गुरुवार, जुलाई 30, 2009

बाल बाल बचे अभिषेक और रवि किशन



मणिरत्नम की फ़िल्म रावण की शूटिंग के दौरान एक हाथी के पागल होने से हुए हादसे में अभिषेक बच्चन और भोजपुरिया सुपर स्टार रवि किशन जहाँ बाल बाल बच गए वहीँ हाथी के महाबत को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। हादसे की वजह से मणिरत्नम ने फिल्माए जा रहे दृश्य को बीच में ही रोक कर पूरी यूनिट को उटी भेज दिया और मृतक के परिजनों को पाँच लाख रूपये दिए। मिली जानकारी के अनुसार केरल के त्रिशुर में जंगल के बीच स्थित वाटर फाल के पास अभिषेक बच्चन और रवि किशन का एक दृश्य फिल्माया जा रहा था, इस दौरान ऐश्वर्या राय बच्चन वेनिटी वैन में आराम कर रही थी। इस दृश्य के पहले वाले दृश्य के लिए मणिरत्नम ने वहां कई हाथियों का इंतजाम किया था। दृश्य पूरा होने के कारण महावत हाथी को वापस ले जा रहा था। उसी दौरान अचानक हाथी ने महाबत को अपने सूँड से उठा लिया और इधर उधर भागने लगा। इसके कारण सेट पर भगदड मच गई । अभिषेक और रवि किशन भी वहां से किसी तरह निकल गए। इस बीच पागल हाथी ने अपने महावत को जमीं पर पटक कर उसकी हत्या कर दी। इस हादसे की वजह से मणिरत्नम ने तत्काल शूटिंग रुकवा दी और यूनिट को उटी रवाना कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार अभिषेक और रविकिशन ने उस हाथी के साथ कुछ घंटे पहले ही शूटिंग की थी, अगर उस दौरान हाथी पागल होता तो कुछ भी हो सकता था।

बुधवार, जुलाई 29, 2009

भोजपुरिया भइया करेंगे मराठी मुलगी का कन्या दान


मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में जहाँ कुछेक वर्षो से नफरत की राजनीति फैलाई जा रही है और सामजिक ताने बाने को छिन्-भिन्न करने का असफल प्रयास किया जा रहा है, वहीँ फ़िल्म जगत में इसका कोई असर नही पड़ा है और वहां के भाईचारे को नफरत की राज निति भेदने में नाकाम रही है। आगामी दो अगस्त को सारी दुनिया के सामने सामजिक भाईचारे का नमूना पेश करने जा रहे हैं भोजपुरिया सुपरस्टार रवि किशन, क्योंकि वो अपनी मराठी बहन राखी सावंत का कन्या दान करने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है की एन.डी.टीवी.इमेजिन के चर्चित शो राखी का स्वयंवर का आखिरी एपिसोड दो अगस्त को लाइव प्रसारित किया जा रहा है। भारतीय टेलीविजन के इतिहास में इस तरह का ये पहला शो है जब कोई अभिनेत्री स्वयंवर रचा कर अपना वर चुन रही है । दिलचस्प बात यह है की राखी ने इस शो के लिए भोजपुरी के सुपर स्टार रवि किशन को अपना भाई चुना है, साथ ही उन्होंने एलान भी किया है की उनकी शादी में उनका कोई भी सगा सम्बन्धी शामिल नही होगा। इस तरह शादी की सारी रश्म अदायगी का जिम्मा उनके भाई रवि किशन पर आ गया है। केरल में मणिरत्नम की फ़िल्म रावण की शूटिंग कर रहे रवि किशन भी अपनी बहन राखी की इस अनोखी शादी से काफी खुश हैं। उन्होंने कहा की उन्हें खुशी है की वो राखी का कन्या दान करने दो अगस्त को उदयपुर जा रहे हैं। यह पूछे जाने पर की क्या आप उन नेताओ को जवाब दे रहे हैं जो सामजिक भेद भाव की दीवार खड़ी करना चाहते हैं ? रवि किशन ने कहा - हमारा मकसद किसी को जवाब देना नही बल्कि आपसी भाईचारे को मजबूत करना है।बहरहाल भोजपुरिया भइया रवि किशन द्वारा मराठी मुलगी राखी का कन्यादान उन नेताओ के लिए सबक जरूर है जो अपने फायदे के लिए नफरत फैलाते हैं।

रविवार, जुलाई 26, 2009

रोल देने के बहाने प्रड्यूसर ने किया फिल्म ऐक्ट्रिस से रेप

मुंबई में कास्टिंग काउच का एक और मामला सामने आया है। इस बार एक फिल्म प्रड्यूसर पर स्ट्रगल कर ही ऐक्ट्रिस से रेप का आरोप लगा है। जानकारी के मुताबिक फिल्म प्रड्यूसर राम कुमार कुमावत पर स्ट्रगल कर ही एक फिल्म ऐक्ट्रिस ने रेप का आरोप लगाया है। शिकायत पर वर्सोवा पुलिस ने कुमावत को अरेस्ट कर लिया है। ऐक्ट्रिस का आरोप है कि राम कुमार कुमावत ने फिल्म में रोल देने के बहाने उसके साथ बलात्कार किया। यही नहीं उसे बाद में रोल भी नहीं दिया गया। उसने इसकी शिकायत वर्सोवा पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई थी। पुलिस ने तुरंत ऐक्शन लेते हुए कुमावत को अरेस्ट कर लिया। कुमावत को आज बांद्रा कोर्ट में पेश किया जाएगा। उधर, पुलिस इस मामले में ऐक्ट्रिस की मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार भी कर रही है।

