्दी ही नहीं मैं हिन्दुस्तान की हर भाषा में फिल्में बनाना चाहती हूं। लेकिन अभी थोड़ा समय है। मैंने अब तक 18 भाषाओं में गीत गाये हैं, ईश्वर ने चाहा तो इतनी ही भाषाओं में फिल्में बनाऊंगी।



क्रिकेट के नशा से गहरा है फिल्मो का नशा - रवि किशन


भोजपुरी फिल्मो के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले अभिनेता रवि किशन क्रिकेट की दीवानगी को एक नशा मानते हैं लेकिन ये भी मानते हैं की उनके लिए फिल्मो का नशा क्रिकेट के नशा के सामने कुछ भी नहीं है . आज जहाँ पूरा देश क्रिकेट के खुमार में डूबा है वहीँ फिल्म जगत में उत्साह की कमी नज़र आ रही है . हिंदी , भोजपुरी सहित देश की लगभग हर भाषा की फिल्मो में काम कर रहे रवि किशन उनमे से ही एक है. रवि किशन की व्यस्तता का आलम ये है की आज उनकी आने वाली फिल्मो की संख्या लगभग पचास तक पहुच गयी है. लगातार फिल्मो की शूटिंग में व्यस्त रवि किशन से क्रिकेट वर्ल्ड कप के सम्बन्ध में पुछा गया तो उन्होंने कहा की क्रिकेट से उन्हें लगाव है लेकिन उसके प्रति दीवानगी उन्हें पसंद नहीं है , हाँ जब भारतीय क्रिकेट टीम जीतती है तो उन्हें काफी ख़ुशी होती है. उन्होंने इस बात पर भी आपति जताई की क्रिकेट को पूरे देश से जोड़ना गलत है मसलन टीम जीतती है तो ये नहीं कहना चाहिए की भारत जीता और टीम हारती है तो ये नहीं कहा जाना चाहिए की भारत हारा . यह शब्द जीतने पर तो अच्छा लगता है लेकिन हारने पर दिल को ठेस पहुचती है. हालांकि रवि किशन को इस बात से इनकार नहीं है की क्रिकेट आज देश की धड़कन बन चुकी है और जितनी लोकप्रियता इस खेल को मिली है उतनी किसी को नहीं. उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया की क्रिकेट का असर फिल्म जगत पर भी हुआ है. जिस दिन भारतीय टीम का मैच होता है उस दिन सिनेमाघरों में दर्शको की संख्या कम होती है . यह पूछे जाने पर की शूटिंग पूरी कर जब वक़्त मिलेगा तो वो क्रिकेट देखना पसंद करेंगे ? उन्होंने कहा बिल्कुल अगर भारतीय टीम सेमीफायनल और फायनल खेलेगी तो वो ज़रूर मैच देखना पसंद करेंगे . उन्होंने भोजपुरी फिल्म के दर्शको से अपील भी की कि वो क्रिकेट के साथ साथ फिल्मो का भी मजा लें.

सोमवार, फ़रवरी 21, 2011

PYAR ZINDABAAD






"More than do dozan Hindi and telgu film maker Shree Raghvendra Entertainment now producing Bhojpuri Film PYAR ZINDABAAD . The entire shooting of this film is completed at Ramorao Filmcity Hydrabad. The film is bening produced by shree kashi G, Director Mohan Rao , Music by Siddarth srivastav, Lyrics – Shyam ji Shyam, story-screenplay - dialogue - Rajeev yadav, cinematographer – Murli krishnan, Dance – K. Mohan, action – Ravi kant . It stars – Pankaj Kesri, Sezal Sharma, Sara, Heera laal Yadav, siddarth srivastav, Rajeev Yadav etc. "

शुक्रवार, फ़रवरी 18, 2011

फ्रंटलाईन ग्रुप की टीम में लालू के बेटे तपस्वी


आई पी एल के तर्ज पर झारखण्ड क्रिकेट एशोसिएशन द्वारा आयोजित झारखण्ड प्रिमीयर लीग में फ्रंटलाईन ग्रुप की जमशेदपुर जाबाज टीम से पूर्व मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव चैके छक्के लगायेंगे। फ्रंटलाइन ग्रुप ने सर्वाधिक बोली लगाकर उन्हें अपनी टीम में शामिल किया है। साथ ही पटना मध्य से भाजपा के विधायक अरूण कुमार सिन्हा के सुपुत्र आशीष सिन्हा भी इसी टीम के लिए मैदान में उतरेंगे। इसकी जानकारी देते हुए फ्रंटलाइन ग्रुप के एम.डी. नरेन्द्र सिंह ने बताया कि हमारी टीम का नाम भले हीं जमशेदपुर जांबाज हो मगर इसमें अधिकतर खिलाड़ी बिहार के हैं। उन्होंने बताया कि बिहार में खेल का माहौल नहीं है। न तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम है और न ही बीसीसीआई की मान्यता। इस कारण सूबे के अधिकतर क्रिकेट खिलाड़ियों को प्लेटफार्म नहीं मिल पा रहा है। फ्रंटलाइन ग्रुप ने जमशेदपुर जांबाज टीम के जरिये ऐसे खिलाड़ियों को मौका देने का फैसला लिया है। उन्होंने दावा किया कि हमारी टीम के 4-5 खिलाड़ी काफी अच्छे है जो भविष्य में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी खेल सकते है। लालू प्रसाद के बेटे के बाबत नरेन्द्र सिंह ने बताया कि उनका चयन उनके परफामेंस के आधार पर हुआ है। वे काफी अच्छी बल्लेबाजी करते है। इसके पहले वह आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स का हिस्सा रह चुके है। ऐसे में उनके आने से टीम को मजबूती मिली है। रणजी के स्टार खिलाड़ी रहे मिहिर दिवाकर टीम का प्रतिनिधित्व करेंगे। टीम में 12 खिलाड़ी बिहार के है जिनमे सुजीत झा, रोहन मिश्रा, विनित शर्मा, रोहित राज, जसकरण सिंह, निखिल सिंह आदि शामिल है। जीपीएल के अन्य टीमों में रांची रेंजर्स, धनबाद डायमंड, बोकारो बुल्स और सिंहभूम शेर शामिल है। बिहार में क्रिकेट लीग आयोजित कराने के बाबत श्री सिंह ने कहा कि अगर राज्य सरकार हमे अच्छी ग्राउंड सुविधा मुहैया कराये तो हम पटना में 8 देशों का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच आयोजित कराने के इच्छुक है। इसके लिए श्रीलंका, बांग्लादेश, केन्या आदि टीमों के खिलाड़ियों से बात भी हो चुकी है। श्री सिंह ने बताया कि हमारी टीम के समर्थन में भोजपुरिया सुपर स्टार मनोज तिवारी, अभिनेत्री संभावना सेठ के अवाला अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी प्रवीण कुमार, आरपी सिंह आदि खिलाड़ी स्टेडियम में मौजूद रहेंगे।

गुरुवार, फ़रवरी 17, 2011

रवि किशन कि दरियादिली


जब भी भोजपुरी फिल्मो कि आती है तब पिछले दस साल से भोजपुरी फिल्मो में अपना जलवा बिखेर रहे भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन अग्रीम पंक्ति में खड़े रहते हैं, चाहे उसके लिए उन्हें जो भी नुकसान उठाना पड़े उसके लिए तैयार रहते हैं. सोलह फरबरी को भी कुछ ऐसा ही हुआ . यह सर्व विदित है कि रवि किशन आज कि तारीख में ग्लेमर वर्ल्ड के सबसे व्यस्त सितारे हैं और उनकी आने वाली फिल्मो कि संख्या लगभग पचास तक पहुच गयी है. जाहिर है उनके पास वक़्त का भी अभाव रहता होगा. पिछले कई महीनो से निरंतर शूटिंग कर रहे रवि किशन ने पचास भोजपुरी सिनेमा के पचास वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एफएमसीसीए द्वारा आयोजित तीन दिवसीय स्वर्णिम भोजपुरी समारोह के समापन समारोह में भाग लेकर आयोजको तक को चौका दिया. इस समारोह में भाग लेने के लिए रवि किशन ने ना सिर्फ अपनी फिल्म कि दो दिन कि शूटिंग भी रद्द कि बल्कि अपने खर्चे पर मुंबई से पटना गए और समारोह का हिस्सा बने. रवि किशन के अनुसार आज उन्हें जो कुछ भी हासिल हुआ है वो भोजपुरी कि ही बदौलत हासिल हुआ है. आज हिंदी फिल्मो के बड़े बड़े दिग्गज आज अगर उन्हें सम्मान देते हैं और अपनी फिल्म के अभिनय का मौका देते हैं तो वो इसीलिए क्योंकि वो एक बड़े इलाके के फिल्म जगत का प्रतिनिधित्व करते हैं. समापन समारोह में रवि किशन को सम्मानित भी किया गया . बहरहाल रवि किशन ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वो भोजपुरी के लिए हर संभव अपना योगदान देंगे .

