गुरुवार, अक्तूबर 29, 2009

भोजपुरी फ़िल्म जगत को नई दिशा देना लक्ष्य - जीतेश दुबे




भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज के बढ़ते दायरे ने कई बड़ी बड़ी कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित किया लेकिन इस इंडस्ट्रीज की लूट-खसोट की नीति ने उन्हें वापसी का रास्ता दिखा दिया। इन सबके बीच एक शख्स ऐसा भी है जिन्होंने मायूस होकर फ़िल्म निर्माण से अपना पल्ला झड़ने के बजाए काजल की कोठरी से सफ़ेद रंग निकालने का फ़ैसला किया । उस निर्माता का नाम है जीतेश दुबे जो आज भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में टेस्ट मैच खेलने में नही बल्कि ट्वेंटी ट्वेंटी मैच खेलने के अपने फैसले को सही अमली जामा पहना रहे हैं। एक कहाबत है इरादे अगर नेक हो राह निकल ही जाती है। अपनी पहली फ़िल्म अपनी पहली ही फ़िल्म धरम वीर से चर्चा में आए जीतेश दुबे मात्र दो साल में ही भोजपुरी फ़िल्म जगत के नामचीन निर्माता, वितरक और अब फायनेंसर की श्रेणी में शामिल हो चुके हैं। फ़िल्म निर्माण से लेकर फायनेंसर के सफर को लेकर जीतेश दुबे से विस्तृत बातचीत हुई प्रस्तुत है कुछ अंश :

मात्र दो साल में ही आपने फ़िल्म निर्माण से लेकर फायनेंसर तक का काम शुरू कर दिया ....इतनी जल्दवाजी क्यों ?

मैंने जल्दवाजी में आज तक कोई काम नही किया । मैं आम लोगो की तरह व्यवसाय को मात्र पैसा कमाने का माध्यम नही मानता , जब मैंने अपनी पहली फ़िल्म धरम वीर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की तभी से सिख ही रहा हूँ और मेरी सीखने की प्रवृति ने मुझे प्रेरित किया की अगर मैं फिल्मो का निर्माण कर सकता हूँ को वितरण क्यों नही ? इसीलिए मैंने फ़ैसला किया की जब मैं सौ लोगो की यूनिट को लेकर शूटिंग कर सकता हूँ तो दस लोगो को साथ लेकर फ़िल्म वितरण को सही दिशा क्यों नही दे सकता ? मैंने इसे अपनी अगली फ़िल्म मुन्नीबाई नौटंकी बाई पर अपनाया और रिजल्ट पूरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज को पता है। मैं तो कहूँगा जो निर्माता लगातार फ़िल्म निर्माण पर भरोसा करते हैं उन्हें सिर्फ़ फिल्मो और उनकी मार्केटिंग पर ही नही दर्शको की नब्ज़ तक पर नज़र रखनी चाहिए।

आप मानते है की फ़िल्म वितरण में खामिया है ?

हर क्षेत्र में अच्छे और बुरे लोग होते हैं , मैं अगर पैसा लगाता हूँ , मेहनत करता हूँ तो मुझे इसकी जानकारी तो होनी ही चाहिए । मैंने अपनी फ़िल्म वितरण कंपनी अनूप इंटरप्राजेज का निर्माण ही इसलिए किया है की इससे अच्छे अच्छे लोग जुड़े, निर्माताओ को उनकी मेहनत का फल मिले ।

किस तरह की फिल्मो का वितरण कर रहे हैं ?

फिल्मो के वितरण का मेरा माप दंड बिल्कुल साफ़ है, फिल्मे अच्छी होनी चाहिए। मैंने हाल ही में विनय आनंद की जाडे में बलमा प्यारा लागे रिलीज़ किया था। अगले सप्ताह खटाई लाल मिठाई लाल रिलीज़ कर रहा हूँ। इसके अलावा रवि किशन पवन सिंह की रंगबाज़ दरोगा , मनोज तिवारी की छोटका भइया जिंदाबाद आदि फिल्मे हैं।

आपकी फ़िल्म ब्रिजवा की काफ़ी चर्चा है , किस तरह की फ़िल्म है ?