गुरुवार, जुलाई 23, 2009

दिलीप कुमार, शाहरुख़ के बाद अब रविकिशन बने देवदास

भोजपुरिया महानायक रवि किशन के सितारे इन दिनों बुलंदी पर हैं। एक तरफ़ मेगा स्टारर हिन्दी फ़िल्म लक में उनके अभिनय का डंका बज रहा है, वहीँ दूसरी तरफ भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में भी वे एक नया इतिहास रचने जा रहे हैं। जी हाँ प्रसिद्द उपन्यासकार शरतचंद्र के उपन्यास पर आधारित फ़िल्म देवदास में वे देवदास की भूमिका निभाने जा रहे हैं। प्रसिद्द लेखक शरत चंद्र के चर्चित उपन्यास देवदास पर अभी तक कुल तीन फिल्मे हिन्दी में बन चुकी है । पहली फ़िल्म में के.एल.सहगल दूसरी में दिलीप कुमार और तीसरी फ़िल्म में शाहरुख़ खान ने नाकाम प्रेमी देवदास की भूमिका निभाई थी। अब एक बार फिर देवदास बनने जा रहा है, लेकिन ये देवदास हिन्दी में नही बल्कि भोजपुरी में होगा और इसमे मुख्य भूमिका यानी देवदास की भूमिका में होंगे भोजपुरी के महानायक रवि किशन । लगभग ४० हिन्दी और सौ भोजपुरी फ़िल्म कर चुके रविकिशन को भोजपुरी का सदाबहार अभिनेता माना जाता है। भोजपुरी के अन्य अभिनेताओ से उमर में बड़े रविकिशन की खासियत है की वो आज भी उनसे छोटे दीखते हैं, चाहे रोमांटिक भूमिका हो या एक्शन आज भी उनका कोई जोड़ नही है। भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज के उतार चडाव का भी उनपर कोई असर नही पड़ा है । यही वजह है की उनके खाते में आज भी अन्य व्यस्त अभिनेताओ की तुलना में दुगुनी फिल्मे हैं। ख़ुद सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से भोजपुरी के महानायक का खिताब पा चुके रविकिशन की बहुचर्चित हिन्दी फ़िल्म लक का विशेष शो हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्रीज के तमाम दिगज्जो ने देखा और सबने रवि किशन के अभिनय की सराहना की यहाँ तक की साउथ के दिग्गज स्टार कमल हसन ने तो रवि किशन को फ़ोन कर उन्हें बधाई दी और कहा की हमलोग जल्द ही साथ में काम कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है की रविकिशन इन दिनों हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्रीज के बड़े बड़े दिग्गजों की फिल्मो में काम कर रहे हैं। जहाँ तक भोजपुरी की बात है उन्होंने बताया की किसी भी हाल में वो भोजपुरी फ़िल्म करना बंद नही करेंगे। यही नही पिछले एक सप्ताह में उन्होंने ५ नई भोजपुरी फिल्मे साइन की है । इन फिल्मो में एक फ़िल्म देवदास भी है जिसका निर्माण सिग्मा सिनेविजन के बैनर तले निर्माता उमेश सिंह व निर्देशक किरण कान्त वर्मा कर रहे हैं। उमेश सिंह के अनुसार जब भोजपुरी में देवदास बनाने की बात चली तो देवदास की भूमिका के लिए पूरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में हमें एक मात्र नाम रविकिशन का ही आया क्यूंकि इस भूमिका के लिए हमें स्टार के साथ साथ कलाकार भी चाहिए था। रवि किशन ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की मुझे खुशी है की मैं उस भूमिका को निभाने जा रहा हूँ, जिसे दिलीप साहब और शाहरुख़ खान ने निभाया है । बहरहाल भोजपुरी में देवदास बनाने की घोषणा से पूरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में हलचल मच गई है।

जब अदालत से हुआ स्वाति वर्मा का अपहरण



भोजपुरी फिल्मो की तरीका स्वाति वर्मा और उसके बेटे का पिछले दिनों भीड़ भाड़ वाले एक अदालत से समर सिंह के गुंडों ने अपहरण कर लिया वो भी उनके पति सुशील सिंह , देवर राजीव दिनकर, व निजाम खान की मौजूदगी में। आप सोच रहे होंगे की इतनी हॉट न्यूज़ पर कुछ चर्चा क्यूँ नही हो रहा है, दरअसल सारा मामला फिल्मी है। पिछले दिनों स्टार मेकर निर्देशक के.डी.उर्फ दिनकर कपूर की फ़िल्म कबहू छूटे साथ की शूटिंग मुंबई के बसरा स्टूडियो में चल रही थी। निर्माता निजाम खान और निर्देशक के.डी.के बुलावे पर पत्रकारों की टीम वहां पहुँची तो के.डी.वहां बने अदालत के कमरे में टी.वी.मोनिटर पर बैठकर दृश्य का अवलोकन कर रहे थे। सुशिल सिंह वकील की पोशाक में थे तो राजीव दिनकर मुजरिम के कठघरे में खड़े थे। सामने दर्शक द्रुघा में राजीव की माशूका स्वीटी, स्वाति वर्मा, निजाम खान, प्रिया सिंह , प्रकाश जैस , खुशी , और समरसिंह ( अनिल यादव) अपने गुर्गो के साथ थे। के.डी.के एक्शन कहते ही सुशील सिंह और एक अन्य वकील में जोरदार बहस शुरू हुई और जब सुशिल सिंह का पलडा भरी पर्ने लगा तब समर सिंह के इशारे पर उसके गुंडों ने भरी अदालत में स्वाति वर्मा का अपहरण कर लिया। के.डी.के कट कहते ही हम उनसे इस दृश्य के बारे में विचार विमर्श करने लगे । के.डी.ने बताया की कबहू छूटे न ई साथ तीन भाइयो की कहानी है। परिस्थिति ऐसी बनती है की दोनों छोटे भाई राजीव और निजाम अपने बड़े भाई सुशील सिंह से बिचड जाते हैं। सुशील सिंह नामी वकील हैं वहीँ राजीव ऑटो रिक्शा चलाकर अपना गुजरा करता है, जबकि निजाम खान पढ़ाई करता है। यहाँ जो दृश्य चल रहा है वो एक हत्या के मामले का है। राजीव को हत्या के झूठे मामले में फंसा दिया जाता है और सुशील सिंह इसका वचाव करते हैं। के.डी.ने आगे बताया की फ़िल्म की शूटिंग लगभग पूरी होगई है और सितम्बर में ये फ़िल्म दर्शको के समक्ष होगी। श्री साईं सिने विजन ( सुमीत वर्मा ) इस फ़िल्म के प्रस्तुतकर्ता हैं जबकि इसका निर्माण सबा आर्ट इंटरनेशनल ने किया है। इस फ़िल्म से प्रसिद्द कोरियोग्राफेर राजीव दिनकर अपने अभिनय की पारी की शुरुवात कर रहे हैं।