सोमवार, फ़रवरी 14, 2011

दुनिया हिला दी पर ......पर औकात रही छोटी

भोजपुरी सिनेमा के पचास साल पर विशेष
१६ फरबरी १९६१ को आज की भोजपुरी फ़िल्म जगत का सबसे एतिहासिक दिन था, क्योंकि इसी दिन पहली भोजपुरी फ़िल्म गंगा मईया तोहे पियरे चढैबो का मुहूर्त हुआ था पटना के शहीद स्मारक के तले । तब से लेकर आज तक भोजपुरी फ़िल्म जगत को अनेक बदलाव से जूझना पड़ा है। कभी कामगारों की फ़िल्म कही जाने वाली भोजपुरी आज न सिर्फ़ नेशनल अवार्ड पा चुकी है बल्कि इसका डंका चारो दिशाओ में बज रहा है , यही नहीं कभी बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश के बाज़ार को ध्यान में रखकर बनाई जाने वाली भोजपुरी फ़िल्म आज बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश की सीमा से निकल विदेश की धरती पर भी अपना झंडा गाड़ने में सफल रही है। बात अगर मायानगरी मुंबई की की जाए तो आज बिहार के बाद भोजपुरी फिल्मो का सबसे बड़ा बाज़ार मुंबई ही है। १९८४ में बनी फ़िल्म गंगा किनारे मोरा गाँव से लेकर आज तक मुंबई में भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज ने काफ़ी तरक्की की है।

1963 में बिहार के एक व्यवसाई विश्वनाथ शाहाबादी की फिल्म गंगा मइया तोहें पियरी चढैबो से भोजपुरी सिनेमा की शुरूआत होती हैं और इस फ़िल्म के प्रेरणा श्रोत थे देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद । हालांकि 20वीं सदी के पांचवें दशक में भोजपुरी क्षेत्र के कई लेखक कवि कलाकार बम्बई फिल्म उद्योग में सक्रिय थे और इन भोज्पुरियो को अपने देश, गांव-जवार की बड़ी याद सताती थी। लेकिन इस भाषा में फ़िल्म बने इसका ख्याल किसी को नही आया। कहा जाता है की विश्नाथ शाहाबादी बड़े बैग में ढेर सारा रुपया लेकर मुंबई आए और दादर में वे प्रीतम होटल में ठहरे जो पुरबियों का अड्‌डा था यहीं उनकी मुलाकात नजीर हुसैन से हुई जो वर्षों से एक पटकथा तैयार करके भोजपुरी फिल्म बनाने की जुगत में थे और इस तरह जनवरी 1961 में नजीर हुसैन के नेतृत्व में गंगा मइया तोहें पियरी चढ़इबो के निर्माण की योजना बनी। फिल्म का निर्देशन बनारस के कुंदन कुमार को सौंपा गया। बनारस के ही रहने वाले कुमकुम और असीम को फिल्म में नायिका और नायक बनाया गया। संगीत निर्देशन की जिम्मेदारी चित्रगुप्त को दी गई । 1963 में यह फिल्म प्रदर्शित हुई और बेहद सफल हुई। इसके बाद तो इसका सिलसिला ही शुरू हो गया। मुंबई में पहली भोजपुरी फ़िल्म जिस सिनेमाघर में लगी वो थी मिनर्वा और फ़िल्म थी १९८४ में बनी गंगा किनारे मोरा गाँव । आश्चर्यजनक रूप से यह फ़िल्म लगातार चार सप्ताह तक चली और इस तरह मुंबई में भोजपुरी फिल्मो का द्वार खुल गया। इसके बाद लगातार कई फिल्में आई और अपनी मौजूदगी का अहसास कराती रही, लेकिन भोजपुरी फ़िल्म जगत पर आए संकट के बादल ने मुंबई को भोजपुरी फिल्मो से महरूम कर दिया। लंबे अरसे तक मुंबई में कोई भी भोजपुरी फिल्में रिलीज़ नही हुई।

साल २००३ में विश्वनाथ शाहाबादी के भांजे मोहनजी प्रसाद ने हिन्दी फिल्मो में अच्छा ब्रेक पाने की तलाश में भटक रहे जौनपुर के छोरा रविकिशन को लेकर सैयां हमार नाम की एक फ़िल्म बनाकर भोजपुरी फ़िल्म जगत के अब तक के स्वर्णिम युग की शुरुवात की । कुछेक लाख में बनी इस फ़िल्म ने काफी अच्छा व्यवसाई किया। मोहन जी और रवि किशन की इस जोड़ी ने लगातार चार हिट फिल्मे दी। इसी कड़ी को आगे बढाया 2005 में प्रदर्शित फिल्म ससुरा बड़ा पइसा वाला ने । इस फ़िल्म ने भोजपुरी फ़िल्म जगत से जुड़े लोगो को एहसास दिलाया की लोकसंगीत से जुड़े लोग भी अभिनेता बन सकते हैं। उस समय गायकी में मनोज तिवारी मृदुल का डंका बज रहा था, और दर्शको ने ससुरा बड़ा पैसे वाला को हाथो हाथ उठा लिया और मनोज तिवारी रातो-रात लोगो के चहेते बन गए। फ़िर तो बिहार उत्तरप्रदेश के गायकों की भीड़ सी लग गई, लेकिन किस्मत चमकी तो सिर्फ़ दिनेश लाल यादव निरहुआ की। सिर्फ़ पाँच साल पहले तक मात्र ५ हजार के मेहनाता पर गाने वाला निरहुआ अगर आज किसी फ़िल्म के एवज में ३० लाख रूपये मेहनाता लेता है तो इसे भोजपुरी फ़िल्म जगत की ऊंचाई ही कह सकते हैं। आज भले ही मनोज तिवारी फ़िल्म निर्माताओ की पसंद नही हैं लेकिन उन्होंने जो सिलसिला शुरू किया था उसमे कई लोग नाम कम रहे हैं। आज के भोजपुरी के सबसे लोकप्रिय लोक गायक पवन सिंह, गुड्डू रंगीला, छोटू चलिया, सहित दर्जनों ऐसे गायक हैं जो बतौर अभिनेता काम कर रहे हैं।

मल्टिप्लेक्स के इस दौर में अगर आज सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर फल फूल रहे हैं तो इसका श्रेय भोजपुरी फिल्मो को ही जाता है ।
आज हालत ये है की महाराष्ट की इस धरती पर भोजपुरी सिनेमा ने मराठी फिल्मो को भी पीछे छोड़ दिया है । आपको जानकर आश्चर्य होगा की मुंबई में भोजपुरी फिल्मो का बाज़ार मराठी फिल्मो से कई गुना अधिक है। आज मुंबई के लगभग २० सिनेमा घरो में भोजपुरी फिल्मे प्रर्दशित होती है। कई मल्टीप्लेक्स भी अब भोजपुरी फिल्मो का प्रदर्शन कर रहे हैं। मुंबई में बसे भोजपुरी भाषी का यह अपनी भाषा के प्रति प्यार ही है की आज फ़िल्म निर्माता उत्तरप्रदेश की तुलना में मुंबई से कहीं अधिक कमाई कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में रोचक तथ्य यह है की मुंबई में बसे पूर्वी उत्तरप्रदेश के लोगो की तुलना में बिहार के लोग अधिक संख्या में भोजपुरी फ़िल्म देखते है और धीरे धीरे उत्तरप्रदेश के लोगों का रुझान भी भोजपुरी फ़िल्म को लेकर काफ़ी बढ़ रहा है। यह रुझान भोजपुरी फ़िल्म जगत के लिए एक शुभ संकेत है।

सवाल उठता है इतना विशाल इंडस्ट्रीज बनने के वावजूद आज भी भोजपुरी फ़िल्म जगत को वो सम्मान हासिल क्यों नही हो पाया है जिसकी वो हकदार है ? अगर गहराई से पड़ताल तो मामला साफ़ हो जाता है। आज भोजपुरी जगत स्तरीय फिल्मो से दूर हो गया है, पैसे कमाने की चाहत में फ़िल्म निर्माताओ ने ऐसे वर्ग के दर्शको के लिए फिल्मे बनानी शुरू कर दी है जो अश्लीलता देखना ज्यादा पसंद करते हैं। निर्माता निर्देशक भी अश्वलील व फूहड़ फिल्मो को ही अधिक प्राथमिकता देते हैं , वो मानकर चलते हैं कि भोजपुरी फिल्मो के दर्शक सिर्फ सड़क छाप है . कुछ अच्छी फिल्मो का ना चल पाने को वो उदहारण स्वरुप लेते हैं. लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं लगाना चाहिए कि दर्शक अश्वलीलता ही पसंद करते हैं. कन्यादान, कब होई गवना हमार, विदाई, कि सफलता कि वजह उसका अच्छी फिल्म होना था. अब फिल्मकारों को भी इस दिशा में सोचने का वक़्त आ गया है. भोजपुरी में कई कारपोरेट कंपनिया आई लेकिन निर्माताओ और वितरकों की मिलीभगत ने उन्हें कहीं का नही छोड़ा । इसके अलावा आपसी गुटवाजी भी यहाँ बहुत है। पूरी इंडस्ट्रीज अलग अलग गुटों में बँटा है। हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में भी गुटवाजी है, लेकिन इसका असर उनके काम पर नही होता है। यहाँ तो एक दूसरे को नीचा दिखने के चक्कर में लोग अपनी फिल्मो को भी दाव पर लगा देते हैं। इसलिए ये कहा जा सकता है की भोजपुरी फिल्मो ने दुनिया हिला तो दी.....पर औकात छोटी ही रही।
बहरहाल भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज का आज का दौर काफ़ी अच्छा है , लाखो लोग इस इंडस्ट्रीज से अपनी जीविका चला रहे हैं। बरसो पहले जो पौधा लगाया गया था और सालो से मुरझाया था आज विशाल बट वृक्ष बन गया है।