जिस तरह मैंने मुन्नी बाई नौटंकी बाई के निर्माण के पहले दर्शको की पसंद नापसंद का जायजा लिया था, ठीक उसी तरह मैंने ब्रिजवा के निर्माण के पहले इस प्रोजेक्ट पर शोध किया । यह भी लीक से हटकर बनी फ़िल्म है । मुझे पूरा भरोसा है की यह फ़िल्म भी दर्शको की कसौटी पर खरी उतरेगी। फ़िल्म में विनय आनंद, सुदीप पांडे, दीपक दुबे , ब्रिजेश त्रिपाठी , सादिका , गुंजन पन्त और शीर्षक भूमिका में फूल सिंह हैं।

क्या बड़े स्टार पर से भरोसा उठ गया है ?

बिल्कुल नही मेरी अगली फ़िल्म मार देव गोली केहू न बोली में रवि किशन हैं। मैं काम में कोई समझौता नही करता । कहानी के हिसाब से ही पात्रो का चयन करता हूँ।

श्री कृष्ण क्रियेशन की आगामी योजना क्या है ?

मेरा मकसद साल में कम से कम तीन फिल्में बनाकर उसे रिलीज़ करना करना है । हमारी कंपनी द्बारा प्रस्तुत फ़िल्म तू ही मोर बालमा की शूटिंग भी इसी महीने शुरू हो रही है । साल २०१० की फिल्मो की भी योजना बन गई है उस पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। फिलहाल उसपर चर्चा करना जल्दवाजी होगी ।

आपने अनेक निर्देशक व अभिनेता के साथ काम किया है ..आपके पसंदीदा कौन है

जहाँ तक कलाकारों की बात है मेरे पसंदीदा कलाकार रविकिशन, विनय आनंद और रानी चटर्जी हैं और पसंदीदा निर्देशक असलम शेख हैं। प्रस्तुति : उदय भगत


बुधवार, अक्तूबर 28, 2009

जलवा ब्रिजेश का




भोजपुरी के चर्चित चरित्र अभिनेता व खलनायक ब्रिजेश त्रिपाठी का जलवा इन दिनों भोजपुरी फ़िल्म जगत पर छाया हुआ है। आम तौर पर भोजपुरी के किसी अभिनेता की साल में अधिकतम दस से बारह फिल्में ही रिलीज़ होती है लेकिन ब्रिजेश त्रिपाठी की इस साल बारह फिल्मे रिलीज़ हुई है और इतनी ही फिल्में आगामी दो तीन महीनो में रिलीज़ होने वाली है। यही नही ब्रिजेश त्रिपाठी ने बतौर अभिनेता लगभग एक दर्जन फिल्मे पिछले दो महीने में साईंन की है। ब्रिजेश की आने वाली फिल्मो में चर्चित निर्देशक असलम शेख की रविकिशन - जुबेर खान अभिनीत राम अवतार , जीतेश दुबे प्रस्तुत तू ही मोर बालमा एवं मनोज तिवारी अभिनीत एक अनाम फ़िल्म शामिल है। अन्य निर्देशकों में बबलू सोनी की सत्यमेव जयते , राजकुमार आर.पांडे की निरहुआ अभिनीत सात सहेलिया व रविकिशन - पवन सिंह अभिनीत देवरा बड़ा सतावेला शामिल है। निर्मात्री पायल दुबे की फ़िल्म मार देव गोली केहू न बोली में ब्रिजेश एक बार फ़िर रवि - पवन के साथ नज़र आने वाले हैं। इतना ही नही प्रवेश सिप्पी की जगदीश शर्मा निर्देशित फ़िल्म मृत्युंजय , जगदीश शर्मा की कुरुक्षेत्र में भी उनका अंदाज़ लोगो को नज़र आने वाला है। इसके अलावा भी कई फिल्मों में वो अभिनय करते नज़र आने वाले हैं। बहरहाल यह कहा जा सकता है की ब्रिजेश त्रिपाठी के दोनों हाथ इन दिनों फिल्मो से लबालब हैं।