सोमवार, जुलाई 20, 2009

एक खबरिया चैनल के पत्रकार की व्यथा


आज के दौर में खबरिया चैनल किस कदर टी.आर.पी.के कारण कुछ भी करने को तैयार है उसका एक नमूना आपके सामने है। एक चैनल से जुड़े पत्रकार की व्यथा हम आपके सामने रख रहे हैं- उस पत्रकार की बात मैं शब्द्श : आपके सामने रख रहा हूँ।इस लेख को पढ़ने के पहले मेरा परिचय जान लीजिए मैं एक इलेक्ट्रॉनिक न्यूज़ चैनल से जुड़ा हूँ, जुड़ा क्या हूँ, अपनी भावनाएँ और संवेदनाओं को ताक पर रखकर अपना पेट पाल रहा हूँ। एक पत्रकार और एक रिपोर्टर के तौर पर काम करते समय मैं कई बार ऐसी परिस्तिथियों से गुजरा हूँ जब मन ने तो उस खबर को करने के लिए न कह दिया लेकिन मजबूरन मुझे वो खबर करनी पड़ी। क्या करूँ आखिर सवाल टीआरपी का है। पिछले दिनों ऐसी ही एक खबर से रूबरू होने का मौका मिला और उस वक्त इलैक्ट्रानिक मीडिया की प्रतिस्पर्धा देखकर पर ही शर्म आने लगी, लेकिन फिर भी दिल में कसक रही कि अगर इस बार भी कुछ नहीं लिखा तो मैं अपने आपके साथ ही न्याय नहीं कर पाउंगा। आपको भेज रहा हूं क्यूंकि आप शायद मेरी भावनाओं को समझेंगे। ये हकीकत भी है और कई बार एक पत्रकार की परेशानी भी। यह मेरे अकेले का किस्सा नहीं है, यह देश भर के हर उस पत्रकार की कहानी है, जो किसी न किसी न्यूज़ चैनल से जुड़ा है। अंग्रेजी कम समझने वाले लोग गल्ती से कई बार न्यूज़ चैनलों को न्यूड चैनल भी बोल देते हैं, मगर अनजाने में भी वे कितनी सटीक बात कह देते हैं, इसका अहसास तो न्यूज़ चैनल से जुड़े हम लोगों को हर पल, हर साँस के साथ होता है। पिछले दिनों मध्यप्रदेश के रायसेन जिले से एक खबर आई। एक पत्रकार होने के नाते मेरे लिए उस खबर पर अचंभित होना लाज़मी था। खबर थी कि एक मुर्गी ने इंसान के बच्चे को जन्म दिया। लगभग एक हाथ की लंबाई का वो बच्चा जन्म लेते ही मर गया। पता नहीं क्यूँ मेरा मन ये मानने से इंकार कर रहा था कि ऐसा हो सकता है, क्यूँकि विज्ञान का विद्यार्थी रह चुके होने के नाते मुझे डार्विन का सिद्वांत याद आ रहा था कि शुरूआती तीन महीनों में इंसान और जानवर दोनों का विकास एक जैसा होता है। पर खबर थी तो करना भी जरूरी था। मुझे लगा हो सकता है कि कोई उस भ्रूण को वहाँ पर फेंक गया हो या फिर डार्विन भाई का सिद्वांत ही ठीक हो। खबर करने का मन न होने का एक कारण यह भी था कि उस बच्चे को पैदा होते किसी ने नहीं देखा। लेकिन उपर से आदेश था तो खबर करना भी जरूरी था लेकिन क्या करें दिल है कि मानता ही नहीं। पाँच बजे तक हमने इंतजार किया और जब देखा कि सभी चैनलों ने उसे चलाना शुरू कर दिया तो मजबूरन मुझे भी ये खबर करनी पड़ी। हालांकि अगले दिन वित्त मंत्री देश का बजट लोकसभा के पटल पर रखने वाले थे लेकिन बजट को पीछे छोड़कर मुर्गी बाजी मार ले गई। खबर करते वक्त मैंने अपने एक वरिष्ठ साथी जो राष्ट्रीय चैनल के संवाददाता है उनसे जब बजट छोड़कर इस खबर को करने के बारे में पूछा तो उनका जवाब मेरे इस लेख का शीर्षक बन गया। उन्होंने साफ लहज़े में कहा ‘‘सनसनी है बेटा... टीआरपी बढ़ेगी‘‘ निशचित ही मीडिया का विस्तार सभी ओर तेजी से हो रहा है। अखबारों की संख्या और उनकी प्रसार संख्या में बहुमुखी बढ़ोत्तरी हुई है। रेडियों स्टेशनों की संख्या और उनके प्रभाव-क्षेत्रों के फैलाव के साथ-साथ एफ़एम रेडियो एवं अन्य प्रसारण फल-फूल रहे हैं। स्थानीय, प्रादेशिक और राष्ट्रीय चैनलों की संख्या भी बहुत बढ़ी है। यह सूचना क्रांति और संचार क्रांति का युग है, इसलिए विज्ञान और तकनीक के विकास के साथ इनका फैलाव भी स्वाभाविक है। क्योंकि जन-जन में नया जानने की उत्सुकता और और जागरूकता बढ़ी है। यह सब अच्छी बात है, लेकिन चौंकाने वाली और सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि टीवी चैनलों में आपसी प्रतिस्पर्धा अब एक खतरनाक मोड़ ले रही है। अपने अस्तित्व के लिए और अपना प्रभाव-क्षेत्र बढ़ाने के लिए चैनल खबरें गढ़ने और खबरों के उत्पादन में ही लगे हैं। अब यह प्रतिस्पर्धा और जोश एवं दूसरों को पछाड़ाने की मनोवृत्ति घृणित रूप लेने लगी है। अब टीवी चैनल के कुछ संवाददाता दूर की कौड़ी मारने और अनोखी खबर जुटाने की उतावली में लोगों को आत्महत्या करने तक के लिए उकसाने लगे हैं। आत्महत्या के लिउ उकसाकर कैमरा लेकर घटनास्थल पर पहुँचने और उस दृश्य को चैनल पर दिखाने की जल्दबाजी तो पत्रकारिता नहीं है। इससे तो पत्रकारिता की विश्वसनीयता ही समाप्त हो जायेगी। पर क्या करें बात तो सनसनी और टीआरपी की है। खबरों का उत्पादन अगर पत्रकार करें तो यह दौड़ कहाँ पहुँचेगी ? सनसनीखेज खबरों के उत्पादन की यह प्रवृत्ति आजकल कुछ अति उत्साहित और शीघ्र चमकने की महत्वाकांक्षा वाले पत्रकारों में पैदा हुई है। प्रतिस्पर्धा करने के जोश में वे परिणामों की चिंता नहीं करते। ऐसे गुमराह पत्रकार कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। पूरे परिवार को आत्महत्या के लिए उकसाना या रेहड़ीवालों को जहर खाने की सलाह देना अथवा भावुकता एवं निराशा के शिकार किसी व्यक्ति को बहुमंजिला इमारत से छलांग लगाने के लिए कहना और ऐसे ह्रदय-विदारक हादसे दर्शाने के लिए कैमरा लेकर तैयार रहना स्वस्थ पत्रकारिता और इंसानियत के खिलाफ़ है। इसी तरह स्टिंग आपरेशन के प्रयोग भी होते हैं। निश्चित ही स्टिंग ऑप्रेशन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया द्वारा स्वीकृत पत्रकारिता है। लेकिन मुद्दा ये है कि वह किस मकसद से हो रही है। स्टिंग ऑप्रेशन गलत चीजों के प्रति लोगों को आगाह करता है। ऐसे में चंद स्वार्थ प्रेरित आपरेशन न सिर्फ स्टिंग आपरेशन के मकसद, बल्कि उसकी महत्ता को ही खत्म कर देंगे। सबसे बड़ी बात कि सरकार को इसकी आड़ में इलैक्ट्रानिक चैनलों की आवाज दबाने का मौका मिल जाएगा। यह जिम्मेदारी चैनल की ही बनती है कि वह स्टिंग आपरेशन की पवित्रता और मकसद से भटके नहीं। टीआरपी की दौड़ में अपनी विशवसनीयता नहीं खोए। ब्रेकिंग न्यूज के नाम पर भी एक खेल सा चल रहा है। मैं व्यक्तिगत स्तर पर इस बारे में यही कहना चाहूंगा कि चैनल को गंभीरता के साथ सोचना होगा और फिर दिखाना होगा कि ब्रेकिंग न्यूज वास्तव में है क्या। इन दिनों कुछ खबरिया चैनल मिथक कथाओं को ऐसे पेश करते नजर आते हैं जैसे वे सच हों। वे उसे आस्था और विशवास का मामला बनाकर पेश करते हैं। खबर को आस्था बना ड़ालना प्रस्तुति का वही सनसनीवादी तरीका है। सच को मिथक और मिथक को सच में मिक्स करने के आदी मीडिया को विजुअल की सुविधा है। दृश्य को वे संरचना न कहकर सच कहने के आदी हैं। यही जनता को बताया जाता है कि जो दिखता है वही सच है। सच के निर्माण की ऐसी सरल प्रविधियाँ पापुलर कल्चर की प्रचलित परिचित थियोरीज के सीमांत तक जाती हैं जिनमें सच बनते-बनते मिथक बन जाता है। मिथक को सच बनाने की एक कला अब बन चली है। अक्सर दृश्य दिखाते हुए कहा जाता है कि यह ऐसा है , वैसा है। हमने जाके देखा है। आपको दिखा रहे हैं। प्रस्तुति देने वाला उसमें अपनी कमेंट्री का छोंक लगाता चलता है कि अब हम आगे आपको दिखाने जा रहे हैं... पूरे आत्मविश्वास से एक मीडिया आर्कियोलॉजी गढ़ी जाती है, जिसका परिचित आर्कियोलॉजी अनुशासन से कुछ लेना-देना नहीं है। इस बार मिथक निर्माण का यह काम प्रिंट में कम हुआ है, इलैक्ट्रानिक मीडिया में ज्यादा हुआ है। प्रस्तुति ऐसी बना दी जा रही है कि जो कुछ पब्लिक देखे उसके होने को सच माने। जबसे चैनल स्पर्धात्मक जगत में आए हैं तबसे मीडिया के खबर निर्माण का काम कवरेज में बदल गया है। चैनलों में, अखबारों में स्पर्धा में आगे रहने की होड़ और अपने मुहावरे को जोरदार बोली से बेचने की होड़ रहती है। ऐसे में मीडिया प्रायः ऐसी घटना ही ज्यादा चुनता है जिनमें एक्शन होता है। विजुअल मीडिया और अखबारों ने खबर देने की अपनी शैली को ज्यादा भड़कीला और सनसनीखेज बनाया है। उनकी भाषा मजमे की भाषा बनी है ताकि वे ध्यान खींच सकें। हर वक्त दर्शकों को खींचने की कवायद ने खबरों की प्रस्तुति पर सबसे ज्यादा असर डाला है। प्रस्तुति असल बन गई है। खबर चार शब्दों की होती है, प्रस्तुति आधे घंटे की, दिनभर की भी हो सकती है लोकतांत्रिक समाज में मीडिया वास्तव में एक सकारात्मक मंच होता है जहाँ सबकी आवाजें सुनी जाती हैं। ऐसे में मीडिया का भी कर्तव्य बन जाता है वह माध्यम का काम मुस्तैदी से करे। खबरों को खबर ही रहने दे , उस मत-ग्रस्त या रायपूर्ण न बनाये। ध्यान रखना होगा कि समाचार उद्योग, उद्योग जरूर है लेकिन सिर्फ उद्योग ही नहीं है। खबरें प्रोडक्ट हो सकती हैं, पर वे सिर्फ प्रोडक्ट ही नहीं हैं और पाठक या दर्शक खबरों का सिर्फ ग्राहक भर नहीं है। कुहासे में भटकती न्यूज़ वैल्यू का मार्ग प्रशस्त करके और उसके साथ न्याय करके ही वह सब किया जा सकता है जो भारत जैसे विकासशील देश में मीडिया द्वारा सकारात्मक रूप से अपेक्षित है। तब भारत शायद साक्षरता की बाकायदा फलदायी यात्रा करने में कामयाब हो जाए और साक्षरता की सीढ़ी कूदकर छलांग लगाने की उसे जरूरत ही न पड़े। लेकिन पहले न्यूज वैल्यू के सामने खड़े गहरे सनसनीखेज खबरों के धुंधलके को चीरने की पहल तो हो।