क्या कहते हैं सितारे

राकेश पाण्डेय - भोजपुरी के पहले चोकलेटी हीरो राकेश पाण्डेय भोजपुरी फिल्मो के आज के हालात पर दुखी है . बलम परदेसिया से भोजपुरी फिल्मो में कदम रखने वाले राकेश पाण्डेय हाल ही में इस दशक कि सबसे साफ़ सुथरी फिल्म ननिहाल में दिखे थे. उन्हें दुःख है कि इस फिल्म को दर्शको का प्यार नहीं मिला . भोजपुरी के तीनो दौर के गवाह रहे राकेश पाण्डेय पुरानी दिनों को याद कर खो जाते हैं और कहते हैं मैं भले ही हिमाचल प्रदेश के निवासी हैं लेकिन पटना से उनका पुराना नाता रहा है और यही वजह है कि नज़र साहब ने जब उन्हें बलम परदेशिया के लिए कहा तो वो ताल नहीं पाए और तब से उनका अभिनय का केन्द्रविंदु भोजपुरी ही रहा है. उन्हें गर्व है कि कि वो उस दौर का हिस्सा रहे हैं जब भोजपुरी संस्कारों वाली फिल्मो से सराबोर रही है.
कुनाल सिंह - भोजपुरी के तीनो चरणों में सक्रिय रहे कुनाल सिंह मानते हैं कि भोजपुरी फिल्मो में काफी बदलाव आया है, कभी ग्रामीण परिवेश कि खुशबू रखने वाली भोजपुरी कि शूटिंग अपने खेत खलिहान से निकल कर लन्दन तक में होने लगी है. ऐसे में माटी कि खुशबू का गायब होना लाज़मी है. कुनाल सिंह के अनुसार बजट में बढ़ोतरी भोजपुरी फिल्मो का सबसे बड़ा दुश्मन है . आज हालात ये हैं कि बड़ी फिल्मो में लगा पैसा निकालने में निर्माताओ के पसीने छुट जाते हैं. अश्वलीलता के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब से भोजपुरी ने शहरी चोला पहना है तभी से फिल्मो में अश्वलीलता बढ़ी है , जिसके कारण महिलाओ ने भोजपुरी फिल्मो से मुह मोड़ लिया है .

रवि किशन - तीसरे चरण से भोजपुरी फिल्म जगत में लगातार छाये रहने वाले रवि किशन को गर्व है कि वो उस फिल्म जगत का हिस्सा है जिस भाषा को उनके माँ - पिताजी बोलते हैं. बकौल रवि - भोजपुरी फिल्मो का मतलब होता है माँ के हाथ का बन खाना . जाहिर है जहाँ अपनापन हो वहां काम में तो मजा आएगा ही. बढती अश्वलीलता के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि हाँ पहले कि तुलना में इसमें बढ़ोतरी तो हुई है लेकिन उतना नहीं जितना कि आरोप लगते हैं और हाँ छेड़ छाड़ तो हमारी संस्कृति का अंग है . हम होली में भाभी के साथ छेड़ छाड़ करते हैं लेकिन उसी शाम उनके पैर पर गुलाल रखकर आशीर्वाद भी लेते हैं. उन्होंने कहा कि बतौर निर्माता उनकी फिल्मो में युवा वर्ग के लिए सन्देश ज़रूर होगा.

मनोज तिवारी - मनोज तिवारी कि फिल्म ससुरा बड़ा पैसे वाला से भोजपुरी फिल्मो कि रफ़्तार बढ़ी . इस फिल्म ने कई निर्माताओ को भोजपुरी कि ओर खिंचा . मनोज तिवारी से ही भोजपुरी फिल्मो में गायकों के हीरो बनने कि परंपरा शुरू हुई . बकौल मनोज तिवारी - यह सिर्फ हम कलाकारों के लिये ही नहीं, बल्कि यूपी और बिहार से जुड़े हर शख्स के लिये सम्मान की बात है कि भोजपुरिया सिनेमा को पूरे पचास साल हो गये हैं. जहां तक भोजपुरिया इंडस्ट्री के भविष्य की बात करें, तो मुझे लगता है कि भविष्य हमेशा ही अतीत से सुनहरा ही होता है. खासकर जब हम जमकर मेहनत करेंगे. मुझे उम्मीद है कि इंडस्ट्री से जुड़ा हर शख्स इस इंडस्ट्री को और बेहतरीन बनाना चाहता है. इन पचास सालों में इंडस्ट्री ने बहुत से बदलाव देखें हैं. कुछ इसे अच्छा तो कुछ बुरा मानते हैं. अक्सर सुनने में आता है कि हमारी फिल्मों के विषय अब देसी नहीं रहे. इसमें बुराई भी क्या है.

निरहुआ - मनोज तिवारी के बाद किसी गायक ने अगर भोजपुरी फिल्मो में बतौर अभिनेता जगह बनायी तो वो हैं दिनेश लाल यादव निरहुआ . बिरहा गायकी से अपना कैरियर शुरू करने वाले निरहुआ ने यह साबित कर दिया कि भोजपुरी फिल्म के कलाकार भी मेहनताना के मामले में किसी अन्य फ़िल्मी कलाकारों से कम नहीं हैं. भोजपुरी सिनेमा के पचास साल के सफ़र पर गर्व करते हुए वो कहते हैं कि इस फिल्म जगत में उनकी मात्र २५ फिल्मे ही शामिल है लेकिन इस बात पर उन्हें फक्र है कि वो अपनी मातृभाषा के काम आ सके. बकौल निरहुआ - इस फिल्म जगत का हिस्सा बनना मेरे लिए एक बड़े सपने को पूरा करना जैसा है और मैं हर हाल में इसमें अपना योगदान देता रहूँगा . फिल्म निर्माण कि ओर कदम बढ़ा चुके निरहुआ के अनुसार लोग भले ही कुछ भी अनुमान लगाये भोजपुरी फिल्मो का भविष्य उज्जवल है .

एक नंबर पर दो कनेक्शन


टाटा डोकोमो का फर्जी वाडा
बेहतर सेवा का वादा करने वाली टाटा डोकोमो अपने ग्राहकों को किस हद तक परेशान कर सकती है उसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक नंबर के दो दावेदार आपको यहाँ मिल जायेंगे . लोअर परेल कि रहने वाली गीतेश रमेश पाण्डेय ने एक साल पहले डोकोमो का प्रीपेड कनेक्शन लिया था , इस फोन का प्रयोग उनके पति उदय भगत कर रहे हैं. पांच दिन पहले उसने प्रीपेड को पोस्ट पैड में बदलने के लिए आवेदन किया . आवेदन के कुछ ही देर बाद सिम कार्ड ब्लाक हो गया . उदय भगत के अनुसार उन्होंने लोखंडवाला के टाटा डोकोमो के आउट लेट से संपर्क किया तो उन्होंने सिम कार्ड बदलने कि सलाह दी. नया सिम खरीदने के बाद अगले दिन टाटा डोकोमो ने नया पोस्ट पेड़ सिम भेजा और कहा कि ४८ घंटे में फ़ोन चालू हो जायेगा. अगले ही दिन यानी १० फरवरी को फिर सिम कार्ड ब्लाक कर दिया गया और ग्यारह फरबरी को यह नंबर अजय गुप्ता नामक एक व्यापारी को दे दिया गया . उदय भगत ने टाटा डोकोमो के कस्टमर केयर में ओन लाइन चेट से बात कि तो बताया गया कि आपने ६ महीने से इस नंबर का प्रयोग नहीं किया है इसीलिए इसे रद्द कर दिया गया है . मजे कि बात तो ये है कि लोखंडवाला स्थित टाटा डोकोमो में जब उदय भगत ने संपर्क किया तो कहा गया प्रीपेड में यह नंबर आपकी पत्नी के नाम से है लेकिन पोस्ट पैड में अजय गुप्ता के नाम से है. उदय भगत के अनुसार उस नंबर से रोजाना सौ से भी अधिक फोन का आना जाना लगा रहता है इसीलिए यह कहना कि ६ महीने से नंबर प्रयोग में है गलत है. साथ ही वो हर महीने वो अपने क्रेडिट कार्ड से लगभग हज़ार रुपये का रिचार्ज करवाते हैं इस नंबर पर इसीलिए यह कहना कि ६ माह से फोन प्रयोग में नहीं है सरासर गलत है. पत्रकार व प्रचारक उदय भगत ने बताया कि उन्होंने सायबर सेल में मेल द्वारा इसकी शिकायत दर्ज करवाई है. .