महाठग खटाई लाल मिठाई लाल मुंबई में



बिहार उत्तरप्रदेश और पंजाब में अपने कारनामे से धूम मचा चुके महाठग खटाई लाल और मिठाई आगामी ६ नवम्बर को मुंबई के लोगो को अपने कारनामे से दीवाना बनाने आ रहे हैं । इन महा ठगों को मुंबई लाने का श्रेय जाता है फ़िल्म निर्माण से वितरण के क्षेत्र में उतरे निर्माता जीतेश दुबे को जिन्होंने अपनी कंपनी अनूप इंटरप्राइजेज के बैनर तले दोनों को खास न्योता भेजा है। यही नही दोनों महा ठगों को आम जनता से रूबरू कराने के लिए मुंबई में कई थियेटरों में खास व्यवस्था कराई है। खटाईलाल मिठाई लाल के जनमदाता देव पाण्डे अपने होनहारों के बिहार उत्तरप्रदेश और पंजाब में किए कारनामे से काफ़ी उत्साहित हैं, और उन्हें पूरा भरोसा है की मुम्बैया लोग दोनों को काफ़ी सराहेंगे । आप सोच रहे होंगे की इन ठगों का महिमा मंडन क्यों हो रहा है ? आपको बता दूँ की दोनों महा ठग रिअल लाइफ के ठग नही बल्कि रील लाइफ के ठग है । खटाई लाल की भूमिका में जहाँ भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन हैं वहीँ मिठाई लाल की भूमिका में विनय आनंद और इन दोनों के पीछे पड़े हैं इंसपेक्टर तिवारी यानी की सुशील सिंह। मधु इंटरटेनमेंट और मीडिया प्रा.ली.प्रस्तुत अर्निस आर्ट इंटर नेशनल के बैनर तले निर्मात्री डा.रचना मिश्रा - निशि पाण्डे की इस फ़िल्म में खटाई मिठाई की प्रेमिका की भूमिका में हैं मोनालीसा व लवी रोहतगी जबकि ब्रिजेश त्रिपाठी भी अहम् रोल अदा कर रहे हैं।


जोकर बनकर दुनिया को हसाना मेरा लक्ष्य - देव पांडेय







आम तौर पर भोजपुरी फिल्मो की विषय वस्तु परिवार और बाहुबलियों के इर्द-गिर्द ही घुमती रहती है, लेकिन पहली बार एक फ़िल्म ऐसी आई है जिसे देख दर्शक लोटपोट हो जाते हैं खटाई लाल मिठाई लाल नामक इस फ़िल्म बिहार, उत्तरप्रदेश और पंजाब ने सफलता का झंडा गाड़ने के बाद अब आगामी नवम्बर को मुंबई में रिलीज़ हो रही है इस फ़िल्म को लेकर निर्देशक देव पांडेय से विस्तृत बातचीत हुई प्रस्तुत है कुछ अंश :



आज के दौर में जहाँ पारिवारिक और माफिया से सम्बंधित मसाला फिल्मे हित हो रही है ऐसे में आपने कामेडी को क्यों चुना ?



मैं बरसो से फ़िल्म इंडस्ट्रीज में बतौर सहायक निर्देशक कार्यरत था दिल में तमन्ना थी जल्द ही ख़ुद की फ़िल्म बनाऊ रवि किशन और अभय सिन्हा ने मेरी हौसला अफजाई की और मेरा सपना साकार हुआ रही बात खटाई लाल मिठाई लाल जैसी कॉमेडी फ़िल्म की तो मैं हमेशा सोचता था मेरी फ़िल्म कुछ इस तरह की हो जिसे देख दर्शक हँसते हुए बाहर निकले और कुछ सिख भी साथ में ले जाए मेरा मानना है की हसाते - हसाते संदेश देना अधिक कारगर होता है



क्या संदेश दे रहे हैं इस फ़िल्म से ?



आज हमारे देश में लाखो बुजुर्ग ऐसे हैं जो भरे पूरे परिवार के बावजूद असहाय समझते हैं , और वृधाश्रम में रहने को मजबूर होते हैं मेरे गाँव में मेरे दादाजी ने भी एक वृधाश्रम का निर्माण किया था सच पूछिए तो मेरी कहानी की प्रेरणा वहीँ से मिली और लेखक सुरेन्द्र मिश्रा ने उसे ख़ूबसूरत अंजाम तक पहुँचाया



कॉमेडी को किस रूप में प्रस्तुत किया गया है ?