शनिवार, जुलाई 18, 2009

ऐसे मत करो अपमान भोजपुरी का



आज भोजपुरी इतना विशाल वट वृक्ष बन गया है जिसकी छाव तले करोडो लोग अपना पेट पाल रहे हैं, इनमे से कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जिन्हें महान बनाया भोजपुरी ने । मैं यहाँ भोजपुरी फ़िल्म जगत से जुड़े लोगो की बात कर रहा हूँ। आज हमारे फ़िल्म इंडस्ट्रीज में कई दिग्गज हैं जिन्हें भोजपुरी के आलावा कोई घास भी नही डालता है। मैं किसी का नाम लेकर उन्हें आइना नही दिखाना चाहता , लेकिन इतना ज़रूर कहूँगा की अगर आप खाते हो भोजपुरी से और आपकी मातृभाषा भी भोजपुरी है और आप भोजपुरी फ़िल्म और अल्बम रिलीज़ कर रहे हैं तो दो शब्द भोजपुरी में तो होना ही चाहिए। दरअसल पिछले दिनों एम सीरिज नाम से एक नई म्यूजिक कंपनी की शुरुवात हुई। समारोह में बड़े - बड़े पोस्टर लगे थे पोस्टर की भाषा अंगरेजी में थी वहां सिर्फ़ एक छोटा लाइन लिखा था ३० करोड़ भाषा भाषी लोगन के पहचान । इसके आलावा ऐसा कुछ भी न दिखा जिसे देखकर ये कहा जा सके की ये कार्यक्रम भोजपुरी का है। मनोज तिवारी ने इस मौके पर लंबा चौडा भाषण दिया लेकिन वे भी भूल गए की भोजपुरी में कुछ बोला जाए हाँ उन्होंने गाना ज़रूर भोजपुरी में गया शायद इसीलिए की उनका अल्बम भोजपुरी में था। भला हो मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह का जिन्होंने भोजपुरी में दो शब्द कहे । कितना अच्छा होता जब जब भोजपुरी फ़िल्म जगत के हमारे सारे पुरोधा ऐसे कार्यक्रमों में भोजपुरी में बात करें। आप सोच रहे होंगे की मैं भोजपुरी की वकालत तो कर रहा हूँ, लेकिन हिन्दी में क्यूँ लिख रहा हूँ। दरअसल मुझे भोजपुरी नही आती , चुकी इस इंडस्ट्रीज का एक हिस्सा हूँ, इसीलिए इस कड़वी सच्चाई को बयां कर रहा हूँ। वैसे मैं इस इंडस्ट्रीज में कुछ लोगो के लिए विवादित रहा हूँ, लेकिन मुझे नही लगता की सच्चाई बयां करने में हिचकिचाना चाहिए।