शनिवार, फ़रवरी 12, 2011

पंकज केसरी का जादुई तराना ‘द ग्रेट हीरो हीरा लाल’


भोजपुरी फिल्मो के जाने माने स्टार पंकज केसरी की फिल्म ‘द ग्रेट हीरो हीरा लाल’ ने सफलता का डंका बिहार में बजाया है। यह फिल्म बिहार में 35 सिनेमाघर में भीषण ठंढ के बावजूद जबरदस्त बिजनेस कर रही है। पंकज केसरी इस फिल्म से एक बार फिर से लोगो का दिल जीतने में सफल हुए हैं । इस फिल्म में जैसे ही पंकज की एंट्री होती है अपने चहेते स्टार को पर्दे पर देखकर दर्शक जोरदार तालियां बजा रहे है। ‘द ग्रेट हीर¨ हीरा लाल’ में पंकज की नायिका है मोनालिसा । भोजपुरिया पर्दे पर लंबी पारी खेलने वाले पंकज केसरी ने हर बड़े निर्माता के साथ काम किया है। दर्शको के दिलो दिमाग पर छा जाने वाले पंकज केसरी की इस साल 2011 में पहली फिल्म ‘द ग्रेट हीर¨ हीरालाल’ प्रदर्शित हुई त¨ इस फिल्म ने कमाल का बिजनेस किया । ‘द ग्रेट हीर¨ हीरा लाल’ के बाद पंकज केसरी की कई और बड़े बैनर की बहतरीन फिल्में आने वाली है। जिसमें ‘मोरा बलमा छैल छबीला’ में उनकी नायिका रानी चटर्जी है। इसके अलावा पंकज केसरी ‘नथुनिया पे गोली मारे’ में गुंजन पंत के साथ बतौर नायक नजर आयेंगे। पंकज केसरी की सफलता और नेकदिल इंसान होने की वजह से आज उनके पास फिल्मो की लांबी कतारे हैं. उनकी आने वाली प्रमुख फिल्मो में ‘त्रिनेत्र’, ‘रिक्शा वाला आई लव यू’, ‘जीजा जी की जय हो¨’, ‘सांवरिया

शुक्रवार, फ़रवरी 11, 2011

मुश्किल के दौर से उबर चुका है भोजपुरी सिनेमा - रवि किशन


भोजपुरी सिनेमा क़ी स्वर्ण जयंती पर विशेष -
१६ फरबरी १९६१ को भोजपुरी सिनेमा कि नीव पड़ी थी, इस तरह भोजपुरी सिनेमा अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है. पचास साल के इस सफ़र में भोजपुरी सिनेमा ने कई उतार - चढ़ाव देखे हैं.इन पचास साल में कई साल ऐसे भी रहे हैं जब एक भी फिल्म नहीं बनी. और तो और इस फिल्म जगत ने दो बार पहले भी दम तोड़ दिया था, लेकिन पिछले दस साल से भोजपुरी सिनेमा लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है. इस दस साल में भोजपुरी फिल्म जगत को कई स्टार मिले उनमे से एक हैं रवि किशन जिन्हें सदाबहार सुपर स्टार भी कहा जाता है. यहाँ तक कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने उन्हें भोजपुरी के महानायक कि उपाधि दी थी. लगभग एक सौ चालीस भोजपुरी फिल्मो में अपना जलवा बिखेर चुके रवि किशन से भोजपुरी फिल्मो के इस एतिहासिक सफ़र पर विस्तृत चर्चा हुई .. प्रस्तुत है कुछ अंश :

आपने हिंदी फिल्मो में संघर्ष के बाद भोजपुरी फिल्मो में कदम रखा .. कैसे आना हुआ भोजपुरी में ?

ये सच है कि मैंने हिंदी फिल्म जगत में काफी संघर्ष किया है, इस ऑफिस से उस ऑफिस के चक्कर लगाते लगाते दिन निकल जाते थे. मेरी इच्छा थी कि मैं किसी भोजपुरी फिल्म में काम करूँ क्योंकि मैं अपने माता पिता से इसी भाषा में बात करता था लेकिन उस दौरान फिल्मे बननी लगभग बंद हो गयी थी. साल २००१ उसी दौरान एक दिन अभिनेता ब्रिजेश त्रिपाठी जी ने मुझसे पुछा कि भोजपुरी फिल्म करनी है तो मोहनजी प्रसाद से मिल लो .यही नहीं वो खुद रात के ग्यारह बजे मुझे मोहनजी प्रसाद के ऑफिस ले गए . मोहनजी सैया हमार नामकी एक फिल्म कि प्लानिंग कर रहे थे. यह फिल्म बंगला और भोजपुरी दोनों ही भाषा में बन रही थी. बस उसी फिल्म से भोजपुरी फिल्मो का मेरा सफ़र शुरू हुआ, इस फिल्म के बाद मैंने लगातार चार सुपर हिट फिल्म दी , जिससे अचानक भोजपुरी फिल्मो का बाज़ार तेजी से बढ़ गया.

क्या फर्क है पहले की और आज की भोजपुरी फिल्मो में ?

काफी बदलाव आये हैं - तकनिकी दृष्टि से भी और अभिनय कि दृष्टि से भी . बड़ी बड़ी कंपनिया इस क्षेत्र में कदम रख चुकी है. हमारा बाज़ार बिहार उत्तर प्रदेश कि सीमा को लांघ कर अब पूरे देश में फ़ैल गया है , जल्द ही विदेश में भी नियमित रूप से भोजपुरी फिल्मो को रिलीज़ किया जायेगा . मैं खुद इस दिशा में प्रयासरत हूँ . जल्द ही एक बड़ी खबर से भोजपुरी फिल्म जगत का सामना होगा. हिंदी फिल्म जगत के बड़े बड़े लोग भोजपुरी फिल्मो में काम कर चुके हैं और यह सिलसिला जारी है. आज मेरी फिल्म कब होई गवना हमार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. जरा देब दुनिया प्यार में को कांस फेस्टिवल में दिखाया गया है . ये आज के दौर क़ी बड़ी उपलब्धि है भोजपुरी फिल्म जगत क़ी . आज मिडिया इसे गंभीरता से ले रही है . बुद्धिजीवी वर्ग इस पर चर्चा कर रहा है.

क्या वजह है क़ी महिलाये भोजपुरी फिल्मो से दूर हो गयी हैं ?

देखिये टीवी क़ी वजह से महिलाओ क़ी संख्या में कमी आई है खासकर बिहार उत्तरप्रदेश में, फिर भी कई फिल्मे ऐसी है जिसे महिलाओ ने भारी संख्या में देखा . खुद मेरी फिल्म कन्या दान , बिदाई और हमरा से बियाह करवा का उदहारण मैं दे सकता हूँ.

आपने अब फिल्म निर्माण क़ी दिशा में कदम बढ़ा दिया है .. कैसी फिल्मे बनायेंगे आप ?

नि;संदेह अच्छी फिल्मे बनाऊंगा जो समाज के हर वर्ग के लिए हो और कोई ना कोई सन्देश हो उसमे . फिलहाल मेरे प्रोडक्शन हाउस क़ी दो फिल्मे जल्द ही फ्लोर पर जायेगी और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा .

सुना है आपके पास हिंदी , भोजपुरी फिल्मो क़ी लम्बी कतारे हैं ?

जी हाँ मेरे पास अभी चालीस के आस पास फिल्मे हैं जिनमे से कुछ क़ी शूटिंग पूरी हो चुकी है , कुछ निर्माणाधीन है और कुछ जल्द ही शुरू होने वाली है. हिंदी में इंटरनेशनल फिल्म अज़ान . डॉ. चंद्रप्रकाश दवेदी जी क़ी मोहल्ला ८० आदि प्रमुख है जबकि भोजपुरी में फिल्मो क़ी लम्बी श्रृंखला है. जिनमे डोन , देवदास , संतान, फौलाद, प्राण जाये पर वचन ना जाये , मल्लयुद्ध , कैसन पियवा के चर्रितर बा, शूटर शुक्ला आदि प्रमुख है .

भोजपुरी सिनेमा के पचास साल पूरे होने पर आप क्या सन्देश देना चाहेंगे ?