जैसा की फ़िल्म के नाम से ही जाहिर है मेरी फ़िल्म दो दोस्त खटाई लाल ( रवि किशन ) और मिठाई लाल ( विनय आनंद) की कहानी है, जो मुंबई आने पर ठगी के शिकार होते होते ख़ुद नामी ठग बन जाते हैं इन दोनों के कारनामे लोगो को रोमांचित तो करेंगे ही साथ साथ उन्हें हसने पर भी मजबूर कर देंगे साथ ही वे उन लोगो की मदद करते हैं जो असहाय और जरूरतमंद होते हैं। इन दोनों के अलावा अभिनेता सुशील सिंह इस फ़िल्म में पुलिस अधिकारी की भूमिका में हैं, उनका किरदार बंटी और बबली वाले अमिताभ बच्चन जैसा है फ़िल्म में अन्य किरदारों में मोना लिसा, लवी रोहतगी और ब्रिजेश त्रिपाठी हैं



आपकी अगली फ़िल्म चंदू के चमेली की भी काफ़ी चर्चा है, किस तरह की फ़िल्म है ?



चंदू के चमेली भी एक कॉमेडी फ़िल्म है जिसमे रविकिशन और सादिका रंधावा की जोड़ी है और मजे की बात है की दोनों की दोहरी भूमिका है फ़िल्म जल्द ही आपके सामने होगी फिलहाल इस फ़िल्म के बारे में मैं अधिक चर्चा नही कर पाऊंगा मैं अपनी दोनों ही फिल्मो के लिए अभय सिन्हा और रविकिशन का ख़ास शुक्रगुजार हूँ

गुरुवार, अक्तूबर 22, 2009

पहली पसंद रवि किशन







भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपरस्टार रवि किशन इन दिनों सफलता के सातवे आसमान पर हैं तभी तो फ़िल्म निर्माताओ वितरकों की नज़र में वो पहली पसंद बन गए हैं हिन्दी, भोजपुरी और छोटे परदे पर काफ़ी व्यस्त रवि किशन की साल २००९ में रिलीज़ हुई लगभग सारी फिल्मे सुपर हिट रही है। रवि किशन अभिनीत बिदाई ने हाल ही में सिनेमाघरों में ५० सप्ताह का सफर पूरा किया है यही नही उनकी जबरदस्त अभिनय क्षमता को देखते हुए हिन्दी फ़िल्म जगत के दिग्गजों ने उन्हें अपनी अपनी फिल्मो में लेने की कवायद तेज कर दी है यही हाल भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज का भी है रवि किशन के पास भोजपुरी की लगभग एक दर्जन फिल्में है जिनमे से अधिकतर फिल्मो की शूटिंग वो साल २०१० में कर पायेंगे इधर फ़िल्म के वितरकों में भी रवि किशन का क्रेज काफ़ी बढ़ गया है इसी शुक्रवार रवि किशन अभिनीत रंगबाज़ दरोगा बिहार में रिलीज़ हुई , जिसे जबरदस्त ओपनिंग मिली है इसी तरह रविवार को उनकी एक और फ़िल्म कानून हमरा मुट्ठी में रिलीज़ हो रही है दोनों ही फिल्मो को लेकर वितरकों में होड़ मची थी इस तरह बिहार के दर्शको को छठ पर रवि किशन को दो दो फिल्मो का मज़ा मिल रहा है रवि किशन की आनेवाली हिन्दी फिल्मो में मणिरत्नम की रावण, श्याम बेनेगल की वेल डॉन अब्बा , टी.पी.अग्रवाल की घर के ना घाट के आदि शामिल है जबकि भोजपुरी फिल्मो में चंदू की चमेली, बलिदान , देवरा बड़ा सतावे ला , सत्यमेव जयते, धर्मात्मा, राम अवतार , ज्वालामुखी , कुरुक्षेत्र, राम बनवले जोड़ी, देवदास आदि है जहाँ तक छोटे परदे की बात है तो रवि किशन जल्द ही एनडीटीवी इमेजिन के मेगा शो राज - पिछले जनम का में बतौर एंकर नज़र आने वाले है सबसे मजे की बात तो यह है की भोजपुरी के पहले मनोरंजन चैनल महुआ के लोकप्रिय शो सुर संग्राम की टी.आर.पी.रवि किशन के आने से चार गुनी अधिक बढ़ गई है यही वजह है की महुआ टीवी उन्हें एक और शो के लिए बात कर रहे हैं रवि किशन की इसी सफलता को निर्माता वितरक भुनाने में लगे है और वो सबकी पहली पसंद बन गए हैं