बिरहा सम्राट विजय लाल का जलवा



बिरहा गायकी में अपना सिक्का जमा चुके विजय लाल यादव का जलवा इन दिनों मुंबई के उन सिनेमाघरों में छाया हुआ है जहाँ उनकी फ़िल्म बियाह फूल इंटरटेनमेंट चल रही है। उल्लेखनीय है की विजय लाल की फ़िल्म इसी शुक्रवार को मुंबई में रिलीज़ हुई है। फ़िल्म के प्रचार के लिए विजय लाल सिनेमाघरों में जाकर अपने प्रशंशको का मनोरंजन कर रहे हैं। इस काम में फ़िल्म की हिरोइन लवी रोहतगी और गायक सोनू सिंह सुरीला भी उनका साथ दे रहे हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश में अच्छा कारोबार कर चुकी इस फ़िल्म का निर्माण माडर्न म्यूजिक कंपनी के बैनर तले निर्माता अरिमर्दन सिंह व निर्देशक विजेंद्र आकांक्षा ने किया है। बियाह द फूल इंटरटेनमेंट गाँव में शादी वियाह में अड़ंगा लगाने वालो की कहानी पर आधारित है। फ़िल्म के अन्य कलाकारों में प्रसिद्द गीतकार बिपिन बहार , लोकगायक आनंद मोहन, दिवाकर द्वेवेदी आदि हैं। फ़िल्म में लोक गायकों की भरमार है। दिवाकर द्वेवेदी उत्तर प्रदेश के प्रसिद्द लोक गायक माने जाते हैं। ढेर सारे गायकों को फ़िल्म में शामिल करने के सम्बन्ध में अरिमर्दन सिंह का कहना है की हर गायकों का अपना एक श्रोता वर्ग है, और बिहार यु।पी।में फ़िल्म हिट कराने में इन गायकों का भी अपना एक अहम् योगदान है।


बुधवार, जुलाई 15, 2009

भोजपुरी का पहला सोशल नेटवर्क वेबसाइट शुरु


भोजपुरी भाषियों के लिये दुनिया की सबसे बडी वेबसाइट भोजपुरिया डॉट कॉम ने कल यहाँ एक नई वेबसाइट का शुभारम्भ किया, जोकि एक सोशल नेटवर्क के रुप में है। इस वेबसाइट पर लोग अपने गाँव-जवार के लोगों को खोज कर उनसे सीधा संपर्क बना सकते हैं।इस वेबसाइट पर कोई भी रेजिस्टर कर के वहाँ अपने आस-पडोस की खबरों को शेयर कर सकता है, साथ- ही- साथ विभिन्न विषयों व मुद्दों पर विचार-विमर्श भी कर सकता है। इस सब के अलावा यह वेबसाइट लोगों को अपना खुद का ब्लॉग बनाने का भी स्थान देती है। "भोजपुरिया डॉट कॉम तो पहले से ही भोजपुरी-भाषियों का सबसे बडा पोर्टल है, पर हम बहुत दिन से एक वेबसाइट के बारे में सोच रहे थे, जहाँ लोग आपस में बातचीत कर सकें. इसके अलावा वो अपने आस-पास की गतिविधियों से संबंधित विडियो भी उस पर अपलोड कर सकें," भोजपुरिया डॉट कॉम के निदेशक सुधीर कुमार ने कहा. "आप इसे भोजपुरिया डॉट कॉम का दूसरा संस्करण कह सकते हैं। हमें पुरा विश्वास है कि इस के जरिए लोग एक दूसरे से आसानी से जुड पाएंगे। भोजपुरी भाषा व संस्कृति के विकास में यह वेबसाइट एक मील का पत्थर साबित होगी", सुधीर ने आगे बताया। प्रसिद्ध वेबसाइट आर्कुट की तरह काम करने वाली इस वेबसाइट को आम लोगों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है, और बडी संख्या में भोजपुरी भाषी इस वेबसाइट से जुड रहे हैं। ज्ञात हो कि इस से पहले भोजपुरिया डॉट कॉम को देश-विदेश में कई अवार्ड व सम्मान मिल चुके हैं।

भोजपुरी की नई आयटम गर्ल


भोजपुरी की नई आयटम गर्ल भोजपुरी फिल्मो में अगर आयटम डांस न हो तो भोजपुरिया दर्शको को मजा नही अत है। या यूँ कहे की आयटम डांस और आज की भोजपुरी फ़िल्म एक दूसरे का पर्याय बन चुके हैं तो कोई ग़लत नही होगी और यही वजह है की इस फ़िल्म जगत में आयटम डांसरों की काफ़ी डिमांड है। लगभग दो दर्ज़न आयटम डांसरों के बीच एक नई आयटम गर्ल अपनी जगह बनाने में सफल रही है। रीना सिंह नाम की इस आयटम डांसर को भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज की नई सनसनी के नाम से जाना जा रहा है। रीना ने हाल ही में अपनी बड़ी बहन और भोजपुरी की सर्वश्रेष्ट आयटम गर्ल सीमा सिंह से प्रेरणा लेकर शुरुवात की है। प्रेम पुजारन और दूल्हा फूंके चूल्हा अभी रिलीज़ तो नही हुई है,लेकिन रीना की चर्चा आज सबकी जुबान पर है। ख़ुद रीना का सपना भी सर्वश्रेष्ट आयटम गर्ल का खिताब हथियाना है। रीना जहाँ अच्छी डांसर है, वहीँ अच्छी अदाकारा भी है।बहरहाल सीमा के डांस के दीवानों को अब उसकी छोटी बहन का डांस भी जल्द ही परदे पर देखने को मिलेगा।

निरहू के लव स्टोरी


आपको लग रहा होगा की भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ की कोई लव स्टोरी की जानकारी मिल रही है। लेकिन ऐसा है नही, यहाँ हम निरहुआ की नही बल्कि बिरेन्द्र चौहान निरहू की बात कर रहे हैं। निरहुआ की तरह निरहू भी उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं और उनकी ही तरह गायक हैं। निरहू की माने तो दोनों ने ही गायकी की शुरुवात साथ-साथ की थी, लेकिन किस्मत ने निरहुआ का साथ दिया और वे भोजपुरी के हॉट केक बन गए । इधर निरहू ने भी अब बतौर अभिनेता भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में कदम रख दिया है। निरहू के पहले अल्बम निरहू के लव स्टोरी ने उत्तर प्रदेश में काफ़ी धूम मचाई थी। शायद यही वजह है की निरहू की पहली फ़िल्म का नाम भी निरहू के लव स्टोरी थी। आपको जानकर आश्चर्य होगा की इस फ़िल्म ने वाराणसी और आसपास के इलाके में भोजपुरी के आज के सुपर स्टारों की फिल्मो की तुलना में कई गुना अधिक व्यवसाय किया। अपनी पहली फ़िल्म की सफलता से उत्साहित निरहू कहते हैं मैं ठेठ ग्रामीण हूँ इसीलिए मेरे सारे अल्बम जैसे निरहू कसबतिया , आए हो निरहू, निरहू एक्सप्रेस , निरहू जेंटलमेन आदि ने गांवों में धूम मचाई है और गाँव में होने वाले कार्यकर्मो में मेरी जबरदस्त मांग है। लगभग १०० अल्बम में गा चुके निरहू के लव स्टोरी आगामी ७ अगस्त को मुंबई में प्रर्दशित होगी ।