सबसे पहले तो मैं देश के पहले राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को शत शत नमन करना चाहूँगा जिनके मन में ये बात थी की भोजपुरी भाषा में भी फिल्म बने . उन्होंने अपनी मंशा नजीर हुसैन साहब के सामने ज़ाहिर की और स्वर्गीय विश्वनाथ शाहाबादी के सहयोग से पहली फिल्म का निर्माण शुरू हुआ. मैं गंगा मैया तोहे पियरे चढ़इवो के निर्देशक कुंदन कुमार जी, अभिनेता असीम कुमार जी, कुमकुम जी और म्यूजिक डायरेक्टर चित्रगुप्त जी जी को शत शत नमन करता हूँ जिनके कारण आज लाखो लोग भोजपुरी फिल्मो से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं.इसके अलावा रामायण तिवारी जी, भगवान् सिन्हा जी, लीला मिश्रा जी और मोहनजी प्रसाद के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता . इन लोगो की वजह से ही आज भोजपुरी सिनेमा अपने उत्कर्ष पर है. मैं भोजपुरी फिल्म देखने वाले हमारे भोजपुरिया भाई बहनों का भी शुक्र गुजार हूँ जिन्होंने आज भोजपुरी फिल्म जगत को इतनी शक्ति दी है . उनके कारण ही हम आज हिंदी फिल्म जगत को बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में चुनौती दे रहे हैं. और उनसे प्रार्थना करते हैं क़ी उनका प्यार भोजपुरी फिल्म जगत को हमेशा मिलते रहे ताकि हम लगातार प्रगति के पथ पर बढ़ें.

प्रस्तुति - उदय भगत

गुरुवार, फ़रवरी 10, 2011

रवि किशन - नॉन स्टॉप २४ घंटे


भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन इन दिनों काम के बोझ से दबे हुए हैं . हिंदी, भोजपुरी सहित लगभग सभी भारतीय भाषा की फिल्मो में काम कर रहे रवि किशन दुनिया के शायद इकलौते ऐसे अभिनेता हैं जिनकी आने वाली फिल्मो की संख्या पचास तक पहुच गयी है . फिल्मो की इतनी भारी संख्या के कारण रवि किशन रोज कम से कम अठारह घंटे काम करते हैं , लेकिन पिछले दिनों तो उन्होंने अपने निर्माता के समय को बचाने के लिए लगातार चौबीस घंटे तक शूटिंग की . हुआ यूँ कि स्वरुप फिल्म परिवार कि संतान कि शूटिंग का कुछ हिस्सा बाकी था और रवि किशन को तीन दिनों में काम पूरा कर एक अन्य फिल्म कि शूटिंग पूरी करनी थी, जो लम्बे समय तक चलता . फलस्वरूप रवि किशन ने निर्देशक हैरी फर्नांडिस से सलाह मशविरा कर टेक्निशियनो को दो अलग अलग शिफ्टो के लिए बुलाया और सुबह से अगली सुबह तक शूटिंग कर काम पूरा कर लिया. रवि किशन के साथ उनकी सह कलाकार शुभी शर्मा भी निरंतर काम करती रही. रवि किशन कि इस लगन को देखकर पूरा यूनिट जोश से भर गया और दिन दिनों का काम आसानी से चौबीस घंटे में पूरा हो गया . रवि किशन के अनुसार अगर काम पूरा नहीं होता तो निर्माता निर्देशक को अगली शूटिंग के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ता जिसका सीधा असर फिल्म के बजट पर पड़ता और मैं कभी भी नहीं चाहता हूँ कि मेरी फिल्म का बजट ज्यादा हो ताकि निर्माता मुनाफा कमाए. निर्देशक हैरी फर्नांडिस ने भी रवि किशन के जोश कि तारीफ़ करते हुए कहा कि रवि किशन अपने काम को पूरी लगन से करते हैं और उनमे जोश कूट कूट कर भरा रहता है और यही उनकी सफलता का राज है. बहरहाल रवि किशन ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वो अपने काम से कभी भी समझौता नहीं करते हैं .

मंगलवार, फ़रवरी 08, 2011

‘‘द रिर्टन ऑफ़ डॉ. जगदीश चन्द्र बसु’’ का मुहूर्त सम्पन्न



राजमानी क्रियेशन प्रस्तुत तथा अक्षत मोशन पिक्चर्स प्रा0 लि0 के बैनर तले बन रही पर्यावरण शिक्षा पर आधारित फिल्म ‘‘द रिर्टन ऑफ़ डॉ. जगदीश चन्द्र बसु’’ का मुर्हूत पटना सचिवालय गेट से समीप सतमूर्ति के पास हुआ। मुर्हूत क्लेप ओबरा के विधायक सोम प्रकाश सिंह द्वारा दिया गया जबकि मुर्हूत शार्ट प्रख्यात अभिनेता प्रमोद माउथो (फिल्म खलनायक) पर फिलमाया गया। इस अवसर पर फिल्म के लेखक-निर्देशक संतोश बादल ने बताया कि यह डाॅक्युमेन्टरी फिल्म जगदीश चन्द्र बसु के पुर्नजन्म और उनके शुरू किए अधुरे सपनों के इस जन्म में साकार करने के प्रयासों पर आधारित है।
फिल्म की शुरूआत मैं ताफिक नामक एक बूढ़े आदमी का नार्कोटिस्ट होता है और वो भी जगदीश चन्द्र बासु के पुर्नजन्म और सपनों की बात करता है - इधर एस0टी0एफ0 विभाग का चीफ (आर0पतनी) जिसे नासा से इस पुर्नजन्म की सच्चाई का पता लगाने का अनुरोध किया गया है की तहकीकात करता है नाकी टेस्ट में यह बात भी साफ हो जाती है कि वो बच्चा कबीर जैसे तौफिक ने एक बड़े बील्डर ललन पाण्डे के घर से उसके जन्म के समय अगवा किया था - कबीर को वापस ललन पाण्डेय के घर भेज दिया जाता है। कबीर खुलकर पेड़ों के कटने का विरोध करने लगता है। बिहार के सर्वे सामान्य लोग उसका अभूतपूर्व स्वागत करते है। पेड़ कटाई रोकने के लिए समारोह आयोजित होने लगती है और बिल्डर त्राही-त्राही करते है, अंततः ये बील्डर मिलकर एक कपटी बाबा द्वारा कबीर को मारना चाहते है, जिस समय एक घटना घटती है, सचमुच पेड़ कबीर की रक्षा करते है और कपटी बाबा का विनाश कर देते है। यह दृश्य कम्प्यूटर ग्राफिक्स के जरिये बड़े ही इन्ट्रेस्टींग तरीके से दिखाया जायेगा। अंततः कबीर दुनिया को यह संदेश देने मे कामयाब हो जाता है कि वृक्ष ही जीवन है। वृक्ष की कटाई से धरती का विनाश हो जायेगा। इस फिल्म की शूटिंग - पटना, सिक्किम, गाँधी धाम और भारत के अनेक शहरों में होती है। इस फिल्म के निमात्री मोनिका सिन्हा, कैमरामैन-राकेश रौशन प्रिंस हैं। जबकि मुख्य भूमिका प्रमोद माउथो, आलोक कुमार (सुर संग्राम विजेता) बी0डी0 सिंह, केतन राणावत, विष्णु शंकर बेलू, संजयकान्त, सुगन्धा, अक्क्षत, अपूर्वा, ललन पाण्डेय, सीमा पाण्डेय और ताण्या निभा रहे हैं। मुर्हूत के अवसर पर फिल्म निर्माता संजय सिन्हा और राजीव रंजन कुमार, आदि उपस्थित थे।

शुक्रवार, फ़रवरी 04, 2011

भोजपुरिया परदे पर चुलबुल पाण्डेय


सलमान खान की हिट फिल्म दबंग में सलमान खान के किरदार चुलबुल पाण्डेय काफी हिट हुआ था . इसी किरदार को अब भोजपुरिया परदे पर पेश कर रहे हैं भोजपुरी फिल्मो के प्रसिद्द निर्देशक बौबी सिंह. शुक्रवार को इस फिल्म का मुहूर्त गाने की रिकोर्डिंग के साथ संपन्न हुई. इस मौके पर भोजपुरी फिल्म जगत से जुड़े प्रसिद्द निर्माता अभय सिन्हा, सुनील बूबना, दुर्गा प्रसाद मजुमदार, राजदीप सिंह, निर्देशक राज कुमार पाण्डेय , असलम शेख, आनंद गहतराज, मनोज सिंह, अभिनेता ब्रिजेश त्रिपाठी, पंकज केसरी, सहित कई लोग उपस्थित थे. प्रीतिराज फिल्म इंटरटेनमेंट के बैनर तले बन रही इस फिल्म के निर्माता जगदीश सिंह व निर्देशक टी.बौबी सिंह है. फिल्म के संगीतकार सावन कुमार, पटकथा व संवाद लेखक राकेश त्रिपाठी है. फिल्म में बौबी सिंह , मनोज पाण्डेय , मोनिका सिंह, उमेश सिंह व मटरू मुख्य भूमिका में हैं. निर्देशक बौबी सिंह के अनुसार फिल्म में चुलबुल व पाण्डेय दो अलग अलग किरदार हैं और दोनों ही दोहरी भूमिका में हैं. इसके अलावा चालबाज़ चुलबुल पाण्डेय में ६ अभिनेत्रिया हैं. बौबी सिंह के अनुसार फिल्म की पूरी शूटिंग जम्मू और कश्मीर में होगी.

करेंट मारे गोरिया की दस्तक


अपने निर्माण से ही चर्चा में रही भोजपुरी फिल्म करेंट मारे गोरिया अब प्रदर्शन के लिए तैयार है और अगले महीने यानि मार्च में यह फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक दे रही है. इस फिल्म की खासियत है की इसकी लगभग पूरी शूटिंग जम्मू कश्मीर में हुई है. मारुती क्रियेशन के बैनर तले निर्माता रमन पंचौरी व आभा सिंह एवं निर्देशक टी .बौबी सिंह की फिल्म करेंट मारे गोरिया जहां विरहां सम्राट विजय लाल यादव हैं वहीँ भोजपुरी की चर्चित गायिका वर्षा तिवारी इस फिल्म से बतौर अभिनेत्री भोजपुरी फिल्म जगत में कदम रख रही है. इसके अलावा खुद निर्देशक बौबी सिंह भी इस फिल्म से अभिनय की पारी की शुरुवात कर रहे हैं. फिल्म की एक अन्य खासियत है कश्मीरी बाला ऋतू महरा का भोजपुरी फिल्मो में कदम रखना . फिल्म के मुख्य कलाकारों में बिरहा सम्राट विजय लाल यादव, बौबी सिंह , अजय दीक्षित , मॉडल से अभिनेत्री बनी महक मल्होत्रा, भोजपुरी की मशहूर लोक गायिका वर्षा तिवारी आदि शामिल हैं।

भोजपुरी की नयी जोड़ी आदित्य - काजल


भोजपुरिया आकाश पर इन दिनों एक नया आदित्य यानी सूरज चमकने की तैयारी में हैं ... जी हाँ इस सूरज का नाम ही है आदित्य ओझा .... फ़िल्मी परिवेश में पले बढे आदित्य वैसे तो भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी में जुटे हैं लेकिन अभिनय के शौख की वजह से वो भोजपुरी फिल्म सुगना में बतौर हीरो अभिनय कर रहे हैं, और इसमें उसका साथ दे रही हैं भोजपुरी की नयी तारिका काजल राघानी . भोजपुरी की इस नयी जोड़ी की चर्चा इन दिनों पूरे भोजपुरी जगत में है. ब्राउन आईज के बैनर के तले निर्माता निर्देशक अजय ओझा की फिल्म सुगना में वो दोहरी भूमिका में हैं... उनके पिता ने अब तक दो हिंदी फिल्मो का निर्माण किया है...हिंदी के वजाय भोजपुरी फिल्मो से अपने कैरियर की शुरुवात करने के सम्बन्ध में आदित्य का कहना है की वो मूल रूप से बिहार के छपरा के रहने वाले हैं जो विशुद्ध भोजपुरी क्षेत्र है, उनकी दादी माँ भोजपुरी ही बोलती हैं इसीलिए भले ही वो मुंबई में पले बढे हों लेकिन अपने कैरियर की शुरुवात भोजपुरी फिल्म से ही करने का फैसला किया. इस फिल्म में आदित्य का एक्शन और इमोशन दोनों ही दर्शको को देखने को मिलेगा.. सुगना में आदित्य- काजल के अलावा राजीव दिनकर और कल्पना शाह की भी जोड़ी मुख्य भूमिका में हैं... गुनवंत सेन के संगीत से सजी इस फिल्म के गीतकार फणीन्द्र राव, लेखक राजेश पाण्डेय हैं. फिल्म के अन्य कलाकारों में प्रमोद माउथो , गोविन्द खत्री आदि शामिल हैं.

साईं के दरबार में कम कपड़ो में पहुची प्रियदर्शनी


राहुल दुल्हनिया दे जायेंगे से चर्चा में आई प्रियदर्शनी सिंह का शिर्डी स्थित साईं बाबा के मंदिर में कम कपड़ो में जाने से एक नया विवाद शुरू हो गया है . शिर्डी के कुछ भक्त जानो ने इस पर आपति जताई है . उल्लेखनीय है की इमेजिन टीवी के शो जोर का झटका की प्रतियोगी शो की सफलता की कामना के लिए पिछले दिनों साईं बाबा के दरबार में गयी थी. वहाँ प्रियदर्शनी को अति विशिष्ठ लोगो की तरह सारी सुविधा उपलब्ध कराई गयी थी . भारी सुरक्षा के बीच प्रियदर्शनी जब बाबा के दर्शन के लिए गयी तो उसने काफी कम कपडे पहन रखी थी. भगवान् के मंदिर में प्रियदर्शनी का इस तरह आना कई भक्तो को खला और उसने मिडिया में इसकी शिकायत की ... दर्शन के बाद मिडिया के सवालों के घेरे में आई प्रियदर्शनी ने कहा की साईं बाबा के प्रति उनकी अपार श्रधा है इसीलिए वो यहाँ अक्सर आती रहती है. कम कपड़ो पर उठे विवाद पर सफाई देते हुए प्रियदर्शनी ने कहा की श्रद्धा मन से होती है . वो वोही कपडे पहन कर आई जो निजी जिंदगी में पहनती है , इसीलिए इस पर विवाद खड़ा करना उचित नहीं है. बहरहाल प्रियदर्शनी की शिर्डी यात्रा ने सेलीब्रेटियो के धार्मिक अंदाज़ पर एक नया बबाल शुरू कर दिया है.

गुरुवार, फ़रवरी 03, 2011

मनोज तिवारी, उत्तम कुमार की फिल्म ‘सामनेवाली से नैना चार हो गईल’ का मुहूर्त


भोजपुरी फिल्मों के इतिहास में पहली बार चाचा और भतीजा एक साथ सिल्वर स्क्रीन पर बतौर नायक बने नजर आयेंगे फिल्म का नाम है ‘सामने वाली से नैना चार हो गईल’। जी हां! भोजपुरी फिल्मों के मेगा स्टार मनोज तिवारी तथा उनके भतीजे उत्तम कुमार को एक साथ बतौर नायक लाकर इतिहास बनाने जा रहे हैं चर्चित फिल्मकार रमेश नैयर अपनी फिल्म ‘सामने वाली से नैना चार हो गईल’ के ज़रिये। इस फिल्म में चाचा और भतीजा की नायिकाएं होंगी नवोदित नायिका लीजा मलिक और अनुमिता सुमन तथा साथ में होंगे दमदार कलाकार शक्ति कपूर, मनोज टाईगर, संजय पांडेय, अवधेश मिश्रा, विकास सिंह व बृजेश त्रिपाठी। इस फिल्म को निर्देशित करेंगे चर्चित निर्देशक हैरी फर्नांडीज। पवन शिवम् प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही इस फिल्म के एसोसिएट प्रोड्यूसर हैं कमलेश मेहता, मनोज सेंगल और नरोत्तम नैयर। जबकि गीतकार प्रमोद पाण्डे, संगीतकार लाल सिन्हा और फिल्म के लेखक हैं सुरेन्द्र मिश्रा। ‘सामने वाली से नैना चार हो गईल’ का शानदार मुहूर्त मुंबई के जुहू स्थित पांच सितारा होटल नोवाटेल में किया गया तो निर्माता रमेश नैयर एवं उनकी फिल्म की पूरी टीम को बधाई देने भोजपुरी के साथ हिन्दी इण्डस्ट्रीज के दिग्गज भी जमा हो गये। रमेश नैयर तथा मनोज तिवारी को बधाई देनेवालों में लारेंस डिसूजा, शकील नूरानी, प्रेम चोपड़ा, के.सी. बोकाडिया, सावन कुमार, शक्ति कपूर, टीनू वर्मा, अभय सिन्हा, असलम शेख, मधुसूदन शर्मा, पवन शर्मा, राजकुमार पाण्डेय, एडवोकेट नागेश मिश्रा, धीरज कुमार, कुमार मोहन, शेफाली सक्सेना, उर्वशी चैधरी, उर्मिला, निशा तथा अन्य शामिल थे। इस अवसर पर क्लैप दिया जाने माने निर्देशक लारेंस डिसूजा ने, कैमरा आॅन किया शक्ति कपूर ने, नारियल फोड़ा टीनू वर्मा ने और मुहूर्त शाॅट मेगा स्टार मनोज तिवारी, लिजा मलिक और अनुमिता सुमन पर फिल्माया गया। संचालन किया प्रेम भाटिया ने। इस अवसर रमेश नैयर ने कहा कि यह फिल्म उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। उन्होंने फिल्म के निर्देशक हैरी फर्नांडीज तथा नायक मनोज तिवारी की जमकर तारीफ की और कहा कि ‘सामने वाली से नैना चार हो गईल’ एक इतिहास बनायेगी। फिल्म के निर्देशक हैरी फर्नांडीस ने मनोज तिवारी तथा रमेश नैयर की तारीफ की और कहा कि ‘सामने वाली से नैना चार हो गईल’ की टीम भोजपुरी की एक बेस्ट टीम है। भोजपुरी मेगा स्टार मनोज तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि रमेश नैयर, हैरी फर्नांडीज की टीम एक और बेहतरीन भोजपुरी सिनेमा का सपना साकार करने जा रही है। मनोज तिवारी ने अपने भतीजे उत्तम कुमार का हौसला बढ़ाया और कहा कि सिनेमा में आपको एक नया मुकाम बनाना है और हमारा नाम रोशन करना है।