सोमवार, जुलाई 13, 2009

बिरहा सम्राट विजय लाल की बियाह


बिरहा गायकी में अपना सिक्का जमा चुके विजय लाल यादव ने भी अभिनय के क्षेत्र में कदम रखते हुए कई फिल्मो में काम कियाहै, लेकिन बतौर मुख्य अभिनेता उनकी पहली फ़िल्म बियाह - द फूल इंटरटेनमेंट इसी शुक्रवार मुंबई में रिलीज़ हो रही है। बिहार और उत्तर प्रदेश में अच्छा कारोबार कर चुकी इस फ़िल्म का निर्माण माडर्न म्यूजिक कंपनी के बैनर तले निर्माता अरिमर्दन सिंह व निर्देशक विजेंद्र आकांक्षा ने किया है। बियाह द फूल इंटरटेनमेंट गाँव में शादी वियाह में अड़ंगा लगाने वालो की कहानी पर आधारित है। फ़िल्म में विजय लाल यादव का साथ दे रही है लवी रोहतगी। फ़िल्म के अन्य कलाकारों में प्रसिद्द गीतकार बिपिन बहार , लोकगायक आनंद मोहन, दिवाकर द्वेवेदी , गौतम तूफ़ान, लूदडू दीवाना और सोनू सिंह सुरीला आदि हैं। फ़िल्म में लोक गायकों की भरमार है। दिवाकर द्वेवेदी उत्तर प्रदेश के प्रसिद्द लोक गायक माने जाते हैं। ढेर सारे गायकों को फ़िल्म में शामिल करने के सम्बन्ध में अरिमर्दन सिंह का कहना है की हर गायकों का अपना एक श्रोता वर्ग है, और बिहार यु.पी.में फ़िल्म हिट कराने में इन गायकों का भी अपना एक अहम् योगदान है। विजय लाल यादव के अनुसार इस फ़िल्म से उन्हें दर्शको का काफी प्यार मिला है। बहरहाल विजय लाल यादव को पुरा भरोसा है की उनकी फ़िल्म को मुंबई में भी अच्छा व्यवसाय मिलेगा ।

रविवार, जुलाई 12, 2009

बूगी बूगी में भोजपुरिया महानायक रविकिशन


सोनी टीवी के चर्चित शो बूगी-बूगी भोजपुरिया महानायक रविकिशन के जन्म दिन पर रविकिशन के प्रसंशको को खास तोहफा दे रहा है। आगामी १७ जुलाई को रविकिशन के जन्मदिन के अवसर पर प्रसारित होने वाले एपिसोड में रविकिशन अतिथि जज की भूमिका में तो होंगे ही साथ ही वो अपनी बहुप्रतिक्षित फ़िल्म लक के गाने पर परफोर्म भी करेंगे। इतना ही नही रविकिशन इस शो में भी अपना भोजपुरिया अंदाज़ बिखेरने वाले हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोनी टीवी के बूगी बूगी में इन दिनों मम्मी स्पेशल डांस प्रतियोगिता चल रहा है। बिहार - उत्तरप्रदेश में खासे लोकप्रिय और अष्टविनायक सिने विजन की सोहम शाह निर्देशित फ़िल्म लक में अहम किरदार निभा रहे रविकिशन इस शो में बतौर अतिथि आमंत्रित हुए हैं। हाल ही में इसकी शूटिंग संपन्न हुई है। शो में रविकिशन ने लक के गाने - आजमाले लक .....पर परफोर्म भी किया। साथ ही दर्शको की मांग पर उन्होंने एक भोजपुरी का गाना भ गया । बूगी बूगी में ये एपिसोड रविकिशन के जन्मदिन १७ जुलाई को प्रसारित किया जाएगा।

शनिवार, जुलाई 11, 2009

लक से मेरी दूसरी पारी शुरू हो रही है- रवि किशन


१९ साल पहले अभिनय की भूख लेकर मुंबई आया जौनपुर का छोरा रवि किशन भोजपुरी फिल्मो का महानायक तो बन गया लेकिन हिन्दी फिल्मो में असफलता का दंश उन्हें सालता रहा। उन्हें इस बात का मलाल तो अवश्य था की अच्छे अभिनय और हीरो की छवि के वावजूद हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में उन्हें वो मुकाम क्यूँ नही मिल पाया जिसके वो हकदार थे। लंबे अरसे के बाद आखिरकार साल २००९ रवि किशन की जिंदगी में नई रौशनी लेकर आया है। अष्ट विनायक सिने विजन की सोहम शाह निर्देशित लक में रवि किशन एक मजबूत किरदार के रूप में नज़र आने वाले हैं। संजय दत्त, मिथुन चक्रवर्ती , इमरान खान और श्रुति हसन जैसे कलाकारों के बीच रवि किशन का किरदार काफी महत्वपूर्ण मन जा रहा है। ख़ुद रवि किशन भी लक में अपने किरदार राघव को लेकर काफी उत्साहित है।भोजपुरी से हिन्दी में पुनर्वापसी को लेकर रवि किशन से विस्तृत बातचीत हुई । प्रस्तुत है अंश -
लक में आपका किरदार अन्य अभिनेताओ से किस तरह अलग है ?
सबसे पहले तो मैं आपको बता दूँ , लक कुछ लकी लोगो की कहानी है। उनमे से मैं भी एक हूँ। जहाँ तक मेरे किरदार की बात है - मैं एक मनोरोगी की भूमिका में हूँ, जिसका नाम राघव है। राघव इतना लकी है की मौत उसका कुछ भी नही बिगाड़ सकती है। लक में लोगो की मौत पर जुआ लगता है और सबसे अधिक जुआ मुझ पर ही लगाया जाता है। मुझ पर फिल्माए गए दृश्य भी लाजवाब हैं। मुझे खुशी है की सोहम ने मुझ पर भरोसा किया और मेरे किरदार को नई दिशा मिली ।
किस तरह के दृश्य हैं लक में?
लक के हर दृश्य अन्य हिन्दी फिल्मो से बिल्कुल अलग हैं, जिसे देखकर दर्शक काफी रोमांचित होंगे। खाई में कूदना, हेलिकोप्टर से हजारो फिट की ऊंचाई से कूदना, समंदर में शार्क मछलियों के बीच गोता लगना, चलती ट्रेन के उपर जबरदस्त फाइट , ट्रेन के सामने छलांग लगाना जैसे कुछ दृश्य इस फ़िल्म को अन्य फिल्मो से अलग करता है। मेरे लगभग बीस साल के फिल्मी सफर में ऐसे दृश्यों से मेरा सामना पहली बार हुआ है।
कैसा अनुभव रहा ?
मौत को सामने देखने का अनुभव काफी भयावह होता है। हलाँकि सुरक्षा व्यवस्था काफी थी लेकिन दो बार मुझे ऐसा लगा की अब मौत निश्चित है। पहली बार जब मैं समंदर में शार्क मछलियों के बीच था। दरअसल सोहम ने सभी को स्कुआ डाइविंग की अच्छी ट्रेनिंग दी थी, लेकिन उस दौरान मैं तीन दिनों के लिए मुंबई आ गया था, इसीलिए मुझे उस बारे में खास जानकारी नही थी। शूटिंग के दिन ही थोडी बहुत जानकारी दी गई और जब आक्सीजन का मास्क पहन जब मैं पानी में उतरा तब मुझे अंदाजा हुआ की मेरे साथ एक दो नही कई शार्क मछलियां हैं। सच पूछिए तो मुझे लगा मेरी मौत निश्चित है। एक पल में मुझे मेरे सारे अपने याद आ गए। दूसरी बार जब मेरे और इमरान के बीच ट्रेन के उपर फाइट सीन फिल्माया जा रहा था तब मैं चलती ट्रेन से गिरते गिरते बचा था। हलाँकि बचने के क्रम में मुझे काफ़ी चोटें आई लेकिन हमने कुशलता पूर्वक शूटिंग पूरी की ।
आपके सह कलाकार का रवैया आपके साथ कैसा था ?
बहुत ही अच्छा ... मिथुन दा, संजू बाबा और डैनी सर से तो मेरी पुरानी पहचान थी। इमरान और श्रुति से मेरी मुलाकात सेट पर ही हुई। श्रुति के तो खून में ही अभिनय है और वो बिल्कुल सहजता से सारे दृश्य को अंजाम देती है। उसका व्यवहार भी काफी अच्छा रहा। फ़िल्म में उसके साथ मेरे कई दृश्य हैं। अगर आपके सन्दर्भ में लक को देखा जाए तो एक शब्द में आप क्या कहेंगे ?
दिल से कहूँ तो लक से मेरी हिन्दी इंडस्ट्रीज में मेरी वापसी हो रही है। रिलीज़ के पूर्व ही सिर्फ़ प्रोमो देखकर ही मुझे कई बड़ी फिल्मो के ऑफ़र आ रहे हैं। दो नई फिल्में मैंने साइन भी की है लेकिन उसके बारे में मैं चर्चा फिलहाल नही करूंगा। लक के बाद मणि सर की रावण और श्याम बेनेगल सर की वेल्डन अब्बाजी सारी कसर पूरी कर देगी।
आप हिन्दी फिल्मो में व्यस्त हैं तो क्या भोजपुरी फिल्में नही करेंगे ?
भोजपुरी फिल्में नही करने का तो सवाल ही नही उठता है। भोजपुरी फिल्मो के कारण ही आज हिन्दी फिल्मो का द्वार मेरे लिए खुला है । वैसे भी भोजपुरी मेरी मातृभाषा है और मुझे भोजपुरी फिल्मो में काम करना पसंद है। जहाँ तक हिन्दी फिल्मो में व्यस्तता की बात है तो मैं भोजपुरी में अपनी फिल्मो की संख्या थोडी कम कर रहा हूँ। प्रस्तुति- उदय भगत