रामाकान्त प्रसाद की ‘‘दिलजले’’


भोजपुरिया परदे पर ‘‘लागल रहऽ राजाजी’’, ‘‘दिवाना’’, ‘‘दाग’’ जैसी ब्लाकबस्टर फिल्में दे चुके भोजपुरी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक रामाकान्त प्रसाद अब लेकर आ रहें है ‘‘दिलजले’’। रमाकान्त प्रसाद की ‘‘दिलजले’’ का पोस्ट प्रोडक्शन कार्य अंतिम चरण पर इन दिनों मुंबई में हैं। आदिशक्ति इंटरटेन्मेंट एवं कुमारी माई मूवीज के बैनर तले बन रही इस फिल्म में भोजपुरी किंग दिनेश लाल यादव ‘‘निरहुआ’’, विराज भट्ट, रानी चटर्जी, बाली, स्वाति वर्मा, आनंद मोहन, रितू पाण्डेय, संतोष श्रीवास्तव, दीपक भाटिया, गोपाल राय, देव सिंह, दिव्यांश नन्हे, पुष्पा वर्मा, संजय पाण्डेय, गोलू व नीरज राज पौडेल की प्रमुख भूमिकाएँं है। फिल्म में आईटम गर्ल सीमा सिंह व श्रीकांकनी पर विशेष गीत फिल्मायें गए हैं। फिल्म में कुल 16 मधुर गाने है जिन्हें लिखा है, अशोक कुमार दीप व प्यारे लाल यादव ‘‘कवि’’ ने वहीं मधुर संगीत है अशोक कुमार दीप का, फिल्म के लेखक पंन्डित आर. एस. मिश्रा व रमेश मिश्रा। बकौल निर्माता-निर्देशक रामाकान्त प्रसाद ‘‘दिलजले’’ एक सम्पूर्ण मनोरंजक फिल्म है। फिल्म में दर्शकों को गीत-संगीत व मनोरंजन का बेजोड़ संगम देखने को मिलेगा। फिल्म का प्रदर्शन होली पर होगा।

प्रवेश की दबंगई


भोजपुरी फिल्मों के नये स्टार जूनियर निरहुआ प्रवेश लाल यादव अब ‘‘दबंग’’ लुक में नजर आंएगे। प्रवेश लाल का यह लुक उनकी आगामी होली एलबम में नज़र आयेगा। हाल ही में मुंबई के रशियन विला में प्रवेश ने इस लुक वाले सीन्स व गाने की शुटिंग की। एलबम में प्रवेश का लूक तो सलमान के दबंग वाला होगा लेकिन यहाँ वो सलमान खान की तरह मारधाड़ में अपनी दबंगई नहीं दिखायेंगें बल्कि प्रवेश अपनी दबंगई यहाँ अपने भाभियों को जबरदस्ती रंग लगाने में दिखायेंगें। प्रवेश के मुताबिक यह लुक दर्शकों को खूब भायेगा।

भोजपुरी की नयी सनसनी - दीपा


भोजपुरी फिल्मो में आइटम का तड़का ना हो तो फिल्म फीकी रह जाती है ... सम्भावना सेठ की लोकप्रियता का राज़ भी भोजपुरी फिल्मो में उसका आइटम डांस ही था.. लेकिन अब उसकी जगह ले रही है भोजपुरी की नयी सनसनी दीपा ग्रेहवाल. मूलतः पटना की रहने वाली दीपा ने पिछले कुछेक महीनो में भोजपुरी फिल्म जगत में अपनी मुकम्मल स्थान हासिल कर ली है. तभी तो वो जहाँ भोजपुरिया किंग निरहुआ की आखिरी रास्ता , पवन सिंह की गुंडई राज. उदित नारायण की फौजी में अपने आइटम का जलवा बिखेर रही है वहीँ कई फिल्मो में अभिनय भी कर रही है. बकौल दीपा वो एक अभिनेत्री है और सिर्फ आयटम गर्ल कहलवाना उसे पसंद नहीं है .... बहरहाल भोजपुरी की इस नयी सनसनी ने भोजपुरी फिल्म जगत की कई अभिनेत्रियो की नींद उड़ा दी है .

बुधवार, फ़रवरी 02, 2011

निर्देशक को अच्छा दर्शक भी होना चाहिए. - बबलू सोनी



भोजपुरी सिने कोर्ट में जिन निर्देशकों ने आते ही मास्टर ब्लास्टर की तरह दर्शकों के दिलों में नित नए कीर्तिमानों के साथ जगह बनानी शुरू कर दी उसमें बबलू सोनी का नाम सबसे ऊपर आता है। अपनी पहली फिल्म ‘‘बांके बिहारी एम।एल.ए’’ के साथ ही बबलू एक निर्देशक के रूप में भोजपुरी दर्शकों के दिलों पर छा गए। रवि किशन के अप्रतिम अभिनय को सोनी ने एक नया रंग, एक धारदार गति प्रदान कर दी और इस तरह बन गयी एक एक्शन ड्रामा जिसकी सबने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। बबलू सोनी को इस फिल्मने ही फिल्मोद्योग का व्यस्त निर्देशक बना दिया। फिल्म शुरू होने से पहले रवि किशन के फैन बबलू सोनी थे पर इस फिल्म के बनते-बनते रवि ही सोनी-सोनी करने लगे और दोनों की जाड़ी ने हमें दी ‘‘बिहारी माफिया’’। यह एक तरह से सोनी का सम्मान था और अब यह जोड़ी हैट-ट्रिक बना चुकी है ‘‘सत्यमेव जयते’’ के साथ। बिहार और मुंबई में अपार सफलता के बाद सत्यमेव जयते अब दिल्ली और उत्तरप्रदेश में रिलीज़ हो रही है. इसी फिल्म को लेकर बबलू सोनी से खुलकर बातें हुई। प्रस्तुत है बातचीत के सम्पादित अंशः
आप शुरू से ही सत्यमेव जयते की सफलता को लेकर निश्चिन्त थे , क्या वजह थी ?
सूरज की पहली रौशनी ही दिन कैसा होगा इसका अनुमान दे देता है. ऐसा ही इस फिल्म के साथ हुआ है. संतोष मिश्रा की दमदार स्क्रिप्ट , रवि किशन और अनुपम श्याम की जबरदस्त जुगलबंदी, नई अदाकारा अक्षरा की मासूमियत के साथ साथ रानी चटर्जी और स्वाति वर्मा जैसी भोजपुरी की नामचीन अदाकारा का आइटम नंबर इस फिल्म की सफलता की वजह है. जहां तक मेरी बात है तो मैंने इस फिल्म के निर्माण में अपनी पूरी ताकत झोंक दी .
एक निर्देशक को किस चीज़ पर विशेष ध्यान देना चाहिए ?
एक अच्छा निर्देशक वही होता है जो एक अच्छा दर्शक होता है. इसके अलावा दृश्य को बेहतर बनाने के लिए यूनिट के हर सदस्यों के सुझाव को सुनना चाहिए. कभी कभी किसी का छोटा सा सुझाव भी आपकी फिल्म में जान डाल देता है.
आपकी हर फिल्म रवि के ही साथ होती है और हर फिल्म एक्शन ड्रामा ही है?
रविजी के साथ काम करना पहले एक सपना था, जो ईश्वरने बड़ी सरलता से, सहजता से पूरा कर दिया। उस फिल्म में काम करते-करते रविजी को मेरा काम और काम करने का तरीका इतना पसंद आया कि वहीं मेरी दूसरी फिल्म की प्लानिंग हो गयी। फिर यह एक संयोग भी है और मेरा सौभाग्य भी कि उन्होने लगातार तीसरी फिल्म मेरे साथ की। मैं उनका आभारी हूँ। दरअसल वो अपने निर्देशकों पर भरोसा करते हैं और उनके काम में किसी तरह की दखलंदाजी नहीं करते हैं. रही बात एक्शन ड्रामें की तो मेरी समझ से यह सेफ पारी खेलने के लिए सदाबहार विषय हैं। एक्शन कभी आऊटडेटेड नहीं होती।
‘सत्यमेव जयते’’ में ऐसा क्या है जिसे दर्शक इतना पसंद कर रहे हैं ?
यह एक ऐसे पुलिस आफिसर की कहानी है, जिसमें पिता का सपना ही था, उसे उस रूप में देखने का। वह सामान्य पुलिस अधिकारी नहीं, अंदर गांधी के विचारों का तेज है, जिस लेकर वह अन्याय की अंध गली में अकेले ही निकल पड़ता है। सत्य कभी हारता नहीं। हाँ सत्य का सामना सभी नहीं कर सकते। सच्चाई की राह आसान नहीं होती, मगर सत्य ही अंततः विजयी होता है। यह महज एक उक्ति नहीं, जीवन का सत्य है। हमारा नायक रवि किशन भी अंततः अनाचार कोसमाप्त कर देता है। रवि किशनजी ने इसे एक मिसाल बना दिया है।फिल्म में अक्षरा रवि जी की नायिका है जो पहली बार किसी फिल्म में अभिनय कर रही है . मुझे ख़ुशी है की अक्षरा के रूप में भोजपुरी फिल्म जगत को नगमा जैसी एक अदाकारा मिल गयी है. अनुपम श्याम फिल्म में खलनायक की भूमिका में हैं. बृजेश त्रिपाठी रवि किशन के पिता की भूमिका में हैं. श्रीमती रमादेवी प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता अनिल सूर्यनाथ सिंह हैं। विनय बिहारी और प्यारेलाल कवि द्वारा लिखे दस गीत हैं। जिसे राजेश-रजनीश ने बहुत ही मधुर धुन में रिकार्ड किया है।
और आइटम गीत ?
देखिए आप का जो इशारा है वह मैं समझ रहा हूँ। दिअर्थी संवाद तथा गीतों के भोंड़े फिल्मांकन को लेकर भोजपुरी फिल्में बदनाम हुई है। लेकिन इस फिल्म में आपकी राय बदल जायेगी। इसमें दो बड़ी हीरोइनों को हमने गाने में उतारा है। एक आइटम गीत रानी चटर्जी पर है, तो एक मुजरा स्वाति वर्मा पर। मैं निश्चिंत हूँ, दर्शकों को यह बहुत पसंद आयेगा। कानू मुखर्जी, दिलीप मिस्त्री और राम देवन ने नृत्य पर विशेष ध्यान दिया है.
निर्माता अनिल सिंह किस तरह फिल्म की सफलता को लेकर आश्वश्त थे.
अनिल जी जैसे निर्माता अगर भोजपुरी जगत में आये तो भोजपुरी फिल्मो का स्तर सुधर जाएगा. फिल्म निर्माण के पहले ही उन्होंने कहा था की मैं पैसा कमाने के लिए फिल्म नहीं बना रहा बल्कि मैं चाहता हूँ की मेरी फिल्म से उन दर्शको का झुकाव भी भोजपुरी की ओर हो जो फिलहाल इससे दूर हैं. अनिल जी ने फिल्म निर्माण के लिए मुझे खुली छूट दे दी थी. जब फिल्म बनकर तैयार हुई और उन्होंने देखते ही कहा था ...अब अगर फिल्म नहीं भी चली तो मुझे अफ़सोस नहीं होगा क्योंकि मैं जैसा चाहता था वैसी ही स्तरीय फिल्म बनी है. ये अनिल जी का भरोसा था की आज फिल्म सफलता का इतिहास कायम कर रही है.
बिहार में सत्यमेव जयते को अदालती कारवाई से गुजरना पड़ा था .. क्या वजह थी ????
मैं हमेशा मानता हूँ की सत्य परेशान होता है पराजित नहीं. सत्यमेव जयते को जब अदालत के आदेश से उतारना पड़ा था तब भी मैं इसी बात को लेकर निश्चिन्त था. अदालत में सुनवाई हुई और अदालत ने भी स्वीकार किया की इस फिल्म के टायटल को लेकर दायर याचिका गलत है और फिल्म का टायटल हमारे निर्माता अनिल सिंह की फिल्म निर्माण कंपनी श्रीमती रमा देवी प्रोडक्शन के नाम ही है.