गुरुवार, जुलाई 09, 2009

इनफिनिटी इंटरटेनमेंट की प्रोडक्शन नंबर वन


भोजपुरी फ़िल्म जगत के प्रसिद्द कैमरामेन शाद कुमार अब निर्देशन की ओर भी कदम बढ़ा दिया है. बतौर निर्देशक उनकी पहली फ़िल्म का मुहूर्त हाल ही में सन्नी सुपर साउंड स्टूडियो में संपन्न हुआ । इनफिनिटी इंटरटेनमेंट के बैनर तले बन रही इस फ़िल्म के निर्माता पी.मिश्रा व सह निर्माता बी.अली हैं। मुहूर्त के अवसर पर अभिनेता राकेश पांडे, विजय लाल यादव, अभिनेत्री पूनम सागर, सीमा पांडे, उदय श्रीवास्तव, विलास उजावने, चंदू धनवानी, अमृत पाल सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। संतोष मिश्र द्वारा लिखित इस फ़िल्म के संगीतकार अशोक कुमार दीप, गीतकार अशोक कुमार दीप और राम विनोद पासवान हैं। शाद कुमार के अनुसार इस अनाम फ़िल्म में विनय आनंद, विराज भट्ट, धर्मेश कुमार, पूनम सागर, विजय लाल यादव, उदय श्रीवास्तव, देव मल्होत्रा, पियूष चक्रवर्ती, और राकेश पांडे मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। फ़िल्म की शूटिंग जल्द ही शुरू होगी।

रविवार, जुलाई 05, 2009

शादी-शुदा निकला राखी का एक भावी पति


पैसा चाहे जो न कराये ...एन.डी.टी.वी.इमेजिन के चर्चित शो में भाग लेने आए प्रतियोगियों के हाव - भाव और मकसद को देखकर तो यही कहा जा सकता है। पुराने ज़माने में राजा-महाराजा अपनी राजकुमारी के लिए सुयोग्य वर ढूँढने के लिए स्वयंवर रचाते थे और उन्हें इस मध्यम से योग्य वर मिलता भी था, लेकिन राखी का स्वयंवर विशुद्ध रूप से पैसो का खेल नज़र आ रहा है। चैनल के नियमानुसार राखी अगर किसी प्रतियोगी से शादी करती है तो उसे दो करोड़ और उसके पति को 50लाख रूपये मिलेंगे। अगर शादी नही करती है तो उसे आधे यानी एक करोड़ से ही संतोष करना पड़ेगा। राखी ने तो पैसो के कारण इस तरह का नाटक रचाना तो स्वीकार किया ही साथ ही इस स्वयंवर में भाग लेने आए राखी के तथाकथित प्रेमी भी मात्र पैसो के लालच में ही इस शो में शामिल हुए हैं। सूत्रों के अनुसार राखी के स्वयंवर में भाग ले रहे एक प्रतियोगी अतहर परवेज, जो कश्मीर पुलिस का जवान है वह पहले से ही शादी-शुदा है। अतहर ने स्वयंवर में शामिल होने से पहले इस राज को छुपा लिया था। लेकिन भला हो कश्मीर पुलिस के ही एक जवान का जिन्होंने घाटी में रहने वाली उनकी बेगम को सारा वाकया बता दिया। बस फिर क्या था अतहर की बेगम पूरे लाव-लश्कर के साथ उदयपुर पहुँच गई और महल के दरवाजे पर खरे होकर अपनी छाती पीटने लगी। जब चैनल की अधिकारियो को इसकी जानकारी मिली तब अतहर महोदय को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसी तरह एक प्रतियोगी प्रणव दामले को राखी ने इसी लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया क्यूंकि वो राखी के पुराने अन्तरंग संबंधो को लेकर कुछ ज्यादा ही परेशान था। दामले ने तो ख़ुद राखी से इस बारे में सवाल भी किया है। एक प्रतियोगी मनमोहन तिवारी ने तो अपनी मनमोहनी जाल में राखी को फंसा भी लिया है। सूत्रों के अनुसार मनमोहन की एक गर्ल फ्रेंड भी है जिसका नाम अंजली है। राखी का दिल फिलहाल मनमोहन के लिए धड़क भी रहा है, जबकि हकीकत ये है की मनमोहन और अंजली शादी की योजना भी बना चुके हैं।

बहरहाल इस कलयुगी स्वयंवर ने टी.वी.जगत में झूठा ही सही एक अनूठी शुरुवात तो कर ही दी है ।

शुक्रवार, जुलाई 03, 2009

जारी भइल पहिला भोजपुरी-हिंदी-इंग्लिश शब्दकोष



भोजपुरी के प्रसिद्ध भाषाविद डा. राजेन्द्र प्रसाद सिंह के समर्पण, लगन आ उत्साह के बारे में त हम तबे जान गइल रहीं, जब इग्नू के पाठ-लेखकन के बैठक में उनुका से भेंट भइल रहे। ओही से जब आज उनुका संपादन में पहिला बेर "भोजपुरी-हिंदी-इंग्लिश लोक शब्दकोश" के प्रकाशन होखे के बात सामने आइल, त कवनो आश्चर्य ना भइल।
भाषा पर राजेन्द्र जी के पकड के अंदाज एही से लगावल जा सकेला, कि 2006 के "अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन" में हमरा से मात्र दू मिनट बात कइला का बाद उहाँ का कहनी कि "राउर भाषा-शैली से लागता कि राउर घर छपरा-सिवान में होई"। मात्र हमरे ना, बल्कि हर केहू से बात कइला का बाद उहाँ का ओकर मूल-स्थान के बारे में बताये में सक्षम बानी। अभी पिछिला महीना ही केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा द्वारा भोजपुरी भाषा के विकास खातिर एगो अनूठा पहल का तौर पर एह शब्दकोश के प्रकाशन कइल गइल बा। भोजपुरी-हिंदी में त पहिलहीं से शब्दकोष उपलब्ध बाटे, लेकिन इ नया शब्दकोश एकदम अलग बा, काहें कि एहमें भोजपुरी आ हिन्दी का संगे पहिला बेर अंग्रेजी के भी जोडल गइल बाटे। एह कोष में अंग्रेजी वाला भाग के संपादन अरविन्द कुमार जी कइले बानी, जिनकर "वृहत समांतर कोष" समेत कई गो शब्दकोष पेंगुइन, राजकमल, आ नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित कइल जा चुकल बा। एह शब्दकोश में भोजपुरी माटी से जुडल लगभग 50 हजार शब्दन के अंग्रेजी उच्चारण, हिंदी आ अंग्रेजी में ओकर अर्थ, आ व्याकरणिक कोटि (संज्ञा, सर्वनाम आदि) समेत ओह शब्द के प्रयोग क के एगो उदाहरण भी दीहल गइल बा। रउआ सुविधा खातिर हमनी का शब्दकोष से कुछ उदाहरण एहिजा देत बानी: औलाद [aulAda] स्त्री. संतान; progeny, offspring. उदा. एकदम शैतान के औलाद हवे का रे। कँइची [kaiMchi] स्त्री. कैंची; scissors, clippers. उदा. कँइची से कपडा काट द। कइल [kaila] स.क्रि. करना; to do. उदा. आज ई काम जरुर कैल जाई। ककही [kakahI] स्त्री. कंघी; Comb. उदा. टूटि गइली ककही, छटक गइले सरिया, रुसल मइया ना। एह शब्दकोश के भूमिका लगभग 20 पन्ना में लिखल गइल बा, जवना में भोजपुरी भाषा आ साहित्य के इतिहास के समेटे के प्रयास कइल गइल बा। एकरा अलावे एह शब्दकोष में कैथी लिपी (भोजपुरी के आपन लिपी), भोजपुरी क्षेत्र के पुरनका माप-तौल, कद-काठी, चुल्हा-चौका के बरतन के नांव, मछली के नांव, भूमि नाप, लोक देवी-देवता, परब-त्योहार, अनेकार्थक शब्द, एकार्थक शब्द, विलोम शब्द आ भोजपुरिया लोगन के रहन-सहन के जुडल हर चीज के बारे में जिक्र कइल गइल बाटे। लगभग 500 पन्ना के ई शब्दकोष सब केहू खातिर संग्रहणीय बाटे, आ हम त कहब कि हम भोजपुरिया परिवार में एकर एगो प्रति अवश्य रखे के चाहीं, ओह से एक ओर त लेखक (आ प्रकाशक) के हौसला बढी, आ संगही हमनी के नवहा लोग का अपना भाषा आ संस्कृति से जुडे में आसानी होई। एह शब्दकोष के मूल्य मात्र 275/- रुपया रखल गइल बा। दिशा-निर्देश आ परामर्श - रामवीर सिंह, शंभुनाथ प्रधान संपादक - अरविंद कुमार संपादक - डा. राजेन्द्र प्रसाद सिंह संयोजक - अभिषेक अवतंस कोष कर्मी - जितेन्द्र वर्मा, दिग्विजय शर्मा, आदि शब्दकोष किने खातिर नीचे दीहल पता पता पर संपर्क करीं: केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा – 282005, फोन – (0562) 2530683 [ for more www.bhojpuria.com

गुरुवार, जुलाई 02, 2009

भाग्य विधाता बना प्रकाश के किस्मत का भाग्य विधाता


लगभग दो दर्जन भोजपुरी फिल्मो में अभिनय कर चुके अभिनेता प्रकाश जैस की किस्मत कलर्स चैनल ने बदल दी है। कलर्स के धारावाहिक भाग्य विधाता में अपनी बहन की शादी के लिए लड़के का अपहरण करने वाले भाई की भूमिका में प्रकाश के अभिनय की जबरदस्त तारीफ हो रही है। मूलतः बिहार की पृष्ठभूमि पर बनी इस धारावाहिक में प्रकाश के अलावा ऋचा सोनी, अतुल श्रीवास्तव, सुशील सिंह, भरत कपूर, विशाल आदि मुख्य भूमिका में हैं। प्रकाश जैस के अनुसार हिन्दी फिल्मो में छोटी- छोटी भूमिका के बीच उन्होंने कई सफल भोजपुरी फिल्मो में काम किया लेकिन उन्हें वो पहचान नही मिल पाई जिसकी उन्हें तलाश थी, लेकिन भाग्य विधाता ने उसके लिए संजीवनी का काम किया । प्रकाश ने इस बात को स्वीकार की भोजपुरी फिल्मो में उसके अभिनय के कारण ही उन्हें यह मौका मिला है इसीलिए भोजपुरी फिल्में करना वो कभी नही छोडेंगे। उन्होंने कहा की इस धारावाहिक के बाद उन्हें नित नए ऑफ़र आ रहे हैं , लेकिन समय के आभाव के कारण फिलहाल वो इस पर ध्यान नही दे रहे हैं। भाग्य विधाता में प्रकाश के किरदार को खलनायक के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन प्रकाश का मानना है की अपने परिवार की भलाई के लिए उठाया गया कदम ग़लत नही हो सकता। समाज में दहेज़ प्रथा फल फूल रही है ऐसे में कुंवारी बहनों के भाई के पास और कोई चारा नही रह जाता है की वो जबरन अपनी बहन की शादी कराये। प्रकाश की आने वाली भोजपुरी फिल्मो में मुन्ना भईया, कबहू छूटे न इ साथ , सिंदूरदान, भइया के ससुरारी में, आदि है। बहरहाल भाग्य विधाता प्रकाश के कैरिअर का भाग्य विधाता ज़रूर बन गया है।