महुआ पर नया शो ‘‘नहले पे दहला’’


महुआ पर एक बार फिर से सज रही है सुरों की महफील, जी हाँ सुर संग्राम के दो सीजन के सफल प्रसारण के बाद महुआ टी.वी. लेकर आया है नया शो ‘‘नहले पे दहला’’। इस शो में पहली बार भोजपुरी गायिकी में छोटे बच्चे यानी नन्हें सुरो के बीच महा संग्राम छिडेगा और इन नन्हें सुरों के महा संग्राम का नजारा देखने को मिलेगा 4 फरवरी से महुआ टी.वी. पर। जी हाँ भोजपुरी के इस अनोखे रियलिटी शो ‘‘नहले पे दहला’’ का प्रसारण 4 फरवरी से हर शुक्रवार- शनिवार को रात्री 8ः00 बजे महुआ टी.वी. पर शुरू होने जा रहा है। देश के 3 राज्यों के 7 शहरों में लगभग 20 हजार से ज्यादा प्रतिभागियों के बीच से टाॅप दस गायकों की फौज ले कर आ रहा है ‘‘नहले पे दहला’’। इस शो का निर्माण किया है द राईट पिक्चर कम्पनी ने जो इससे पहले ‘‘डांस इंडिया डांस’’ शो का निर्माण कर चुकी है। इस शो में दर्शकों को भोजपुरिया सभ्यता संस्कृति से जुड़ी गीत संगीत के साथ-साथ नन्हें बच्चों के आवाज में पाॅपुलर गीत संगीत व पराम्परिक लोक गीत सुनने का भी मौका मिलेगा। 4 फरवरी को प्रसारित होने वाले एपिसोड में विभिन्न शहरों में हुए आॅडिशन की झलकियाँ देखने को मिलेगी वही 5 फरवरी को दिल्ली के मेगा आॅडिशन का प्रसारण किया जायेगा। जहाँ से 5 लड़कों व 5 लड़कियों का चयन किया जायेगा और वे ही ‘‘नहले पे दहला’’ का विजेता बनने के लिए जंग लड़ेंगे। इस शो में जंग यूपी और बिहार के बीच नहीं बल्कि लड़कों व लड़कियों के बीच होगी जो अपने सर्वश्रेष्ठ प्रर्दशन से एक दूसरे को पटखनी देंगे। इन चयनित प्रतिभागियों को गीत संगीत की बारिकियों से अवगत करा रहे हैं मशहूर संगीतकार द्वय सतीश- अजय। तो तैयार हो जाइये नन्हें सुरों का संग्राम ‘‘नहले पे दहला’’ देखने के लिए।

अब निर्माता की भूमिका में रवि किशन


भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन भले ही आज के दिनों ग्लेमर वर्ल्ड के व्यस्तम अभिनेताओ में से एक हैं लेकिन उन्होंने अभिनय के अलावा अब फिल्म निर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ा दिया है और अपने प्रोडक्शन हाउस रवि किशन प्रोडक्शन के बैनर तले दो भोजपुरी फिल्मो के निर्माण की घोषणा की है . पहली फिल्म की शूटिंग भी इसी महीने शुरू होने वाली है. रवि किशन प्रोडक्शन की पहली फिल्म है कैसन पियवा के चरित्तर बा और दूसरी फिल्म है शूटर शुक्ला . कैसन पियवा ....से भोजपुरी फिल्मो के सुप्रसिद्ध लेखक संतोष मिश्रा निर्देशन की दिशा में कदम रख रहे हैं.संतोष मिश्रा ने अपने लेखन की शुरुवात भी रवि किशन की फिल्म प्रीत न जाने रीत से की थी और अब वो निर्देशन की शुरुवात भी रविकिशन की होम प्रोडक्शन की फिल्म से कर रहे हैं . फिल्म में रवि किशन मुख्य भूमिका में हैं. इस फिल्म के गानों की रिकोर्डिंग संगीत निर्देशक मधुकर आनंद ने पूरी कर दी है और कलाकारों का चयन जारी है. रवि किशन प्रोडक्शन की दूसरी फिल्म शूटर शुक्ला का निर्देशन कर रहे हैं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक आनंद दी. गहतराज . इस फिल्म के संगीतकार राज सेन व लेखक संतोष मिश्रा हैं. फिल्म की शूटिंग मार्च में होगी. हालांकि रवि किशन ने हिंदी फिल्मो की प्रसिद्द कंपनी बाबा आर्ट के साथ मिलकर एक सफल फिल्म का निर्माण किया था लेकिन इस बार उन्होंने खुद की फिल्म निर्माण कंपनी शुरू कर दी है. रवि किशन के अनुसार रवि किशन प्रोडक्शन निरंतर फिल्मो का निर्माण करता रहेगा . यह पूछे जाने पर की भोजपुरी, हिंदी, सहित अन्य भाषाओ की लगभग ४० फिल्मो के साथ वो अपने होम प्रोडक्शन के लिए कितना वक़्त दे पाएंगे ?? रवि किशन ने कहा की उनकी सारी फिल्मो का वक़्त निर्धारित है किसी अन्य फिल्मो पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. बहरहाल रवि किशन के इस कदम से भोजपुरी फिल्म जगत में उत्साह का माहोल है और लोगो को भरोसा है की अभिनय के साथ साथ वो बतौर निर्माता भी काफी सफल रहेंगे .